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उच्च सागर संधि/’हाई सी’ संधि

Lokesh Pal March 11, 2024 06:10 116 0

संदर्भ 

हाल ही में राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से बाहर आने वाले जैव विविधता क्षेत्रों पर चर्चा के लिए ‘ब्लू लीडर्स उच्च स्तरीय कार्यक्रमबेल्जियम में आयोजित किया गया।

संबंधित तथ्य 

  • उद्देश्य: उच्च समुद्रों को प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और मत्स्य संसाधनों के अत्यधिक दोहन से सुरक्षित रखने के लिए राष्ट्रों के बीच नई संधि की गई।
  • BBNJ पर ब्लू लीडर्स उच्च स्तरीय कार्यक्रम: BBNJ संधि को लागू करने के लिए वर्ष 2025 में प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन को एक मंच के रूप में उपयोग करने का निर्णय लिया गया है।
  • शामिल देश: बेल्जियम, केप वर्डे, ग्रीस, मोनाको, नाइजीरिया, नॉर्वे और यूनाइटेड किंगडम ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
  • भारत की स्थिति: भारत ने अभी तक संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। हालाँकि भारत ने सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G20 की घोषणा-पत्र में संधि को लागू करने का आह्वान किया था।

राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में जैविक विविधता संधि (Biological  diversity in areas Beyond National Jurisdiction- BBNJ Treaty)

  • यह राष्ट्रीय अधिकार से परे क्षेत्रों में उपस्थित समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और न्यायसंगत उपयोग के लिए समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत किया गया एक समझौता है जिसे हाई सी की संधि’ (Treaty of the High Seas) भी कहा जाता है।
  • इस समझौते को19 जून, 2023 को न्यूयॉर्क में आयोजित 5वें BBNJ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सर्वसम्मति से अपनाया लिया गया था।
  • BBNJ का सचिवालय:ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
  • हस्ताक्षरकर्ता:वर्तमान में 88 देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि दो देश चिली और पलाऊ ने इसकी पुष्टि (Ratified) कर दी है।
    • कम-से-कम 60 देशों की पुष्टि या अनुमोदन के बाद ही BBNJ संधि को लागू किया जा सकता है।
  • इस संधि पर 20 सितंबर, 2025 की समय सीमा के बाद कोई भी देश हस्ताक्षर नहीं कर सकता है, किंतु फिर भी संधि में शामिल हो सकता है, जिसे कानूनी रूप में अनुसमर्थन (Ratification) के बराबर ही दर्जा दिया जाएगा।
  • संधि के प्रावधान
    • उच्च समुद्र में संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना: कुनमिंग- मॉन्ट्रियल (Kunming- Montreal) वैश्विक जैव विविधता समझौते के अंतर्गत वर्ष 2030 तक 30% भूमि और समुद्र के प्रभावी संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर सहमति बनी है।
    • समुद्री आनुवांशिक संसाधनों का साझाकरण: यह संधि सुनिश्चित करती है कि समुद्री आआनुवंशिक संसाधनों (Marine Genetic Resources -MGR) जैसे पौधे, जानवर या सूक्ष्मजीवों से प्राप्त लाभ को हितधारकों के बीच निष्पक्ष रूप से साझा किया जाए।
    • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessments -EIA) हेतु कानून: यह समुद्री क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों के संभावित प्रभावों की पहचान और मूल्यांकन करता है, उदाहरण के लिए- कार्बन पृथक्करण या गहरे समुद्र में खनन के लिए संभावित प्रभावों का मूल्यांकन।
    • इस संधि में हितधारकों और विभिन्न देशों के बीच क्षमता निर्माण तथा समुद्री प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की परिकल्पना की गई है।

उच्च समुद्र/हाई सी (High Sea)

  • जेनेवा कन्वेंशन, 1958 के अनुसार, किसी तटीय देश के अनन्य आर्थिक क्षेत्र से 200 समुद्री मील से अधिक के समुद्री क्षेत्र को ‘उच्च समुद्र’ या ‘हाई सी’ कहा जाता है।
  • सामान्य हित: यह समुद्री क्षेत्र किसी एक देश के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता है, इसलिए कोई भी देश उच्च समुद्र के संसाधनों के प्रबंधन या सुरक्षा पर अपना दावा नहीं कर सकता है।
  • विस्तार: उच्च समुद्र के अंतर्गत समुद्री सतह का 64 प्रतिशत एवं पृथ्वी का लगभग 43 प्रतिशत भाग शामिल है।
  • संरक्षण की वर्तमान स्थिति: वैश्विक महासागर का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा उच्च समुद्र के अंतर्गत आता है, इसके बावजूद उच्च समुद्र का केवल 1.44 प्रतिशत भाग ही संरक्षित है।

समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS)

  • इसे वर्ष 1982 में लागू किया गया था।
  • यह दुनिया के महासागरों और समुद्रों में कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापक, न्यायसंगत एवं सुचारू प्रणाली का निर्माण करता है, साथ ही महासागरों और उसके संसाधनों के उपयोग को नियंत्रित करने वाले कानूनों की स्थापना करता है।
  • भूमिका
    • इसके अंतर्गत समुद्री क्षेत्रों में देशों के अधिकारों, कर्तव्यों, समुद्री सीमा का निर्धारण, संप्रभुता का दावा, समुद्री संसाधनों की कानूनी स्थिति आदि को परिभाषित किया गया है।
    • इसके तहत नेविगेशन, वैज्ञानिक अनुसंधान और गहरे समुद्र में खनन सहित महासागरों में कई अन्य गतिविधियों के लिए सामान्य कानून एवं दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए गए हैं।

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