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एमआईआरवी बढ़त जो भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है (The MIRV leap that fires up India’s nuclear deterrence)

Lokesh Pal March 19, 2024 05:30 127 0

संदर्भ:

अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल जिसे “दिव्यास्त्र” भी कहा जाता है के परीक्षण को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा आयोजित किया गया था, जो रणनीतिक रूप से काफी  लाभकारी है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: एमआईआरवी प्रोद्योगिकी, अग्नि 5 और मिशन दिव्यास्त्र के बारे में।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीयकरण और नई तकनीक का विकास।

पृष्ठभूमि:

  • अग्नि-5 के बारे में: 5,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज।
  • यह भारत द्वारा अब तक किए गए परीक्षणों में सबसे लंबी दूरी की मिसाइल है और भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण बैलिस्टिक मिसाइल है।
  • इसके परिक्षण से भारत की परमाणु निवारक क्षमता बढ़ गई है क्योंकि यह संस्करण मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल्स (MIRV) के साथ एकीकृत है।
  • अग्नि-5 कितने आयुध ले जा सकता है:  इसकी सटीक संख्या अभी तक वर्गीकृत नहीं है, लेकिन पता चलता है कि तकनीकी सीमाओं के कारण इसके तीन से अधिक आयुध ले जाने की संभावना नहीं है।
  • उम्मीद है कि अग्नि-5 को रोड मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जाएगा।

भारत और एमआईआरवी प्रौद्योगिकी के बारे में:

  • एमआईआरवी के बारे में: मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) एक एक्सो-वायुमंडलीय बैलिस्टिक मिसाइल पेलोड है जिसमें कई वॉरहेड होते हैं, जिनमें से प्रत्येक एक अलग लक्ष्य को मारने में सक्षम होता है।
  • एमआईआरवी तकनीक भारत के लिए नई है: पाँच नामित परमाणु हथियार वाले देशों क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के पास पहले से ही एमआईआरवी सक्षम प्रोजेक्टाइल हैं जो उनके संबंधित परमाणु शस्त्रागार में एकीकृत हैं।
  • इसके परिक्षण के साथ भारत एमआईआरवी बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने वाले चुनिंदा देशों की सूचि में शामिल हो गया है।
  • जटिल तकनीकी मानदंड:
    • एमआईआरवी सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के निर्माण के लिए तकनीकी मानदंडों की आवश्यकता होती है, जिसमें शामिल हैं – 
      • परमाणु हथियार का लघुकरण। 
      • हल्के रिसेप्टेकल्स, सटीक विन्यास और पुन: प्रवेश वाहनों का पृथक्करण। 
      • वायुमंडलीय पुन: प्रवेश के दौरान स्पिन स्थिरीकरण इत्यादि ।
  • हाल के अग्नि-5 परीक्षण में भारत ने इन कठिन तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा कर लिया है।

भारत में एमआईआरवी विकास के दौरान आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं :

  • पर्याप्त परीक्षण की कमी की वजह से एमआईआरवी की उस स्थिति को कमजोर कर दिया, जिससे कि पुनः प्रवेश वाहनों को हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता था।
  • डीआरडीओ के प्रयास: डीआरडीओ और इसकी सभी प्रमुख सहयोगी एजेंसियाँ जैसे टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) जो मिसाइलों के साथ हथियारों को एकीकृत करने के लिए जिम्मेदार हैं और एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (ASL) ने अग्नि-5 के इस परीक्षण से स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है, ने इनको नियंत्रित कर लिया है । 

MIRV-टिप्ड मिसाइलों का महत्व:

  • एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने और बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा को बायपास करने की उनकी क्षमता के कारण महत्वपूर्ण।
  • निवारक के रूप में कार्य करता है: चीन HQ-19 इंटरसेप्टर जैसी बैलिस्टिक मिसाइल सुरक्षा विकसित कर रहा है, लेकिन भारत के अग्नि-5 जैसे IRBM के खिलाफ उनकी प्रभावशीलता अनिश्चित है।
  • भारत द्वारा अग्नि-5 पर कई हथियारों का एकीकरण चीन-भारत परमाणु निवारक संबंधों में संतुलन बनाए रखता है।

आगे की राह :

  • चीन को निशाना बनाने वाली एमआईआरवी क्षमता: चीनी मिसाइल रक्षा इंटरसेप्टर अग्नि-5 के लिए खतरा पैदा करते हैं, संभावित रूप से इसे मध्य-मार्ग अवरोधन के अधीन कर सकते हैं।
  • भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के तहत भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) ने विशेष रूप से चीन को लक्षित करते हुए एमआईआरवी क्षमता के लिए कॉम्पैक्ट परमाणु हथियार को सफलतापूर्वक डिजाइन किए हैं।
  • पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM): उम्मीद है कि भारत लंबी दूरी की पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का परीक्षण करके अपने परमाणु शस्त्रागार को और बढ़ाएगा, जिससे उसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

निष्कर्ष: हाल ही में भारत द्वारा अग्नि-5 एमआईआरवी मिसाइल का सफल परीक्षण भारत को विश्व के समक्ष अत्यधिक विश्वसनीय परमाणु और मिसाइल शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

News Source: The Hindu

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