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एंथ्रोपोसीन युग संबंधी प्रस्ताव पर हुआ मतदान

Lokesh Pal March 09, 2024 06:33 114 0

संदर्भ 

हाल ही में 18 वैज्ञानिकों की एक समिति ने भू-गर्भिक पैमाने पर एंथ्रोपोसीन या मानव युग की शुरुआत से संबंधित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

संबंधित तथ्य 

  • एंथ्रोपोसीन (Anthropocene) शब्द को पहली बार वर्ष 2000 में नीदरलैंड के मौसम वैज्ञानिक पॉल क्रुटजेन और अमेरिकी वनस्पतिशास्त्री यूजीन स्टोएमर द्वारा प्रयोग किया गया था।
  • वर्तमान भू-वैज्ञानिक अवधि: वर्तमान में फैनरोजोइक इयोन (Phanerozoic Aeon) का सेनोजोइक महाकल्प (Cenozoic Era) संचालित है।  

भू-वैज्ञानिक काल मान (Geologic Time Scale -GTS)

  • इसका निर्धारण वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी के इतिहास को मापने के लिए किया गया है।
  • पृथ्वी के निर्माण के बाद की अवधि को GTS के आधार पर अवरोही क्रम में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं- इयोन (Aeons), महाकल्प (Era), कल्प (Period), युग (Epoch) और काल (Age)
  • कालानुक्रमिक वर्गीकरण पर आधारित: यह स्तर-विज्ञान का एक पहलू है, जो चट्टान और भू-वैज्ञानिक समय की माप के बीच संबंध से जुड़ा हुआ है।
    • स्तर-विज्ञान (Stratigraphy) भू-विज्ञान की एक शाखा है, जिसके अंतर्गत चट्टान की परतों का अध्ययन किया जाता है।
  • कालानुक्रमिक इकाइयों की विशेषताएँ 
    • किन्हीं दो इयोन, महाकल्प, कल्प, युग और काल के अंतर्गत समय की समान अवधि नहीं होती है।
    • घटनाओं द्वारा चिह्नित: एक से दूसरे संक्रमण-काल में परिवर्तन का तात्पर्य उन भौगोलिक घटनाओं से है, जो ग्रह के भौतिक स्वरूप या पर्यावरण में प्रभावी बदलाव को दर्शाते हैं।
    • मानदंड: पृथ्वी की उत्पत्ति से अब तक के प्रत्येक समय-अंतराल का एक स्पष्ट उद्देश्य और सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत प्रारंभिक बिंदु होना चाहिए।

  • एंथ्रोपोसीन काल (Anthropocene Epoch)
    • एंथ्रोपोसीन काल की शुरुआत इस आधार पर निरूपित की जाती है कि मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी इस हद तक परिवर्तित हो गई थी कि एक नए भू-वैज्ञानिक काल का प्रारंभ माना जा सकता है।
    • एंथ्रोपोसीन कार्यकारी समूह (Anthropocene Working Group -AWG): यह 37 सदस्य देशों का शोध समूह है, जिसने वर्ष 2009 में इस काल के प्रारंभिक बिंदु को तय करने के लिए विचार-विमर्श शुरू किया था।
    • असामान्य परिवर्तन का समय: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1952 को एंथ्रोपोसीन काल की शुरुआत के रूप में तय किया गया था।
      • वर्ष 1952 के बाद वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जैसे- जीवाश्म ईंधन के प्रयोग में वृद्धि, बड़ी संख्या में परमाणु परीक्षण, नाइट्रोजन-आधारित उर्वरकों का अनियंत्रित उपयोग, प्लास्टिक का सर्वव्यापी उपयोग आदि, इसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर अहम भौगोलिक परिवर्तन हुए।

अंतरराष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विज्ञान संघ (International Union of Geological Sciences- IUGS)

  • स्थापना: इसकी स्थापना 1961 में हुई थी जो भूवैज्ञानिक विज्ञान से संबंधित सबसे बड़े वैज्ञानिक संगठनों में से एक है।
  • सदस्य: इस संगठन में 121 सदस्य देश हैं, जो दुनिया भर में दस लाख से अधिक भू-वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यह मानव कल्याण के संबंध में भू-विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भागीदारी को प्रोत्साहित करता है तथा अंतरराष्ट्रीय विज्ञान परिषद (International Science Council -ISC) के अंतर्गत आता है।
  • उद्देश्य: IUGS भू-वैज्ञानिक समस्याओं के अध्ययन को प्रोत्साहित करता है तथा भू-विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय एवं अंतर्विषयक सहयोग का समर्थन और सुविधा प्रदान करता है।
    • अंतरराष्ट्रीय मानकों पर विशेष ध्यान, भू-विज्ञान संबंधी शिक्षा, भू-विज्ञान संबंधी जानकारी, पर्यावरण प्रबंधन आदि इसके कार्य क्षेत्र में शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर-विज्ञान आयोग (International Commission on Stratigraphy- ICS)

  • यह अंतरराष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विज्ञान संघ (IUGS) का सबसे बड़ा और सबसे पुराना वैज्ञानिक निकाय है।
  • उद्देश्य: भू-वैज्ञानिक काल-चक्र मान की इकाइयों का आधार कालानुक्रमिक विभाजन होता है, जो अंतरराष्ट्रीय कालानुक्रमिक (Chronostratigraphic) सारणी की सटीक वैश्विक इकाइयों को परिभाषित करता है।
    • यह पृथ्वी के इतिहास को समझने, मापने और वर्गीकृत करने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
  • उप-आयोग: यह संघ 17 उप-आयोगों के बीच विभाजित है तथा प्रत्येक उप-आयोग भू-वैज्ञानिक समय की एक विशिष्ट अवधि के अध्ययन के लिए जिम्मेदार है।

  • AWG ने वर्ष 2023 में अंतरराष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विज्ञान संघ (IUGS) के समक्ष अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
    • मतदान: क्वाटरनरी स्ट्रैटिग्राफी (Quaternary Stratigraphy- SQS) विभाग को उप-आयोग द्वारा मतदान के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर-विज्ञान आयोग (IUGS का सबसे बड़ा वैज्ञानिक संगठन) का एक महत्त्वपूर्ण निकाय है।
      • ‘क्वाटरनरी स्ट्रैटिग्राफी’ विभाग ने प्रस्ताव को 12-4 के मतों से अस्वीकार कर दिया।
  • अस्वीकृत करने का कारण
    • युग को परिभाषित करने हेतु मानदंड: एंथ्रोपोसीन युग की शुरुआत और होलोसीन युग के अंत-बिंदु का निर्धारण AWG के मानकों के अनुरूप नहीं हुआ था।
    • बड़े पैमाने पर परिवर्तन की आवश्यकता: प्लाइस्टोसिन (Pleistocene) को हिम युग के रूप में जाना जाता है क्योंकि पृथ्वी का एक-तिहाई हिस्सा बर्फ से ढका हुआ था किंतु होलोसीन (Holocene) काल में भौगोलिक बदलाव हुए तथा मानव सभ्यता का विकास हुआ।
      • युगों के बीच की सीमाओं का निर्धारण वास्तव में महत्त्वपूर्ण भू-वैज्ञानिक परिवर्तन के आधार पर होना चाहिए।

होलोसीन युग (Holocene Epoch)

  • इस नाम को ग्रीक शब्द होलोस/ Holos (जिसका अर्थ है ‘संपूर्ण’) तथा कैनोस/ Kainos (जिसका अर्थ है ‘नया’) से लिया गया है।
  • इस युग का प्रारंभ गत-हिमनद काल (Last Glacial Period- LGP) के बाद लगभग 11,700 वर्ष पहले हुआ था।
  • हिमयुग: पृथ्वी की एक-चौथाई भूमि ग्लेशियरों से ढकी हुई थी। समुद्र का औसत स्तर आज की तुलना में 400 फीट कम था तथा औसत तापमान 8 डिग्री सेल्सियस था।
  • होलोसीन कल्प (Holocene Period): इस कालखंड में पृथ्वी का तापमान बढ़ा। हिमयुग की समाप्ति के परिणामस्वरूप समुद्र के स्तर में वृद्धि हुई एवं मानव सभ्यता का विकास हुआ।
    • मूल रूप से मानव सभ्यता का संपूर्ण दर्ज इतिहास इसी युग के अंतर्गत शामिल है।

  • ठोस प्रमाण: भू-वैज्ञानिक काल-चक्र मान (GTS) ठोस चट्टानों के जीवन चक्र पर आधारित है तथा AWG (Anthropocene Working Group) ने होलोसीन और एंथ्रोपोसीन कल्प के बीच विभाजन रेखा तय करने के लिए क्रॉफर्ड झील (Crawford Lake), ओंटारियो (Ontario), कनाडा में स्थित तलछट को चुना है।
  • युग के बजाय घटना के रूप में: पृथ्वी की सबसे महत्त्वपूर्ण घटनाओं जैसे डायनासोर का विलुप्त होना, जैव विविधता का तेजी से विस्तार आदि के कारण 2.1 से 2.4 अरब वर्ष पहले वायुमंडल में ऑक्सीजन उत्पन्न हुई, इसलिए एंथ्रोपोसीन को एक घटना के रूप में देखना चाहिए, न कि एक नए युग के रूप में। 
    • भू-विज्ञान की भाषा में घटनाओं की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है, इसलिए ये घटनाएँ आधिकारिक भू-वैज्ञानिक कालचक्र मान (GTS) पर दर्शाए नहीं जा सकते हैं, फलस्वरूप युगों के प्रारंभिक बिंदु को मंजूरी देने के लिए किसी समिति की आवश्यकता नहीं है।

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