प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के माध्यम से भारत सरकार सक्रिय रूप से ब्लैक कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण स्थापित कर रही है।
ब्लैक कार्बन (Black Carbon)
परिचय: यह अन्य प्रदूषकों के साथ उत्सर्जित होने वाला काला, कालिखयुक्त पदार्थ है, जिसका निर्माण बायोमास और जीवाश्म ईंधन के अधूरे दहन से होता है।
संरचना: इसमें कणीय पदार्थ (Particulate Matter), जो एक वायु प्रदूषक है, का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
योगदान: यह प्रकाश को अवशोषित करने में दक्ष है, जिससे परिवेश का तापमान बढ़ता है तथा अंततः यह ग्लोबल वार्मिंग में महत्त्वपूर्ण योगदान करता है। यह सूर्य की किरणों को तापीय ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।
यह बादल निर्माण, क्षेत्रीय परिसंचरण और वर्षा पैटर्न को भी प्रभावित करता है।
प्रभाव: यह ग्लोबल वार्मिंग संबंधी महत्त्वपूर्ण चिंताएँ पैदा करता है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, ब्लैक कार्बन के कारण हृदय रोग, जन्म संबंधी समस्याएँ और शीघ्र मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।
इसका जलवायु पर CO2 की तुलना में 460 से 1,500 गुना अधिक प्रभाव पड़ता है।
ब्लैक कार्बन उत्सर्जन के स्रोत: इसके उत्सर्जन में घरेलू क्षेत्र का 47%, उद्योग का 22%, डीजल वाहन का 17%, खुले में जलाने वाले पदार्थों से 12% तथा अन्य का 2% योगदान है।
औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों में सुधार हुआ है किंतु घरेलू उत्सर्जन अभी भी एक मुद्दा बना हुआ है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की भूमिका
निशुल्क LPG की सुविधा प्रदान करना: इस योजना के माध्यम से कम आय वाले परिवारों को निशुल्क तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (Liquefied Petroleum Gas- LPG) प्रदान की जाती है।
प्राथमिक लक्ष्य: इस योजना का प्राथमिक लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्र में गरीब लोगों के लिए खाना पकाने हेतु स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराना है, ताकि उनकी निर्भरता पारंपरिक इंधनों पर कम हो सके।
बुनियादी ढाँचे का विकास: PMUY के तहत बुनियादी ढाँचे का विकास किया गया है, जिसके अंतर्गत LPG कनेक्शन, मुफ्त गैस स्टोव, LPG सिलेंडर के लिए जमा राशि तथा वितरण प्रणाली की सुविधा प्रदान की गई है।
ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम करना: ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में इस योजना ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पारंपरिक ईंधन की खपत के स्थान पर स्वच्छ ईंधन का विकल्प प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana- PMUY)
नोडल मंत्रालय: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार।
उद्देश्य: गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line) के परिवार की महिलाओं को LPG कनेक्शन प्रदान करना।
चरण 1: योजना का पहला चरण 1 मई, 2016 को शुरू हुआ था जिसका लक्ष्य मार्च 2020 तक 8 करोड़ वंचित परिवारों को LPG कनेक्शन प्रदान करना है।
चरण 2: वित्तीय वर्ष 21-22 के केंद्रीय बजट में, PMU योजना के तहत 1 करोड़ अतिरिक्त LPG कनेक्शन देने का लक्ष्य है। इस चरण में प्रवासी परिवारों को विशेष रूप से शामिल किया जा गया है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से जुड़ी समस्याएँ
निम्न उपयोग: वर्ष 2022-2023 के RTI डेटा के अनुसार, PMUY के 25% लाभार्थियों ने शून्य या केवल एक बार LPG सिलेंडर को रिफिल कराया है।
देश की एक बड़ी आबादी अभी भी खाना पकाने के लिए पारंपरिक ईंधन का उपयोग कर रही है।
पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता: प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, PMUY का लाभार्थी परिवार भी अपनी कुल ऊर्जा माँग का आधा हिस्सा पारंपरिक ईंधन के माध्यम से पूरा कर रहा है।
PMUY का लाभार्थी परिवार औसतन केवल 3.5 से 4 LPG सिलेंडर प्रति वर्ष उपयोग कर रहा है, जबकि गैर-PMUY परिवार नियमित रूप से छह या सात LPG सिलेंडर प्रति वर्ष उपयोग कर रहा है।
पारंपरिक ईंधन का प्रभाव: LPG के कम उपयोग और पारंपरिक ईंधन के बढ़ते उपयोग के कारण महिलाओं और बच्चों पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है।
वे विशेष रूप से घर के अंदर की प्रदूषित हवा की उच्च मात्रा के प्रति संवेदनशील होते हैं, जो असामयिक मृत्यु समेत कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार है।
वहन करने मे असमर्थता: पिछले पाँच वर्षों में, LPG की कीमत में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप PMUY लाभार्थियों की LPG तक पहुँच सीमित हुई है।
अक्टूबर 2023 में सरकार ने LPG सब्सिडी 200 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दी है।
अंतिम उपभोक्ता तक अपर्याप्त पहुँच: LPG वितरण प्रणाली में संरचनागत कमी है फलस्वरूप सुदूर ग्रामीण समुदायों को पारंपरिक ईंधन पर निर्भर होना पड़ता है।
स्थानीय समाधान और नवाचार
कोयला बेड मेथेन का उत्पादन: कंपोस्टिंग ईंधन के निर्माण स्थल पर कोयला-बेड मेथेन (Coal-bed Methane- CBM) गैस का उत्पादन होता है।
पंचायतों की भूमिका: पंचायतें स्थानीय स्तर पर CBM के उत्पादन की पहल कर सकती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक ग्रामीण घर तक सुरक्षित खाना पकाने के लिए ईंधन की समुचित पहुँच हो।
कार्बन कटौती के उपाय: PMUJ के तहत, ब्लैक कार्बन कटौती को प्राथमिकता देना जैसे उपाय भारत को वैश्विक पटल पर अपनी भूमिका स्पष्ट करने में मदद कर सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में सहायता मिलेगी।
इससे देश को सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में सहायता मिलेगी।
सस्ती स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने की यह पहल वैश्विक जलवायु शमन में भी योगदान देगी।
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