हाल ही में मालदीव ने गैर-घातक हथियार एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए चीन के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
संबंधित तथ्य
चीन और मालदीव के बीच प्रमुख विकासात्मक पहल के रूप में चीन-मालदीव मैत्री पुल (China-Maldives Friendship Bridge) एवं कई सामाजिक आवास परियोजनाएँ शामिल हैं।
मालदीव इससे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative) में भी हिस्सा ले चुका है।
मालदीव और चीन के बीच रक्षा समझौते का भारत पर प्रभाव
रक्षा संबंधों में रणनीतिक बदलाव
चीन एवं मालदीव के संबंधों में मजबूती:मालदीव एवं चीन के बीच हालिया सैन्य सहायता समझौता दोनों देशों के सैन्य संबंधों में उल्लेखनीय महत्त्व को दर्शाता है।
बढ़ता चीनी प्रभाव: भारत के दृष्टिकोण से, रक्षा के संबंध में दोनों देशों के संबंधों में यह बदलाव चिंता का विषय है क्योंकि इससे चीन को हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिलेगी।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव: मालदीव हिंद महासागर में अवस्थित एक द्वीपीय देश है, जो एक महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक मार्ग पर अवस्थित है।
मालदीव की रक्षा क्षमताओं में कोई भी सुधार, भले ही वे घातक न हों, क्षेत्रीय सुरक्षा की गतिशीलता को प्रभावित कर सकते हैं।
मालदीव और भारत संबंध: भारत एवं मालदीव लंबे समय से ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं। हालाँकि, वर्तमान में, मालदीव द्वारा भारतीय कर्मियों को वापस बुलाने एवं चीन के साथ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने का निर्णय भारत के साथ मालदीव के बढ़ते असहयोगी एवं शत्रुतापूर्ण संबंधों का संकेत है।
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