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भारत की अस्थायी सूची में यूनेस्को द्वारा शामिल छह विरासत स्थल

Lokesh Pal March 18, 2024 06:30 129 0

संदर्भ

हाल ही में यूनेस्को (UNESCO) विश्व विरासत केंद्र द्वारा छह स्थलों को भारत की अस्थायी सूची में जोड़ा गया।

संबंधित तथ्य

  • यूनेस्को (UNESCO) द्वारा शामिल भारत की अस्थायी सूची में मध्य प्रदेश के छह ऐतिहासिक स्थल निम्नलिखित हैं (विश्व विरासत सम्मेलन के परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुपालन में):
    • ग्वालियर का किला (Gwalior Fort)
    • धमनार के ऐतिहासिक स्थापत्य समूह (Historic Ensembles of Dhamnar)
    • भोजेश्वर महादेव मंदिर (Bhojeshwar Mahadev Temple), भोजपुर
    • चंबल घाटी के रॉक कला स्थल (क्रमिक नामांकन)
    • खूनी भंडारा (Khooni Bhandara), बुहरानपुर
    • मंडला का गोंड स्मारक (रामनगर)
  • इसके साथ ही भारत ने 57 स्थलों को शामिल करने के लिए अपनी यूनेस्को की अस्थायी सूची (UNESCO Tentative List) का विस्तार किया है।

विश्व विरासत स्थल

  • यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (World Heritage List) में विभिन्न क्षेत्रों या वस्तुओं को अंकित किया गया है।
  • यह सूची यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन’ नामक एक अंतरराष्ट्रीय संधि में सन्निहित है।
  • ये पूरे विश्व में उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों के प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।
  • इसमें तीन प्रकार के स्थल शामिल हैं:- सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित।
    • सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) स्थलों में ऐतिहासिक इमारत, शहर, स्थल, महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थल, स्मारकीय मूर्तिकला एवं चित्रकला संबंधी कार्य शामिल किए जाते हैं।
    • प्राकृतिक विरासत (Natural Heritage) में उत्कृष्ट पारिस्थितिकी एवं विकासवादी प्रक्रियाएँ, अद्वितीय प्राकृतिक घटनाएँ, दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास स्थल आदि शामिल किए जाते हैं।
    • मिश्रित विरासत (Mixed Heritage) स्थलों में प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों प्रकार के महत्त्वपूर्ण तत्त्व शामिल होते हैं।

ग्वालियर का किला

  • इसेभारत का जिब्राल्टर‘ (Gibraltar of India) कहा जाता है।
  • स्थान: गोपाचलनामक पर्वत (गोप + अचल = गोप पर्वत) ग्वालियर शहर, मध्य प्रदेश।
  • निर्माण: 525 ईसवी में तोमर राजवंश के शासक सूरज सेन द्वारा
  • किले की वास्तुकला शैली: यह किला वास्तुकला की राजपूत, मुगल एवं हिंदू शैली का एक अनूठा मिश्रण प्रदर्शित करता है।
  • किले में स्थित प्रसिद्ध स्मारक एवं कलाकृतियाँ
    • चतुर्भुज मंदिर: मंदिर की दीवार पर शून्य (0) अंक को उत्कीर्ण किया गया है (जो शून्य लिखने का दूसरा सबसे पुराना ज्ञात उदाहरण है)।
    • सास बहू (सहस्त्रबाहु) मंदिर: भगवान विष्णु को समर्पित, जिसे ग्वालियर के कच्छपघाट राजवंश के राजा महिपाल ने 1092-93 ई. में बनवाया था।
    • तेली का मंदिर (द्रविड़ शैली की वास्तुकला): प्रतिहार राजा मिहिर भोज द्वारा निर्मित।
    • गुरुद्वारा दाता बंदी छोर‘ (Data Bandi Chhor): जहाँ छठे सिख गुरु हरगोबिंद साहिब को मुगल सम्राट जहाँगीर ने गिरफ्तार कर बंदी बना लिया था।
    • सिद्धाचल जैन मंदिर गुफाओं का निर्माण 7वीं से 15वीं शताब्दी में हुआ था। ग्वालियर के किले के अंदर जैन तीर्थंकरों को समर्पित ग्यारह जैन मंदिर हैं।
    • प्रसिद्ध महल एवं मंदिर: गुजरी महल, मन मंदिर
    • प्रभावशाली प्राचीर एवं प्रवेश द्वार यहाँ की विशेषताएँ हैं।

धमनार के ऐतिहासिक स्थापत्य समूह

  • स्थान: धमनार की गुफाएँ मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के धमनार गाँव के पास अवस्थित हैं।
  • निर्माण: 5वीं-7वीं शताब्दी ई. पू.।
  • ऐतिहासिक अन्वेषण: वर्ष 1821 में जेम्स टॉड, वर्ष 1845 में जेम्स फर्ग्यूसन एवं वर्ष 1864-65 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा अन्वेषण किया गया।
  • विस्तार
    • ये गुफाएँ 5.2 हेक्टेयर में फैली हुई हैं, इनमें 51 गुफाएँ (14 बड़ी गुफाएँ एवं 37 छोटी गुफाएँ) शामिल हैं, जिन्हें एक लेटेराइट चट्टान को काटकर तैयार किया गया है।
    • दो मुख्य समूह मौजूद हैं: बौद्ध गुफाओं की शृंखला तथा हिंदू मंदिर परिसर जिसे धर्मराजेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
  • गुफा की विशेषताएँ
    • बारी कचेरी (बड़ा प्रांगण) एवं भीमा बाजार उत्कृष्ट गुफाएँ हैं।
      • बारी कचेरी गुफा 20 फीट वर्गाकार है एवं इसमें एक स्तूप तथा चैत्य शामिल है।
      • बरामदे में लकड़ी की वास्तुकला के साथ एक पत्थर की रेलिंग है।
    • गुफाएँ आवास, हॉल, स्तूप एवं बुद्ध की मूर्तियों के साथ आकार तथा कार्य में भिन्न हैं।
    • इस स्थान पर गौतम बुद्ध की बैठी हुई एवं निर्वाण मुद्रा में विशाल मूर्तियाँ मौजूद हैं।
    • अन्य उल्लेखनीय विशेषताओं में बड़े दरवाजे, खिड़की शामिल हैं।
  • मंदिर परिसर: गुफा संख्या 12 के उत्तर में 170 फीट की दूरी पर स्थित, इसमें एक बड़ा हॉल, लकड़ी जैसे स्तंभ एवं पीछे की ओर एक स्तूप शामिल है।
  • उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य
    • उल्लेखनीय कारीगरी: 5वीं-7वीं शताब्दी के बीच निर्मित, गुफाएँ उल्लेखनीय कारीगरी का प्रदर्शन करती हैं।
    • सहिष्णुता का प्रतीक: वे बौद्ध एवं हिंदू वास्तुकला के तत्त्वों का प्रदर्शन करते हैं, जो सहिष्णुता का प्रतीक है।
    • अन्य समान साइटों के साथ तुलनीय: एलोरा, भीमबेटका, इथियोपिया के लालिबेला, श्रीलंका के रंगिरी दांबुला एवं चीन के युंगांग ग्रोटो।
भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर

  • परमार राजा भोज के नाम पर इसेपूर्व का सोमनाथ कहा जाता है।
    • राजा भोज अपने स्थापत्य ग्रंथ, समरांगणसूत्रधार (Samaranganasutradhara) के लिए जाने जाते थे।
    • परमार राजवंश: 9वीं -14वीं शताब्दी के दौरान मालवा क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों पर शासन किया।
  • स्थित: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेतवा नदी के तट पर अवस्थित।
  • निर्माण अवधि: 1010-1053 ई. के बीच राजा भोज द्वारा एक पहाड़ी पर निर्मित।
  • समर्पित मंदिर: भगवान शिव को।
  • मंदिर वास्तुकला के बारे में
    • भूमिजा शैली के मंदिर (द्रविड़ शैली से प्रभावित, इनमें ऊँचे शिखर एवं अलंकृत नक्काशी है।)
    • विशाल लिंगम्: मंदिर की सबसे उल्लेखनीय विशेषता इसका विशाल लिंगम् है, जिसकी ऊँचाई लगभग 2.3 मीटर एवं परिधि 5.4 मीटर है, जो लगभग 8 मीटर ऊँचे एक वर्गाकार आसन पर अवस्थित है। 
    • विशेषताएँ
      • यह असाधारण वास्तुशिल्प रचनात्मकता एवं भव्यता का उदाहरण है, जो परमार राजवंश के इंजीनियरिंग कौशल को दर्शाता है।
      • प्राचीन भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक एवं धार्मिक प्रथाओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करना।
    • समान गुणों के साथ तुलना
      • पैमाने और भव्यता में तंजावुर के बृहदीश्वर मंदिर जैसा दिखता है।

चंबल की घाटी के रॉक कला स्थल (क्रमिक नामांकन)

  • इसे यूनेस्को द्वारा सीरियल नामांकन के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह दो या दो से अधिक राज्यों की सीमाओं तक फैला हुआ है।
    • इसलिए, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के विभिन्न जिलों के 9 समूहों में कई रॉक कला स्थलों का विस्तार किया गया है।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं भौगोलिक विशेषताएँ
    • चंबल नदी मालवा ट्रैप जोन से निकलती है, इसकी सहायक नदियाँ अरावली एवं विंध्य पहाड़ियों से होकर बहती हैं।
    • बेसिन में मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं, जिनमें विविध भू-विज्ञान तथा भू-आकृति विज्ञान परिदृश्य शामिल हैं।
  •  चंबल घाटी रॉक कला की विशेषताएँ
    • सभ्यतागत साक्ष्य: चंबल घाटी क्षेत्र में पुरापाषाण काल ​​से लेकर प्रारंभिक ऐतिहासिक काल तक की सभ्यताएँ फैली हुई हैं।
    • पारंपरिक प्रथाओं में निरंतरता: आधुनिक अर्द्ध-घुमंतू बंजारा समुदाय बेसिन की रॉक कला में चित्रित पारंपरिक प्रथाओं को आज भी अपनाए हुए है।
    • रॉक कला स्थलों को खतरा: मानव-संबंधित गतिविधियाँ, जैसे उत्खनन एवं वनों की कटाई, चंबल घाटी क्षेत्र में रॉक कला स्थलों के संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करती हैं।
  • समान गुणों के साथ तुलना
    • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, जैसे गोबस्टन एवं भीमबेटका रॉक शेल्टर, रॉक कला के पुरातात्त्विक महत्त्व से संबंधित समान मानदंड साझा करते हैं।
    • टैड्रार्ट अकाकस (Tadrart Acacus), कोंडोआ रॉक-आर्ट साइट्स एवं हिमा सांस्कृतिक क्षेत्र (Hima Cultural Area) जैसी अन्य नामित साइटें दुनिया भर में विविध रॉक कला परंपराओं को उजागर करती हैं।

खूनी भंडारा, बुरहानपुर

  • भूमिगत जल प्रबंधन प्रणाली: यह अपनी तरह की एक जल आपूर्ति प्रणाली है जिसे खूनी (Khooni) या कुंडी भंडारा (Kundi Bhandara) कहा जाता है।
  • स्थित: यह बुरहानपुर में अवस्थित है, जिसका निर्माण 407 वर्ष पहले किया गया था एवं यह अभी भी स्थानीय लोगों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है।
  • निर्माण: 1615 ईसवी में बुरहानपुर के शासक अब्दुल रहीम खानखाना (Abdul Rahim Khankhana) द्वारा।
  • उद्देश्य एवं निर्माण: मुगल शासन के दौरान रणनीतिक महत्त्व के कारण बुरहानपुर की बढ़ती आबादी के सामने आने वाले जल संकट को दूर करने के लिए इस प्रणाली का निर्माण किया गया था।
  • तकनीकी नवाचार: फारसी कानात प्रणालियों (Persian Qanat Systems) से प्रेरित होकर, खूनी भंडारा ने पास की सतपुड़ा पहाड़ियों से भूजल का भंडारण करने एवं इसे भूमिगत नलिकाओं तथा जलाशयों में संगृहीत करने के लिए परिष्कृत इंजीनियरिंग का उपयोग किया।
मंडला के गोंड स्मारक (रामनगर)

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
    • गोंडवाना, ऐतिहासिक रूप से गोंड जनजाति का आवास स्थल है, जिसमें वर्तमान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल हैं।
    • 1300 ईसवी से 1789 ईसवी तक शासन करने वाले गढ़ा-मंडला जैसे प्रमुख साम्राज्य गोंडवाना के भीतर उभरे, जिन्होंने गोंड संस्कृति को राजनीतिक शासन के साथ मिश्रित किया गया।
  • वास्तुशिल्प परिसर
    • गोंड शासक ह्रदय शाह द्वारा निर्मित उल्लेखनीय स्मारक: मोती महल, रायभगत की कोठी, विष्णु मंदिर, बेगम महल एवं दलबदल महल शामिल हैं।
    • मोती महल: 1667 ईसवी में गोंड राजा हृदय शाह द्वारा निर्मित, यह नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित है, जो एक केंद्रीय प्रांगण, मेहराबदार स्तंभों एवं विस्तृत जल निकासी प्रणालियों के साथ मुगल तथा राजपूत वास्तुशिल्प प्रभावों को प्रदर्शित करता है।

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