100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत तेजी से उभरते कैंसर के मामले

Lokesh Pal April 06, 2024 05:00 139 0

संदर्भ:

अपोलो हॉस्पिटल्स की वार्षिक हेल्थ ऑफ नेशन रिपोर्ट द्वारा साझा किए गए आँकड़ों के अनुसार, भारत में कैंसर के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है यह वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक की संख्या को दर्शाता है।

अन्य प्रमुख तथ्य :

  • एनसीडी में वृद्धि: इस रिपोर्ट के माध्यम से भारत में गैर-संचारी रोगों (NCD) में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया  है, जो देश के समग्र स्वास्थ्य परिदृश्य को प्रभावित करता है।
    • इन गैर संचारी रोगों में कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ इत्यादि भी शामिल हैं।

कैंसर: सामान्य परिचय 

  • कैंसर: यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाती हैं।
    • कैंसर की बिमारी की शुरुआत तब होती है जबकि एक जीन या कई जीनों में उत्परिवर्तित होता है और वे कैंसर कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। 
      • ये कोशिकाएँ कैंसर क्लस्टर या ट्यूमर का निर्माण करती हैं।
  • कैंसर कोशिकाओं का निर्माण शरीर में किसी भी स्थान पर हो सकता है , इनमें शारीर का कोई अंग, मांसपेशियाँ, हड्डियाँ, और रक्त इत्यादि शामिल हैं
  • शारीर के एनी भागों में फैलने में सक्षम होने की वजह से ये कोशिकाएँ सामान्य कोशिकाओं से भिन्न होती हैं , कैंसर कोशिकाओं के इस फैलाव को मेटास्टेसिस (Metastasis) कहा जाता है  

भारत में कैंसर की व्यापकता की स्थिति:

  • गैर संचारी रोगों से संबंधित मौतें: भारत में तकरीबन 63 प्रतिशत मौतों के पीछे प्रमुख कारण गैर संचारी रोग हैं ।
  • आर्थिक लागत: कैंसर की वजह से भारत को वर्ष 2030 तक तकरीबन 3.55 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक उत्पादन के हानी की संभावना है।
  • भारत में कैंसर निदान के लिए औसत आयु: भारत में कैंसर निदान के लिए औसत आयु अन्य देशों की तुलना में कम है।
  • कैंसर स्क्रीनिंग दरें: भारत में कैंसर स्क्रीनिंग दरें बहुत कम हैं। भारत में पूर्व-स्तन कैंसर की जाँच 1.9% है, जबकि अमेरिका में यह 82%, ब्रिटेन में 70% और चीन में 23% है।
  • कोलन कैंसर में वृद्धि: युवाओं में कोलन कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है, अपोलो अस्पताल में कोलन कैंसर के 30% रोगियों की आयु 50 वर्ष से कम पाई गई है।
  • प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में वृद्धि: लैंसेट कमीशन के नवीनतम रिसर्च पेपर के अनुसार, भारत में सभी कैंसर का तीन प्रतिशत हिस्सा प्रोस्टेट कैंसर का है।
    • इनमें से अनुमानित 33,000-42,000 नए मामलों का सालाना निदान किया जाता है।

भारत में कैंसर के मामलों में वृद्धि के कारण:

  • धूम्रपान और शराब का उपयोग: लैंसेट द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में कैंसर से होने वाली 37% से अधिक मौतों के लिए धूम्रपान, शराब, उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और अन्य ज्ञात जोखिम कारक जिम्मेदार थे।
  • मोटापा: अध्ययनों ने इसे स्तन, कोलोरेक्टल, अग्नाशय और गुर्दे के कैंसर की बढ़ती संभावना से जोड़ा है।
  • अस्वास्थ्यकर आहार: अस्वास्थ्यकर आहार जिसमें वसा की मात्रा अधिक और फाइबर की मात्रा कम हो, आंत, फेफड़े, प्रोस्टेट और गर्भाशय के कैंसर सहित कई कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • तनाव: दीर्घकालिक तनाव स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है, जिसमें कैंसर का खतरा भी शामिल है।
  • मौखिक स्वच्छता: मुंह में पुरानी सूजन और संक्रमण, जो अक्सर खराब मौखिक स्वच्छता से जुड़े हुए होते हैं, को मौखिक कैंसर के बढ़ते खतरे से जोड़ा गया है।
  • व्यावसायिक और पर्यावरणीय जोखिम: कार्यस्थल या वातावरण में कुछ रसायनों और विषाक्त पदार्थों, जैसे एस्बेस्टस, बेंजीन और रेडॉन के संपर्क में आना।
  • संक्रमण: कुछ संक्रमण, जैसे कि ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV), हेपेटाइटिस बी और सी वायरस और हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़े हुए हैं।
  • अन्य: शारीरिक गतिविधियों में कमी, अत्यधिक धूप में रहना।

भारत में कैंसर देखभाल के क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियाँ:

  • रेडियोथेरेपी: भारत में रेडियोथेरेपी की सुविधाओं का अभाव है, इसके अलावा जो हैं भी उनमें से भी अधिकांश शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं।
    • ध्यान रखने योग्य तथ्य है कि डब्ल्यूएचओ प्रति दस लाख लोगों पर एक मेगावोल्टेज रेडियोथेरेपी यूनिट की सिफारिश करता है।
  • ओपिओइड के उपयोग में कमी: 1985 में, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी को विनियमित करने के कानून ने मॉर्फिन के चिकित्सा उपयोग में 97 प्रतिशत की कमी कर दी, जो दर्द प्रबंधन के लिए पहुँच को गंभीर रूप से सीमित कर देता है।
  • पर्याप्त बुनियादी ढाँचे और संसाधनों का अभाव: स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में व्यापक कैंसर देखभाल के लिए आवश्यक उपकरण, प्रशिक्षित कर्मियों और उपचार विकल्पों इत्यादि का अभाव है।
  • किफायती उपचार: कैंसर की दवाओं की उच्च लागत रोगियों और उनके परिवारों को वित्तीय संकट में डाल देता है।
  • कुशल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेल्थकेयर पेशेवरों की कमी: यह कैंसर देखभाल की डिलीवरी को प्रभावित करता है और विशेष उपचार तक पहुँच में असमानताओं में योगदान देता है।
  • सामाजिक कलंक के रूप में कैंसर : कैंसर से संबंधित सामाजिक समस्याएँ अलगाव और भेदभाव को जन्म दे सकती हैं, जिससे रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

भारत में कैंसर के उपचार और रोकथाम के लिए पहल:

  • सीएआर-टी (CAR-T) सेल थेरेपी: आईआईटी बॉम्बे में कैंसर के लिए भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी लॉन्च की गई।
    • यह दुनिया की सबसे किफायती CAR-T सेल थेरेपी है।
  • कैंसर देखभाल (FCC) पहल: 2022 में पेश की गई, यह गुणवत्ता, समयबद्धता, सटीकता और निष्पक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हुए कैंसर की रोकथाम और उपचार को बदलने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करती है।
  • तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र (TCCC) योजना: इसका उद्देश्य कैंसर के इलाज की सुविधाओं में सुधार के लिए देश भर में राज्य कैंसर संस्थान और तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र स्थापित करना है।
  • प्रोहेल्थ स्कोर: यह किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण का आकलन करने के लिए एक डिजिटल स्वास्थ्य जोखिम मूल्यांकन उपकरण है, और पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली तथा वर्तमान लक्षणों जैसे कारकों का मूल्यांकन करता है।
  • अन्य पहल:
    • आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY)
    • कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS)
    • राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN)
    • राज्य बीमारी सहायता निधि
    • स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी निधि (HMCPF)
    • प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY)

आगे की राह :

  • अनुसंधान और विकास में निवेश: नवीन कैंसर उपचार विधियों की खोज और विकास के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश की आवश्यकता है।
  • स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग: कैंसर देखभाल की प्रभावी डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए दवा कंपनियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के मध्य सहयोग की आवश्यकता है।
  • रोगी सहायता कार्यक्रम: इसमें रोगियों के लिए छूट, सब्सिडी या मुफ्त दवाओं तक पहुँच शामिल है, जिससे कैंसर देखभाल का वित्तीय बोझ कम हो जाता है।
  • नियामक वातावरण को सुव्यवस्थित करना: नियामक अधिकारियों को कैंसर की दवाओं के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और नवीन उपचारों तक समय पर पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • जन जागरूकता अभियान: जागरूकता अभियान, सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रम और शैक्षिक पहल के रूप में ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

News Source: BS

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.