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गांधी जी के आश्रम

Lokesh Pal March 14, 2024 06:23 102 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री ने गुजरात में साबरमती में पुनर्निर्मित कोचरब आश्रम (Kochrab Ashram) का उद्घाटन किया एवं गांधी आश्रम स्मारक के लिए मास्टर प्लान का अनावरण किया।

गांधी आश्रम स्मारक एवं परिसर विकास परियोजना के बारे में

  • स्थान: अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे।
  • बजट: 1,200 करोड़ रुपये।
  • परियोजना का मास्टर प्लान: मास्टर प्लान मूल आश्रम में मौजूद 63 संरचनाओं में से लगभग आधे को पुनर्स्थापित करने, संरक्षित करने तथा पुनर्निर्माण करने का सुझाव देता है।
    • कुल मिलाकर, 36 संरचनाओं की मरम्मत की जाएगी एवं 20 को संरक्षित किया जाएगा।

नाम

वर्ष

स्थान

देश

फीनिक्स बस्ती 1904 नताल दक्षिण अफ्रीका
टॉलस्टॉय फार्म 1910 जोहान्सबर्ग के पास दक्षिण अफ्रीका
कोचरब आश्रम 1915 अहमदाबाद भारत
साबरमती आश्रम 1917 अहमदाबाद भारत
सेवाग्राम आश्रम 1936 वर्धा भारत

दांडी मार्च के बारे में

  • प्रमुख अहिंसक विरोध: दांडी मार्च, जिसे नमक मार्च/नमक सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है, मार्च-अप्रैल 1930 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक प्रमुख अहिंसक विरोध कार्रवाई थी।

  • कोचरब आश्रम वर्ष 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद महात्मा गांधी द्वारा स्थापित पहला आश्रम था।
  • इसका रखरखाव गुजरात विद्यापीठ (Gujarat Vidyapeeth) द्वारा किया जाता है।

  • सविनय अवज्ञा का पहला अधिनियम: यह मार्च गांधी जी द्वारा भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध छेड़े गए सविनय अवज्ञा (सत्याग्रह) के एक और भी बड़े अभियान में पहला चरण था, जो वर्ष 1931 की शुरुआत तक चला था।
  • नाम: नमक मार्च को दांडी मार्च एवं दांडी सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है।
  • शामिल लोग: यह महात्मा गांधी के नेतृत्व में औपनिवेशिक भारत में अहिंसक सविनय अवज्ञा का एक कार्य था। उन्होंने करीब 80 स्वयंसेवकों के साथ इस मार्च की शुरुआत की और रास्ते में कई लोग उनके साथ जुड़ते गए।
  • अवधि: 24 दिवसीय यह पदयात्रा 12 मार्च, 1930 से 6 अप्रैल, 1930 तक चली।
  • यात्रा: गांधी जी ने दांडी मार्च का नेतृत्व साबरमती आश्रम से 240 मील दूर तटीय गाँव दांडी तक किया, जो नवसारी (गुजरात में) नामक एक छोटे से शहर के पास अवस्थित था।
  • उद्देश्य
    • यह वर्ष 1882 के ब्रिटिश नमक अधिनियम के तहत ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध एवं अहिंसक विरोध का एक अभियान था।
    • इसका उद्देश्य दांडी के तटीय गाँव में समुद्री जल से नमक का उत्पादन करना था, जैसा कि स्थानीय आबादी की प्रथा थी।

महत्त्व

  • पूर्ण स्वराज घोषणा: यह मार्च सीधे तौर पर 26 जनवरी, 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा संप्रभुता एवं स्व-शासन की पूर्ण स्वराज घोषणा का अनुसरण करता था।
  • इसने राष्ट्रव्यापी सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। जब गांधी जी ने 6 अप्रैल, 1930 को नमक कानून तोड़ा, तो इससे लाखों भारतीयों द्वारा ब्रिटिश राज के नमक कानूनों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा की कार्रवाई शुरू हो गई।

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