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शानन जलविद्युत परियोजना पर पंजाब-हिमाचल विवाद

Lokesh Pal March 05, 2024 06:55 127 0

संदर्भ 

हाल ही में केंद्र ने  ‘शानन जलविद्युत परियोजना’ पर पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने प्रतिस्पर्द्धी दावों के बीच दोनों राज्यों को  यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।

संबंधित तथ्य:

  • उच्चतम न्यायालय इस मामले में 8 अप्रैल, 2024 को पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करेगा, इस याचिका में पंजाब राज्य सरकार द्वारा ‘शानन जलविद्युत परियोजना’ के 99वर्षीय पट्टे/लीज की अवधि समाप्त होने पर हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा इसे अपने कब्जे/नियंत्रण में लेने से रोकने की माँग की गई।
  • ध्यातव्य है कि 2 मार्च, 2024 को 110 मेगावाट की शानन जलविद्युत परियोजना पर पंजाब राज्य की 99 वर्षीय लीज समाप्त हो जाएगी।

शानन पॉवर प्रोजेक्ट के बारे में:

  • 110 मेगावाट शानन बिजली परियोजना की परिकल्पना वर्ष 1922 में पंजाब सरकार के तत्कालीन मुख्य अभियंता कर्नल  बैट्टी  ने की थी।
  • परियोजना का पट्टा : इसे वर्ष 1925 में पंजाब राज्य को 99 वर्ष के लिए पट्टे पर दिया गया था।  परियोजना का पहला चरण (48 मेगावाट) वर्ष 1932 में शुरू किया गया था।
  • समझौता: वर्ष 1925 में इस परियोजना के पट्टे से जुड़े समझौते पर मंडी के तत्कालीन शासक, राजा जोगिंदर बहादुर और कर्नल बीसी बैट्टी के बीच हस्ताक्षर किए गए थे।
  • उपयोग: समझौते के अनुसार, परियोजना के लिए पानी का उपयोग ब्यास नदी की सहायक नदी उहल नदी से किया जाना था, जिसके बदले में राज्य को 500 किलोवाट मुफ्त बिजली दिए जाने का प्रावधान किया गया था।
  • स्थान: यह हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगिंदरनगर में अवस्थित है।

शानन विद्युत परियोजना से संबंधित मुद्दे

  • पंजाब का दावा
    • कानूनी नियंत्रण: वर्ष 1966 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान, यह जलविद्युत परियोजना पंजाब को दे दी गई, क्योंकि उस समय हिमाचल प्रदेश एक केंद्रशासित प्रदेश था।
      • इसे केंद्रीय सिंचाई और ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 1 मई, 1967 को जारी एक केंद्रीय अधिसूचना द्वारा राज्य को आवंटित किया गया था।
    • संपत्ति नियंत्रण: पंजाब राज्य ने तर्क दिया है कि वर्तमान में परियोजना से जुड़ी सभी संपत्तियाँ पंजाब राज्य पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) के माध्यम से राज्य सरकार के प्रारंभिक नियंत्रण में हैं।
    • पंजाब ने दावा किया कि वर्ष 1932 में परियोजना की स्थापना के बाद से ही इसका नियंत्रण और प्रबंधन उसके पास है।
  • हिमाचल प्रदेश का आरोप
    • शानन पॉवर हाउस हिमाचल प्रदेश में अवस्थित है, इसलिए इस परियोजना पर राज्य का पूरा अधिकार होना चाहिए।
    • हिमाचल सरकार ने आरोप लगाया है कि यह परियोजना खराब स्थिति में है क्योंकि पंजाब इसकी मरम्मत या रखरखाव नहीं कर रहा है।

केंद्र के फैसले के निहितार्थ

  • अंतरिम उपाय: इस आदेश को जारी करना पूरी तरह से अंतरिम उपाय की प्रकृति में है और इसे किसी दावे या हित के आधार के रूप में नहीं माना जाएगा।
  • कानूनी ढाँचा: दोनों पक्षों से अपेक्षा की जाती है कि वे विवाद के निपटारे से संबंधित सभी मामलों को उस तरीके से आगे बढ़ाएँ, जो उन्हें उचित लगे और कानूनी ढाँचे के भीतर उचित हो।

जनहित: इस संदर्भ में विवाद के निस्तारण के लिए ऐसे उपाय किए जाने चाहिए, जिससे शानन पॉवर हाउस के कामकाज में बाधा न आए।

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