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Vijay MPSC Rajyaseva Prelims Full Length Test Series

This Batch Includes

Duration: Feb 18, 2024 - Dec 31, 2024

Validity: Till the Exam

Live Lectures

Counselling and guidance at offline centers

One to One telephonic mentorship

Seminars / Topper's Talk at offline center

Other Details

01. MPSC राज्यसेवा Prelims 2024 Exam ची तयारी करणाऱ्या उमेदवारांसाठी Test Series  आहे.
02. MPSC राज्यसेवा Prelims 2024 Test Series सुरू तारीख – 18th February 2024
03. General Studies ,CSAT या विषयाच्या Full Length Test Series दिली जाईल.
04. Negative Marking 1/4th असेल.
05. Detailed solutions and answer keys Test Series मध्ये  दिली जाईल.
06. Test Series ही  MPSC syllabus नुसार असेल.
07. Test timing  आयोगाच्या परीक्षेनुसार General Studies Paper 11:00 AM -1:00 PM आणि CSAT Paper 3:00 PM -5:00 PM होईल.

FAQs

संदर्भ यू.के. में चल रहे ‘1,00,000 जीनोम प्रोग्राम’ (100,000 Genome Program) के अंतर्गत, 13,800 से अधिक कैंसर रोगियों पर चल रहे एक अध्ययन के अनुसार, कैंसर जीनोमिक्स, कैंसर के  उपचार में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। संबंधित तथ्य कैंसर थेरेपी में उन्नत अनुकूलन: इस शोध में देखा गया कि नियमित क्लीनिकल ​​​​डेटा के साथ जीनोम अनुक्रमण कैंसर थेरेपी में अनुकूलन के स्तर को बढ़ा सकता है।

कैंसर जीनोमिक्स

  • यह ट्यूमर कोशिकाओं और सामान्य मेजबान/होस्ट कोशिकाओं के बीच डीएनए अनुक्रम तथा जीन अभिव्यक्ति के अंतर का समग्र अध्ययन है।
कैंसर जीनोम एटलस कार्यक्रम (The Cancer Genome Atlas Program- TCGA)
  • यह एक ऐतिहासिक कैंसर जीनोमिक्स कार्यक्रम है, जिसके तहत आणविक रूप से 20,000 से अधिक प्राथमिक कैंसरों की पहचान करने के साथ 33 कैंसर प्रकार के सामान्य नमूनों का मिलान किया गया है।
  • इस कार्यक्रम को एनसीआई (NCI) और राष्ट्रीय मानव जीनोम अनुसंधान संस्थान के बीच वर्ष 2006 में शुरू किया गया यह संयुक्त प्रयास, विभिन्न विषयों और कई संस्थानों के शोधकर्ताओं को एक साथ लाता है।

कैंसर के इलाज से संबंधित सरकारी पहल

  • कोइता सेंटर फॉर डिजिटल ऑन्कोलॉजी (Koita Centre for Digital Oncology- KCDO): नेशनल कैंसर ग्रिड (एनसीजी) ने पूरे भारत में कैंसर देखभाल में सुधार के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए KCDO की स्थापना की है।
  • कैंसर की तृतीयक देखभाल के लिए सुविधाएँ बढ़ाना: केंद्र सरकार कैंसर की तृतीयक देखभाल की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए तृतीयक परिचर्या कैंसर केंद्र योजना (Tertiary Care Cancer Centres Scheme) को लागू कर रही है।
    • इस  योजना के तहत अब तक 19 राज्य कैंसर संस्थान (एससीआई) और 20 तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र (टीसीसीसी) को मंजूरी दी गई है।
  • अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ऑन्कोलॉजी पर फोकस: प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तत्वावधान में स्थापित किए जा रहे नए एम्स में ऑन्कोलॉजी के विभिन्न पहलुओं पर विशेष फोकस सुनिश्चित किया गया है।
  • आयुष्मान भारत के तहत कैंसर का निदान और उपचार: तीन सामान्य कैंसर अर्थात मुंह, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के साथ-साथ अन्य सामान्य गैर-संचारी रोगों की जाँच, एबी-एचडब्ल्यूसी के तहत सेवा वितरण का एक अभिन्न अंग है

कैंसर के बारे में 
  • कैंसर जीनोम की एक बीमारी है, जो जीन में परिवर्तन के कारण होती है।जिसके कारण कुछ कोशिकाएँ अनियंत्रित तरीके से विभाजित हो जाती हैं।
  • कारण: जीन में होने वाले ये परिवर्तन वंशागनुत या अन्य कारकों से हो सकते हैं। वंशानुगत आनुवंशिक परिवर्तन स्तन और डिंब ग्रंथि (ovarian) कैंसर सहित कई अन्य प्रकार के कैंसर का कारण बनते हैं।
  • प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता: कैंसर दुनिया भर में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरा है और हर वर्ष लगभग 20 मिलियन नए मरीज इसकी चपेट में आ रहे हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, अगले दस वर्षों में कैंसर के मामलों में लगभग 60% की वृद्धि होगी, जिससे यह मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारक बन जाएगा।
  • राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, अकेले भारत में हर वर्ष लगभग 1.4 मिलियन नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, अर्थात प्रति 1,000 डायग्नोसिस में से लगभग 1 कैंसर के मामले।
1, 00,000 जीनोम कार्यक्रम
  • जीनोम अनुक्रमण विश्लेषण: इसके तहत, शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के कैंसर वाले लोगों के जीनोम प्राप्त कर अनुक्रमित किए तथा उनका विश्लेषण किया।
    • उनके विश्लेषण को कैंसर रोगियों के लिए उपचार रणनीतियों का मार्गदर्शन करने के लिए चिकित्सा क्षेत्र  में लागू किया जा सकता है।
  • उपचार के लिए नए लक्ष्य की पहचान करना: अध्ययन में पाया गया कि फेफड़े या आँत के कैंसर के साथ-साथ मस्तिष्क ट्यूमर वाले लोगों के एक बड़े प्रतिशत में अद्वितीय डीएनए परिवर्तन थे जो उपचार के लिए नए लक्ष्य हो सकते हैं।
  • डिंब ग्रंथि के कैंसर और सारकोमा: अध्ययन ने ऐसी अंतर्दृष्टि भी प्रदान की, जो डिंब ग्रंथि के कैंसर और सारकोमा जैसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों की समझ बढ़ाने में सहायक हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए, लगभग 10% सारकोमा (हड्डी और कोमल ऊतकों के दुर्लभ कैंसर) में आनुवंशिक परिवर्तन दिखाई देते हैं, जो उपचार के निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं।
    • शोधकर्ताओं ने संभावित रूप से अनुवांशिक रूप से प्राप्त डिंब ग्रंथि के कैंसर के एक समान अनुपात की भी पहचान की।
कार्यक्रम का महत्त्व 
  • प्रीसिजन मेडिसिन: यह अध्ययन 1,00,000 जीनोम परियोजना के शुभारंभ के साथ परिकल्पित  प्रीसिजन मेडिसिन (Precision Medicine) की प्रतिबद्धता की प्राप्ति का प्रतीक है।
  • परियोजना के तहत, रोगियों को एक बड़ी जीनोमिक्स पहल के हिस्से के रूप में भर्ती किया गया था, जिसका फोकस दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों के साथ-साथ कैंसर पर भी था।
  • वास्तविक परिस्थितयों में अनुप्रयोग: इससे प्राप्त अनुभव  यू.के. के कुछ हिस्सों में वास्तविक अनुप्रयोगों में लागू किया जा रहा  है।
    • ईस्ट मिडलैंड्स में अस्पताल ट्रस्ट जीनोम-अनुक्रमण से अंतर्दृष्टि को शामिल कर रहे हैं और आनुवंशिक उत्परिवर्तन वाले व्यक्तियों को कुछ उपचारों के लिए नैदानिक ​​​​परीक्षणों (clinical trials) में शामिल कर रहे हैं।
प्रीसिजन  ऑन्कोलॉजी 
  • प्रिसिजन ऑन्कोलॉजी कैंसर के उपचार के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उपचार विशेष रूप से कैंसर के अद्वितीय रूपों के लिए डिजाइन और लक्षित किया गया है।
  • यह प्रत्येक रोगी के व्यक्तिगत आनुवंशिकी  (वे जीन जो उत्परिवर्तित होते हैं, जिससे उनका कैंसर बढ़ता है) का उपयोग करने का विज्ञान है, जो उन आनुवंशिकी उत्परिवर्तनों के आधार पर, उनके लिए एक उपचार प्रोटोकॉल निर्धारित करता है।
कैंसर में परिशुद्ध चिकित्सा की सीमाएँ
  • कैंसर कोशिकाओं में जीन या प्रोटीन परिवर्तन के लिए आवश्यकताएँ: एकप्रीसिजन मेडिसिन नैदानिक ​​​​परीक्षण (Clinical trials) में भाग लेने के लिए व्यक्ति की कैंसर कोशिकाओं में विशिष्ट जीन या प्रोटीन परिवर्तन की आवश्यकता होती है, जो जाँच के तहत लक्षित चिकित्सा (Targeted therapy) के साथ संरेखित हो।
  • पहुँच संबंधी चुनौतियाँ: सटीक दवा परीक्षणों तक पहुँच अक्सर बड़े कैंसर केंद्रों तक ही सीमित होती है, जिससे संभावित रूप से कुछ व्यक्तियों के लिये भागीदारी के अवसर सीमित हो जाते हैं।
  • बढ़ी हुई लागत: जीन और प्रोटीन के परिवर्तनों के लिए परीक्षण करना महंगा हो सकता है, विशेष रूप से जब कई परिवर्तनों के लिए परीक्षण किया जा रहा हो और रोगी का स्वास्थ्य बीमा सभी परीक्षण लागत को कवर न करता हो

संदर्भ हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए ₹8,500 करोड़ की ‘व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण’ (Viability Gap Funding-VGF) योजना को मंजूरी दी है। कोयला गैसीकरण योजना के बारे में
  • तीनों श्रेणियों की परियोजनाओं के लिए VGF
    • पहली श्रेणी: इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Utilities-PSUs) के लिए ₹4,050 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत अधिकतम तीन परियोजनाओं का समर्थन प्रदान किया जाएगा। 
      • यह सहायता ₹1,350 करोड़ के एकमुश्त अनुदान या पूँजीगत व्यय का 15% (जो भी कम हो) के माध्यम से प्रदान की जाएगी।
    • दूसरी श्रेणी: इसके तहत, सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए ₹3,850 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
इस श्रेणी की प्रत्येक परियोजना को ₹1,000 करोड़ या पूँजीगत व्यय का 15% (जो भी कम हो) का एकमुश्त अनुदान दिया जाएगा।
  • तीसरी श्रेणी: इसके तहत, डेमोंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट्स (स्वदेशी प्रौद्योगिकी) या लघु स्तरीय उत्पाद आधारित गैसीकरण संयंत्रों के लिए ₹600 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
    • चयनित इकाई को ₹100 करोड़ या पूँजीगत व्यय का 15% (जो भी कम हो) का एकमुश्त अनुदान दिया जाएगा।
  • संस्थाओं का चयन: प्रतिस्पर्द्धी और पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से श्रेणी II और III के तहत संस्थाओं का चयन किया जाएगा।
    • चयनित संस्थाओं/इकाइयों को अनुदान का भुगतान दो समान किस्तों में किया जाएगा।
  • गैसीकरण के लिए प्रोत्साहन: सरकार ने गैसीकरण के लिए उपयोग किए जाने वाले कोयले की राजस्व हिस्सेदारी में 50% छूट का भी प्रस्ताव किया है, बशर्ते कि गैसीकरण के लिए उपयोग की जाने वाली मात्रा कुल कोयला उत्पादन का कम-से-कम 10% हो।
  • कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को मंजूरी: कैबिनेट ने इस योजना के तहत दो कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है, जहाँ कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited-CIL) 30% की सीमा से अधिक इक्विटी निवेश करेगा।
  • अनिवार्य हरित मंजूरी: कोयला गैसीकरण प्रक्रिया में पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के लिए, सरकार ने हरित मंजूरी (Green Clearance) प्राप्त करना अनिवार्य बना दिया है।
    • परियोजना प्रस्तावक को पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment-EIA) अध्ययन की प्रक्रिया पूरी करने के साथ और एक पर्यावरण प्रबंधन योजना तैयार करनी होगी।
    • कोयला गैसीकरण संयंत्र की स्थापना से संबंधित किसी भी गतिविधि को शुरू करने से पहले एक विशेषज्ञ समिति योजना की विधिवत जाँच करेगी।
कोयला गैसीकरण क्या है?
  • जानकारी: कोयला गैसीकरण एक थर्मोकेमिकल (Thermo-Chemical) प्रक्रिया है, जो कोयले को सरल अणुओं, मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन में परिवर्तित करती है।
  • प्रक्रिया: गैसीकरण प्रक्रिया में, कोयले को नियंत्रित परिस्थितियों में हवा, ऑक्सीजन, भाप या कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा आंशिक रूप से ऑक्सीकृत किया जाता है, जिससे एक तरल ईंधन का उत्पादन किया जा सके, जिसे सिनगैस कहा जाता है।
    • सिनगैस या संश्लेषण गैस का उपयोग बिजली उत्पन्न करने और मेथनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • महत्त्व: इस गैस का दहन कोयले के दहन की तुलना में अधिक स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल होता है क्योंकि अधिकांश उत्सर्जक कण गैसीकरण चरण में ही फँस जाते हैं।
कोयला गैसीकरण की विधियाँ
  • स्व-स्थाने विधि: इसमें ऑक्सीजन को जल के साथ प्रवाहित कर उच्च तापमान पर प्रज्वलित किया जाता है, जिससे कोयला आंशिक रूप से हाइड्रोजन, CO, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), और हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) में ऑक्सीकृत हो जाता है। 
  • बाह्य-स्थाने रिएक्टर : इन्हें जमीन की सतह के ऊपर गैसीकरण प्रक्रिया को संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • गैसीकरण प्रक्रिया के दौरान कोयले में मौजूद सल्फर H2S में और थोड़ी मात्रा में कार्बोनिल सल्फाइड (COS) में बदल जाता है।
कोयला गैसीकरण की आवश्यकता
  • थर्मल कोयले का प्रमाणिक भंडार: भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India-GSI) द्वारा प्रकाशित कोयला सूची के अनुसार, अप्रैल 2022 तक देश का कुल अनुमानित कोयला भंडार (संसाधन) 3,61,411.46 मिलियन टन था।
    • वैश्विक स्थिति: चीन के बाद भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है।
      • उत्पादन वृद्धि: वित्तीय वर्ष 2022-2023 में उत्पादन में 14.8% की वृद्धि हुई है, जो 893 मीट्रिक टन तक पहुँच गया है।
      • योगदान: भारत वैश्विक कोयला उत्पादन में 10% से अधिक का योगदान देता है।
    • कोयला गैसीकरण लक्ष्य: सरकार ने वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयले का कोयला गैसीकरण और द्रवीकरण प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन शुरू किया है।
  • सरकारी उत्पादन लक्ष्य:
    • सरकार का लक्ष्य घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
    • वित्तीय वर्ष 2023-2024 में 1 बिलियन टन उत्पादन से अधिक का लक्ष्य और वित्तीय वर्ष 2029-2030 तक इसे बढ़ाकर 1.5 बिलियन टन करना है।
  • आयात निर्भरता में कमी: भारत बड़े पैमाने पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस आधारित उत्पादों मुख्य रूप से मेथनॉल, अमोनिया, अमोनियम नाइट्रेट और ओलेफिन के आयात पर निर्भर है, जिसे सिनगैस से प्राप्त उप-उत्पादों द्वारा आसानी से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
    • यह पेट्रोल के साथ मिश्रित मेथनॉल, LPG के साथ मिश्रित डाइ-मिथाइल ईथर (Di-Methyl Ether or DME) का उत्पादन कर सकता है, जिससे ब्लास्ट फर्नेस में आयातित कोकिंग कोल को प्रतिस्थापित किया जा सके और सिंथेटिक प्राकृतिक गैस (Synthetic Natural Gas-SNG) का उत्पादन किया जा सके।
    • वर्तमान में, भारत अपनी प्राकृतिक गैस के लगभग 50%, अपनी मेथनॉल खपत के 90% से अधिक और अपनी घरेलू अमोनिया आवश्यकता के 13%-15% के लिए आयात पर निर्भर रहता है।
  • सतत् ऊर्जा की ओर ट्रांजिशन: भारत के पास कोयले का विशाल भंडार है, यदि  भारत इन भंडारों के उपयोग करने का कोई टिकाऊ तरीका खोज लेता है तो यह भारत की जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों के लिए पूरक का कार्य कर सकता है।
    • भारत के पास अनुमानित कोयला भंडार 361 बिलियन टन है, जो दुनिया में चौथा सबसे बड़ा भंडार है और एक सदी से भी अधिक समय तक चलने के लिए पर्याप्त है।
  • कोयले का सतत् उपयोग: भारत की विकास क्षमता और बिजली की बढ़ती माँग को देखते हुए, कोयले की माँग मौजूदा एक बिलियन टन से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2029-30 तक 1.5 बिलियन टन तक पहुँचने का अनुमान है।
    • कोयले के हरित उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार कोयला गैसीकरण जैसी अधिक टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा दे रही है, जिसमें कोयले को स्वच्छ ईंधन गैस में बदलना भी शामिल है।
  • फार्मास्युटिकल उद्योग: भारत सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (Active Pharmaceutical Ingredient-API) को चीन से आयात करने के बजाय घरेलू स्तर पर उत्पादन करने की योजना बना रहा है।
    • सिनगैस में API और मेथनॉल को विलायक के रूप में बनाने की उच्च संभावना है।
  • स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल: कोयला गैसीकरण संयंत्र कोई स्क्रबर स्लज (Scrubber Sludge) पैदा नहीं करते हैं।
    • कोयले को धोने के लिए उपयोग किए जाने वाले जल का अधिकांश भाग पुन: प्रसंस्कृत किया जाता है और गैसीकरण संयंत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को प्रभावी ढंग से उपचारित किया जा सकता है।
    • परिणामस्वरूप, कोयला गैसीकरण को कोयला दहन की तुलना में एक स्वच्छ कोयला तकनीक माना जाता है।
भारत में कोयला गैसीकरण की चुनौतियाँ
  • कोयले की निम्न गुणवत्ता: भारतीय कोयले में उच्च राख सामग्री कोयला गैसीकरण को व्यापक पैमाने पर अपनाने में एक तकनीकी बाधा है।
    • स्वदेशी रूप से उपलब्ध कोयले में राख का प्रतिशत धोने के बाद भी 30-35% के बीच रहता है, जो काफी अधिक है।
    • धोने के बाद भी राख की मात्रा 30% से नीचे पहुँचना किफायती और संभव नहीं है। कोयले को 34% राख तक धोने के सरकारी निर्देशों के बावजूद, इसका अनुपालन बहुत कम है, जो संरचनात्मक चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।
  • आसपास की चट्टानों का धँसाव : कोयला गैसीकरण के दौरान गहरे खनन द्वारा बनाई गई जगह शेष कोयले और आसपास की चट्टानों में महत्त्वपूर्ण विरूपण का कारण बन सकती है।
    • तापन, शमन, जल प्रवाह के कारण छत तथा दीवार ढहने से खदान की अखंडता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है, जिससे धँसाव हो सकता है।
  • व्यावसायिक खतरा: कोयला गैसीकरण प्रक्रिया को सतह पर संचालित गैसीफायर के समान नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, जिससे संयंत्र की कैविटी में उच्च तापमान और दबाव का खतरा होता है, जिससे श्रमिकों का जोखिम बढ़ जाता है।
  • पर्यावरणीय कारक: कुछ अध्ययनों के अनुसार, कोयला गैसीकरण पारंपरिक कोयला बिजली स्टेशन की तुलना में अधिक CO2 उत्पन्न करता है।
  • भू-जल संदूषण: वर्तमान में जब देश पहले से ही पानी की कमी का सामना कर रहा है, ऐसे में कोयला गैसीकरण जैसी एक अधिक जल-गहन ऊर्जा उत्पादन विधि को बढ़ावा देना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • परियोजना का वित्तीय पहलू: उत्पादित गैस की मात्रा और गुणवत्ता में परिवर्तन परियोजना के वित्तीय अनुमान को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेंगे।
  • तकनीकी चिंता: निम्न गुणवत्ता वाले कोयले के लिए उपयुक्त प्रमाणित गैसीकरण तकनीक की उपलब्धता का अभाव है।
आगे की राह 
  • राख की मात्रा पर नियंत्रण: कोयले की आपूर्ति में राख की मात्रा को नियंत्रित करना आवश्यक है। वर्तमान नियम जो राख की मात्रा को 34% तक सीमित करते हैं, उनका प्रभावी ढंग से पालन नहीं किया जा रहा है।
    • कोयला धुलाई केंद्र: जल उपयोग और अपशिष्ट जल निपटान के संबंध में चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं।
    • कोयला सम्मिश्रण के प्रभावी विकल्प हैं, क्योंकि गैसीकरण प्रक्रिया से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को नियंत्रित करना आसान होता है और  ये उपोत्पाद पुनः बेचे जा सकते हैं (उदाहरण के लिए सल्फर, स्लैग)।
  • कोयला गैसीकरण के लिए समर्पित बंद कोयला खदानें: बेहतर कोयला गुणवत्ता स्थिरता, निरंतर आपूर्ति और निकट खनन तथा परिवहन लागत नियंत्रण के लिए कोयला खदानों को कोयला गैसीकरण परियोजनाओं (नीलामी लिंकेज के माध्यम से प्रदान की जाने वाली) के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए।
  • व्यवहार्यता अंतराल वित्तपोषण: स्वच्छ ऊर्जा सुरक्षा परियोजनाओं की व्यवहार्यता सुधारने के लिए गैसीकरण परियोजनाओं के बहुत उच्च पूँजीगत व्यय पर सहायता प्रदान करने हेतु सरकार द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
  • समान अवसर: स्वच्छ प्रौद्योगिकी अनुकूलन के कारण पर्यावरण-अनुकूल कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए कोयला फीडस्टॉक कीमतों पर वर्तमान में लागू उपकर/शुल्क से छूट प्रदान की जानी चाहिए।
  • कोयला गैसीकरण और द्रवीकरण पर राष्ट्रीय नीति: कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के तेज और सुगम कार्यान्वयन के लिए इसे तत्काल तैयार करने एवं लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए।
  • सम्मिश्रण योजनाएँ और नीतिगत ढाँचा: 'गैसोलीन और LPG के साथ मेथेनॉल, DME  का मिश्रण' योजनाओं को यथाशीघ्र लागू किया जाना चाहिए, साथ ही कोयला गैसीकरण के सभी उप-उत्पादों के लिए एक नीतिगत ढाँचा भी बनाया जाना चाहिए।
  • वैश्विक गैसीकरण प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना: भारत को रासायनिक उद्योग के लिए स्थानीय कोयले के तेज विकास हेतु विश्व स्तर पर उपलब्ध गैसीकरण तकनीक का लाभ उठाना चाहिए।
निष्कर्ष कोयला गैसीकरण का उपयोग भारत के 'आत्मनिर्भर' दृष्टिकोण को समर्थन देने के साथ वर्ष 2030 तक रोजगार सृजन को बढ़ावा देने एवं आयात में कमी लाने में सहायता प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, यह पर्यावरणीय चिंताओं के लिए एक समाधान प्रस्तुत करता है, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने का एक संभावित विकल्प प्रदान करता है।

संदर्भ भारत में गणतंत्र दिवस परेड सांस्कृतिक और सैन्य विविधता का एक जीवंत प्रदर्शन है, जिसमें विस्तृत झाँकियाँ शामिल होती हैं। संबंधित तथ्य
  • महिला सशक्तीकरण को समर्पित वर्ष 2024 की परेड में भारत की 75वीं संविधान वर्षगाँठ के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के योगदान को दर्शाने वाली प्रभावशाली झाँकियाँ शामिल हुईं।
  • परेड की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक विभिन्न राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की झाँकियों का प्रदर्शन है।
झाँकियों के चुनाव की प्रक्रिया
  • परेड के संचालन के लिए उत्तरदायी रक्षा मंत्रालय (MoD) के अनुसार, झाँकियों के चयन के लिए एक मानक प्रक्रिया होती है। 
  • प्रत्येक वर्ष आयोजन से कुछ महीने पहले, रक्षा मंत्रालय व्यापक विषय पर राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विभागों से प्रस्ताव आमंत्रित करता है। 
  • वर्ष 2024 की थीम: उदाहरण के लिए- वर्ष 2024 की थीम 'विकसित भारत' (Developed India) और 'भारत-लोकतंत्र की मातृका' (India-Mother of Democracy) है।
  • प्रस्ताव: प्रस्तावों में झाँकी के ‘डिजाइन स्केच’ और ‘मॉडल’ के साथ-साथ एक अवधारणा नोट भी शामिल होना चाहिए। 
  • मूल्यांकन: फिर प्रस्तावों का मूल्यांकन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें प्रख्यात कलाकार, डिजाइनर, वास्तुकार और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
  • चयन प्रक्रिया कठोर और प्रतिस्पर्द्धी होती है, क्योंकि परेड में केवल सीमित संख्या में झाँकियों को ही शामिल किया जा सकता है।
  • वर्ष 2024 के लिए प्राप्त 56 प्रस्तावों में से केवल 25 का चयन किया गया है, जिनमें 16 झाँकियाँ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से और नौ झाँकियाँ केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से संबंधित हैं।
  • महत्त्व 
    • प्रतिस्पर्द्धी प्रक्रिया के माध्यम से चुनी गई ये झाँकियाँ सांस्कृतिक विरासत, उपलब्धियों और आकांक्षाओं को उजागर करते हुए भारत की विविधता में एकता का प्रतीक हैं।
    • वे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक और आर्थिक विकास, वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपलब्धियों तथा लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रदर्शन करती हैं। 
    • ये संबंधित क्षेत्रों या विभागों की उपलब्धियों और चुनौतियों तथा राष्ट्रीय दृष्टिकोण में उनके योगदान पर भी प्रकाश डालती हैं।
75वें गणतंत्र दिवस की परेड, 2024 
  • परेड थीम: "विकसित भारत" और "भारत - लोकतंत्र की मातृका"
  • अवधि: लगभग 90 मिनट
  • परेड में भाग लेने वाले: भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस, अर्द्ध-सैनिक संगठन
  • परेड मार्ग: विजय चौक से कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ)
  • मुख्य अतिथि: फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
झाँकियों के लिए चयनित राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश
  • इस वर्ष 16 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश उत्सव में भाग लेंगे। 
  • इसमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।
झाँकियों के लिए चयनित मंत्रालय और संगठन 
  • गणतंत्र दिवस परेड में मंत्रालयों और संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली झाँकियाँ निम्नलिखित संस्थाओं से हैं: 
    • गृह मंत्रालय, 
    • विदेश मंत्रालय, 
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, 
    • बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, 
    • संस्कृति मंत्रालय, 
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), 
    • वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान केंद्र (CSIR), 
    • भारत निर्वाचन आयोग, 
    • केंद्रीय लोक निर्माण विभाग।

संदर्भ  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से विवाहित जोड़ों और अविवाहित महिलाओं की कुल संख्या के बारे में जानकारी माँगी है, जिन्होंने सरोगेसी अधिनियम, 2021 लागू होने के बाद से सफलतापूर्वक सरोगेसी का लाभ उठाया है। संबंधित तथ्य 
  • विस्तृत डेटा: मंत्रालय ने उन विवाहित जोड़ों, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं की कुल संख्याओं को अलग-अलग माँगा है, जिन्होंने ART अधिनियम, 2021 के लागू होने के बाद से सफलतापूर्वक सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technology) का प्रयोग किया है।
  • कानून की कार्यप्रणाली का आकलन: प्राप्त डेटा के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सरोगेसी अधिनियम, 2021 एवं ART अधिनियम, 2021 के उचित उपयोग के संबंध में निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
  • सरोगेसी और ART के लिए मानदंड: केवल विवाहित बाँझ जोड़े तथा महिलाओं (विधवा या अविवाहित) को ही ART एवं सरोगेसी के उपयोग की अनुमति है।
सरोगेसी के लिए मानदंड: सरोगेसी अधिनियम के तहत केवल परोपकारी कारणों से सरोगेसी की अनुमति है, जबकि वर्ष 2015 से ही देश में वाणिज्यिक सरोगेसी प्रतिबंधित है।

MPSC Rajyaseva Prelims Full Length Test Series 2024

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