15 अगस्त, 2022 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से भारत को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए पाँच प्रमुख प्रतिज्ञाओं (पंच प्रण) की घोषणा की गई थी-
पहली प्रतिज्ञा वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की थी।
विज़न@2047 रिपोर्ट: भारत सरकार ने नीति आयोग के साथ मिलकर VISION@2047.report तैयार करेगा ।
इस रिपोर्ट के अंतर्गत भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और भारत में प्रति व्यक्ति आय को 2,600 डॉलर से बढ़ाकर 18,000 डॉलर तक करने का रोडमैप तैयार प्रस्तुत किया जाएगा ।
विकसित देश :
कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं : ध्यातव्य है कि किसी भी वैश्विक संस्था द्वारा “विकसित राष्ट्र (Developed Nation)” की कोई आधिकारिक स्थिति या परिभाषा नहीं की गई है।
विश्व बैंक द्वरा विकसित देशों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
कम आय वाले देश
निम्न मध्यम आय वाले देश
उच्च मध्यम आय वाले देश
उच्च आय वाले देश
भारत की स्थिति : भारत वर्तमान में 2.612 डॉलर प्रति व्यक्ति आय के साथ निम्न मध्यम आय वर्ग के देशों की सूचि में शामिल है ।
विकसित राष्ट्र: भारत को अपने आपको एक विकसित राष्ट्र की सूचि में शामिल करने के लिए अपनी प्रति व्यक्ति आय में तकरीबन $20,000-$25,000 तक की वृद्धि करने की आवश्यकता है।
इस आय को प्राप्त करने के लिए असाधारण विकास दर की आवश्यकता है।
मानव पूँजी का महत्त्व
भारत की आलोचना : पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने 2047 तक भारत के एक विकसित देश बनने के उद्देश्य को “निरर्थक” बताया है।
उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि राजनेता देश की ताकत ‘युवाओं’ के ऊपर निवेश किए बिना भारत के विकास के बारे में झूठा प्रचार कर रहे हैं।
भारत के युवाओं के मध्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल और नौकरियों में अवसरों का अभाव है।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन इस बात पर जोर देते हैं कि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू “मानव पूँजी” है, मानव पूँजी पर ध्यान दिए बगैर भारत खुद को एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में शामिल नहीं कर सकता है ।
भारत का आर्थिक परिदृश्य
सिंधु घटी वार्षिक रिपोर्ट, 2024: इसरिपोर्ट के अंतर्गत तीन प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है जो भारत के विकसित देश बनने के मार्ग में बाधक बन सकती हैं:
अपर्याप्त सकल स्थिर पूँजी निर्माण (Inadequate Gross Fixed Capital Formation- GFCF)
साख की कमी (Lack of Credit)
सरकारी कर्ज में वृद्धि (Increased Government Debt)
इंडस वैली वार्षिक रिपोर्ट के 2024 (Indus Valley Annual Report 2024)
इस रिपोर्ट में 150 से अधिक चार्ट के माध्यम से भारतीय स्टार्टअप और उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख विषयों, पैटर्न और रुझानों की पहचान की गई है।
2022 में, इस रिपोर्ट के पहले संस्करण को लॉन्च किया गया था । रिपोर्ट के पहले संस्करण में एक स्टार्टअप महाशक्ति के रूप में भारत के उदय और विकास तथा सिंधु घाटी के उत्थान को शामिल किया गया, जिसमें इसके उदय के पीछे के प्रमुख कारकों पर एक नज़र भी शामिल है।
रिपोर्ट के दूसरे संस्करण में, सिंधु घाटी की सॉफ्ट पॉवर और भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की बारीकियों के विषय में चर्चा की गई थी ।
तीसरे संस्करण में, भारत को आकार देने वाले विभिन्न आख्यानों को उजागर किया गया था, इसमें भारतीय निजी और सार्वजनिक बाजारों ने कैसा प्रदर्शन किया है और आगे के रुझान क्या होने चाहिए पर संकेत दिया गया था।
प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं
अपर्याप्त सकल स्थिर पूँजी निर्माण (Inadequate Gross Fixed Capital Formation- GFCF): भारत की अर्थव्यवस्था उपभोग आधारित है, जिसमें 60% निजी उपभोग पर निर्भर है।
इसमें जीएफसीएफ का योगदान केवल 29% है।
इसके विपरीत, चीन का GFCF उसके सकल घरेलू उत्पाद में 43% का योगदान देता है।
जीएफसीएफ इमारतों, सड़कों और मशीनरी जैसी भौतिक संपत्तियों में देश के निवेश का प्रतिनिधित्व करता है, जो दीर्घकालिक विकास, उत्पादकता, उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देता है।
2001 और 2023 के मध्य भारत का जीएफसीएफ कभी भी 35% से अधिक नहीं रहा है, जबकि चीन लगातार पूंजीगत संपत्ति में 40% से ऊपर निवेश करता है।
साख की कमी (Lack of Credit): निजी कंपनियों को निवेश के लिए ऋण की आवश्यकता होती है। एमएसएमई क्षेत्र, भारत कि जीडीपी में 29% से अधिक का योगदान देता है। भारत की कुल जीडीपी का 29 फीसदी से अधिक का हिस्सा कर्ज की कमी से जूझ रहा है।
निजी क्षेत्र में भारत का घरेलू ऋण केवल 54% ($1.6 ट्रिलियन) है, जबकि चीन का 182% ($32 ट्रिलियन) है।
ऋण की कमी का मुख्य कारण बैंकिंग क्षेत्र में उच्च गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) का होना है, जिससे ऋण देने की क्षमता सीमित हो जाती है।
110 यूनिकॉर्न स्टार्टअप होने के बावजूद, साख की कमी के कारण 2017 से भारत के वेंचर फंडिंग में गिरावट आ रही है।
सरकारी कर्ज़ में वृद्धि (Increased Government Debt): भारत का सरकारी कर्ज़ उसकी जीडीपी का 84% है, जबकि चीन का केवल 68% है।
आईएमएफ (IMF) ने चेतावनी दी है कि भारत का सरकारी कर्ज 100% तक पहुँच सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भारत का कम आयकर आधार उच्च सरकारी ऋण के पीछे एक प्रमुख कारक है, केवल 1.5% लोग ही आयकर का भुगतान करते हैं।
समाधान :
एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए, भारत को इन समस्याओं का समाधान करना होगा:
व्यवसाय करने में आसानी और सुधार लाने की आवश्यकता है ।
एमएसएमई क्षेत्र को साख की गारंटी प्रदान की जानी चाहिए ।
कर आधार में वृद्धि की जानी चाहिए ।
मानव पूँजी, विशेषकर युवाओं में निवेश, भारत की वृद्धि और विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है, इस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है ।
निष्कर्ष:
हालाँकि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का भारत का सपना एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है लेकिन इसके मार्ग में बाधक के रूप में प्रमुख चुनौतियाँ भी हैं, अतः इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इनके लिए प्रमुख सुझाव किए जाने की आवश्यकता है तभी भारत का विकास संभव है। उच्च प्रति व्यक्ति आय के साथ 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मानव पूँजी में निवेश और सुधार करना आवश्यक होगा।
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