100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

गिग इकोनॉमी/गिग अर्थव्यवस्था

Lokesh Pal March 19, 2024 06:26 239 0

संदर्भ

हाल ही में कई भारतीय शहरों में प्रिजनर्स ऑन व्हील्स (Prisoners on Wheels) शीर्षक से आयोजित एक सर्वेक्षण 10,000 से अधिक कैब ड्राइवरों और डिलीवरी पर्सन के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।

संबंधित तथ्य 

  • संचालनकर्ता: यह अध्ययन पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-आधारित ट्रांसपोर्ट वर्कर्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।
  • सर्वेक्षण भागीदारी: कुल मिलाकर आठ शहरों (दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलूरु, मुंबई, लखनऊ, कोलकाता, जयपुर और इंदौर) में 5,302 कैब ड्राइवरों और 5,028 डिलीवरी पर्सन ने 50 प्रश्नों वाले सर्वेक्षण में भाग लिया।

    • 78% उत्तरदाता 21 से 40 वर्ष के आयु वर्ग के थे।
  • भारत की बढ़ती गिग अर्थव्यवस्था में चुनौतियाँ: भारत में गिग अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, फिर भी पिरामिड के निचले स्तर पर कार्यरत व्यक्तियों को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
    • इस सर्वेक्षण में काम का बोझ, वित्तीय संघर्ष, जातिगत भेदभाव और मनमानी कार्य संस्कृतियों की तस्वीर सामने आई।

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष

  • कम वेतन और कार्य के अधिक घंटे: इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 43% से अधिक प्रतिभागी अपनी सभी लागतों को काटने के बाद प्रतिदिन ₹500 या प्रति माह ₹15,000 से कम कमाते हैं।
    • उन्होंने बताया कि दिन में 10 घंटे से अधिक काम करने के बावजूद, ड्राइवरों और डिलीवरी पर्सन को पूर्णकालिक कर्मचारी का दर्जा या नौकरी की सुरक्षा नहीं मिल सकती है।
  • कोई साप्ताहिक छुट्टी नहीं: काम का अधिक बोझ भी अधिकांश लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण है, जिसमें 41% ड्राइवरों और 48% डिलीवरी पर्सन ने बताया कि वे सप्ताह में एक दिन भी छुट्टी लेने में असमर्थ हैं।
    • कार्य-जीवन संतुलन की यह कमी परिवार के साथ बिताए गए सीमित समय (कैब ड्राइवरों के लिए 67% और डिलीवरी कर्मियों के लिए 65%) में तब्दील हो जाती है।
  • किराये से असंतोष: कम कमाई का प्रमुख कारण अनुचित किराया, कमीशन दरें और एग्रीगेटर कंपनियों द्वारा मनमानी कटौती है।
    • लगभग एक-तिहाई उत्तरदाताओं ने बताया कि कंपनियाँ प्रति सवारी 31 से 40 प्रतिशत कमीशन दर की कटौती कर रही हैं, जबकि कंपनियों द्वारा आधिकारिक तौर पर दावा किया गया आँकड़ा 20 प्रतिशत है।
  • खर्च कमाई से अधिक: 68% कैब ड्राइवरों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि उनका कुल खर्च उनकी कमाई से अधिक है।
  • सामाजिक असमानताएँ: सामाजिक असमानताएँ स्थिति को बदतर बनाती हैं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 60 प्रतिशत से अधिक ड्राइवर प्रतिदिन 16 घंटे से अधिक काम करते हैं, जबकि अनारक्षित श्रेणी में यह आँकड़ा 16 प्रतिशत है।
    • ये आय असमानताएँ पहले से मौजूद सामाजिक असमानताओं को और बढ़ा देती हैं और इन समुदायों के भीतर गरीबी और आर्थिक संकट के चक्र को कायम रखती हैं।
  • शारीरिक थकावट और सड़क सुरक्षा जोखिम: अध्ययन में पाया गया कि काम के कठिन घंटों के कारण ड्राइवर शारीरिक रूप से थक जाते हैं और सड़क यातायात दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
    • यह विशेष रूप से कुछ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों की ‘दरवाजे पर 10 मिनट में डिलीवरी‘ नीति के कारण है, जो लगभग 86 प्रतिशत डिलीवरी कर्मियों के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
  • बिगड़ता स्वास्थ्य: समय की कमी के कारण थकान हो रही है और इन श्रमिकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि 99.3 प्रतिशत ड्राइवरों ने घुटने के दर्द, पैर दर्द, सिर दर्द और पीठ दर्द जैसे एक या अधिक प्रकार के शारीरिक स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में सूचना दी है।
    • 98.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस कार्य के परिणामस्वरूप एक या अधिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की सूचना दी, जिनमें चिंता, तनाव, घबराहट, चिड़चिड़ापन आदि शामिल हैं।
  • कार्यस्थल पर हिंसा: लगभग आधे कैब ड्राइवरों (47.1%) और 41% से अधिक डिलीवरी पर्सन ने कार्यस्थल पर हिंसा के बारे में भी सूचना दी है।

गिग इकोनॉमी/गिग अर्थव्यवस्था के बारे में

  • गिग इकोनॉमी एक श्रम बाजार आधारित अर्थव्यवस्था है, जो पूर्णकालिक स्थायी कर्मचारियों के बजाय स्वतंत्र ठेकेदारों और फ्रीलांसरों पर निर्भर करती है।
  • हाल के वर्षों में, वैश्विक नौकरी बाजार में गिगिफिकेशन या गिग मॉडल को अपनाने के साथ एक परिवर्तनकारी बदलाव देखा गया है, जिससे काम करने के तरीके को नया आकार दिया जा रहा है। उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:-
    • फ्रीलांसर जिन्हें प्रति कार्य भुगतान प्राप्त होता है।
    • स्वतंत्र ठेकेदार जो काम करते हैं और अनुबंध-दर-अनुबंध के आधार पर भुगतान प्राप्त करते हैं।
    • प्रोजेक्ट-आधारित श्रमिक जिन्हें प्रोजेक्ट द्वारा भुगतान मिलता है।
    • अस्थायी कर्मचारी जो निश्चित समय के लिए नियोजित होते हैं।
    • अंशकालिक कर्मचारी जो पूर्णकालिक घंटों से कम काम करते हैं।

गिग अर्थव्यवस्था का वर्गीकरण

  • प्लेटफॉर्म-आधारित: वे राइड-हेलिंग, फूड डिलीवरी, ई-कॉमर्स, ऑनलाइन फ्रीलांसिंग आदि जैसे काम खोजने और निष्पादित करने के लिए ऑनलाइन ऐप या डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
  • गैर-प्लेटफॉर्म-आधारित गिग श्रमिक: वे पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से हटकर काम करते हैं, जैसे- निर्माण, घरेलू कार्य, कृषि आदि क्षेत्रों में आकस्मिक वेतन श्रमिक और स्वयं के खाते वाले श्रमिक (यह ‘स्व-रोजगार’ की एक उपश्रेणी है)।

गिग इकोनॉमी के लाभ

  • श्रमिकों के लिए: गिग अर्थव्यवस्था अधिक लचीलापन, स्वायत्तता, आय के अवसर, कौशल विकास एवं समावेशन प्रदान कर सकती है।
  • नियोक्ताओं के लिए: यह प्रतिभा के एक बड़े और विविध पूल तक पहुँच, कम निश्चित लागत, उच्च स्केलेबिलिटी और बेहतर ग्राहक संतुष्टि को सक्षम कर सकती है।
  • ग्राहकों के लिए: यह अधिक विकल्प, सुविधा, गुणवत्ता और सामर्थ्य प्रदान कर सकती है।

भारत में गिग अर्थव्यवस्था

  • वर्तमान स्थिति: नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2020-21 में 77 लाख (7.7 मिलियन) कर्मचारी गिग इकोनॉमी में लगे हुए थे और कार्यबल के वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ (23.5 मिलियन) श्रमिकों तक विस्तारित होने की उम्मीद है।
    • लगभग 47 प्रतिशत गिग कार्य मध्यम-कुशल नौकरियों से संबंधित हैं, लगभग 22 प्रतिशत उच्च कुशल नौकरियों में है और लगभग 31 प्रतिशत कम-कुशल नौकरियों में है।
  • चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR): एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) की रिपोर्ट है कि भारत की गिग अर्थव्यवस्था सालाना 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रही है।
  • विकास की संभावनाएँ: भारत में 100 मिलियन से अधिक बेरोजगार व्यक्तियों का विशाल प्रतिभा पूल एक आकर्षक अवसर प्रदान करता है।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश की प्राप्ति में महत्त्व: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कामकाजी उम्र वाली आबादी के साथ, भारतीय कार्यबल का आकार वर्ष 2049 तक बढ़ता रहेगा।
    • यह 960 मिलियन संभावित श्रमिकों के साथ जनसांख्यिकीय लाभांश को साकार करने में मदद कर सकता है।
  • भारत में उदाहरण: ओला, उबर, स्विगी, जोमैटो आदि जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म।

गिग श्रमिकों के अधिकारों की वैश्विक तुलना

  • कैलिफोर्निया, अमेरिका: कैलिफोर्निया में, प्रस्ताव 22, जो उबर, लिफ्ट और डोरडैश जैसे गिग प्लेटफॉर्मों को अपने गिग श्रमिकों को कर्मचारियों के रूप में वर्गीकृत करने से छूट देता है, को मार्च 2023 में बरकरार रखा गया, जो गिग कंपनियों की सफलता का प्रतीक है।
    • प्रस्ताव 22 में गिग श्रमिकों को यूनियन बनाने से रोकने वाले कुछ प्रावधान शामिल हैं, जिन्हें न्यायालय ने रद्द कर दिया है।
  • यूके: उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2021 में एक ऐतिहासिक फैसले में निर्णय दिया कि उबर ड्राइवर ‘श्रमिक‘ हैं, न कि ‘स्वतंत्र ठेकेदार‘ (Independent Contractors)।
  • जर्मनी: अस्थायी रोजगार अधिनियम गिग श्रमिकों के लिए समान वेतन और समान व्यवहार का प्रावधान करता है।

भारत में गिग इकोनॉमी नियामक ढाँचा

  • केंद्रीय विधान
    • वेतन संहिता, 2019: गिग श्रमिकों सहित सभी संगठित और असंगठित क्षेत्रों को एक सार्वभौमिक न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाना चाहिए।
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इसके तहत गिग श्रमिकों को एक नई व्यावसायिक श्रेणी के रूप में मान्यता प्रदान की जाती है।
      • इसे लागू नहीं किया गया है क्योंकि सरकार ने अभी तक नियम नहीं बनाए हैं।
    • समर्पित सामाजिक सुरक्षा कोष: यह गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करता है।
    • मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशा-निर्देश, 2020: इसके तहत, गिग श्रमिक वर्ष 2020-21 को आधार वर्ष मानते हुए और प्रत्येक वर्ष 5% की वृद्धि के साथ 15 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस और 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा पाने के हकदार हैं।
      • गिग श्रमिकों के अत्यधिक काम के घंटों पर अंकुश लगाने के लिए, दिशा-निर्देशों में सिफारिश की गई है कि प्रत्येक ड्राइवर को एक कैलेंडर दिन में 12 घंटे से अधिक के लिए लॉग इन नहीं किया जाना चाहिए, जिसमें वे सभी एग्रीगेटर ऐप भी शामिल हैं, जिनके साथ वे एकीकृत हैं।
      • यदि श्रमिक 12 घंटे तक लॉग इन रहते हैं तो 10 घंटे का ब्रेक अनिवार्य था।
    • राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम 2023: इसमें खाद्य वितरण और सवारी साझाकरण (Ride Sharing) जैसे इसके दायरे में आने वाले ऐप्स पर ग्राहक द्वारा किए गए प्रत्येक लेनदेन पर 1%-2% का कल्याण कर (welfare tax) लगाकर एक सामाजिक सुरक्षा कोष स्थापित करने का प्रस्ताव है।
      • राज्य सरकार के अनुदान और गिग श्रमिकों के योगदान को भी फंड में जमा किया जाएगा।
    • कर्नाटक गिग वर्कर्स (सेवा और कल्याण की शर्तें) विधेयक, 2024: मसौदा राजस्थान के कानून पर आधारित है, लेकिन इसमें श्रमिकों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिए अधिक प्रावधान हैं।
      • इसने राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 में कुछ कमियों की पहचान की, जैसे- आय सुरक्षा सुनिश्चित करना, एग्रीगेटर्स पर जुर्माना लगाना और एग्रीगेटर्स को श्रमिकों की व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए जवाबदेह बनाना आदि।

भारत में गिग इकोनॉमी से जुड़ी चिंताएँ

  • स्वैच्छिक बेरोजगारी में वृद्धि: इससे स्वैच्छिक बेरोजगारी में वृद्धि हुई है क्योंकि कुछ श्रमिक पारंपरिक रोजगार की तुलना में गिग कार्य के लचीलेपन एवं स्वायत्तता को पसंद करते हैं।
  • कार्य-जीवन संतुलन को बाधित करना: कामकाजी कार्यक्रमों का लचीलापन वास्तव में कार्य-जीवन संतुलन, नींद के पैटर्न और दैनिक जीवन की गतिविधियों को बाधित कर सकता है।
    • इसका मतलब अक्सर यह होता है कि श्रमिकों को अपनी अन्य जरूरतों की परवाह किए बिना किसी भी समय प्रोजेक्ट आने पर खुद को उपलब्ध रखना होता है और हमेशा अगले प्रोजेक्ट की तलाश में रहना होता है।
  • नौकरी की असुरक्षा: भारत में गिग श्रमिकों में अक्सर नौकरी की सुरक्षा का अभाव होता है, क्योंकि वे आम तौर पर स्थायी कर्मचारियों के बजाय किसी प्रोजेक्ट या असाइनमेंट के आधार पर लगे होते हैं।
  • औपचारिकता का अभाव: भारत में कई गिग श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जो ऋण, सरकारी सहायता कार्यक्रमों और अन्य संसाधनों तक पहुँचने की उनकी क्षमता को सीमित कर सकता है।
  • कानूनी सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा का अभाव: गिग श्रमिक भारत के श्रम कानूनों के अंतर्गत नहीं आते हैं और कार्यस्थल पर उत्पीड़न, भेदभाव या अनुचित समाप्ति के मामले में उन्हें कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती है।
    • गिग श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा, सेवानिवृत्ति लाभ और सवैतनिक अवकाश जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुँच नहीं है।
  • असमान सौदेबाजी की शक्ति: भारत में गिग श्रमिकों के पास उचित मुआवजे और कामकाजी परिस्थितियों पर बातचीत करने के लिए सौदेबाजी की शक्ति का अभाव हो सकता है, खासकर जब वे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अन्य श्रमिकों के एक बड़े समूह के खिलाफ प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हों।
  • प्रशिक्षण और अपस्किलिंग: कई गिग श्रमिकों में अपना काम प्रभावी ढंग से करने के लिए आवश्यक कौशल की कमी होती है। गिग श्रमिकों के पास अक्सर कौशल बढ़ाने और कॅरियर में उन्नति के सीमित अवसर होते हैं।
  • सामाजिक रूप से अप्रतिष्ठित: भारत में कुछ लोगों द्वारा गिग कार्य को अभी भी एक अस्थायी या कम भुगतान वाले विकल्प के रूप में देखा जाता है। इसे सामाजिक रूप से अप्रतिष्ठित माना जाता है और गिग श्रमिकों द्वारा किए गए काम को मान्यता मिलने की संभावना कम रहती है।
  • भुगतान, प्रोत्साहन और विकास मॉडल: न्यूनतम वेतन गारंटी का अभाव श्रमिकों को संकट/आपदा के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के प्रति संवेदनशील बनाता है।

भारत में गिग वर्कर्स पर नीति आयोग की सिफारिशें

  • गिग श्रमिकों का उचित अनुमान: गिग अर्थव्यवस्था के आकार और गिग श्रमिकों की विशिष्ट विशेषताओं का अनुमान लगाने के लिए अलग-अलग गणना अभ्यास करना।
  • कैटालाइज प्लेटफाॅर्माइजेशन (Catalyse Platformization): प्लेटफॉर्म इंडिया पहल (स्टार्टअप इंडिया के समान) का परिचय देना, जो सरलीकरण और हैंडहोल्डिंग, फंडिंग समर्थन तथा प्रोत्साहन, कौशल विकास एवं सामाजिक वित्तीय समावेशन द्वारा त्वरित प्लेटफाॅर्माइजेशन के स्तंभों पर बनाया गया है।
  • वित्तीय समावेशन में तेजी लाना: विशेष रूप से प्लेटफॉर्म श्रमिकों और अपने स्वयं के प्लेटफॉर्म स्थापित करने में रुचि रखने वालों के लिए डिजाइन किए गए वित्तीय उत्पादों के माध्यम से संस्थागत ऋण तक पहुँच बढ़ाना।

सर्वेक्षण द्वारा सुझाई गई आगे की राह

  • नियमित घंटों से परे ओवरटाइम भुगतान: इस कार्य की भौतिक रूप से गहन प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, ‘नियमित’ घंटों की संख्या निर्धारित करने की आवश्यकता है, जिसके बाद प्लेटफॉर्म को ओवरटाइम का भुगतान करना होगा।
  • प्लेटफॉर्म श्रमिकों को न्यूनतम वेतन का भुगतान: गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को कर्मचारियों के रूप में माना जाना चाहिए।
    • उनके काम के घंटों पर एक सीमा लगाने और सरकारी रिकॉर्ड में श्रमिकों के अनिवार्य पंजीकरण के अलावा, उन्हें राज्य के न्यूनतम वेतन, बीमा और सुरक्षा लाभ के बराबर दैनिक सुनिश्चित आय दी जानी चाहिए।
  • गिग श्रमिकों के लिए काम के लचीलेपन को बनाए रखना: गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के डिजाइन में काम के लचीलेपन को बनाए रखना चाहिए।
    • गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा में भाग लेने का विकल्प स्वैच्छिक होना चाहिए।
    • सवैतनिक समय-अवकाश या ‘अवैतनिक’ अवकाश विकल्प इन श्रमिकों की पात्रता को प्रभावित नहीं करना चाहिए। उन्हें व्यक्तिगत आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए मापदंडों के भीतर कार्यक्रम समायोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
  • ऐप-आधारित श्रमिकों के लिए मजबूत सामाजिक सुरक्षा: सरकार को ऐसे श्रमिकों की निगरानी के लिए प्लेटफॉर्मों द्वारा उपयोग किए जाने वाले एल्गोरिदम और तंत्र की निष्पक्षता पर निगरानी रखने की आवश्यकता है।
    • यह महत्त्वपूर्ण है कि ऐप्स एल्गोरिदम, प्रोत्साहन प्रणाली और भुगतान तंत्र के संदर्भ में पारदर्शी रूप से कार्य करना।
    • एग्रीगेटर्स को अपने गिग श्रमिकों की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है और इन अनौपचारिक श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभों की पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के अनुसार, एक एग्रीगेटर का मतलब किसी सेवा के खरीदार या उपयोगकर्ता के लिए विक्रेता या सेवा प्रदाता से जुड़ने के लिए एक डिजिटल मध्यस्थ या बाजार स्थान है।
  • गिग श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड: गिग श्रमिकों के कल्याण के लिए इसे स्थापित करने की आवश्यकता है और एग्रीगेटर्स के लिए बोर्ड को सभी पंजीकृत गिग श्रमिकों का विवरण प्रदान करना अनिवार्य होना चाहिए।
  • बोर्ड के साथ श्रमिकों के स्वत: पंजीकरण का प्रावधान महत्त्वपूर्ण है क्योंकि श्रमिकों को अक्सर इसके बारे में पता नहीं होता है।
  • व्यावसायिक स्वास्थ्य खतरों को संबोधित करना: आवश्यक सुरक्षा प्रशिक्षण देना, विशेष रूप से अंतर्निहित जोखिम वाली भूमिकाओं के लिए और सुरक्षा उपकरण तथा संसाधन अस्थायी श्रमिकों को प्रोत्साहित करने में काफी मदद कर सकते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करना: कंपनियों को वेलनेस आर्टिकल्स, मानसिक स्वास्थ्य जानकारी और कर्मचारी सहायता कार्यक्रम (EAP) तक पहुँच प्रदान करनी चाहिए।
    • प्रासंगिक संगठनों के साथ साझेदारी करने से उन्हें गिग श्रमिकों को रियायती सेवाएँ देने में मदद मिल सकती है।
  • हितधारकों को मानसिक स्वास्थ्य और सहायता माँगने के बारे में खुली और ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहित करना चाहिए तथा कार्य-जीवन संतुलन एवं ब्रेक लेने के महत्त्व को सामान्य बनाना चाहिए।

राज्य द्वारा सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • बेंगलूरु ऑटो ड्राइवर्स यूनियन के लिए नम्मा यात्री (Namma Yatri): यह ड्राइवर के अनुभव को सेवा ऐप के केंद्र में रखता है, बिचौलिए को खत्म करता है और ड्राइवरों को सीधे भुगतान की अनुमति देता है।
  • रेजॉय ऐप (Rezoy App): इसे केरला होटल्स एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान कोच्चि में छोटे और मध्यम आकार के रेस्तराँ के हितों की रक्षा के लिए आपूर्ति पक्ष नवाचार के रूप में शुरू किया गया था।
    • उस समय, रेस्तराँ व्यवसाय स्विगी-जोमैटो एकाधिकार द्वारा वसूले जाने वाले उच्च कमीशन से निराश थे।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.