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भारत की ‘संरक्षित’ बासमती चावल की किस्मों का पाकिस्तान द्वारा उत्पादन

Lokesh Pal March 21, 2024 06:30 359 0

संदर्भ

भारत की संरक्षितबासमती किस्मों के नाम में परिवर्तन कर पाकिस्तान में इसकी कृषि की जा रही है, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने इस पर कानूनी कार्रवाई की माँग की है।

संबंधित तथ्य

  • भारत में भले ही बासमती चावल का निर्यात अच्छी स्थिति में है, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने पाकिस्तान में इसकी किस्मों कीअवैधकृषि को खतरे में डाल दिया है।

पाकिस्तान में परिवर्तित नाम:

  •  ‘पूसा बासमती-1121’ (PB-1121)  की खेती पाकिस्तान में IARI किस्मों की अवैध बीज बिक्री से शुरू हुई।
    • इसके दानों की अतिरिक्त लंबाई (औसतन 8 मिमी. और पकाने पर लगभग 21.5 मिमी. तक) के लिए जानी जाने वाली इस किस्म को आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान में ‘PK 1121 एरोमैटिकके रूप में पंजीकृत किया गया है।

 बासमती चावल

  • बासमती की उत्पत्ति भारत (और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों) से हुई है; यह भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय की तलहटी में उगाई जाने वाली चावल की एक प्रीमियम किस्म है।
  • सार्वभौमिक रूप से इसे अपने लंबे एवं उभरे हुए दानों और अनूठी अंतर्निहित सुगंध एवं स्वाद के लिए जाना जाता है।
  • इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है।
  • बासमती चावल उगाए जाने वाले विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के साथ ही चावल की कटाई, प्रसंस्करण और परिपक्वता अवधि बासमती चावल की विशिष्टता में योगदान देते हैं।
  • अपनी अनूठी गुणवत्तापूर्ण विशेषताओं के कारण बासमती चावल का घरेलू एवं वैश्विक स्तर पर व्यापक रूप से उपभोग किया जाता है और इसकी कुल आपूर्ति में भारत की हिस्सेदारी दो-तिहाई है।
  • प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल होने तथा गैर-बासमती किस्मों की तुलना में इसकी अधिक कीमत होने के कारण बासमती चावल में आर्थिक लाभ के लिए विभिन्न प्रकार की मिलावट की जाती है, जिसमें चावल की अन्य गैर-बासमती किस्मों का अघोषित मिश्रण शामिल हो सकता है।

    • इसे ‘1121 कायनातबासमती के रूप में भी बेचा जा रहा है।
  • पाकिस्तान अन्य लोकप्रिय IARI-नस्ल की किस्में भी उगा रहा है, जैसे कि क्रमशः वर्ष 2010 और वर्ष 2013 में जारी पूसा बासमती-6 (PB-6) और पूसा बासमती-1509 (PB-1509) किस्में।
  • PB-1509, PB1121 और PB-6 के उन्नत संस्करण बैक्टीरियल ब्लाइटऔरराइस ब्लास्ट फंगलरोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।
    • इन तीनों किस्मों को वर्ष 2021 के अंत में जारी किया गया था, जिसमें IARI ने वर्ष 2022 के खरीफ (मानसून) सीजन में रोपण के लिए लगभग 2,000 किसानों को शुद्ध बीज की 1 किलोग्राम आपूर्ति की थी।

भारत का पक्ष

  • भारत में पैदा की जाने वाली सभी किस्मों को भारत के 7 उत्तरी राज्यों को कवर करते हुए बासमती चावल के आधिकारिक रूप से सीमांकित भौगोलिक संकेत क्षेत्र में खेती के लिए बीज अधिनियम, 1966 के तहत अधिसूचित किया गया है।
  • उन्हेंपौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001’ के तहत पंजीकृत किया गया है।
  • यह अधिनियम केवल भारतीय किसानों को किसी भी संरक्षित/पंजीकृत किस्मों के बीज बोने, बचाने, दोबारा बोने, विनिमय करने या साझा करने की अनुमति देता है।
  • यहाँ तक कि वे ब्रांडेड पैकेज्ड और लेबल्ड रूप में बीज बेचकर ब्रीडर के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।

पाकिस्तान में कैसे उगाईं गईं?

  • एक एकड़ में PB-1847 लगाने में केवल 5 किलोग्राम बीज लगते हैं।
  • बदले में, उस एकड़ में चार महीनों के भीतर लगभग 2,800 किलोग्राम अनाज पैदा होता है।
  • 10% प्रसंस्करण हानि को शामिल करने के बाद भी, इस अनाज का 2,500 किलोग्राम से अधिक हिस्सा अब आगे प्रजनन के लिए बीज के रूप में पुन: उपयोग करने योग्य है।
  • इस प्रकार, पाकिस्तानी बीज फर्मों को भारत में रिलीज के दो वर्ष के भीतर सीमापार के खेतों या पंजाब या हरियाणा की थोक मंडियों से कुछ किलोग्राम PB-1847 और PB-1885 अनाज खरीदने की जरूरत थी।

इन किस्मों से संबंधित भारत के व्यापारिक आँकड़े

  • भारत ने वर्ष 2022-23 में 4.79 बिलियन डॉलर मूल्य का 45.61 लाख टन (LT) बासमती चावल देश से बाहर भेजा।
  • अप्रैल-जनवरी 2022-23 में 36.56 लाख टन ($3.82 बिलियन) और अप्रैल-जनवरी 2023-24 में 41.05 लाख टन ($4.59 बिलियन) के साथ, निर्यात इस वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड 50 लाख टन और $5.5 बिलियन के स्तर को छू सकता है।
  • गौरतलब है कि खरीफ, 2023 के दौरान बोए गए अनुमानित 21.35 लाख हेक्टेयर बासमती क्षेत्र में से 89%, IARI-प्रजनित किस्मों से बोया गया था।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI)

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) कृषि विज्ञान में अनुसंधान और उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा और अग्रणी संस्थान है।
  • इसने प्रथम श्रेणी के अनुसंधान, उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के निर्माण और मानव संसाधनों के विकास के माध्यम से विज्ञान और समाज के हित में सेवा प्रदान की है।
  • इस संस्थान की स्थापना मूल रूप से भारत सरकार द्वारा वर्ष 1905 में पूसा गाँव में की गई थी ।
  • उत्तर बिहार में वर्ष 1934 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद वर्ष 1936 में इसे नई दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया । यही कारण है कि इसे पूसा इंस्टिट्यूटके नाम से जाना जाता है।

पाकिस्तान का आयात-निर्यात

  • पाकिस्तान का बासमती निर्यात वर्ष 2021-22 में 7.58 लाख टन ($694.55 मिलियन) और 2022-23 (जुलाई-जून) में 5.95 लाख टन ($650.42 मिलियन) से काफी कम है।
  • वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों में जुलाई-जनवरी 2022-23 की तुलना में इसके शिपमेंट की मात्रा (3.99 लाख टन, 24.3% अधिक) और मूल्य ($456.95 मिलियन, 35.6% अधिक) दोनों में उछाल देखा गया है।

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