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रूस-युक्रेन युद्ध में बेरोज़गार भारतीय युवाओं को रोज़गार प्रलोभन द्वारा छल

Lokesh Pal March 09, 2024 05:45 102 0

संदर्भ

हाल ही में रूस में भारतीयों की तस्करी में शामिल एजेंटों और कंपनियों पर सीबीआई की छापेमारी से इस बात का पता चला है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भारतीय युवाओं को किस तरह से छला गया था।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में बेरोजगारी का मुद्दा।

पृष्ठभूमि:

  • नौकरी का लालच: भारत में कुछ युवाओं को डिलीवरी बॉय के रूप में नौकरी देने के बहाने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भेजा गया था। 
    • युक्रेन युद्ध में भेजे गए भारतीय युवाओं के साथियों को यह बताया गया था कि वे रूसी सेना के लिए सहायक के रूप में कार्य करेंगे। 
    • स्थायी निवास की गारंटी: युवाओं को बताया गया कि चूँकि रूस को युद्ध के प्रयास में जनशक्ति की आवश्यकता है और देश उन्हें एक “सरकारी आधिकारिक” कार्ड जारी करेगा, जो स्थायी निवास की गारंटी प्रदान करेगा ।

कारण:

  • चिंता: छात्रों को लगता है कि विदेशों में प्रतिस्पर्धा कम है और अगर वे पढ़ाई के बाद यहीं रुकते हैं, तो सफल व्यवसाय बना सकते हैं और अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
    • 2023 के दौरान तकरीबन 13 लाख छात्र रोजगार पाने के उद्देश्य से विदेशों की ओर पलायन किया था।
    • उसमें से तकरीबन 65% छात्र संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में गए थे।
  • विदेशी शैक्षणिक संस्थानों में कम ट्यूशन फीस: विदेशों में ट्यूशन फीस भारत के निजी विश्वविद्यालयों द्वारा ली जाने वाली फीस की तुलना में काफी कम है।
    • साथ ही, उन्हें सभ्य मानकों वाली और अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा की भी प्राप्ति होती है।
    • वहाँ की सरकार बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं के विकास और उन्नयन पर बहुत अधिक जोर देती है।
  • प्रवासन के तरीके के रूप में शिक्षा: बेहतर जीवन जीने का अवसर छात्रों के विदेश जाने के प्रमुख कारणों में से एक है।
    • विदेशों के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय और फलता-फूलता नौकरी बाज़ार भी आकर्षण का एक प्रमुख कारण है।
  • ऋण की उपलब्धता: विदेश में अध्ययन करने के लिए ऋण की बढ़ती उपलब्धता से मध्यमवर्गीय परिवारों के छात्रों को विदेशी शिक्षा के सपने को पूरा करने में मदद मिल रही है।
  • विशिष्ट पाठ्यक्रम: अधिकांश बाहर जाने वाले छात्र विदेशों में विशेष और उन्नत पाठ्यक्रमों का विकल्प चुन रहे हैं।
    • भारत में, ऐसे विशिष्ट पाठ्यक्रमों वाले संस्थान कम हैं जिसकी वजह से छात्रों के मध्य प्रतिस्पर्धा अधिक है।
    • नीट, जेईई, यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में बच्चों को काफी अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
  • समाज में प्रतिष्ठा: कुछ परिवारों में यह धारणा है कि वे यदि अपने बच्चों को शिक्षा के लिए विदेश भेजते हैं तो इससे उनके परिवार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • जो बच्चे विदेश में बस जाते हैं उन्हें शादी के लिए बेहतर संभावनाएँ प्राप्त होती हैं और साथियों और परिवार के मध्य उनका अधिक सम्मान किया जाता है।
    • जिन राज्यों में विदेश जाने का अधिक तरजीही दी जाती है वे राज्य क्रमशः पंजाब, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गुजरात हैं।
  • विश्वविद्यालय और कॉलेजों की खराब गुणवत्ता: भारत के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में वास्तविक शैक्षिक वातावरण का अभाव है, जो शिक्षण स्टाफ, बुनियादी ढाँचे की कमी और विशेष रूप से खराब शिक्षक-छात्र अनुपात को चिह्नित करता है।
    • उदाहरण के लिए, झारखंड में यह अनुपात 81 छात्रों पर एक शिक्षक और बिहार में यह अनुपात 68 छात्रों पर एक शिक्षक है।

विदेश जाने संबंधी मुद्दे:

  • भारत में जैसे-जैसे विदेशी शिक्षा की माँग बढ़ रही है वैसे-वैसे विदेशी और स्वदेशी दोनों प्रकार के परामर्शदाताओं में भी तीव्र गति से बढ़ोत्तरी हुई है, जो कि घोटालों को बढ़ा सकता है ।
  • अकेलापन: विदेशों में सामाजिक बंधनों का अभाव है जो कि युवाओं को आकर्षित करती है। 
    • भारत की तुलना में विदेशों में व्यक्तिवाद को अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है ।
  • आर्थिक रूप से कम विकसित देशों में प्रवास की बढ़ती प्रवृत्ति: कम विकसित देशों से लोग बेहतर जीवन अवसरों की तलाश में विकसित देशों की ओर पलायन कर रहे हैं यही नहीं ये युवा कभी-कभी कम विकसित देशों में भी जाने का विकल्प चुन रहे हैं, उदाहरण- वेनेजुएला और किर्ग़िज़स्तान (Kyrgyzstan)

आगे की राह :

  • अंतर्निहित मुद्दों का समाधान: जो युवाओं को नौकरी के अवसरों की तलाश में विदेशों में ले जाते हैं।
  • शैक्षिक सुधार: छात्रों पर अनुचित दबाव को कम करने के लिए व्यापक शैक्षिक सुधारों की आवश्यकता है, जहाँ एक ही परीक्षा में सफलता या विफलता उनके संपूर्ण शैक्षिक और कैरियर पथ को निर्धारित नहीं करती हो।

News Source: High Salaries, PR Visas: How Indians Were Duped Into Fighting Russia’s War (ndtv.com)

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