100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024

Lokesh Pal March 22, 2024 04:41 607 0

संदर्भ 

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ने विश्व खुशहाली रिपोर्ट (World Happiness Report) 2024 जारी की है , जो खुशहाली के आधार पर राष्ट्रों को रैंक प्रदान करती है।

संबंधित तथ्य 

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सहमति व्यक्त की कि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद “खुशहाली का एक महत्त्वपूर्ण भविष्यवक्ता है, लेकिन यह एकमात्र कारक नहीं है”।
    • राष्ट्रों की खुशहाली की व्याख्या  करने वाले कारकों में सामाजिक समर्थन, जीवन प्रत्याशा, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार का अभाव शामिल है।

विश्व खुशहाली रिपोर्ट के बारे में

  • वार्षिक रिपोर्ट: यह एक वार्षिक रिपोर्ट है, जो 140 से अधिक राष्ट्रों में खुशहाली के स्तर का मूल्यांकन करती है और इसे अंतरराष्ट्रीय खुशहाली दिवस (20 मार्च) के उपलक्ष्य में प्रकाशित किया जाता है।
    • रैंकिंग का निर्धारण तीन वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्वकारी नमूनों के आधार पर किया जाता है।
    • छह विचारित कारक: सामाजिक समर्थन, आय (प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद), स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार का अभाव।
    • कैंट्रिल लैडर का उपयोग: उन्होंने कैंट्रिल लैडर (Cantril Ladder) नामक एक स्व-मूल्यांकन उपकरण के माध्यम से लोगों की जीवन संतुष्टि को भी मापा है।
      • कैंट्रिल लैडर उत्तरदाताओं से एक शृंखला के बारे में सोचने के लिए कहता है, जिसमें उनके लिए सर्वोत्तम संभव जीवन 10 है और सबसे खराब संभावित जीवन 0 है।
  • डेटा का स्रोत: डेटा गैलप वर्ल्ड पोल (Gallup World Poll) सहित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जाता है।
    • सहयोगियों में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क, गैलप और ऑक्सफोर्ड वेलबीइंग रिसर्च सेंटर शामिल हैं।
  • महत्त्व: यह सरकारी नीति के मानदंड के रूप में खुशहाली और कल्याण पर अधिक ध्यान देने की विश्वव्यापी माँग को दर्शाता है। यह आज दुनिया में खुशहाली की स्थिति की समीक्षा करता है और दिखाता है कि कैसे खुशहाली का विज्ञान व्यक्तिगत और राष्ट्रीय खुशहाली में भिन्नताओं की व्याख्या करता है।

अंतरराष्ट्रीय खुशहाली दिवस के बारे में

  • दिवस : प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को।
  • स्थापना : 28 जून 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा।
  • महत्त्व: यह दिवस व्यक्तिगत लक्ष्यों और आकांक्षाओं को निर्धारित करने और बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करने में खुशहाली के महत्त्व को रेखांकित करने पर केंद्रित है। यह सतत विकास, समग्र समृद्धि और गरीबी उन्मूलन को भी बढ़ावा देता है।
  • पृष्ठभूमि: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई, 2012 के अपने प्रस्ताव 66/281 में 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय खुशहाली दिवस घोषित किया था।
    • यह प्रस्ताव भूटान द्वारा लाया गया था, ध्यातव्य है कि भूटान ने 1970 के दशक की शुरुआत से राष्ट्रीय आय पर राष्ट्रीय खुशहाली के मूल्य को मान्यता दी थी और सकल राष्ट्रीय उत्पाद की बजाय सकल राष्ट्रीय खुशहाली के लक्ष्य को प्राथमिकता दी थी।

सतत विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solutions Network-SDSN) के बारे में:

  • यह एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसे वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 17 सतत विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था।
  • स्थापना: इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासचिव के तत्त्वावधान में की गई थी।

विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 की महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि:

  • शीर्ष 10 खुशहाली रैंकिंग:
    • दुनिया भर में: फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, इजरायल, नीदरलैंड, नॉर्वे, लक्जमबर्ग, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया
      • सूची में शीर्ष 10 राष्ट्र कोविड-19 महामारी से पहले से वही बने हुए हैं।
    • एशिया में: सिंगापुर, ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, चीन और मंगोलिया।
  • शीर्ष 20 के तहत पूर्वी यूरोप की उन्नति: हालाँकि शीर्ष 10 राष्ट्र काफी हद तक अपरिवर्तित रहे हैं, लेकिन शीर्ष 20 में बहुत अधिक बदलाव आया है,पूर्वी यूरोप के संक्रमण राष्ट्रों (विशेष रूप से चेक गणराज्य, लिथुआनिया और स्लोवेनिया) में खुशहाली बढ़ी है।

    • आंशिक रूप से इसी कारण से, अमेरिका और जर्मनी रैंकिंग में गिरकर 23 और 24वें स्थान पर आ गए हैं।
  • नॉर्डिक राष्ट्रों का शीर्ष रैंक पर दबदबा:
    • फिनलैंड, डेनमार्क और आइसलैंड क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर अपने शीर्ष स्थान को बरकरार रखे हुए हैं। स्वीडन चौथे स्थान पर रहा है।
    • कोस्टा रिका और लिथुआनिया क्रमशः 12 और 19वीं रैंक हासिल करके पहली बार शीर्ष 20 की सूची में शामिल हुए हैं।
  • अफगानिस्तान सबसे कम खुशहाल राष्ट्र बना हुआ है:
    • अफगानिस्तान ने दुनिया के सबसे दुखी राष्ट्र के रूप में अपना दर्जा बरकरार रखा है, उसके बाद लेबनान, लिसोथो, सिएरा लियोन और कांगो का स्थान है।
  • इजरायल की उच्च (5वीं) रैंक:
    • इजरायल में जारी हालिया संघर्ष के बावजूद, इजरायल ने रिपोर्ट में पाँचवाँ स्थान हासिल किया है।
    • कारण: यह रैंकिंग में उपयोग की जाने वाली तीन-वर्षीय औसत पद्धति के कारण है, जो हमास के साथ युद्ध जैसी विनाशकारी घटनाओं के तत्काल प्रभाव को कम करती है।
  • विशेष बदलाव: पहली बार, सबसे खुशहाल राष्ट्रों में अब दुनिया का कोई भी सबसे बड़ा राष्ट्र शामिल नहीं है, शीर्ष 10 में केवल 15 मिलियन से अधिक आबादी वाले नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया तथा शीर्ष 20 में 30 मिलियन से अधिक आबादी वाले कनाडा और यूके शामिल हैं।
    • रिपोर्ट के प्रकाशन के 12 वर्षों में पहली बार अमेरिका शीर्ष 20 सूची में शामिल होने से चूक गया।
  • परोपकार के स्तर: इसका आशय है कि लोगों में दूसरे जरूरतमंद लोगों की मदद करने की कितनी संभावना है, क्योंकि सामाजिक समर्थन की भावना जीवन संतुष्टि को प्रभावित करती है।
    • एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड के बाद सभी पीढ़ियों, खासकर 1980 के बाद जन्मे लोगों, यानी मिलेनियल्स और जनरेशन जेड (GEN Z) में दूसरों की मदद करने की भावना (Benevolence) बढ़ी है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि “अपने पूर्वजों की तुलना में यह पीढ़ियाँ जरूरतमंदों की मदद के लिए और भी ज्यादा तैयार हैं।”
  • तीव्र परिवर्तन: 2006-10 के बाद से, अफगानिस्तान, लेबनान और जॉर्डन में खुशहाली में गिरावट आई है , जबकि पूर्वी यूरोपीय राष्ट्रों सर्बिया, बुल्गारिया और लातविया में सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है।
  • खुशहाली की गतिशीलता में परिवर्तन : डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और आइसलैंड (सभी नॉर्डिक राष्ट्र), सर्वोच्च स्थान पर हैं, जबकि पुर्तगाल और ग्रीस में विपरीत प्रवृत्ति देखी गई है।

खुशहाली के शीर्ष पर फिनलैंड:

  • फिनलैंड की उच्च जीवन संतुष्टि निवासियों के प्रकृति के साथ मजबूत संबंध और स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन के कारण है।
  • वह वित्तीय लाभ से परे अन्य पहलुओं को प्राथमिकता देते हैं, एक मजबूत कल्याणकारी समाज, सरकारी संस्थानों में विश्वास, निम्न भ्रष्टाचार स्तर और सार्वभौमिक स्वास्थ्य तथा शिक्षा से लाभान्वित होते हैं।

भारत की रैंकिंग:

  • भारत 126वें स्थान पर रहा है (पिछले वर्ष के समान)।
    • भारत अपने पड़ोसी राष्ट्रों जैसे चीन से 60वें स्थान, उसके बाद नेपाल 93वें, पाकिस्तान 108वें और म्याँमार 118वें स्थान से पिछड़ गया है।
  • 30 वर्ष और उससे कम आयु: भारत 127वें स्थान पर है।
    • 60 वर्ष और उससे अधिक आयु: भारत 121वें स्थान पर है। यहाँ, अधिक उम्र का संबंध उच्च जीवन संतुष्टि से है।
    • वृद्ध भारतीय महिलाएँ: अधिक तनाव और स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, वह पुरुषों की तुलना में अधिक जीवन संतुष्टि की रिपोर्ट करती हैं।
    • वृद्ध भारतीय पुरुष: विशेष रूप से वह जो अधिक आयु वर्ग में हैं, वर्तमान में विवाहित हैं, और जिनके पास शिक्षा है, वह अपने समकक्षों की तुलना में अधिक जीवन संतुष्टि की रिपोर्ट करते हैं।
  • वैवाहिक स्थिति, सामाजिक संपर्क और शारीरिक कल्याण सहित कई तत्त्व बुजुर्ग भारतीयों के जीवन की संतुष्टि को प्रभावित करते हैं।
  • वृद्ध भारतीयों में, रहने की व्यवस्था से असंतोष, कथित भेदभाव और खराब आत्म-मूल्यांकित स्वास्थ्य जैसे कारक कम जीवन संतुष्टि से जुड़े हुए हैं।
  • जाति व्यवस्था और जीवन संतुष्टि के बीच सहसंबंध: यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि गैर-अनुसूचित जाति और गैर-अनुसूचित जनजाति के लोगों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लोगों की तुलना में जीवन संतुष्टि का स्तर अधिक पाया गया।
  • शिक्षा और जाति का प्रभाव: शिक्षा और जाति ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त वृद्ध और उच्च सामाजिक जातियों के लोगों ने अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त लोगों और अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों के लोगों की तुलना में जीवन संतुष्टि का उच्च स्तर बताया है।
  • क्षेत्रीय विविधताएँ: क्षेत्रीय रूप से, भारत के पश्चिमी हिस्सों के वृद्ध उत्तर-पूर्वी या मध्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक खुश थे।

वृद्ध जनसंख्या पर भारत की स्थिति:

  • भारत अपनी बुजुर्ग आबादी के मामले में विश्व स्तर पर (चीन के बाद) दूसरे स्थान पर है, जिसमें 60 और उससे अधिक उम्र के 14 करोड़ लोग हैं।
  • हालाँकि यह जनसांख्यिकीय बदलाव सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में प्रगति का प्रतीक है, लेकिन वृद्धावस्था के दौरान जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना सर्वोपरि है।

  • प्रसन्नता विभाग: मध्य प्रदेश भारत का पहला राज्य है, जिसके पास एक विभाग है, जो पूरी तरह से खुशहाली और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

रिपोर्ट में उभरती चिंताएँ

  • अंतराल में वृद्धि : दुनिया भर में, हर क्षेत्र में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में कम खुश थीं, उम्र बढ़ने के साथ लैंगिक अंतराल भी बढ़ता गया।
    • रिपोर्ट दुनिया भर में, विशेष रूप से वृद्ध व्यक्तियों और उप-सहारा अफ्रीका में खुशहाली में बढ़ती असमानता के बारे में चिंता व्यक्त करती है तथा आय, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सहायता प्रणालियों में विसंगतियों को उजागर करती है।
    • यूरोप को छोड़कर प्रत्येक क्षेत्र में खुशहाली की असमानता बढ़ रही है, इसमें पिछले 12 वर्षों में 20% से अधिक की वृद्धि हुई है।
  • विभिन्न आयु समूहों के बीच खुशहाली के रुझान: यह पहला संस्करण था जिसमें उम्र और पीढ़ियों के साथ जीवन संतुष्टि की अंतर्संबंधता पर ध्यान दिया गया।
    • 30 वर्ष और उससे कम आयु: लिथुआनिया, इजरायल, सर्बिया, आइसलैंड और डेनमार्क शीर्ष पाँच में हैं, फिनलैंड सातवें स्थान पर है।
    • 60 वर्ष और उससे अधिक आयु: डेनमार्क 60 से अधिक आयु वालों के लिए शीर्ष स्थान का दावा करता है।
  • बच्चों की खुशहाली में गिरावट: रिपोर्ट में चिंताजनक रूप से बच्चों की खुशी में गिरावट को रेखांकित किया गया है, खासकर उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में।
    • इस चिंताजनक प्रवृत्ति से निपटने के लिए नीतिगत कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है।
  • अकेलापन, एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा: अकेलापन एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है, खासकर अमेरिका में। आश्चर्यजनक रूप से, यह युवा पीढ़ी है, विशेष रूप से मिलेनियल्स, जो पुरानी जनसांख्यिकी की तुलना में अकेलेपन के उच्च स्तर की रिपोर्ट करते हैं।
    • मिलेनियल्स (Millennials) : इस शब्द का इस्तेमाल वर्ष 1981 से वर्ष 1996 के बीच जन्म लेने वाले व्यक्तियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, हालाँकि विभिन्न स्रोतों में एक या दो वर्ष का अंतर हो सकता है।

रिपोर्ट के साथ चुनौतियाँ

  • संसाधनों पर अंतर्निहित फोकस: रिपोर्ट “खुशहाली” और “जीवन संतुष्टि” शब्दों का परस्पर उपयोग करती है, इस प्रकार खुशहाली के स्कोर को व्यक्ति की आर्थिक और सामाजिक संसाधनों तक पहुँच के साथ जोड़ देती है।
  • स्व-घोषणा: अध्ययन में जीवन संतुष्टि स्व-रिपोर्ट की जाती है, इसलिए सामाजिक कलंक (Social Stigma) के भय से गलत रिपोर्टिंग की संभावना हमेशा बनी रहती है।

निष्कर्ष:

दलाई लामा ने सही कहा है,हमारे जीवन का उद्देश्य खुश रहना है”, इसलिए हमें उन सभी मुद्दों को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता है, जो हमारी खुशहाली में बाधा डालते हैं। भारत को भी फिनलैंड की उन प्रथाओं को अपनाकर इस दिशा में काम करने की जरूरत है, जो उसे शीर्ष सूची में लाने में मदद करती हैं और उन चुनौतियों का सामना करना चाहिए, जहाँ भारत इस सूची में पिछड़ रहा है। भारत को खुशहाली मंत्रालय की स्थापना करनी चाहिए जिसमें शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, मनोवैज्ञानिक और समाज विचारक शामिल हों ताकि हमेशा के लिए खुशहाली के मार्ग का निर्माण किया जा सके।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.