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अंटार्कटिक सर्कंपोलर धारा (Antarctic Circumpolar Current)

Lokesh Pal March 30, 2024 03:47 217 0

संदर्भ

हाल के दशकों में हिंद, अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली समुद्री जलधारा के परिसंचरण में जलवायु परिवर्तन के साथ तेजी आ रही है। पिछले 5.3 मिलियन वर्षों में इसकी गति का मूल्यांकन करने वाले एक नए अध्ययन में पाया गया है कि यह दूरगामी परिणामों के साथ गति बढ़ाकर या धीमा करके वैश्विक जलवायु पर प्रतिक्रिया करता है।

शोध के मुख्य निष्कर्ष

  • समुद्र के स्तर में वृद्धि: अंटार्कटिक सर्कंपोलर धारा (ACC) की वर्तमान गति अंटार्कटिका में बर्फ के ह्रास का कारण बन कर उभरी है, जो समुद्र के स्तर में वृद्धि में योगदान दे रही है। गौरतलब है कि अंटार्कटिका में पहले से ही प्रति वर्ष लगभग 150 बिलियन टन की औसत दर से बर्फ का ह्रास हो रहा है।
  • अंटार्कटिक सर्कंपोलर धारा (Antarctic Circumpolar Current- ACC) की भूमिका: ACC वैश्विक जलवायु को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है एवं गर्मी, कार्बन डाइऑक्साइड, रसायन तथा जीव विज्ञान के अंतर-बेसिन आदान-प्रदान का दुनिया का सबसे शक्तिशाली एवं प्राथमिक साधन भी है।
  • अंटार्कटिका का घेरा: निरंतर पछुआ हवाओं द्वारा संचालित, महासागरीय धारा लगभग 4 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दक्षिणावर्त अंटार्कटिका का चक्कर लगाती है, जिसमें प्रत्येक सेकंड 165 मिलियन से 182 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी होता है।
  • हवा की ताकत में बढ़ोतरी: अंटार्कटिका को घेरने वाले दक्षिणी महासागर के ऊपर की हवाओं में पिछले चार दशकों में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
  • ACC की गति: इसके परिणामस्वरूप, ACC की गति तेज हो गई है, जिससे उच्च अक्षांशों से अपेक्षाकृत गर्म पानी दक्षिणी ध्रुव तक पहुँच रहा है।
  • आइस शेल्फ का पिघलना: अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से पश्चिमी अंटार्कटिका में, ये गर्म जल धारा आइस शेल्फ के निचले हिस्से को पिघला रही है।
  • बर्फ के नुकसान का कारण: बर्फ के इस नुकसान का कारण दक्षिण अंटार्कटिका में ACC के कारण बढ़ते ताप को माना जा सकता हैI 
  • मजबूत ACC का प्रभाव: एक मजबूत ACC का मतलब है कि अधिक गर्म, गहरा पानी अंटार्कटिका के बर्फ-तटीय किनारे तक पहुँचता है।

अंटार्कटिक सर्कंपोलर धारा (ACC) के बारे में

  • दिशा: यह एक समुद्री जलधारा है, जो अंटार्कटिका के चारों ओर पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।

समुद्री धाराएँ (Ocean Currents)

  • संरचना: समुद्री धाराओं का निर्माण समुद्र की परिसंचरण प्रणाली के क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर घटकों से होता है, जो गुरुत्वाकर्षण, हवा के घर्षण तथा समुद्री जल के घनत्व में भिन्नता के कारण होता है।
  • महासागरीय धाराओं की भूमिका: वे वायुमंडलीय हवाओं के समान हैं, जो पृथ्वी के भूमध्यरेखीय क्षेत्रों से ध्रुवों तक पर्याप्त मात्रा में गर्मी पहुँचाती हैं, जो तटीय जलवायु को परिभाषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • महासागरीय धारा और वायुमंडलीय परिसंचरण के बीच संबंध: इसके अलावा, महासागरीय धाराएँ एवं वायुमंडलीय परिसंचरण एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं।

  • दक्षिणी महासागर की भूमिका: दक्षिणी महासागर तेज धारा के साथ पानी का एक सतत भंडार है, जो एक साथ अंटार्कटिका के तटीय महासागर को अलग करता है एवं अंटार्कटिक पारिस्थितिकी को महत्त्वपूर्ण रासायनिक उर्वरक प्रदान करता है।
  • धारा का प्रकार: पृथ्वी पर हवा के माध्यम से संचरण करने वाली सबसे बड़ी धारा को अंटार्कटिक सर्कंपोलर धारा (Antarctic Circumpolar Current- ACC) कहा जाता है।
    • एकमात्र धारा जो अटलांटिक, प्रशांत एवं भारतीय महासागरों को जोड़ती है तथा पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाती है।
  • प्रेरक शक्ति: यह तेज पश्चिमी हवाओं से संचालित होती है एवं इसकी खोज एडमंड हैली ने की थी।
  • एक बाधा के रूप में कार्य करती है: अंटार्कटिक धारा पानी का एक विशाल प्रवाह है, जो दक्षिणी एवं उत्तरी महासागरों के बीच एक बाधा के रूप में कार्य करती है।
  • विश्व परिसंचरण: अंटार्कटिका जल का स्रोत भी है, यह जल ग्लोबल ओशन कन्वेयर (विश्व परिसंचरण) के हिस्से के रूप में गहरे महासागर में परिसंचरण करता है।
    • वैश्विक महासागर कन्वेयर बेल्ट तापमान एवं लवणता द्वारा संचालित गहरे-समुद्र परिसंचरण की एक गतिशील प्रणाली है।
  • अंटार्कटिक महाद्वीपीय शेल्फ: समुद्र के तल पर प्रवाहित होने वाला जल अंटार्कटिक महाद्वीपीय शेल्फ (Antarctic continental shelf) से संबंधित है, विशेष रूप से वेडेल और रॉस सागर से।
  • हाई मरीन प्रोडक्टशन (High Marine Production): यह वह स्थान है जहाँ ठंडे अंटार्कटिक समुद्र उप-अंटार्कटिक जल से मिलते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक अपवेलिंग क्षेत्र (उच्च समुद्री उत्पादन का क्षेत्र) बनता है।
  • अंटार्कटिक इंटरमीडियट वाटर (Antarctic Intermediate Water) का निर्माण: अंटार्कटिक इंटरमीडिएट वॉटर (AAIW) एक ठंडा, अपेक्षाकृत कम लवणता वाला जल है जो ज्यादातर दक्षिणी महासागर में मध्यवर्ती गहराई पर पाया जाता है। AAIW का निर्माण अंटार्कटिक कन्वर्जेंस जोन में समुद्र की सतह पर होता है या जिसे आमतौर पर अंटार्कटिक पोलर फ्रंट जोन कहा जाता है। यह अभिसरण क्षेत्र सामान्यतः 50°S और 60°S के बीच स्थित होता है, इसलिए यहीं पर लगभग संपूर्ण AAIW का निर्माण होता है।
    • इस क्षेत्र में वाष्पीकरण की तुलना में वर्षा अधिक होती है, इसलिए जल की लवणता कम होती है।

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