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भारत-जापान संबंध

Lokesh Pal March 09, 2024 05:58 115 0

संदर्भ

हाल ही में 16वीं भारत-जापान विदेश मंत्री की रणनीतिक वार्ता (16th India-Japan Foreign Minister’s Strategic Dialogue) जापान के टोक्यो में आयोजित की गई।

रणनीतिक वार्ता के मुख्य निष्कर्ष

  • पूर्वोत्तर क्षेत्रों में विकास: भारत के पूर्वोत्तर में जापान की विकास भूमिका, क्षेत्र की कनेक्टिविटी और औद्योगिक परिदृश्य को बदलने में महत्त्वपूर्ण होगी और फॉरवर्ड एवं बैकवर्ड लिंकेज के नेटवर्क के माध्यम से पड़ोस के अन्य देशों को लाभान्वित करेगी।
  • आर्थिक स्थिरता और आपूर्ति शृंखला लचीलापन: व्यापार और प्रौद्योगिकी के बारे में रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाकर एक-दूसरे की आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने और आपूर्ति शृंखला लचीलापन को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
  • उत्तरदायी और रणनीतिक संबंध: दोनों पक्ष उभरते भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक और तकनीकी रुझानों के लिए द्विपक्षीय संबंधों को तैयार करने तथा प्रतिक्रिया देने के लिए नए कदमों की आवश्यकता पर सहमत हुए।
    • भारत-जापान विशेष रणनीतिक वैश्विक साझेदारी के दृष्टिकोण को साकार करना।
  • अन्य: दोनों देशों ने सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र, हरित प्रौद्योगिकियों और डिजिटल भुगतान, सुविधाजनक वीजा व्यवस्था और जापान में भारतीय प्रतिभा एवं कौशल के लिए गतिशीलता के अधिक उत्कृष्ट मार्गों के प्रावधान की संभावनाओं पर चर्चा की।

भारत-जापान संबंधों में प्रमुख हस्तियाँ

  • जापान से जुड़े प्रमुख भारतीयों में स्वामी विवेकानंद, नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर, उद्यमी जे. आर. डी. टाटा, स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रासबिहारी बोस और न्यायमूर्ति राधा बिनोद पाल थे।
    • रासबिहारी बोस: रासबिहारी बोस ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत-जापान संबंधों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई थी।
    • सुभाष चंद्र बोस: द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज (INA) बनाने के लिए जापानी प्रायोजन का उपयोग किया।

भारत-जापान द्विपक्षीय संबंध

राजनयिक और रणनीतिक संबंध 

  • शांति संधि (Peace Treaty): इसकी शुरुआत 28 अप्रैल, 1952 को जापान के साथ एक अलग शांति संधि के समापन के साथ हुई। तब से, सहयोग के क्षेत्रों की एक विस्तृत शृंखला को कवर करने के लिए संबंध वर्षों से परिपक्व हुए हैं।
  • संबंधों को मजबूत बनाना: भारत-जापान संबंधों को वर्ष 2000 में ‘वैश्विक साझेदारी’ (Global Partnership), वर्ष 2006 में ‘रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ (Strategic and Global Partnership) और वर्ष 2014 में ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ (Special Strategic and Global Partnership) तक बढ़ाया गया।
  • अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौता (Acquisition and Cross-Servicing Agreement- ACSA): इस समझौते पर बातचीत चल रही है, जिसके माध्यम से जापान अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में भारतीय सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त कर सकता है और भारत, जिबूती में जापान की नौसेना सुविधा तक पहुँच प्राप्त कर सकता है।
  • नागरिक परमाणु सहयोग (Civil Nuclear Cooperation): नवंबर 2016 में, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
  • समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness- MDA) में प्रगति: भारत में राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता (National Maritime Domain Awareness- NMDA) के तहत विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए गुरुग्राम में दो केंद्र सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre- IMAC) और सूचना संलयन केंद्र- हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) अवस्थित हैं।
    • वर्ष 2006 से भारत और जापान के बीच नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे हैं।
  • भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम (India-Japan Act East Forum): इसकी स्थापना वर्ष 2017 में भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और जापान की ‘फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी’ के तहत भारत-जापान सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए की गई थी।

राजनीतिक संबंध

  • वर्ष 2007: जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारत का दौरा किया और भारतीय संसद में प्रसिद्ध ‘दो समुद्रों का संगम’ (The Confluence of Two Seas) भाषण दिया।
    • उन्हें वर्ष 2021 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2013: भारत-जापान संबंधों में वर्ष 2013 एक यादगार वर्ष था, जिसमें जापानी सम्राट अकिहितो और महारानी मिचिको की पहली बार भारत यात्रा हुई।
  • वर्ष 2019: भारतीय राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जापान के सम्राट के राज्याभिषेक समारोह में भाग लेने के लिए अक्टूबर 2019 में जापान का दौरा किया।
  • वर्ष 2022: मार्च 2022 में, जापानी प्रधानमंत्री ने 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आधिकारिक तौर पर भारत का दौरा किया। दोनों पक्ष एक संयुक्त बयान पर सहमत हुए, जिसका शीर्षक था, ‘कोविड-19 के बाद शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी’।
  • वर्ष 2023: मार्च 2023 में जापानी प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया और भारतीय प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों पक्षों ने उच्च स्तरीय भाषा सीखने पर ध्यान केंद्रित करते हुए मूल रूप से वर्ष 2017 में हस्ताक्षरित जापानी भाषा पर सहयोग ज्ञापन (MoC) को नवीन संस्करण पर हस्ताक्षर किये।
    • भारत और जापान ने वर्ष 2023 को ‘हिमालय को माउंट फूजी से जोड़ना’ (Connecting Himalayas with Mount Fuji) थीम के साथ ‘भारत-जापान पर्यटन आदान-प्रदान वर्ष’ (India-Japan Year of Tourism Exchange) के रूप में घोषित किया।
    • मई 2023 में, भारतीय प्रधानमंत्री ने G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान का दौरा किया।
    • सितंबर 2023 में, जापानी प्रधानमंत्री ने G20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा किया।

संबंधों के विभिन्न चरण

  • सांस्कृतिक और सभ्यता संबंध: दोनों देशों के बीच मित्रता का आध्यात्मिक संबंध और मजबूत सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत संबंधों का एक लंबा इतिहास है।
    • बौद्ध धर्म: भारत और जापान के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान बना हुआ है, मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के कारण, जो अप्रत्यक्ष रूप से भारत से जापान तक फैल गया।
    • आध्यात्मिक संबंध: शिचिफुकुजिन (Shichifukujin) या जापान के सात भाग्यशाली देवताओं की जड़ें हिंदू परंपराओं से संबंधित हैं।
    • टोडाइजी मंदिर: जापान के नारा में टोडाइजी मंदिर (Todaiji Temple) वह स्थान है, जहाँ 752 ईसवी में एक भारतीय भिक्षु, बोधिसेना द्वारा भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा का अभिषेक किया गया था।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद: भारत ने सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में भाग नहीं लिया, लेकिन अपनी संप्रभुता पूरी तरह से प्राप्त करने के बाद वर्ष 1952 में जापान के साथ एक अलग शांति संधि स्थापित करने का फैसला किया, जो द्विपक्षीय संबंधों में एक निर्णायक क्षण था और भविष्य के लिए दिशा तय कर रहा था।
    • सैन फ्रांसिस्को की संधि: जापान और मित्र देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों को फिर से स्थापित करने के लिए 8 सितंबर, 1951 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में 49 देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
  • शीतयुद्ध के दौरान: इस दौरान दोनों देशों के बीच संबंध बाधित थे, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद  जापान, अमेरिकी का सहयोगी था, हालाँकि भारत ने गुटनिरपेक्ष नीति अपनाई, जिसका झुकाव अक्सर सोवियत संघ की ओर था।
  • पोखरण परमाणु परीक्षण: वर्ष 1998 में, भारतीय परमाणु हथियार परीक्षण पोखरण-द्वितीय (Pokhran-II) के बाद जापान ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए।
    • तीन वर्ष के बाद ये प्रतिबंध हटा दिए गए।

    • 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक: इसे दोनों देशों के विदेश और रक्षा सचिवों के बीच बैठक के उन्नयन के रूप में देखा जाता है।
      • जापान दूसरा देश है, जिसके साथ भारत की 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता (अमेरिका के बाद) होती है।
    • भारत-जापान फोरम: भारत-जापान फोरम 20 जुलाई, 2021 को आयोजित किया गया था। इसमें दोनों सरकारों, संसद, उद्योग, थिंक टैंक और शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई।
    • जापान में सबसे पुरानी अंतरराष्ट्रीय मैत्री संस्था: वर्ष 1903 में स्थापित जापान-भारत एसोसिएशन जापान की सबसे पुरानी अंतरराष्ट्रीय मैत्री संस्था है।

रक्षा संबंध

  • विभिन्न द्विपक्षीय अभ्यास: जिमेक्स (नौसेना), मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास), ‘वीर गार्जियन’ और शिन्यू मैत्री (वायु सेना) और धर्म गार्जियन (सेना)।
  • जापान ने भारत में 30% विमान बनाने की प्रतिबद्धता जताई है, जिससे भारतीय रक्षा विनिर्माण को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
  • सामान्य समूह
    • भारत और जापान दोनों क्वाड, G20 और G-4, इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (International Thermonuclear Experimental Reactor- ITER) के सदस्य हैं।
    • जापान, भारत के नेतृत्व वाली पहलों जैसे- इंटरनेशनल सोलर अलायंस ( International Solar Alliance-ISA), कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure-CDRI) और लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन (Leadership Group for Industry Transition- LeadIT) में भी शामिल हो गया है।

  • आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध
    • वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत के साथ जापान का द्विपक्षीय व्यापार कुल 21.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • भारत-जापान व्यापक आर्थिक साझेदारी (Comprehensive Economic Partnership- CEPA): भारत जापान CEPA अगस्त 2011 में लागू हुआ था।
      • यह सबसे व्यापक है और इसमें वस्तुओं तथा सेवाओं में व्यापार, नागरिकों की आवाजाही, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ और अन्य व्यापार-संबंधी मुद्दे शामिल हैं।
      • जापान को भारत का प्राथमिक निर्यात: पेट्रोलियम उत्पाद, जैविक रसायन; मछली और क्रस्टेशियंस, मोलस्क और अन्य जलीय अकशेरुकी; परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी तथा  यांत्रिक उपकरण आदि।
      • जापान से भारत का प्राथमिक आयात: मशीनरी, विद्युत मशीनरी, लोहा और इस्पात उत्पाद, प्लास्टिक सामग्री, गैर-लौह धातु, मोटर वाहनों के कलपुर्जे आदि।

    • द्विपक्षीय अदला-बदली व्यवस्था: दोनों देश एक ‘द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था’ पर सहमत हुए हैं, जो उनके केंद्रीय बैंकों को 75 अरब डॉलर तक की स्थानीय मुद्राओं का आदान-प्रदान करने की अनुमति देगा।
    • जापानी निवेश और आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance- ODA)
      • भारत में जापानी FDI: यह मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल, विद्युत उपकरण, दूरसंचार, रसायन, वित्तीय (बीमा) और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में रहा है।
        • मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका और नीदरलैंड के बाद जापान FDI के स्रोत देशों में पाँचवें स्थान पर है।
    • जापान ने वर्ष 1958 से भारत को द्विपक्षीय ऋण और अनुदान सहायता प्रदान की है। जापान, भारत का सबसे बड़ा द्विपक्षीय अनुदान सहायता प्रदाता है।
  • दोनों देशों के नागरिकों के मध्य संबंध: हाल के वर्षों में, आईटी पेशेवरों और इंजीनियरों सहित कई पेशेवरों के आगमन के साथ भारतीय समुदाय की संरचना में बदलाव आया है। टोक्यो में निशिकासाई (Nishikasai) क्षेत्र ‘मिनी-इंडिया’ (Mini-India) के रूप में उभर रहा है।

भारत और जापान के बीच अन्य महत्त्वपूर्ण सहयोग

  • भारत-जापान डिजिटल पार्टनरशिप (IJDP) और स्टार्टअप हब 
    • भारत-जापान डिजिटल पार्टनरशिप (IJDP): दोनों देशों के बीच तालमेल और संपूरकता को देखते हुए IJDP को वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था, जिसमें सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों के साथ-साथ S&T/ICT में सहयोग के दायरे में नई पहलों को आगे बढ़ाया गया, जिसमें “डिजिटल ICT टेक्नोलॉजीज” पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया। 
    • स्टार्ट-अप हब: स्टार्टअप-इंडिया (इन्वेस्ट इंडिया के तहत) और जापान इनोवेशन नेटवर्क (JIN) ने जून 2018 में दो स्टार्टअप इकोसिस्टम को जोड़ने वाले सतत् विकास लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नवाचार सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। 
  • सिस्टर-स्टेट और सिस्टर-सिटी सहयोग: जापानी प्रांतों/शहरों और भारतीय राज्यों/शहरों के बीच संबंध बढ़ रहे हैं। वर्तमान में, भारत के 7 राज्यों और 4 शहरों/क्षेत्रों ने जापान के प्रांतों/शहरों के साथ भागीदारी की है।
  • शिक्षा: पहली जापान-भारत यूनिवर्सिटी फोरम बैठक जनवरी 2023 में आयोजित की गई थी, भारत-जापान एडू-कनेक्ट सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया था।
  • अंतरिक्ष सहयोग: इसरो और JAXA एक्स-रे खगोल विज्ञान, उपग्रह नेविगेशन, लूनार अन्वेषण और एशिया प्रशांत क्षेत्रीय अंतरिक्ष एजेंसी फोरम (Asia Pacific Regional Space Agency Forum- APRSAF) में सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं। 
  • रेलवे सहयोग
    • मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (Mumbai-Ahmedabad High-Speed Rail (MAHSR) परियोजना: पहला हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर जापान की तकनीकी और वित्तीय सहायता से मुंबई से अहमदाबाद तक कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • मेट्रो रेल परियोजनाएँ: वर्तमान में, छह मेट्रो रेल परियोजनाएँ (अहमदाबाद, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई) जापान की तकनीकी और वित्तीय सहायता से कार्यान्वित की जा रही हैं। 
  • स्वास्थ्य देखभाल सहयोग: भारत का आयुष्मान भारत कार्यक्रम (AYUSHMAN Bharat Programme) और जापान का AHWIN स्वास्थ्य देखभाल लॉजिस्टिक्स, तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल के लिए आईसीटी और मानव संसाधन विकास में सहयोग कर रहे हैं।
    • आयुष सूचना सेल (AYUSH Information Cell) वर्ष 2023 में भारतीय दूतावास, टोक्यो में लॉन्च किया गया था।
  • कौशल विकास: वर्ष 2016 में हस्ताक्षरित भारत-जापान एमओसी के तहत, जापानी कंपनियों ने भारत में 35 जापान-भारत विनिर्माण संस्थान (Japan-India Institute of Manufacturing) और भारतीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में 11 जापानी संपन्न पाठ्यक्रम (Japanese Endowed Courses- JEC) स्थापित किए हैं। 
  • स्वच्छ ऊर्जा पर
    • भारत-जापान ऊर्जा संवाद: इसकी स्थापना ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक रूप से सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर 2006 में की गई थी।
    • भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (CEP): इसे इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी सहित भंडारण प्रणालियों, सौर ऊर्जा के विकास आदि क्षेत्रों में सहयोग के लिए मार्च 2022 में लॉन्च किया गया था।
  • कूल एक्सप्रेस मेल सेवा (Cool Express Mail Service- EMS): इसकी शुरुआत की गई, जिसके तहत जापानी खाद्य पदार्थों को डाक चैनलों के माध्यम से जापान से भारत तक कूल बक्से में पहुँचाया जाता है।
    • संचार मंत्रालय के तहत डाक विभाग ने भारत और जापान के बीच कूल EMS सेवा शुरू की है, जो मार्च 2018 में लागू हुई।

द्विपक्षीय संबंधों के लिए चुनौतियाँ

  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के कुछ हिस्सों में चीन अपनी सैन्य ताकत और प्रभाव बढ़ा रहा है।
    • इंडो-पैसिफिक के सामने यूक्रेन युद्ध, खाद्य सुरक्षा और साइबर स्पेस जैसी कई चुनौतियाँ हैं, साथ ही समुद्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और दूसरों के बीच कनेक्टिविटी जैसे मुद्दे भी हैं।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति का भविष्य संतुलन काफी हद तक संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जापान और भारत जैसी प्रमुख शक्तियों के कार्यों पर निर्भर करेगा।
  • व्यापार अंतर: चीन के साथ भारत के व्यापार संबंधों की तुलना में भारत जापान व्यापार संबंध अविकसित रहे हैं।
    • ई-कॉमर्स नियम (ओसाका ट्रैक) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी जैसे आर्थिक मुद्दों को लेकर भारत और जापान दोनों के हित अलग-अलग हैं।
    • भारत भाषा संबंधी बाधाओं, उच्च गुणवत्ता और सेवा मानकों के कारण जापानी बाजार में प्रवेश करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
  • चीन फैक्टर: दोनों देशों के चीन के साथ सीमा मुद्दे हैं। इसलिए, उनका नीतिगत रुख व्यापक रूप से बढ़ने के बजाय आम तौर पर चीन पर निर्भर करता है।
    • भारत, चीन के कार्यों की आलोचना करने में अधिक मुखर रहा है, जबकि जापान अपने दृष्टिकोण में अधिक सतर्क रहा है।
  • रूस फैक्टर: यूक्रेन पर रूस के हमले की प्रतिक्रिया पर भारत और जापान के बीच मतभेद है। जापान अमेरिका के गठबंधन का हिस्सा है और रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में भी शामिल हो गया है, हालाँकि भारत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।
    • इसके अलावा, जब भारत ने वोस्तोक अभ्यास में भाग लिया, जो दक्षिण कुरील द्वीप (रूस और जापान के बीच एक विवादित क्षेत्र) के करीब आयोजित किया गया था, तब भी मतभेद मौजूद था।
  • क्वाड और ब्रिक्स के बीच संतुलन: QUAD और AIIB का सदस्य रहते हुए भारत चीन के नेतृत्व वाले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल नहीं हुआ है। इसलिए भारत को क्वाड और ब्रिक्स के बीच संतुलन बनाना होगा।
  • एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (AAGC) परियोजना: AAGC की व्यवहार्यता के साथ-साथ इसमें अंतर्निहित परियोजनाओं की प्रकृति पर भी संदेह है।
  • रक्षा निर्यात: भारत अन्य देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करना चाहता है, जो संभावित रूप से जापान के अपने रक्षा निर्यात के साथ प्रतिस्पर्द्धा बढ़ा सकता है।
    • एम्फीबियस यूएस-2 विमानों की खरीद पर बातचीत वर्षों से चल रही है।

आगे की राह 

  • क्षेत्रीय ताकत में वृद्धि: भारत और जापान दोनों के पास आर्थिक और सैन्य क्षमता है, जिसका उपयोग भविष्य में क्षेत्रीय शक्ति के रूप में किया जा सकता है और चीन का मुकाबला भी किया जा सकता है।
  • प्रदूषण से निपटने के लिए: प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है और जापानी हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके प्रदूषण से निपटा जा सकता है। उदाहरण- मियावाकी तकनीक: देशी पौधों से घने जंगल बनाना।
  • संयुक्त क्रेडिट तंत्र (Joint crediting mechanism- JCM): JCM के तहत, जापानी कंपनियाँ, अपनी अत्याधुनिक पर्यावरण प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके, विकासशील देशों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करने के बदले में कार्बन क्रेडिट अर्जित करने में सक्षम होंगी।
  • व्यापार बाधा को संबोधित करना: द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और आर्थिक सहयोग की पूरी क्षमता का उपयोग करना।
    • जापानी डिजिटल तकनीक को भारतीय कच्चे माल और श्रम के साथ मिलाकर संयुक्त उद्यम बनाए जा सकते हैं।
    • जापान के स्वदेश निर्मित एम्फीबियस यूएस-2 विमानों की भारत की खरीद, यदि सफलतापूर्वक क्रियान्वित होती है, तो भारत के ‘मेक इन इंडिया’ में भी योगदान दे सकती है।
  • लोगों के बीच आदान-प्रदान बढ़ाना: जापान में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए जापान में भारतीय आईटी पेशेवरों को शामिल करना।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में साझेदारी का विस्तार करना: जैसे- 5G, दूरसंचार नेटवर्क सुरक्षा, पनडुब्बी केबल सिस्टम और क्वांटम संचार।
    • दोनों देश पनडुब्बियों के उत्पादन में प्रौद्योगिकी और मानव रहित ग्राउंड वाहन तथा रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में सहकारी अनुसंधान में भी लगे हुए हैं।
  • रणनीतिक कनेक्टिविटी पर सहयोग: ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और ‘गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिए साझेदारी’ के बीच तालमेल का उपयोग करके दक्षिण एशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़कर आपसी संबंधों को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

भारत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को काफी गहरा कर रहा है। भारत को ऐसे समय में जापान के साथ अपने तीसरे देश के विकास मॉडल को वृहद इंडो-पैसिफिक के उप-क्षेत्र में ले जाने पर विचार करना चाहिए, जब निवासी देश अमेरिका-चीन शक्ति प्रतिस्पर्द्धा की ध्रुवीकरण गतिशीलता के बीच विकास और सुरक्षा के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहे हैं।

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