हाल ही में 28 वर्षीय एक डच महिला ने गंभीर अवसाद और व्यक्तित्व विकार से मुक्ति के उद्देश्य से कानूनी रूप से अपना जीवन समाप्त कर लिया।
संबंधित तथ्य
जनवरी 2024 में, फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने असाध्य रूप से ग्रसित व्यक्तियों के लिए इच्छामृत्यु (Euthanasia) को वैध बनाने हेतु एक विधेयक प्रस्तुत किया।
भारत में ‘जीने का अधिकार’ का कार्यान्वयन बहुत धीमा है, यद्यपि छह वर्ष पहले ही उच्चतम न्यायालय ने घोषणा कर दी है कि भारतीयों को सम्मान के साथ मरने का अधिकार है।
इच्छामृत्यु (Euthanasia)
तात्पर्य: इच्छामृत्यु का अर्थ किसी व्यक्ति द्वारा असाध्य स्थिति या असहनीय पीड़ा से राहत पाने के लिए इच्छा स्वरूप की गई जीवन-समाप्ति है।
इच्छामृत्यु चार प्रकार की हो सकती है-
सक्रिय इच्छामृत्यु (Active Euthanasia): इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के जीवन को पदार्थों या बाहरी माध्यम से समाप्त करने के लिए सक्रिय हस्तक्षेप किया जाता है, उदाहरण के लिए, जानलेवा इंजेक्शन का उपयोग करना।
निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia): इसके तहत, कोई भी व्यक्ति जीवन को चलाने में सहायक तत्त्वों या उपचार को त्याग देता है, जो असाध्य रूप से बीमार व्यक्ति को जीवित रखने के लिए आवश्यक है।
स्वैच्छिक इच्छामृत्यु (Voluntary Euthanasia): इस प्रक्रिया का प्रयोग रोगी की सहमति से किया जाता है।
अनैच्छिक इच्छामृत्यु (Involuntary Euthanasia): इसमें रोगी की सहमति नहीं ली जाती है।
इच्छामृत्यु पर भारतीय न्यायपालिका
अरुणा रामचंद्र शानबाग बनाम भारत संघ, 2011: इस मामले में, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि असाधारण परिस्थितियों में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी जा सकती है।
सामान्य कारण बनाम भारत संघ, 2018: उच्चतम न्यायालय ने असाध्य रूप से ग्रसित रोगियों की जीवित इच्छा को मान्यता देते हुए निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दे दी और इस प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।
लिविंग विल (Living Will): लिविंग विल एक कानूनी दस्तावेज है, जिसे किसी व्यक्ति द्वारा अपनी इच्छाओं को बताने में असमर्थ होने की स्थिति में चिकित्सा देखभाल के लिए निर्धारित किया जाता है।
इसे अग्रिम निर्देश (Advance Directive) भी कहा जाता है।
वर्ष 2023 में उच्चतम न्यायालय ने गरिमा के साथ मृत्यु के अधिकार को अधिक सुलभ बनाने के लिए दिशा-निर्देशों में संशोधन किया।
वैश्विक स्तर पर इच्छामृत्यु की स्थिति
नीदरलैंड, लक्जमबर्ग, बेल्जियम: इन देशों में ‘असहनीय पीड़ा’ का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति को इच्छामृत्यु और सहायता प्राप्त आत्महत्या दोनों की अनुमति कानूनी रूप से प्राप्त है।
स्विट्जरलैंड: स्विट्जरलैंड ने इच्छामृत्यु पर प्रतिबंध लगा दिया है किंतु उचित परिस्थितियों में चिकित्सक की उपस्थिति में उनकी सहायता से मृत्यु की अनुमति है।
कनाडा: कनाडा ने घोषणा की थी कि मार्च 2023 तक मानसिक रूप से ग्रसित रोगियों को इच्छामृत्यु और सहायता प्राप्त मृत्यु की अनुमति दी जाएगी, किंतु इस निर्णय की व्यापक रूप से आलोचना की गई।
संयुक्त राज्य अमेरिका: संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न राज्यों में इच्छामृत्यु के संबंध में अलग-अलग कानून हैं। वाशिंगटन, ओरेगॉन और मोंटाना जैसे कुछ प्रांतों में इच्छामृत्यु की अनुमति है।
यूनाइटेड किंगडम: यहाँ इच्छामृत्यु को अवैध और हत्या के बराबर माना जाता है।
आत्महत्या और इच्छामृत्यु वैचारिक रूप से अलग हैं। आत्महत्या स्वयं को चोट पहुँचाकर, नशा करके या किसी अन्य तरीके से की जा सकती है। इस प्रकार, आत्महत्या किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर किया गया कृत्य है।
दूसरी ओर, इच्छामृत्यु में किसी अन्य व्यक्ति के अस्तित्व को समाप्त करने के लिए उपाय करना शामिल होता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत, क्या ‘जीवन के अधिकार’ में ‘मृत्यु का अधिकार’ भी शामिल है?
पी. रथिनम बनाम भारत संघ, 1994: न्यायपालिका में इस बात पर बहस जारी है कि आत्महत्या के प्रयास (IPC की धारा 309) के लिए सजा का प्रावधान सही है या गलत।
इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि ‘जीवन के अधिकार’ के अंतर्गत ‘मृत्यु का अधिकार’ शामिल है। इस प्रकार, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 309 को संवैधानिक रूप से अमान्य माना गया।
जियान कौर बनाम पंजाब राज्य, 1996: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि संविधान में निहित जीवन का अधिकार के अंतर्गत ‘मृत्यु का अधिकार’ अनिवार्य रूप से शामिल नहीं है, क्योंकि आत्महत्या या मरने का विकल्प चुनना किसी के जीवन को समाप्त करने का एक अप्राकृतिक तरीका है।
उच्चतम न्यायालय ने IPC की धारा 309 को अवैध करार कर दिया है तथा आत्महत्या के प्रयास को पुनः अपराध घोषित कर दिया है।
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