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WPA 1972 की धारा 49M के तहत बनाए गए नियमों की अधिसूचना

Lokesh Pal March 09, 2024 07:01 111 0

संदर्भ 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WPA 1972) की धारा 49M के तहत बनाए गए नियमों की अधिसूचना जारी की गई है।

संबंधित तथ्य

  • धारा 49M: यह CITES के परिशिष्टों में सूचीबद्ध एवं वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WPA 1972) की अनुसूची 4 में सूचीबद्ध ‘जीवित अनुसूचित पशु प्रजातियों’ (Living Scheduled Animal Species) के कब्जे, हस्तांतरण एवं जन्म के पंजीकरण तथा उनकी मृत्यु के आँकड़ों से संबंधित है।
  • परिवेश पोर्टल 2.0 (PARIVESH PORTAL 2.0): सभी व्यक्ति जिनके पास ऐसी पशु प्रजाति है तो उसके कब्जे संबंधी पंजीकरण के लिए संबंधित राज्य के मुख्य वन्य जीवन वार्डन (State Chief Wildlife Warden) को परिवेश 2.0 पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना आवश्यक है।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 क्या है?

  •  वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के बारे में
    • भारत की संसद ने पौधों एवं पशु प्रजातियों की सुरक्षा के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 बनाया।
    • यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों एवं पौधों की रक्षा तथा उनसे जुड़े मामलों को कवर करता है। इसका विस्तार संपूर्ण भारतवर्ष तक है।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों में वर्ष 2022 में संशोधन

  • संरक्षण: यह अधिनियम, कानून के तहत संरक्षित प्रजातियों के दायरे को बढ़ाने का प्रयास करता है एवं CITES को लागू करता है।
  • जुर्माना: सामान्य एवं विशेष रूप से संरक्षित जानवरों के उल्लंघन के लिए दंड भी बढ़ा दिया गया है।
  • श्रेणियों में कमी: अनुसूचियों की संख्या घटाकर चार कर दी गई है:-
    • अनुसूची 1: इसमें उच्चतम स्तर की सुरक्षा के अंतर्गत रखी गई पशु प्रजातियाँ शामिल हैं।
    • अनुसूची 2: कम सुरक्षा के अंतर्गत रखी जाने वाली पशु प्रजातियों के लिए।
    • अनुसूची 3: संरक्षित पौधों की प्रजातियों के लिए।
    • अनुसूची 4: CITES के तहत अनुसूचित नमूनों के लिए।
      • यह अधिनियम धार्मिक या किसी अन्य उद्देश्य के लिए हाथियों के उपयोग की अनुमति देता है।

वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का सम्मेलन (CITES) 

  • पूरा नाम: Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora
  • यह वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों के बीच एक समझौता है।
  • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना कि जंगली जानवरों एवं पौधों के नमूनों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा न हो।

इस अधिनियम के तहत अनुसूचियाँ

  • अनुसूची 1: सभी लुप्तप्राय प्रजातियाँ जिन्हें विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, उन्हें इस अनुसूची के अंतर्गत रखा गया है। उन्हें अवैध शिकार, हत्या, व्यापार आदि से सुरक्षा दी जाती है।
    • इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को कानून के तहत सबसे कठोर दंड दिया जा सकता है।
    • अनुसूची 1 के अंतर्गत आने वाले जानवर: बंगाल टाइगर, क्लाउडेड तेंदुआ, मछली पकड़ने वाली बिल्ली आदि।
  • अनुसूची 2: इस अनुसूची के अंतर्गत प्रजातियों को व्यापार निषेध से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
    • उनका शिकार तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि वे बीमारी से पीड़ित न हों या मानव जीवन को उनसे खतरा न हो।
    • अनुसूची 2 के अंतर्गत आने वाले जानवर: हिमालयी काला भालू, सियार, उड़ने वाली गिलहरी, भारतीय कोबरा आदि।
  • अनुसूची 3 और 4: वे प्रजातियाँ जो लुप्तप्राय नहीं हैं और अनुसूची 1 एवं 2 की श्रेणी में नहीं आती हैं उन्हें अनुसूची 3 एवं 4 में शामिल किया गया है।
    • अनुसूची 3 एवं 4 में सूचीबद्ध प्रजातियाँ संरक्षित प्रजातियाँ हैं तथा शिकार से प्रतिबंधित हैं।
    • किसी भी उल्लंघन के लिए जुर्माना अनुसूची 1 एवं 2 से कम है।
  • अनुसूची 5: अनुसूची 5 में सूचीबद्ध जानवरों को ‘वर्मिन’ (Vermin) कहा जाता है, जिनका शिकार किया जा सकता है।
    • अनुसूची 5 में शामिल जानवर मैट, चूहे, कौवे, फल खाने वाले चमगादड़ आदि हैं।
  • अनुसूची 6: इसमें उन पौधों की सूची शामिल है, जिनकी खेती को विनियमित किया जा सकता है एवं यह उनके कब्जे, बिक्री तथा परिवहन को भी प्रतिबंधित करता है।
    • ऐसे पौधों की खेती एवं व्यापार दोनों के लिए सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति आवश्यक है।
    • इस अनुसूची के अंतर्गत संरक्षित पौधे रेड वांडा (Red Vanda), पिचर प्लांट (Pitcher Plants), स्लिपर ऑर्किड (Slipper Orchid) आदि हैं।

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