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भारत में मत्स्यपालन एवं पशुधन क्षेत्रों में AMR निगरानी

Lokesh Pal March 14, 2024 06:29 98 0

संदर्भ 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने वर्ष 2019-22 के लिए भारत में मत्स्यपालन और पशु रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Indian Network for Fishery and Animal Antimicrobial Resistance- INFAAR) से संबंधित डेटा प्रकाशित किया है।

संबंधित तथ्य 

  • नमूना का संग्रह: संपूर्ण भारत के 12 राज्यों के 42 जिलों में फैले 3,087 फार्मों से नमूने एकत्र किए गए हैं तथा इसमें मछली या झींगा के ऊतकों के साथ-साथ तालाब या समुद्र के नमूने भी शामिल किए गए हैं।
  • बैक्टीरियल आइसोलेट्स (Bacterial Isolates): इस कार्य के लिए कुल 6,789 बैक्टीरियल आइसोलेट्स की जाँच की गई है, जिसमें 4,523 नमूने मीठे पानी से, 1,809 झींगे से एवं 457 सागरीय कृषि क्षेत्रों से एकत्र किए गए है।
  • प्रतिरोधक क्षमता: स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus Aureus), कोगुलेज-नेगेटिव स्टैफिलोकोकस प्रजाति (Coagulase-negative Staphylococcus Species- CONS), एस्चेरिचिया कोलाई (Escherichia Coli), विब्रियो पैराहेमोलिटिकस (Vibrio Parahaemolyticus), विब्रियो (Vibrio) तथा एरोमोनस प्रजातियों (Aeromonas Species) के लिए प्रतिरोधक क्षमता की जाँच की गई है।

आइसोलेट्स (Isolates): जीवाणु प्रतिरोधक क्षमता की जाँच के लिए एकत्र किया गया नमूना।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • मत्स्यपालन क्षेत्र में प्रतिरोधक क्षमता का स्वरूप 
    • प्रजाति-विशिष्ट प्रतिरोध: स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus Aureus) और कोगुलेज-निगेटिव स्टैफिलोकोकस प्रजातियों (CONS) के नमूनों ने सभी तीन जलीय प्रणालियों (मीठा जल प्रणाली, खारा जल प्रणाली और समुद्री प्रणाली) में पेनिसिलिन (Penicillin) के प्रति अत्यधिक प्रतिरोध प्रदर्शित किया है।
    • विभिन्न वातावरणों में भिन्नता: समुद्री नमूनों ने सेफोटैक्सिम (Cefotaxime) के प्रति अधिक प्रतिरोध दिखाया है, किंतु मीठे पानी की मछलियों ने सिप्रोफ्लोक्सासिन (Ciprofloxacin) के प्रति पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता प्रदर्शित किया है।
    • झींगा मछली के नमूनों में सेफोटैक्सिम (Cefotaxime) और एम्पीसिलीन (Ampicillin) के प्रति उल्लेखनीय प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है।
  •   पशुधन क्षेत्र में प्रतिरोधक क्षमता का स्वरूप 
    • पशुओं की उत्पत्ति: मवेशियों, भैंसों, बकरियों, भेड़, सूअरों और मुर्गीपालन के ई. कोलाई (E. Coli) एवं स्टैफिलोकोकस (Staphylococcus) नमूनों पर जीवाणु प्रतिरोधक क्षमता का परीक्षण किया गया है।
    • मुर्गीपालन की प्रतिरोधक क्षमता: मुर्गी के नमूनों ने अन्य खाद्य जीवों की तुलना में कई जीवाणुनाशक दवाओं (Antibiotics) के प्रति उच्च प्रतिरोधक क्षमता प्रदर्शित की है।

एकाधिक औषधीय प्रतिरोध (Multiple Drug Resistance -MDR)

परिचय: एकाधिक औषधीय प्रतिरोध (MDR) का तात्पर्य सूक्ष्मजीवों की एक प्रजाति द्वारा तीन या उससे अधिक रोगाणुरोधी श्रेणियों में कम-से-कम एक रोगाणुरोधी दवा के लिए प्रदर्शित की गई प्रतिरोधक क्षमता है।

एकाधिक औषधीय प्रतिरोधक क्षमता का विश्लेषण

  • MDR क्षमता: रिपोर्ट में जलीय कृषि से प्राप्त नमूना ई. कोलाई आइसोलेट्स (E coli Isolates) में एकाधिक औषधीय प्रतिरोधक क्षमता का विश्लेषण किया गया है, जिससे ज्ञात होता है कि 39 प्रतिशत आइसोलेट्स में MDR क्षमता प्रदर्शित हुई है, अर्थात् यह तीन या उससे अधिक रोगाणुरोधी श्रेणियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदर्शित करता है।
  • MDR का पता लगाना: खाद्य-जीवों के नमूनों से प्राप्त ई कोलाई आइसोलेट्स में भी MDR क्षमता प्रदर्शित हुई है।
    • सेफोटैक्सिम-एनरोफ्लोक्सासिन (Cefotaxime-enrofloxacin) तथा टेट्रासाइक्लिन (Tetracycline) की मिश्रित प्रक्रिया के लिए सबसे प्रमुख MDR प्राप्त हुआ है, जिसमें लगभग 15.8 प्रतिशत मुर्गीपालन से संबंधित नमूनों ने प्रतिरोधक क्षमता प्रदर्शित की है।
    • AMR की जटिलता: AMR के तहत, ESBL और AmpC प्रकार के β-लैक्टामेज उत्पादकों का पता लगाना एक जटिल प्रक्रिया है।

भारत में मत्स्य पालन और पशु रोगाणुरोधी प्रतिरोध (INFAAR)

  • बुनियादी ढाँचा: ICAR द्वारा स्थापित INFAAR के अंतर्गत 20 प्रयोगशालाएँ हैं, जिनमें 17 ICAR अनुसंधान संस्थान प्रयोगशालाएँ, एक केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय प्रयोगशाला, एक राज्य कृषि विश्वविद्यालय प्रयोगशाला तथा एक राज्य पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रयोगशाला शामिल हैं।
  • सहयोग: INFAAR को तकनीकी सहायता FAO और USAID द्वारा प्रदान की जाती है, जिससे डेटा संग्रहण और विश्लेषण कौशल में सुधार होता है।
  • भविष्य में लक्ष्य: INFAAR के भावी लक्ष्यों में अधिक प्रयोगशालायों का निर्माण तथा निगरानी प्रक्रिया में सुधार करना शामिल है।

जीवाणुनाशक उपयोग और AMR का बढ़ता प्रचलन 

  • जीवाणुनाशक प्रभाव (Antibiotics Impact): पशुओं की खाद्य सामग्रियों के उत्पादन में जीवाणुनाशक पदार्थों के उपयोग से AMR क्षमता का विकास होता है, जिसके लिए नीतिगत निर्णयों को निर्देशित करने हेतु निगरानी की आवश्यकता होती है।
  • उत्पादन प्रणाली: तीन प्रमुख जलीय कृषि प्रणालियों (मीठा जल, खारा जल और समुद्री जल) की जाँच की गई है जिसमें कई प्रकार की परिस्थितियों को शामिल किया गया है।
  • जीवाणुनाशक दवाओं का समूह: जिन जीवाणुनाशक दवाओं की जाँच की गई है, उनमें एमिकासिन (Amikacin), एम्पीसिलीन (Ampicillin), एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलैनिक एसिड (Amoxicillin-clavulanic Acid), एज्ट्रोनम (Aztreonam), सेफोटैक्सिम (Cefotaxime), सेफेपाइम (Cefepime), सेफोक्सिटिन (Cefoxitin), सेफ्टाजिडाइम (Ceftazidime), क्लोरैम्फेनिकॉल (Chloramphenicol), को-ट्रिमोक्साजोल (Co-trimoxazole), एनरोफ्लोक्सासिन (Enrofloxacin), जेंटामाइसिन (Gentamicin), इमिपेनम (Imipenem), मेरोपेनेम (Meropenem) और टेट्रासाइक्लिन (Tetracycline) शामिल हैं।

रोगाणु प्रतिरोध  (Antimicrobial Resistance- AMR)

  • परिचय: रोगाणु को रोकने या मारने के लिए निर्मित दवाओं की उपस्थिति में सूक्ष्मजीवों की उपलब्धता या वृद्धि की क्षमता ही रोगाणु प्रतिरोध कहलाती है।
  • महत्त्व: रोगाणुरोधक दवाओं का उपयोग बैक्टीरिया, कवक, वायरस और प्रोटोजोआ जैसे सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाले संक्रामक रोगों के उपचार में किया जाता है।
  • प्रतिरोध का प्रभाव: जब सूक्ष्मजीवों पर रोगाणुरोधी दवाओं का असर नगण्य होता है, तो उपचार अक्सर अप्रभावी सिद्ध होता है।
  • प्रभाव: AMR विभिन्न व्यक्तियों और पर्यावरण के बीच फैल सकता है तथा रोगाणु प्रतिरोधी सूक्ष्मजीव भोजन को दूषित कर सकते हैं।

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