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अंतःकरण एवं नैतिक निर्णय लेना

Lokesh Pal March 05, 2024 06:30 151 0

संदर्भ

प्रशासनिक क्षेत्र या सार्वजानिक जीवन में अंतःकरण (Conscience), अंतःकरण की आवाज (Voice of Conscience), अंतःकरण का संकट (Crisis of Conscience) एवं नैतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया अहम भूमिका निभाती है।

अंतःकरण की आवाज (Voice of Conscience) क्या है?

  • आंतरिक मूल्य प्रणाली (Inner Value System): अंतःकरण/विवेक प्रत्येक मनुष्य में मौजूद एक अंतर्निहित, अपरिवर्तनीय एवं अविनाशी पहलू है।

    • यह एक आंतरिक आवाज की तरह है, जो मनुष्य को सही कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
      • इस आंतरिक आवाज को अक्सर अंतःकरण की आवाज (Voice Of Conscience) कहा जाता है।
    • यह किसी व्यक्ति के स्वयं के आचरण की नैतिक अच्छाई एवं बुराई को दर्शाता है।
  • प्राकृतिक घटना: यह प्रत्येक व्यक्ति के स्वभाव का हिस्सा है एवं मनुष्य को अच्छे नैतिक निर्णय लेने में मदद करता है।
    • यदि किसी के मानवीय मूल्य सुविकसित नहीं हैं, तो उसका विवेक कमजोर हो सकता है किंतु अगर किसी के पास स्पष्ट एवं जानकारीपूर्ण मानवीय मूल्य हैं तो उसका विवेक मजबूत होता है, जो उसे सही एवं गलत में अंतर करने में मदद करता है।
  • सही निर्णय लेने में मदद करता है: एक व्यक्ति का विवेक उन्हें स्थितियों को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने एवं सही विकल्प चुनने में मदद करता है इसलिए नैतिक क्षमता बढ़ाने के लिए व्यक्तियों को अपने विवेक पर स्पष्ट रूप से ध्यान देना सीखना चाहिए।

अंतःकरण का संकट (Crisis of conscience)

  • आंतरिक संघर्ष: विवेक या अंतःकरण का संकट तब होता है, जब किसी के नैतिक दबाव एवं बाहरी दबाव के बीच आंतरिक संघर्ष होता है, जिससे निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
    • इससे आंतरिक उथल-पुथल एवं बेचैनी की भावना उत्पन्न होती है, जिससे समाधान ढूँढना मुश्किल हो जाता है।
  • आंतरिक संघर्ष के कारण: अनियंत्रित इच्छाएँ (Unchecked Desires) एवं आत्म-जागरूकता की कमी (Lack Of Self-Awareness) जैसे कारक इस आंतरिक संघर्ष में योगदान करते हैं।
  • आतंरिक संघर्ष पर नियंत्रण पाने का तरीका 
    • नैतिक शक्ति एवं स्पष्टता (Moral strength and Clarity): इस संकट से निपटने के लिए अत्यधिक नैतिक शक्ति, शांति और स्पष्टता की आवश्यकता है क्योंकि-
      • मनुष्य को स्वयं से संघर्ष करना पड़ेगा।
      • मनुष्य को स्वयं अपने संघर्ष पर नियंत्रण पाना होगा एवं अपने अंदर एक ठहराव उत्पन्न करना होगा।
    • प्राचीन प्रज्ञा (Ancient Wisdom): प्राचीन शिक्षाओं में आंतरिक संघर्ष पर विजय हासिल करने वाले व्यक्तियों को अरिहंतके रूप में वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है-वास्तविक शत्रुओं को नष्ट करने वाला
  • यह ऐसी चुनौतियों से निपटने में आत्म-जागरूकता एवं नैतिक शक्ति के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।

अंतःकरण या विवेकशील व्यक्तित्व की आवश्यकता

  • विवेकशील, वह व्यक्ति होता है जो किसी व्यक्ति के नैतिक निर्णयों का मार्गदर्शन एवं सुरक्षा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • उदाहरण के रूप में सी. राजगोपालाचारी से लेकर महात्मा गांधी तक या संविधान के संरक्षक के रूप में न्यायपालिका, राष्ट्र को प्रगति की राह पर ले जाने संबंधी उच्च आदर्शों एवं नैतिक मार्गदर्शन तथा स्पष्टता प्रदान करती है।
    • इन लोगों/निकायों/संस्थाओं द्वारा स्थापित उच्च आदर्शों की मौजूदगी व्यक्तियों को नैतिक सिद्धांतों को बनाए रखने एवं सैद्धांतिक निर्णय लेने में मदद करती है।

निम्नलिखित कारणों से अंतःकरण/विवेकशील व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।

  • भूमिका की स्पष्टता के महत्त्व को समझना: एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, जहाँ कार्यकारी शाखा नागरिकों के जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव रखती है, अधिकारियों के लिए अपनी भूमिकाओं एवं कर्तव्यों को पूरी तरह से समझना आवश्यक है।
    • यह समझ विवेक के संकट को रोकने में मदद करती है एवं प्रभावी शासन व्यवस्था सुनिश्चित करती है।
  • शासन के संकटको न्यूनतम करना: शासन का संकट तब उत्पन्न होता है, जब अधिकारी अपने विवेक का पालन करने में विफल हो जाते हैं, जिससे जनता का विश्वास कम हो जाता है एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है।
    • नैतिक सत्यनिष्ठा की यह कमी शासन में विफलताओं या गतिरोधों के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने में अनिच्छा पैदा करती है। यह वह बिंदु है जहाँ विवेकशील अधिकारियों को स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए मार्गदर्शन करने में मदद करता है।
  • नौकरशाहों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को हल करने के लिए: किसी भी लोकतांत्रिक देश में नागरिक अक्सर मुसीबत के समय नौकरशाहों से मदद की उम्मीद करते हैं। वे मानते हैं कि अधिकारी उनके प्रति सहानुभूति रखेंगे एवं उनकी चिंताओं का समाधान करेंगे।
    • यह नौकरशाहों को दुविधा में डाल देता है, जिससे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिम्मेदारियों को निभाते समय विवेक का संकट उत्पन्न हो जाता है।

  • आंतरिक विकास (Inner Development) के साथ संकटों से निपटना: विवेकशील होना, व्यक्तियों के आंतरिक विकास में मदद करता है क्योंकि संकटों के समय सफलतापूर्वक प्रबंधन के लिए व्यक्तियों को आंतरिक विकास और भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) विकसित करने की आवश्यकता होती है।
    • आंतरिक संघर्षों को कम करके, प्रशासनिक अधिकारी बाहरी पारस्परिक चुनौतियों को बेहतर ढंग से सँभाल सकते हैं।

नैतिक निर्णय लेने में विवेक की भूमिका

  • निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है: किसी भी स्थिति में नैतिक दुविधा उत्पन्न होने पर विवेक अच्छे निर्णय लेने में मदद करता है।
    • उदाहरण के लिए: एक छोटे लड़के ने (भूख के कारण) एक दुकान से ब्रेड चुरा ली एवं भागते समय उसका शीशा तोड़ दिया लेकिन उसे दुकान मालिक ने पकड़ लिया। अब, यदि मालिक अपने नुकसान (काँच) के लिए लड़के के खिलाफ मामला दर्ज करता है, तो अधिकारी को नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ सकता है। हानि के लिए सजा तथा भूख के लिए चोरी के बीच एक दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई। ऐसी स्थिति में विवेक ही अधिकारियों को सही निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है।
  • विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण (Analytic Perspective) विकसित करना: विवेक व्यक्तियों को किसी स्थिति को विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने में मदद करता है।
  • हितों का टकराव: यह हितों के टकराव को दूर करने में मदद करता है और दी गई परिस्थितियों के आधार पर सही निर्णय लेने का रास्ता दिखाता है।

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