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मेघालय का बर्नीहाट भारत में सबसे प्रदूषित शहर: CERA

Lokesh Pal March 11, 2024 06:21 120 0

संदर्भ

हाल ही में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर  (Centre for Research on Energy and Clean Air- CREA) द्वारा एक मासिक वायु गुणवत्ता स्नैपशॉट (Monthly Air Quality Snapshot) से पता चलता है कि असम-मेघालय की सीमा पर स्थित एक औद्योगिक शहर बर्नीहाटफरवरी 2024 में भारत में सबसे प्रदूषित शहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर  (CREA)

  • यह ऊर्जा एवं वायु प्रदूषण पर शोध करने वाला एक गैर-लाभकारी थिंक टैंक है।
  • इसकी स्थापना एवं पंजीकरण वर्ष 2019 में हेलसिंकी, फिनलैंड में किया गया था तथा इसके उपकेंद्र संपूर्ण एशिया और यूरोप में फैले हुए हैं।
  • लक्ष्य: डेटा-समर्थित अनुसंधान उत्पाद प्रदान करके वायु प्रदूषण के प्रभावों पर नजर रखना।

रिपोर्ट की मुख्य निष्कर्ष

  • फरवरी 2024 में, 253 शहरों में से 160 में 5 का स्तर भारत के राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (India’s National Ambient Air Quality Standards) (NAAQS) से नीचे दर्ज किया गया।
  • सर्वाधिक प्रदूषित शहर
    • मेघालय का बर्नीहाट (प्रथम)
    • बिहार में अररिया (दूसरा)
    • उत्तर प्रदेश में हापुड (तीसरा)
    • राजस्थान में हनुमानगढ़ (चौथा)

राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (National Ambient Air Quality Standards- NAAQS)

  • सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए वर्ष 2009 में 12 प्रदूषकों के लिए राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) अधिसूचित किया है।
  • संबंधित निकाय: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)।
  • इसके तहत कवर किए गए प्रदूषक: सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), PM10, PM2.5, ओजोन, सीसा, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), आर्सेनिक, निकेल, बेंजीन, अमोनिया एवं बेंजोपाइरीन (Benzopyrene)।

वायु गुणवत्ता मानकों के उद्देश्य

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य, वनस्पति एवं संपत्ति की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा मार्जिन के साथ आवश्यक वायु गुणवत्ता के स्तर को इंगित करना।
  • प्रदूषक स्तर की कमी एवं नियंत्रण के लिए प्राथमिकताएँ स्थापित करने में सहायता करना।
  • राष्ट्रीय स्तर पर वायु गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक समान मानदंड प्रदान करना।
  • निगरानी कार्यक्रम की आवश्यकता एवं सीमा को इंगित करना।

  • पूर्वोत्तर प्रदूषण संबंधी चिंताएँ: नलबाड़ी (5वाँ), अगरतला (12वाँ), गुवाहाटी (19वाँ), तथा नागाँव (28वाँ) भी भारत के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं, जो पूर्वोत्तर राज्यों के शहरी केंद्रों में खतरनाक वायु प्रदूषण के स्तर को उजागर करते हैं।
  • सबसे स्वच्छ शहरों में
    • मध्य प्रदेश में सतना, असम में शिवसागर, कर्नाटक में विजयपुरा को क्रमशः पहले, दूसरे, तीसरे स्थान पर भारत में सबसे स्वच्छ शहर बताया गया है।
    • पूर्वोत्तर राज्यों में शिवसागर, सिलचर, आइजोल एवं इंफाल जैसे शहरों को सबसे स्वच्छ शहर बताया गया।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) शहरों में
    • 96 (NCAP) शहरों में PM 2.5 का मासिक औसत स्तर WHO के दिशा-निर्देशों से अधिक है।
    • 60 शहरों ने भारत के NAAQS का पालन किया।
  • गैर-NCAP शहरों में
    • 100 शहर भारत के NAAQS पर खरे उतरे, जबकि 57 शहरों को बदतर वायु गुणवत्ता का सामना करना पड़ा।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme- NCAP)

  • इसे जनवरी 2019 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEFCC) द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: NCAP का लक्ष्य 131 शहरों में वर्ष 2026 तक औसत पार्टिकुलेट मैटर (PM) सांद्रता को 40% तक कम करना है। प्रारंभ में वर्ष 2024 तक 20-40% की कटौती का लक्ष्य रखा गया था, बाद में लक्ष्य को वर्ष 2026 तक बढ़ा दिया गया।

गैर-प्राप्ति शहर: यदि वे पाँच वर्ष की अवधि में सूक्ष्म कण पदार्थ या नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के लिए राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) को पूरा करने में लगातार विफल रहते हैं तो इन्हें नामित किया जाता है।

पार्टिकुलेट मैटर 2.5

  • PM2.5, 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास का सूक्ष्म कण है। इसलिए इसका केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से ही पता लगाया जा सकता है।
  • यह सबसे खतरनाक प्रदूषक है क्योंकि यह फेफड़ों में एवं रक्त प्रणाली में प्रवेश कर सकता है, जिससे हृदय और श्वसन रोग एवं कैंसर हो सकता है।
  • NAAQS: PM2.5=40 µg/m3 (पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र)-60 µg/m3
  • WHO दिशा-निर्देश
    • वर्तमान दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि PM2.5 की वार्षिक औसत सांद्रता 5 µg/m3 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
    • हालाँकि 24 घंटे का औसत एक्सपोजर प्रति वर्ष 3-4 दिनों से अधिक 15 µg/m3 से अधिक नहीं होना चाहिए।

शहरों में प्रदूषण स्तर में बदलाव के कारण

  • अनियमित औद्योगिक संचालन
  • अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन अवसंरचना
  • बड़े पैमाने पर निर्माण
  • कुशल प्रदूषण नियंत्रण उपायों का अभाव
  • कार्रवाई का आह्वान: उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ते प्रदूषण स्तर को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने एवं संबोधित करने के लिए वायु गुणवत्ता निगरानी को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है।

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