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कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कार्बन फुटप्रिंट

Lokesh Pal March 09, 2024 06:04 115 0

संदर्भ 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल ऊर्जा खपत, डेटा आवश्यकताओं और उच्च कंप्यूटेशनल लागत के संबंध में   संसाधन-गहन होते हैं और कार्बन उत्सर्जन में योगदान करते हैं।

संबंधित तथ्य

  • उत्सर्जन का स्रोत:  इन इकाई में उत्सर्जन AI से जुड़े बुनियादी ढाँचे से होता है, जैसे डेटा केंद्रों का निर्माण और संचालन, जो इन प्रणालियों के संचालन के लिए आवश्यक व्यापक डेटा तथा अन्य सूचनाओं के भंडारण और प्रसंस्करण के लिये उत्तरदायी होते हैं।
    • उदाहरण के लिए: GPT-3 (वर्तमान ChatGPT का पूर्ववर्ती AI सिस्टम) को प्रशिक्षित करने के दौरान अनुमानतः 502 मीट्रिक टन कार्बन का उत्सर्जन हुआ, जो एक वर्ष तक पेट्रोल से चलने वाली 112 कारों को चलाने के बराबर है।
  • उत्सर्जन को कम करने के लिए तकनीकी दृष्टिकोण: AI  के बढ़ते कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क (Spiking Neural Network-SNN) और लाइफ लॉन्ग लर्निंग (Lifelong Learning-L2) जैसी तकनीकें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। SNN पारंपरिक आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क ( Artificial Neural Network-ANN) की तुलना में एक ऊर्जा कुशल (Energy-efficient) विकल्प है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से तात्पर्य मनुष्यों की तरह सोचने और उनके कार्यों की नकल करने के लिए प्रोग्राम की गई मशीनों में मानव बुद्धि के अनुकरण से है। उदाहरण के लिए: चैटजीपीटी (ChatGPT)

AI प्रणाली का जीवन काल: इसे दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है: प्रशिक्षण और अनुमति।

  • प्रशिक्षण: इस अवधि के दौरान सिस्टम को बनाने और उसे बेहतर बनाने के लिए एक प्रासंगिक डेटासेट का उपयोग किया जाता है।
    • उदाहरण के लिए: सेल्फ-ड्राइविंग कारों में उपयोग किए जाने वाले AI के प्रशिक्षण के लिए कई अलग-अलग ड्राइविंग परिदृश्यों और मानव चालकों द्वारा लिए गए निर्णयों के डेटासेट की आवश्यकता होगी।
  • अनुमिति (Inference): प्रशिक्षित प्रणाली पहले से निर्मित डेटासेट पर भविष्यवाणियाँ या अनुमान प्रदान करती है।
    • उदाहरण के लिए: AI प्रणाली सेल्फ-ड्राइविंग कार के संचालन के दौरान मार्ग पर आने वाली चुनौतियों/खतरों से निपटने हेतु प्रभावी कार्रवाई का अनुमान प्रदान करेगी।

 कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कार्बन फुटप्रिंट

  • डेटा प्रोसेसिंग और प्रशिक्षण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली को डेटा प्रोसेसिंग के लिए बहुत अधिक कंप्यूटेशनल शक्ति की आवश्यकता होती है और इसमें अत्यधिक ऊर्जा की खपत होती है, जो AI के कार्बन फुटप्रिंट को बढ़ाती है।
    • उदाहरण के लिए, Open Al  के GPT-3 और मेटा के OPT एल्गोरिदम को प्रशिक्षण के दौरान क्रमशः 500 और 75 मीट्रिक टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करने का अनुमान लगाया गया था।
  • डेटा केंद्रों का कार्बन पदचिह्न: संपूर्ण डेटा केंद्र अवसंरचना और डेटा सबमिशन नेटवर्क वैश्विक CO2 उत्सर्जन का 2-4% हिस्सा है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 के एक अध्ययन में, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, एमहर्स्ट के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक मानक बड़े AI मॉडल का प्रशिक्षण 2,84,000 किलोग्राम (626,000 पाउंड) कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य का उत्सर्जन कर सकता है।

आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (ANN): ANN डेटा से ही प्रोसेसिंग और पैटर्न सीखकर कार्य करता है, जिससे उन्हें भविष्यवाणियाँ  करने में मदद मिलती है।

  • उच्च परिशुद्धता माँग: ANN प्रशिक्षण और अनुमान के दौरान दशमलव संख्याओं के साथ कई गुणन करते हैं। इन गणनाओं को उच्च परिशुद्धता के साथ करने के लिए महत्त्वपूर्ण कंप्यूटिंग शक्ति, मेमोरी और समय की आवश्यकता होती है।
  • एनर्जी-मेमोरी ट्रेड-ऑफ: कंप्यूटर हार्डवेयर में अक्सर प्रसंस्करण गति और मेमोरी उपयोग के बीच एक ट्रेड-ऑफ होता है। उच्च परिशुद्धता वाली दशमलव गणनाओं के लिए अधिक मेमोरी की आवश्यकता होती है, जिससे ऊर्जा की खपत और बढ़ जाती है।
  • बढ़ती जटिलता: जैसे-जैसे ANN अधिक जटिल होते जाते हैं, गणनाओं की संख्या तेजी से बढ़ती जाती है, जिससे ऊर्जा की माँग में तेज वृद्धि होती है।

मानव मस्तिष्क सूचना को कैसे संसाधित करता है?

  • मानव मस्तिष्क में न्यूरॉन्स ‘स्पाइक्स’ (Spikes) नामक अनिरंतर विद्युत संकेतों (Intermittent Electrical Signals) को प्रसारित करके एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं।
    • स्पाइक्स में स्वयं की कोई सूचना नहीं होती है। इसके बजाय, जानकारी इन स्पाइक्स के समय में निहित होती है। स्पाइक्स की यह बाइनरी, ऑल ऑर नन (All-or-None)  विशेषता (आमतौर पर 0 या 1 के रूप में दर्शाई जाती है) का अर्थ है कि जब उनमें स्पंदन होता या या जब वे स्पाइक करते हैं तो न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं और अन्यथा निष्क्रिय होते हैं।
    • यह मस्तिष्क में ऊर्जा-कुशल प्रसंस्करण के कारणों में से एक है।
  • मोर्स कोड (Morse Code): मोर्स कोड संदेशों को कूटबद्ध करने की एक पुरानी प्रणाली है जिसका उपयोग संकेतों और आवर्तन (Signals and Rhythm) के माध्यम से टेलीग्राफिक सूचनाओं को भेजने के लिए किया जाता है।

स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क (SNN): मानव मस्तिष्क की नकल: ANN और SNN दोनों मानव मस्तिष्क की संरचना से प्रेरणा लेते हैं, जिसमें सिनैप्स के माध्यम से जुड़ी अरबों न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाएँ) होती हैं।

  • स्पाइकिंग संचार: लगातार सक्रिय न्यूरॉन्स वाले ANN के विपरीत, SNN समयबद्ध विद्युत स्पाइक्स का उपयोग करके मस्तिष्क की संचार पद्धति की नकल करते हैं।
    • जिस तरह मोर्स कोड संदेशों को संप्रेषित करने के लिए बिंदुओं और डैश के विशिष्ट अनुक्रमों का उपयोग करता है, उसी तरह SNN सूचना को संसाधित करने और प्रसारित करने के लिए स्पाइक्स के पैटर्न या समय का उपयोग करते हैं।
  • ऊर्जा दक्षता: यह स्पाइकिंग दृष्टिकोण SNN को अत्यधिक ऊर्जा-कुशल बनाता है। वह  केवल तभी विद्युत की खपत करते हैं जब स्पाइक होता है, जिससे ANN की तुलना में 280 गुना कम ऊर्जा का उपयोग होता है।
  • अनुप्रयोग: अपनी कम ऊर्जा आवश्यकताओं के कारण, SNN सीमित ऊर्जा स्रोतों वाले परिदृश्यों के लिए आदर्श हैं, जैसे- अंतरिक्ष अन्वेषण, रक्षा प्रणाली, स्व-ड्राइविंग कारें इत्यादि।

लाइफलॉन्ग लर्निंग (L2)

  • अनुक्रमिक सीखने की चुनौती: ANN को नए डेटा अनुक्रमों पर प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया पहले सीखी गई जानकारी को भूलने का कारण बन सकती है।
  • पुनर्प्रशिक्षण और उत्सर्जन: इससे ऑपरेटिंग वातावरण में बदलाव के लिए नए सिरे से प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जिससे AI की समग्र एनर्जी फुटप्रिंट में वृद्धि होती है।
  • बचाव के लिए L2: लाइफलॉन्ग लर्निंग एल्गोरिदम कम-से-कम भूलने के साथ कई कार्यों पर क्रमिक प्रशिक्षण को सक्षम करते हैं।
    • L2 मॉडलों को उनके मौजूदा ज्ञान के आधार पर उन्हें दोबारा प्रशिक्षित किए बिना जीवन भर सीखने में सक्षम बनाता है।

ऊर्जा-कुशल AI का भविष्य

  • छोटे मॉडल: बड़े मॉडलों के समान क्षमताओं वाले छोटे AI मॉडल विकसित करने के लिए अनुसंधान किए जा रहे हैं, जिससे ऊर्जा की माँग में और कमी आएगी।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग की क्षमता: क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति, कंप्यूटिंग के लिए एक पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो संभावित रूप से ANN और SNN दोनों के लिए तीव्र तथा अधिक ऊर्जा-कुशल प्रशिक्षण एवं अनुमान को सक्षम करती है।
  • सक्रिय समाधान: AI की तीव्र वृद्धि के कारण इसके कार्बन फुटप्रिंट के अत्यधिक बढ़ने से पहले ऊर्जा-कुशल समाधान विकसित करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है।

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