हाल ही में कोडईकनाल सौर वेधशाला (Kodaikanal Solar Observatory) के 125 वर्ष पूरे हुए।
कोडईकनाल सौर वेधशाला की शुरुआत
अंग्रेजों द्वारा मद्रास वेधशाला की स्थापना: 1792 ईसवी में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास वेधशाला की स्थापना की, जो भारतीय उपमहाद्वीप के इस हिस्से में अपनी तरह की पहली थी।
प्रारंभिक उपकरण में दो तीन इंच के एक्रोमेटिक दूरबीन (Achromatic Telescopes), मिश्रित पेंडुलम वाली दो खगोलीय घड़ियाँ एवं एक पारगमन उपकरण शामिल थे।
18 अगस्त, 1868 को सूर्य ग्रहण जैसी खगोलीय घटना को पहली बार कैप्चर करने से सौर भौतिकी के विषय की जानकारी प्राप्त होना शुरू हुई।
सौर विशिष्टता की गैसीय प्रकृति की खोज के लिए पहली बार स्पेक्ट्रोस्कोप का उपयोग किया गया था।
कवलूर वेधशाला (Kavalur Observatory) की स्थापना: वर्ष1968 में तारकीय स्पेक्ट्रोस्कोपी एवं फोटोमेट्री (Stellar Spectroscopy and Photometry) के लिए कवलूर, तमिलनाडु में एक नई वेधशाला शुरू की गई थी।
आकाशगंगाओं, तारों एवं सौर मंडल पर शोध के लिए अधिकांश अवलोकन अब कवलूर वेधशाला के माध्यम से प्राप्त किए जाते हैं।
कोडईकनाल सौर वेधशाला (KSO) का बुनियादी ढाँचा अधिक उत्तम एवं यहाँ दूरबीनों की अधिक संख्या मौजूद है। यह अपने सौर अवलोकनों को रिकॉर्ड करने के लिए हाथ से खींची गई छवियों, फोटोग्राफिक प्लेटों तथा फिल्मों के संयोजन का उपयोग करता है।
अभिलेखागार में लगभग 2,00,000 लेंस एवं चार दूरबीनें हैं:
एच-अल्फा दूरबीन (H-Alpha Telescope)
जुड़वाँ दूरबीनें (Twin Telescopes)
व्हाइट लाइट एक्टिव रीजन मॉनिटर टेलीस्कोप (White light Active Region Monitor Telescope- WARM)
इसके उपकरणों की पूरी शृंखला में एक स्पेक्ट्रोग्राफ, एक फोटोहेलियोग्राफ (Photoheliograph), दो पूर्ण-डिस्क स्पेक्ट्रोहेलोग्राफ (Spectroheliograph) एवं एक रेडियो स्पेक्ट्रोग्राफ (Radio Spectrograph) भी शामिल है।
कोडईकनाल सौर वेधशाला (KSO) का योगदान
एवरशेड प्रभाव (Evershed Effect) की पुष्टि: KSO, वर्ष 1909 में एवरशेड प्रभाव (सनस्पॉट में रेडियल गति) की पुष्टि करने वाली पहली वेधशाला थी।
डेटा रिपॉजिटरी: KSO एक सदी से अधिक समय से सूर्य का अवलोकन कर रहा है एवं इसमें डेटा का एक समृद्ध भंडार है।
यह न केवल सूर्य के अतीत के पुनर्निर्माण के लिए बेहद उपयोगी है, बल्कि इसमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का पृथ्वी के मौसम तथा यहाँ के जीवन पर होने वाले प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने एवं भविष्यवाणी करने के लिए इसके व्यवहारिक परिवर्तनों को जोड़ने हेतु भी बेहद उपयोगी है।
सौर अवलोकन: यह सूर्य एवं उसकी विशेषताओं का अवलोकन तथा रिकॉर्ड करता है।
केवल दो अन्य संस्थानों [पेरिस में मीडॉन वेधशाला (Meudon Observatory) एवं माउंट विल्सन वेधशाला (Mount Wilson Observatory)] के पास एक समान समयावधि का संग्रह है।
इक्वेटोरियल इलेक्ट्रोजेट (Equatorial Electrojet) की निगरानी: दक्षिण भारत की पलानी पहाड़ियों में अपने स्थान के कारण, KSO इक्वेटोरियल इलेक्ट्रोजेट में परिवर्तन देखने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
इक्वेटोरियल इलेक्ट्रोजेट एक विद्युत धारा जो पृथ्वी के आयनमंडल (Earth’s Ionosphere) में प्रवाहित होती है।
सार्वजनिक आउटरीच: KSO कार्यशालाओं एवं शैक्षिक पहलों के माध्यम से सार्वजनिक आउटरीच में लगा हुआ है।
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