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मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब

Lokesh Pal March 18, 2024 06:01 171 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय रेलवे ने मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट हब विकसित करने की योजना बनाई है।

संबंधित तथ्य 

  • आकांक्षी शहरों में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी: भारतीय रेलवे देश भर के 10 लाख से अधिक आबादी वाले आकांक्षी शहरों में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी वाले ‘मेगा रेलवे टर्मिनल’ बनाएगा।
  • विकसित भारत पहल: यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री की विकसित भारत पहल के तहत विकसित किए जा रहे बुनियादी ढाँचे का हिस्सा है।

आकांक्षी शहरों (Aspirational Cities) के बारे में

  • प्राथमिकता वाले क्षेत्र: आकांक्षी शहर कार्यक्रम (Aspirational Cities Programme- ACP) तीन मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित है: सभी विकास क्षेत्रों में समावेशी शहरी विकास को एकीकृत करना, परिणामों के विश्लेषण एवं निगरानी के लिए वैज्ञानिक डेटा पद्धतियों को लागू करना और भौतिक एवं डिजिटल चैनलों के माध्यम से नागरिक मामलों में जन भागीदारी बढ़ाना।
  • उद्देश्य: ACP का उद्देश्य शासन में सुधार करना, लगातार नागरिक चुनौतियों का समाधान करना और शहरी स्थानीय सरकारों के लिए वित्तीय अवसर प्रदान करना है।

मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स क्या है?

  • मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट: मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट से तात्पर्य परिवहन के एक से अधिक तरीकों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक सामान के परिवहन से है।
  • मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स: मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स को ‘उस शृंखला के रूप में देखा जा सकता है, जो परिवहन के विभिन्न लिंक या तरीकों (वायु, समुद्र और भूमि) को एक पूर्ण प्रक्रिया में जोड़ती है, जो माल की एक कुशल और लागत प्रभावी डोर-टू-डोर आवाजाही सुनिश्चित करती है।

मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट ऑफ गुड्स एक्ट, 1993 (Multimodal Transportation of Goods Act, 1993)

  • यह भारत में मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स को नियंत्रित करने वाला कानून है। इसे वर्ष 1993 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था।
  • उद्देश्य: इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों के लिए एक दायित्व व्यवस्था स्थापित करना था।
  • सक्षम प्राधिकारी: इस कानून के तत्त्वावधान में शिपिंग महानिदेशक को एक सक्षम प्राधिकारी के रूप में अधिसूचित किया गया था।
  • दस्तावेज जारी करना: MMTG अधिनियम के पारित होने से विभिन्न भारतीय लॉजिस्टिक सेवा प्रदाताओं के लिए स्वयं को अधिकारियों के साथ पंजीकृत करने और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट दस्तावेज जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
  • लाभ: इससे भारत में जहाजरानी क्षेत्र से जुड़े व्यवसायों को बड़े पैमाने पर मदद मिली क्योंकि अब वे एक ही परिवहन अनुबंध के तहत भारत के किसी भी स्थल से दुनिया के किसी भी गंतव्य तक माल भेज सकते थे।

लॉजिस्टिक (लॉजिस्टिक्स)

  • लॉजिस्टिक्स में संसाधनों, लोगों, कच्चे माल, सूची, उपकरण आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर अर्थात् उत्पादन बिंदुओं से उपभोग, वितरण या अन्य उत्पादन बिंदुओं तक ले जाने के साथ नियोजन, समन्वय, भंडारण प्रक्रिया शामिल है।
  • लॉजिस्टिक्स शब्द संसाधनों के अधिग्रहण, भंडारण और वितरण को उनके इच्छित स्थान पर नियंत्रित करने की संपूर्ण प्रक्रिया का वर्णन करता है।

भारत में लॉजिस्टिक सेक्टर की स्थिति

  • लॉजिस्टिक लागत: सामान्य तौर पर परिभाषित, लॉजिस्टिक्स में व्यापार, परिवहन और वाणिज्य के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जो विनिर्माण प्रक्रिया के पूरा होने से लेकर उपभोग के लिए डिलीवरी तक शामिल है।
  • परिवहन लागत: वर्तमान में, परिवहन को सबसे महत्त्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स गतिविधि माना जाता है, जो लॉजिस्टिक्स लागत का लगभग 50-60% हिस्सा है।
  • लॉजिस्टिक्स उद्योग का आकार: भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग का आकार 215 बिलियन डॉलर है। यह 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस क्षेत्र में सुधार से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी।
  • बंदरगाह क्षमता: बंदरगाह क्षमता 5% की CAGR से बढ़ने की उम्मीद है।
  • रेलवे की स्थिति: भारतीय रेलवे का लक्ष्य अपने माल यातायात को वर्ष 2017 में 1.1 बिलियन टन से बढ़ाकर वर्ष 2030 में 3.3 बिलियन टन तक करना है।
  • हवाई अड्डों पर माल यातायात: भारत में हवाई अड्डों पर माल यातायात वित्त वर्ष 2040 तक 17 मिलियन टन तक पहुँचने की क्षमता है।

भारत में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता

  • हिंटरलैंड कनेक्टिविटी: भारत में विनिर्माण केंद्र देश के भीतरी क्षेत्रों में और प्रवेश द्वार बंदरगाहों से बहुत दूर अवस्थित हैं।
    • प्रमुख विनिर्माण केंद्र पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अवस्थित हैं और वे निर्यात में बड़ा योगदान देते हैं।
  • लॉजिस्टिक्स लागत कम करना: इसका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भारत की लॉजिस्टिक्स लागत को सकल घरेलू उत्पाद के वर्तमान लगभग 14% से घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के 10% से कम करना है।
    • उदाहरण के लिए: आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद का 14-18% है, जो वैश्विक बेंचमार्क 8% से अधिक है।
  • वेयरहाउसिंग लागत में कमी
    • भंडारण और ट्रांस-शिपमेंट की लागत कम करना: वर्तमान में शहर की सीमा के अंदर संचालित गोदामों को लॉजिस्टिक्स पार्कों में स्थानांतरित करने से वेयरहाउसिंग लागत में कमी आएगी।
      • उदाहरण के लिए: नीति आयोग के अनुसार, भारत की वर्तमान रिपोर्ट की गई भंडारण क्षमता 108.75 MMT है, जिसमें से निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से भी कम है।
  • निवेश आकर्षित करना: आधुनिक लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे के विकास ने भारत के आपूर्ति शृंखला क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। पूँजी का यह प्रवाह आगे के बुनियादी ढाँचे के विकास और तकनीकी प्रगति का समर्थन करता है, जिससे एक अनुकूल निवेश माहौल को बढ़ावा मिलता है।
  • बेहतर कनेक्टिविटी: प्रमुख राजमार्गों, रेलवे और बंदरगाहों के पास रणनीतिक रूप से स्थित लॉजिस्टिक्स पार्क घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए कुशल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करते हैं। यह पहुँच उन व्यवसायों के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो अपनी पहुँच का विस्तार करना चाहते हैं और नए ग्राहक आधार तक पहुँच बनाना चाहते हैं।
    • उदाहरण के लिए: भारत का पहला मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क चेन्नई के पास तिरुवल्लूर जिले के मप्पेडु गाँव में स्थापित किया जा रहा है।
  • उन्नत दृश्यता और ट्रैकिंग: मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क में अत्याधुनिक ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम शामिल हैं, जो माल की आवाजाही में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण के लिए: Maersk द्वारा अपने लॉजिस्टिक्स परिचालन में ब्लॉकचेन का सफल उपयोग किया गया है।
  • ट्रांस-शिपमेंट बिंदुओं पर समय की हानि को कम करता है: मल्टीमॉडल परिवहन, जिसे एकल ऑपरेशन के रूप में योजनाबद्ध और समन्वित किया जाता है, ट्रांस-शिपमेंट बिंदुओं पर समय की हानि और कार्गो के नुकसान, चोरी और क्षति के जोखिम को कम करता है।
  • दस्तावेजीकरण और औपचारिकताओं का बोझ कम हो जाता है: परिवहन शृंखला के प्रत्येक खंड से जुड़े कई दस्तावेजीकरण और अन्य औपचारिकताओं को जारी करने का बोझ न्यूनतम हो जाता है।

भारत में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स की स्थापना से जुड़ी चुनौतियाँ

  • उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) का अनुमान है कि वर्तमान में देश अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 14% लॉजिस्टिक्स पर खर्च करता है, जो जापान (11%) और संयुक्त राज्य अमेरिका (9-10%) की तुलना में बहुत अधिक है।
  • विषम मॉडल परिवहन मिश्रण: भारत में, 60% माल का परिवहन सड़क मार्ग के माध्यम से संचालित होता है, जो कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी बड़ा है।
    • तटीय परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग प्रारंभिक चरण में हैं।
    • प्रतिकूल मूल्य निर्धारण और रेक बुकिंग प्रथाओं एवं आसान स्थानांतरण को सक्षम करने के लिए इंटरमॉडल सुविधाओं की कमी के कारण, सड़क की तुलना में प्रति टन-किमी. 45% सस्ता होने के बावजूद, रेल परिवहन मामूली है।
  • प्रक्रियात्मक जटिलताएँ: मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित करने में शामिल सरकारी एजेंसियों की बहुलता से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में बाधा आ सकती है। इन मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स की पूर्ति और कार्यान्वयन के लिए कई केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों से कई अनुमोदन अनिवार्य हैं।
    • उदाहरण के लिए: भारत में, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में 20 सरकारी एजेंसियाँ, 40 भागीदार सरकारी एजेंसियाँ, 37 निर्यात संवर्द्धन परिषदें, 10,000 से अधिक वस्तुओं के साथ 500 प्रमाण-पत्र शामिल हैं, जो व्यापार करने में आसानी की प्रक्रिया को बाधित करते हैं।
  • विघटित नेटवर्क: भारत में लगभग 200 शिपिंग एजेंसियाँ, 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएँ, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो, 168 कंटेनर फ्रेट स्टेशन, 50 आईटी पारिस्थितिकी तंत्र, बैंक और बीमा एजेंसियाँ ​​बड़े पैमाने पर विघटित तरीके से कार्य कर रही हैं।
  • कौशल अंतर: कौशल विकास के प्रयासों के बावजूद, उन्नत लॉजिस्टिक्स संचालन के प्रबंधन में कुशल कार्यबल की कमी हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए, डेटा-संचालित लॉजिस्टिक्स संचालन को सँभालने के लिए आवश्यक डेटा विश्लेषकों या AI विशेषज्ञों की कमी हो सकती है।
  • परिवहन के विभिन्न तरीकों के बीच समन्वय: परिवहन के विभिन्न तरीकों का निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • उदाहरण के लिए: कुशल मल्टीमॉडल परिवहन प्राप्त करने के लिए अच्छी तरह से समन्वित समय सारणी, किराए और कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है, जिसे प्रबंधित करना मुश्किल है।

भारत में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बुनियादी ढाँचे का दर्जा देना: यह निर्यातकों को प्रतिस्पर्द्धी दरों पर और दीर्घकालिक आधार पर ऋण प्रदान करने में मदद करता है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत कम हो जाती है।
  • जीएसटी: मल्टीलेयर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के एकीकरण ने भारतीय कर प्रणाली को एकीकृत कर दिया है और परिवहन ऑपरेटरों के लिए बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को जन्म दिया है।
    • GST व्यवस्था के तहत ई-वे बिल (ऑनलाइन तैयार किया गया एक दस्तावेज) लोड प्लानिंग, शिपमेंट ट्रैकिंग, परिचालन पारदर्शिता और उनकी सेवाओं की समग्र गुणवत्ता में सुधार करके लॉजिस्टिक्स फर्मों की मदद कर रहा है।
  • लॉजिस्टिक्स डिवीजन का निर्माण: वाणिज्य विभाग में लॉजिस्टिक्स डिवीजन बनाया गया, जिसने वाणिज्य विभाग को ‘लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास’ का कार्य आवंटित किया।
    • लॉजिस्टिक्स डिवीजन ने एक IT फ्रेमवर्क बनाने और एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स सूचना पोर्टल विकसित करने की योजना बनाई है, जो एक ऑनलाइन लॉजिस्टिक्स मार्केटप्लेस भी होगा, जो विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर एक साथ लाने का काम करेगा।
  • लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे के लिए एकीकृत दृष्टिकोण: इस दिशा में महत्त्वपूर्ण पहलों में भारतमाला परियोजना के तहत 35 मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) का नियोजित विकास, सागरमाला के तहत कई बंदरगाह कनेक्टिविटी परियोजनाएँ, अंतर्देशीय टर्मिनलों के साथ राष्ट्रीय जलमार्गों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना और देश के प्रमुख समूहों में समर्पित माल ढुलाई गलियारों की योजना बनाई जा रही है।
  • विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता (LEADS) सूचकांक: यह राज्य स्तर पर उपयोगकर्ताओं और हितधारकों की धारणा के आधार पर लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में प्रदर्शन की आधार रेखा स्थापित करने का एक प्रयास है।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स उत्कृष्टता पुरस्कार: इन पुरस्कारों का उद्देश्य शीर्ष प्रदर्शन करने वालों की पहल और उपलब्धियों को उजागर करके लॉजिस्टिक्स में सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डालकर भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के व्यवस्थित परिवर्तन को उत्प्रेरित करना है।
  • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: भारत सरकार निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और मल्टीमॉडल लास्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं का संचालन कर रही है।
  • पीएम गति शक्ति: यह मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान है, जो मूल रूप से बुनियादी ढाँचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना एवं समन्वित कार्यान्वयन के लिए रेलवे और रोडवेज सहित 16 मंत्रालयों को एक साथ लाने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
    • पीएम गति शक्ति में विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों की भारतमाला, सागरमाला, अंतर्देशीय जलमार्ग, शुष्क/भूमि बंदरगाह, उड़ान आदि जैसी बुनियादी ढाँचा योजनाएँ शामिल होंगी।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति संपूर्ण लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए एक व्यापक अंतःविषय, क्रॉस-सेक्टोरल और बहु-क्षेत्राधिकार ढाँचे से जुड़े मुद्दों द्वारा लागत एवं अक्षमता को संबोधित करने का एक व्यापक प्रयास है।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति-2022

  • नई लॉजिस्टिक नीति में चार महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ हैं: इस नीति की चार विशेषताएँ हैं, जिन्हें व्यापक लॉजिस्टिक कार्य योजना (CLAP) के माध्यम से लागू किया जाएगा। उसमें समाविष्ट हैं:
    • डिजिटल एकीकरण प्रणाली (Integration of Digital System- IDS): यह निर्बाध एवं तेजी से कार्य की गति को बढ़ाएगा ताकि लॉजिस्टिक्स सेवाओं को कुशलता के साथ सुनिश्चित किया जा सके।
      • IDS के तहत, सात विभागों की 30 विभिन्न प्रणालियों को एकीकृत किया जाता है, जिसमें सड़क परिवहन, रेलवे, सीमा शुल्क, विमानन एवं वाणिज्य विभागों के डेटा शामिल हैं।
    • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP): इसका उद्देश्य सभी लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र की डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल पर लाया जाएगा, जिससे निर्माताओं एवं निर्यातकों को लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं जैसी वर्तमान समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
    • लॉजिस्टिक्स सेवाओं में आसानी (E-Logs): E-Logs, नया डिजिटल प्लेटफॉर्म, उद्योग को त्वरित समाधान के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ परिचालन संबंधी मुद्दों को उठाने की अनुमति देगा।
    • प्रणालीगत सुधार समूह (System Improvement Group- SIG): SIG देश में कार्गो आवाजाही में सुधार के लिए मौजूदा कानूनों एवं प्रक्रियाओं में किए जाने वाले बदलावों पर सरकार को सलाह देगा।
    • व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्ययोजना (SIG): व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्ययोजना, जिसमें इंटीग्रेटेड डिजिटल लॉजिस्टिक्स सिस्टम, भौतिक परिसंपत्तियों का मानकीकरण, बेंचमार्किंग सेवा मानक, मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण, लॉजिस्टिक्स पार्कों का विकास आदि शामिल है।

आगे की राह 

  • कुशल मल्टीमॉडल एकीकरण: कुशल मल्टीमॉडल एकीकरण की सुविधा के लिए, सड़क मार्गों हेतु भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के समान एक केंद्रीय समन्वय एजेंसी स्थापित की जा सकती है।
  • कनेक्टिविटी में सुधार: कुशल मल्टीमॉडल माल ढुलाई हस्तांतरण के लिए टर्मिनल विकसित करते समय ट्रंक और मल्टीमॉडल इंटरलिंकेज में अंतराल की पहचान करना और उन्हें कम करने के लिए प्रयास करना।
    • रेल परिवहन की हिस्सेदारी बढ़ाना।
    • ट्रक उपयोग का अनुकूलन।
    • ईंधन-कुशल वाहनों और वैकल्पिक ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सुधार: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सुधार का निर्यात पर भारी प्रभाव पड़ता है और अनुमान है कि अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक्स लागत में 10 प्रतिशत की कमी से निर्यात में 5-8 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
    • फ्रेट स्मार्ट सिटी पहल शहरी माल ढुलाई की दक्षता में सुधार करने में मदद करेगी और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी का अवसर पैदा करेगी।
  • हिंटरलैंड कनेक्टिविटी को बढ़ाना: बड़े कंटेनर टर्मिनलों के विकास जैसी बड़े पैमाने की परियोजनाओं को हिंटरलैंड कनेक्टिविटी परियोजनाओं के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए और अंतिम-मील कनेक्टिविटी नेटवर्क पर जोर दिया जाना चाहिए। भारतीय रेलवे द्वारा कंटेनर परिचालन का निजीकरण जारी रखा जाना चाहिए।
  • सतत प्रौद्योगिकियों को अपनाना: जो प्रौद्योगिकियाँ कम कार्बन फुटप्रिंट प्राप्त करने के लिए प्रभावी साधन के रूप में वादा करती हैं, उनमें इलेक्ट्रिक वाहन जैसी वैकल्पिक वाहन प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं और LNG तथा जैव ईंधन जैसी वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकियों पर अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक स्थिरता के लिए विचार किया जाना चाहिए।
    • कोच्चि और दाहेज (Dahej) में सफलतापूर्वक विकसित LNG टर्मिनल बंदरगाह क्षेत्र में उदाहरण के रूप में काम कर सकते हैं।

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