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भारत का परमाणु कार्यक्रम

Lokesh Pal March 06, 2024 07:16 162 0

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री ने चेन्नई के कलपक्कम में परमाणु संयंत्र में भारत के स्वदेशी 500 मेगावाट प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (Prototype Fast Breeder Reactor- PFBR) के लिए कोर लोडिंग की शुरुआत का अवलोकन किया।

भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की पृष्ठभूमि

  • परमाणु ऊर्जा आयोग: होमी जे. भाभा के नेतृत्व में वर्ष 1948 में स्थापित परमाणु ऊर्जा आयोग (Atomic Energy Commission- AEC) ने भारत के परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत की।
  • परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान: वर्ष 1954 में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान (Atomic Energy Establishment), ट्रॉम्बे की स्थापना की गई, जो बाद में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Research Centre- BARC) बन गया।
  • परमाणु ऊर्जा: भारत का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र वर्ष 1969 में तारापुर, महाराष्ट्र में शुरू किया गया था, जिसने देश के परमाणु ऊर्जा उत्पादन में एक महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • पोखरण परीक्षण: भारत ने वर्ष 1974 में एवं बाद में वर्ष 1998 में पोखरण में शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट के साथ दुनिया के सामने अपनी परमाणु क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
  • स्वदेशी विकास: पोखरण परीक्षणों के बाद, भारत को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण विद्युत उत्पादन एवं रणनीतिक उद्देश्यों दोनों के लिए स्वदेशी तकनीक का विकास हुआ।

भारत का त्रि-चरणीय परमाणु कार्यक्रम क्या है?

  • तीन चरणों वाले परमाणु कार्यक्रम का लक्ष्य भारत के विशाल यूरेनियम भंडार का उपयोग करना है, जो वैश्विक कुल का लगभग 25% है।
    • इसके अलावा, भारत के पास दुनिया के यूरेनियम भंडार का केवल 2% है, जो अत्यंत दुर्लभ है।
  • चरण I: दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (Pressurized Heavy Water Reactors- PHWRs)
    • भारत के तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा विकास के पहले चरण में दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWRs) का उपयोग किया जाता है।
    • ये रिएक्टर बिजली के अलावा उपोत्पाद के रूप में प्लूटोनियम-239 का निर्माण करते हैं।
    • PHWRs को उनके प्रभावी रिएक्टर डिजाइन के कारण पहले चरण के लिए चुना गया था, जो यूरेनियम के उपयोग को अधिकतम करता है।
    • यूरेनियम का उपयोग एवं संचालन
      • प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग: PHWRs प्राकृतिक यूरेनियम को जलाते हैं, जो मुख्य रूप से यूरेनियम-238 से बना होता है।
      • प्लूटोनियम का उत्पादन: एक रिएक्टर में यूरेनियम-238 को प्लूटोनियम-239 में बदला जा सकता है।
      • भारी जल का उपयोग: PHWRs में भारी जल या ड्यूटेरियम ऑक्साइड (Deuterium Oxide) या D2O का उपयोग शीतलक तथा मॉडरेटर के रूप में किया जाता है।
    • PHWR शृंखला: मूल कनाडाई CANDU रिएक्टरों के आधार पर, भारत ने PHWR की एक शृंखला बनाई है, जिसे IPHWR शृंखला के रूप में जाना जाता है।
      • 220 मेगावाट, 540 मेगावाट एवं 700 मेगावाट की क्षमता वाले रिएक्टर डिजाइन IPHWR शृंखला का हिस्सा हैं।
    • स्थापित क्षमता: IPHWR शृंखला के प्रथम चरण के PHWR भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता का अधिकांश हिस्सा बनाते हैं।
    • आगामी विकास: PHWRs को बढ़ाने के लिए, भारत IPWR-900 रिएक्टर प्लेटफॉर्म जैसे दबावयुक्त जल रिएक्टर तकनीक पर आधारित रिएक्टर विकसित कर रहा है।
  • चरण II: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (Fast  Breeder Reactor- FBR)
    • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBRs) का उपयोग भारत के तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा विकास के दूसरे चरण में किया जाता है।
    • ईंधन की संरचना एवं प्रकार
      • ईंधन का प्रकार: FBR पहले चरण से खर्च किए गए ईंधन एवं प्राकृतिक यूरेनियम से प्राप्त प्लूटोनियम-239 से बने मिश्रित ऑक्साइड (Mixed oxide- MOX) ईंधन का उपयोग करते हैं।
      • विखंडन प्रक्रिया: FBR में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए, प्लूटोनियम-239 विखंडन से गुजरता है।
    • ब्रीडिंग ईंधन: FBRs खपत से अधिक ईंधन ‘ब्रीडिंग’ करने में सक्षम हैं क्योंकि मिश्रित ऑक्साइड ईंधन में यूरेनियम-238 अधिकांशतः प्लूटोनियम-239 में परिवर्तित हो जाता है।
    • थोरियम में परिवर्तन
      • जब स्टॉक में पर्याप्त प्लूटोनियम-239 हो, तो थोरियम को आवरण रुपी सामग्री के रूप में रिएक्टर में जोड़ा जा सकता है।
  • चरण III: थोरियम-आधारित रिएक्टर
    • भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तीसरे चरण में, यूरेनियम-233 एवं थोरियम-232 द्वारा संचालित रिएक्टर तैनात किए जाएँगे।
    • रिएक्टरों की विशेषताएँ
      • ईंधन भरना:थर्मल ब्रीडर रिएक्टर’ के रूप में वर्गीकृत रिएक्टर ‘प्रारंभिक ईंधन’ के बाद प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले थोरियम द्वारा ईंधन भरने में सक्षम हैं।
      • ईंधन संरचना: रिएक्टर में प्रयुक्त मुख्य ईंधन थोरियम-232 है, जिसे ऊर्जा प्रदान करने के लिए यूरेनियम-233 में परिवर्तित किया जाता है।
    • कार्यान्वयन योजना
      • क्षमता वृद्धि: PHWRs एवं FBRs का उपयोग करके, तीसरे चरण से भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को 10 गीगावाट से आगे बढ़ने में मदद मिलने की उम्मीद है।
      • समयरेखा: यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में पूर्ण थोरियम रिजर्व का दोहन फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के वाणिज्यिक संचालन शुरू होने के तीन से चार दशक बाद होगा।
    • अन्य विधियाँ
      • भारतीय त्वरक चालित प्रणालियाँ (Indian Accelerator Driven Systems- IADS): थोरियम का दोहन करने के लिए, अमेरिकी प्रयोगशाला फर्मिलैब (Fermilab) के साथ साझेदारी में नवीन त्वरक चालित प्रणालियाँ विकसित की जा रही हैं।
      • उन्नत भारी जल रिएक्टर (Advanced Heavy Water Reactor- AHWR): उन्नत भारी जल रिएक्टर (AHWR) एक रिएक्टर डिजाइन है, जो तैनाती के लिए तैयार है एवं यूरेनियम-थोरियम MOX तथा प्लूटोनियम-थोरियम MOX से बने ईंधन पर चलता है। यह बड़ी मात्रा में विद्युत का उत्पादन करने के लिए थोरियम का उपयोग कर सकता है।
      • मोल्टन साल्ट रिएक्टर (Molten Salt Reactor): यह निर्धारित करने के लिए एक प्रयोग किया जा रहा है कि क्या ‘मोल्टन साल्ट प्रौद्योगिकी’ का उपयोग थोरियम का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है, इसे इंडियन मोल्टन साल्ट ब्रीडर रिएक्टर (Indian Molten Salt Breeder Reactor) (IMSBR) के साथ प्रयोग किया जा रहा है।

प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर के बारे में

  • चरण II की शुरुआत: देश का तीन चरण का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम दूसरे चरण PFBR से शुरू होता है, जहाँ पहले चरण से खर्च किए गए ईंधन कोपुन: संसाधित किया जाएगा तथा ईंधन के रूप में उपयोग किया जाएगा।
  • विशेषता: इस सोडियम-कूल्ड PFBR’s की खपत से अधिक ईंधन बनाने की क्षमता इसे विशेष बनाती है एवं भविष्य के तेज रिएक्टरों की ईंधन आपूर्ति में आत्मनिर्भर बनने की क्षमता में योगदान करती है।
  • डिजाइन और निर्माण: देश का पहला फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, PFBR इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (Indira Gandhi Centre for Atomic Research- IGCAR) द्वारा बनाया गया था।
  • जिम्मेदारी: परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy- DAE) के सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (Bharatiya Nabhikiya Vidyut Nigam Ltd), (भाविनी) भारत में फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के निर्माण हेतु उत्तरदायी है।

फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के लाभ

  • संसाधनों का कुशल उपयोग: FBRs गैर-विखंडनीय यूरेनियम (U-238) को विखंडनीय प्लूटोनियम (Pu-239) में परिवर्तित करके यूरेनियम का अधिक कुशलता से उपयोग कर सकते हैं। इसका एक उदाहरण कलपक्कम में प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) है।
  • परमाणु कचरे को कम करना: FBRs एक्टिनाइड्स को जलाने की अपनी क्षमता के कारण परमाणु कचरे की मात्रा को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो परमाणु कचरे की दीर्घकालिक रेडियोटॉक्सिसिटी में प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
  • ऊर्जा सुरक्षा: भारत में दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के लिए FBRs महत्त्वपूर्ण हैं, जिसमें यूरेनियम के सीमित भंडार हैं लेकिन थोरियम के प्रचुर भंडार हैं। इस थोरियम को FBRs में विखंडनीय यूरेनियम-233 में परिवर्तित किया जा सकता है।

भारत में परमाणु ऊर्जा की स्थिति

  • पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत: गैस, कोयला, जलविद्युत तथा पवन ऊर्जा के बाद, परमाणु ऊर्जा भारत में बिजली का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत है।
  • क्षमता: 7,380 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ, भारत नवंबर 2020 तक 8 परमाणु ऊर्जा स्टेशनों में फैले 22 परमाणु रिएक्टरों का संचालन करता है।
    • वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत के कुल बिजली उत्पादन का 3.11% परमाणु ऊर्जा से आया, जिसने 1,382 TWh में से 43 TWh का उत्पादन किया।

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