हाल ही में मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट‘ में प्रकाशित एक अध्ययन ने पहली बार डायलिसिस संबंधी सफलता दर के लिए एक राष्ट्रीय बेंचमार्क स्थापित किया है।
डायलिसिस (Dialysis)
यह गुर्दे की विफलता वाले व्यक्तियों को रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फिल्टर करने में सहायता करने के लिए एक चिकित्सा उपचार है।
हीमोडायलिसिस (Hemodialysis) (HD-Water Dialysis)
डायलिसिस केंद्र में रक्त को फिल्टर करने के लिए एक कृत्रिम किडनी मशीन की आवश्यकता होती है।
इसमें रक्त को एक मशीन के माध्यम से फिल्टर किया जाता है, जो कृत्रिम किडनी की तरह कार्य करता है और शरीर में रक्त को वापस लौटाता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस (PD-Blood Dialysis)
यह वह प्रक्रिया है, जिसमें रोगी के पेट की अपनी रक्त परत एक फिल्टर के रूप में कार्य करती है।
निस्पंदन की सुविधा के लिए मुख्य रूप से नमक और शर्करा से बना एक घोल पेट में इंजेक्ट किया जाता है।
अध्ययन के मुख्य अंश
अध्ययन का नेतृत्व: अध्ययन का नेतृत्व मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट जॉर्ज इंस्टिट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ ने किया।
अध्ययन अवलोकन और निष्कर्ष
डायलिसिस जीवन रक्षा के लिए एक बेंचमार्क:
भारत में डायलिसिस रोगियों के जीवन दर का पहले राष्ट्रीय बेंचमार्क में, 71% का प्रारंभिक अनुमान सामने आया।
यह डेटा वर्ष 2014-2019 के बीच ‘नेफ्रोप्लस केंद्रों’ (यह देश का सबसे बड़ा डायलिसिस नेटवर्क है) के साथ पंजीकृत 20 राज्यों के 193 केंद्रों पर 23,601 रोगियों की जाँच पर आधारित है।
10 में से 7 मरीज डायलिसिस उपचार के बाद छह महीने से अधिक समय तक जीवित रहते हैं।
जबकि, हीमोडायलिसिस प्राप्त करने वाले 28% रोगियों की 10 महीने के भीतर मृत्यु हो गई।
राष्ट्रीय एवं वैश्विक औसत: यह वैश्विक औसत से दोगुनी मृत्यु दर को व्यक्त करता है।
उत्तरजीविता दर में योगदान देने वाले कारक: जीवित रहने की दर डायलिसिस पहुँच के प्रकार और मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप की उपस्थिति सहित विभिन्न कारकों से प्रभावित थी।
क्षेत्रीय असमानताएँ और स्वास्थ्य सेवा पहुँच
ग्रामीण और शहरी मृत्यु दर: शहरी केंद्रों की तुलना में ग्रामीण डायलिसिस केंद्रों में मृत्यु दर 32% अधिक है।
स्वयं चिकित्सा व्यय बनाम सरकारी लाभ और बीमा कवर: जिन मरीजों ने अपने उपचार के लिए स्वयं भुगतान किया, उन्होंने उन लोगों की तुलना में उच्च मृत्यु दर का अनुभव किया, जिनका उपचार सरकारी सब्सिडी से हुआ या निजी बीमा द्वारा कवर किया गया था।
सरकारी प्रयास
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आने वाली सभी प्रक्रियाओं में से, सरकार डायलिसिस प्रक्रियाओं पर सबसे अधिक पैसा खर्च करती है।
राष्ट्रीय डायलिसिस सेवा का शुभारंभ: किडनी रिप्लेसमेंट थेरेपी तक पहुँच में सुधार और डायलिसिस को किफायती बनाने के प्रयासों के लिए इसे वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया था।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम: देश भर में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को उनके जिला केंद्रों के पास मुफ्त डायलिसिस सेवाएँ प्रदान करना।
चुनौतियाँ और सिफारिशें
डेटा संबंधी: क्रोनिक किडनी रोग के बढ़ते बोझ के बावजूद, भारत में नैदानिक परिणामों पर सीमित डेटा उपलब्ध है।
राष्ट्रीय डायलिसिस सेवा के तहत कवरेज का विस्तार: डायलिसिस से जुड़ी जटिलताओं की रोकथाम और दीर्घकालिक प्रबंधन को शामिल करना।
अनपेक्षित कारकों को संबोधित करने की आवश्यकता: डायलिसिस रोगियों के लिए परिवहन, दवा, पोषण और सामाजिक समर्थन तक पहुँच जैसे अनपेक्षित कारक उनके जेब खर्च को कम करेंगे और उनकी स्वस्थ जीवन शैली सुनिश्चित कर सकते हैं।
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