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भारत की HIV/AIDS संबंधी अनुक्रिया : ART

Lokesh Pal April 01, 2024 05:00 142 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: एचआईवी, एड्स, WHO, एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART), AZT (Zidovudine), HAART, PLHIV आदि

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में एचआईवी/एड्स उपचार में चुनौतियाँ और सुझाव

संदर्भ:

हाल ही में भारत की निःशुल्क एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) पहल की शुरूआत को 20 वर्ष पूरे हो चुके हैं।

एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART-Antiretroviral Therapy)) का उद्भव:

  • भय: एड्स की बीमारी को लेकर समाज में बहुत अधिक भय, कलंक और भेदभाव जैसी सामाजिक विसंगतियाँ व्याप्त थी।
  • प्रथम एंटीरेट्रोवाइरल दवा: पहली एंटीरेट्रोवाइरल दवा, AZT (ज़िडोवुडिन) को मार्च. 1987 में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US FDA) द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • नई दवाओं की शुरूआत: इसके तुरंत बाद वर्ष1988 में तीन और दवाओं को मंजूरी प्रदान की गई और वर्ष 1995 में एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के एक नए वर्ग, प्रोटीज इनहिबिटर को प्रस्तुत  किया गया।
  • दवाओं तक सीमित पहुँच: कुछ उच्च आय वाले देशों को छोड़कर विश्व की अधिकांश आबादी तक इन दवाओं की पहुँच सीमित ही रही।

ART का उद्भव:

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा का सहस्राब्दी शिखर सम्मेलन (2000): इस सम्मलेन में HIV के प्रसार को रोकने और इसकी स्थिति को पूर्णतया पलटने के लिए एक घोषणा प्रकाशित की गई है ।
  • ग्लोबल फंड: इसकी स्थापना वर्ष 2000 में एड्स, तपेदिक और मलेरिया के प्रसार को रोकने के लिए की गई थी I यह HIV की रोकथाम, उपचार, देखभाल और सहायता सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच को बढ़ावा देता है।
  • HIV की व्यापकता: वर्ष 2004 में, भारत में HIV से पीड़ित लोगों की अनुमानित संख्या 5.1 मिलियन थी, जबकि जनसंख्या का प्रसार 0.4% था।
  • कॉकटेल थेरेपी: ‘कॉकटेल थेरेपी’ या HAART (अत्यधिक सक्रिय एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी) वर्ष  1996 में उपलब्ध हो चुकी थी, लेकिन यह अत्यधिक महंगी थी।
    •  वर्ष 2006 से बच्चों को मुफ़्त ART उपलब्ध कराया जाने लगा।
  • ART तक पहुँच में बाधाएँ: ART में मुख्य बाधा व्यक्तियों के लिए उच्च लागत, रोग की असाध्यता एवं उपचार तक उनकी भौगोलिक पहुँच की असमर्थता थी।

कॉकटेल थेरेपी (Cocktail Therapy):

  • HAART में कम से कम तीन दवाओं का एक ‘कॉकटेल’ शामिल होता है जो HIV वायरल लोड (Virus load) को कम कर सकता है।
  • HAART किसी व्यक्ति को HIV संक्रमण से ठीक नहीं कर सकता है, जो उपचार के बिना लगातार एड्स में बदलता चला जाएगा।

ART का प्रभाव:

  • ART केंद्रों में वृद्धि: ART केंद्र जो पहले 10 से भी कम थे, वर्तमान में बढ़कर लगभग 700 हो गए हैं I 1,264 लिंक ART केन्द्रों द्वारा लगभग 1.8 मिलियन PLHIV के इलाज हेतु मुफ्त दवाएँ प्रदान की जाती हैं।
  • HIV की व्यापकता में गिरावट: विगत 15-49 वर्षों में HIV की व्यापकता में गिरावट होकर यह 0.20 (आत्मविश्वास अंतराल 0.17%-0.25%) रह गई है।
  • रोग में कमी: अनुमानित PLHIV के संदर्भ में इस रोग के भार में गिरावट होकर यह  2.4 मिलियन रह गया  है।
  • PLHIV हिस्सेदारी में गिरावट: वैश्विक स्तर पर PLHIV में भारत की हिस्सेदारी घटकर 6.3% (दो दशक पूर्व के लगभग 10% से) रह गई है।
  • HIV संक्रमण में कमी: भारत में वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण में वैश्विक औसत 31% (आधारभूत वर्ष 2010) के मुकाबले 48% की गिरावट आई है।
  • मृत्यु दर में कमी: एड्स से संबंधित वार्षिक मृत्यु दर में वैश्विक औसत 47% (आधारभूत वर्ष 2010) के मुकाबले 82% की गिरावट आई है।

विभिन्न सेवाओं का रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण

  • पूरक कार्यक्रम: विभिन्न पहलों का संयोजन जिसमें निःशुल्क निदान सेवाएँ, माँ से बच्चे में रोग के संचरण की रोकथाम, अवसरवादी संक्रमण (Opportunistic infections) और सह-संक्रमण (Co-infections) का प्रबंधन शामिल हो एवं प्रारंभिक ART पहल की दिशा में नीतियों का विकास आवश्यक है ।
  • ट्रीट ऑल अप्रोच (2017): इसके तहत यह सुनिश्चित किये जाने का प्रयास किया गया है कि सीडी4 काउंट (CD4 counts) पर ध्यान दिए बगैर ART को शुरू किया जाए ।
    • इसने व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर वायरस संचरण को कम करने में मदद की है।
    • इसके तहत चिकित्सा से गुजर रहे प्रत्येक पीएलएचआईवी के लिए मुफ्त वायरल लोड परीक्षण की सुविधा है।
  • PLHIV का स्थिरीकरण: इस कार्यक्रम के तहत रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाते हुए  पीएलएचआईवी स्थिरीकरण हेतु रोगी को दो से तीन महीने की दवाएँ प्रदान की जाती है।
    • यह ART केंद्रों में आने वाले मरीजों की संख्या में कमी लाता है, जिससे मरीजों के लिए यात्रा-समय और लागत में कमी आती है।
  • उपचार के प्रति अनुपालन: यह औसत दैनिक OPD में कमी लाते हुए ART केंद्रों पर भीड़ में कमी लाने के अलावा उपचार के प्रति अनुपालन को बढ़ाता है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को अन्य रोगियों की देखभाल के लिए अधिक समय मिलता है।
  • नई गुणकारी दवाओं को शामिल करना : भारत द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों में नई और अधिक गुणकारी दवाओं को शामिल किया जाता रहा है ।
    • उदाहरण के लिए, डोलटेग्रेविर (DTG), बेहतर वायरोलॉजिकल प्रभावकारिता और न्यूनतम प्रतिकूल प्रभाव वाली एक नई दवा वर्ष 2020 में प्रस्तुत की गई थी।
  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP): भारत के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) चरण 5 का लक्ष्य वर्ष 2025 तक नए एचआईवी संक्रमण और एड्स से संबंधित मृत्यु दर में कमी लाना है और साथ ही HIV और सिफलिस के ऊर्ध्वाधर संचरण को समाप्त करना है। इसके तहत UNAIDS द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी “95-95-95” लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास किया गया है।
    • 95% PLHIV को अपनी स्थिति की जानकारी हैं, 95% ART के तहत निदान पाते  हैं और 95% को ART के तहत इस वायरस से मुक्ति पाते हैं।

ART में व्याप्त चुनौतियाँ:

  • विलंबित ART नामांकन: इस संबंध में एक महत्त्वपूर्ण  मुद्दा ART केंद्रों पर रोगियों का देर से नामांकन माना गया है, जिसमें लगभग एक-तिहाई रोगियों में CD 4 गिनती 200 से नीचे होती है, जिससे उपचार में देरी हो जाती है।
  • उपचार के साथ गैर-अनुपालन: एक बार मरीजों द्वारा बेहतर महसूस  शुरू किये जाने के बाद उनके द्वारा  ART आहार को बंद कर दिया जाता है या इसका असंगत तरीके से पालन किया जाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य को खतरा हो जाता है और दवा-प्रतिरोध स्थिति को बढ़ावा मिलता है।
    • इसके अलावा, उपचार कार्यक्रम की सफलता के लिए ‘लॉस्ट टू फॉलो-अप’ को संबोधित करना आवश्यक है।
  • ART आपूर्ति और पहुँच: सभी क्षेत्रों में, विशेष रूप से दूरदराज और दुर्गम इलाकों में ART दवाओं की निरंतर और सुलभ आपूर्ति सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: एचआईवी/एड्स रोगियों तक पहुँच और सहायता बढ़ाने के लिए, निजी क्षेत्र को उनकी देखभाल और उपचार में अधिक से अधिक शामिल किया जाना चाहिए।
  • स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के लिए निरंतर प्रशिक्षण: उन्नत विज्ञान को अपनाने और उपचार के परिणामों में वृद्धि के लिए, चिकित्सा कर्मचारियों को निरंतर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
  • अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ एकीकरण: हेपेटाइटिस, गैर-संचारी रोगों और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने वाली अन्य स्वास्थ्य पहलों के साथ एचआईवी/एड्स कार्यक्रमों को एकीकृत करना, संपूर्ण देखभाल प्रदान करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है।
  • मृत्यु दर में कमी लाना: व्यवस्थित समीक्षाओं और परिष्कृत निदान के माध्यम से रोकी जा सकने वाली मौतों में कमी लाने संबंधी केंद्रित प्रयास, रोगी की जीवन प्रत्याशा दर को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष:

भारत में निःशुल्क ART परियोजना की सफलता, निःशुल्क हेपेटाइटिस-C उपचार कार्यक्रम जैसे तुलनात्मक कार्यक्रम को सभी राज्यों द्वारा अपनाए जाने की दिशा में एक मॉडल के रूप में कार्य करती है।

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