हाल ही में भारत ने शिकागो स्थित मानवाधिकार समूह द्वारा उठाए गए मानवाधिकारों एवं पर्यावरण के दुरुपयोग के आरोपों को खारिज कर दिया।
संबंधित तथ्य
आरोप:कॉरपोरेट अकाउंटेबिलिटी लैब (CAL) की एक रिपोर्ट में कुछ झींगा हैचरियों, तालाबों एवं पीलिंग शेडों में काम करने वाले श्रमिकों की स्थिति को लेकर आरोप लगाया गया है।
भारत द्वारा अस्वीकृति: भारत ने यह उल्लेख करते हुए आरोपों को खारिज कर दिया कि भारत के झींगा निर्यात के लिए संपूर्ण मूल्य शृंखला समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Marine Products Export Development Authority- MPEDA) द्वारा प्रमाणित है।
भारत द्वारा की गई कार्रवाई
स्वतंत्र अध्ययन का संचालन: केंद्रीयवाणिज्य मंत्रालय ने निर्यातकों को अमेरिका एवं यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख बाजारों में चिंताओं को खत्म करने के लिए झींगा फार्मों में काम करने की स्थितियों पर स्वतंत्र अध्ययन कराने की सलाह दी।
विशिष्ट भागीदारी: केंद्रीयवाणिज्य मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार से CAL रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का मूल्यांकन करने को कहा है, जैसे कि श्रमिकों को ‘खतरनाक एवं अपमानजनक परिस्थितियों‘ का सामना करना पड़ रहा है।
झींगा पर भारत की स्थिति
प्रगतिशील निर्यात: वर्ष2022-23 में, भारत के समुद्री उत्पादों का निर्यात 8.09 बिलियन डॉलर था, जिसमें झींगा का योगदान 5.6 बिलियन डॉलर था।
भारत दुनिया के सबसे बड़े झींगा निर्यातकों में से एक के रूप में उभरा है एवं अमेरिकी बाजार में इसकी हिस्सेदारी वर्ष 2022-23 में 21% से बढ़कर 40% हो गई है।
लक्ष्य: भारत का लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक समुद्री खाद्य निर्यात को ₹1 लाख करोड़ तक बढ़ाना है।
भारत में प्रमुख झींगा उत्पादक राज्य: आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं गुजरात।
इन राज्यों के अलावा झींगा पालन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान जैसे राज्यों में भी किया जा रहा है।
झींगा उत्पादन में सबसे बड़ीबाजार हिस्सेदारी आंध्र प्रदेश की है। यहाँ लगभग एक लाख झींगा फार्म हैं, भारत के कुल झींगा उत्पादन में इस राज्य की हिस्सेदारी लगभग 70% है।
महिला-समावेशी क्षेत्र: इस क्षेत्र में लगभग 8 मिलियन नौकरियों में से लगभग 70% महिलाएँ हैं, जिनमें से दो लाख हैचरी एवं जलीय कृषि फार्मों में तथा शेष संबंधित प्रसंस्करण एवं फ्रीजिंग इकाइयों में कार्यरत हैं।
झींगा पालन (Shrimp Farming)
यह समुद्री या मीठे जल से संबंधित एक प्रकार का जलीय कृषि व्यवसाय है, जिसमें मानव उपभोग के लिए झींगे (Shrimp) या प्राॅन का उत्पादन किया जाता है।
भारत की झींगा राजधानी: आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले को ‘भारत की झींगा राजधानी’ (Shrimp capital of India) के रूप में जाना जाता है।
झींगे व्यापक रूप से अधिकांश समुद्री तटों तथा ऐश्चुरी के तलों के साथ-साथ नदियों एवं झीलों में भी पाए जाते हैं। झींगे की अधिकांश प्रजातियाँ खारे जल से संबंधित हैं, हालाँकि इसकी कई प्रजातियाँ मीठे जल में भी पाई जाती हैं।
हालाँकि झींगा लगभग पूरी तरह से जलीय जीव है, किंतुमेरगुइया (Merguia) की दो प्रजातियाँ अर्द्ध-स्थलीय (Semi-terrestrial) हैं एवं ये दोनों प्रजातियाँ मैंग्रोव क्षेत्र में भी पाई जाती हैं।
मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में सतत जलकृषि (Sustainable Aquaculture In Mangrove Ecosystem- SAIME) पहल
शुरुआत: वर्ष 2019 में
परिचय: यह टिकाऊ झींगा पालन के लिए एक समुदाय आधारित पहल है। इस पहल के तहत, किसानों ने पश्चिम बंगाल में 30 हेक्टेयर में झींगा पालन प्रारंभ किया है।
साथ ही ये किसान पाश्चिम बंगाल के मैंग्रोव क्षेत्र को भी पुनर्स्थापित करने में अपनी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Marine Products Exports Development Authority- MPEDA) के बारे में
स्थापना: MPEDA अधिनियम, 1972 की धारा (4) के अंतर्गत स्थापित MPEDA एक वैधानिक निकाय है।
अधिदेश: यह भारत में समुद्री उत्पाद उद्योग के समग्र विकास के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
फोकस क्षेत्र: बाजार संवर्द्धन, मत्स्यपालन, प्रसंस्करण अवसंरचना एवं मूल्य संवर्द्धन, गुणवत्ता नियंत्रण तथा अनुसंधान एवं विकास।
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