तमिलनाडु के कोयंबटूर के पास एक गाँव कुमिट्टीपथी (Kumittipathi) में कुछ लोगों ने गुफा में रॉक आर्ट पेंटिंग्स को नुकसान पहुँचाया है।
संबंधित तथ्य
ये पेंटिंग्स कोंगु क्षेत्र की सबसे महत्त्वपूर्ण रॉक आर्ट में से एक हैं एवं लगभग 3,000 वर्ष पुरानी हैं।
यह रॉक आर्टपेंटिंग एक प्राकृतिक गुफा की दीवारों पर सफेद रंग से बनाई गई है, जिसमें जानवरों, मानव आकृतियों तथा रथों को चित्रित किया गया है।
रॉक आर्ट (Rock Art) के बारे में
रॉक आर्टका तात्पर्य आमतौर पर प्राचीन या प्रागैतिहासिक काल से पत्थर पर बनाए गए चित्र, पेंटिंग या इसी तरह के कार्यों से है।
इसमें विभिन्न रूप शामिल हैं, जैसे पिक्टोग्राफ्स (Pictographs), पेट्रोग्लिफ (Petroglyphs), उत्कीर्णन, पेट्रोफॉर्म (Petroforms), एवं जियोग्लिफ (Geoglyphs)।
ये कलाकृतियाँ अक्सर प्राचीन जानवरों, औजारों एवं मानवीय गतिविधियों को दर्शाती हैं, जो ऐतिहासिककाल के दैनिक जीवन की अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। हालाँकि, वे अक्सर यथार्थवादी के बजाय प्रतीकात्मक होते हैं।
रॉक आर्ट स्थलों में में विकसित कला कई शताब्दियों की हो सकती है, जो समय के साथ कलात्मक शैलियों के विकास को दर्शाती है।
गुफा चित्रकारी (Cave Painting)
गुफा चित्र एक प्रकार की रॉक कला है, जिसे पिक्टोग्राफ्स (Pictographs) के रूप में जाना जाता है।
कुमिट्टीपथी के पथिमलाई में रॉक आर्ट स्थलों के बारे में
विभिन्न प्रकार के चित्रण: हाथी के अलावा, यहाँ के गुफा चित्रों में एक रथ (कुछ लोग इसे मोर के रूप में व्याख्या करते हैं), मानव आकृतियाँ एवं प्राचीन निवासियों के जीवन के दृश्यों को चित्रित किया गया है।
आवास के लिए उपयोग की जाने वाली गुफाएँ: इन गुफाओं में छोटे-छोटे छिद्र भी मौजूद हैं, जिनका उपयोग वहाँ रहने वाले लोग जल एवं अन्य चीजें संगृहीत करने के लिए करते रहे होंगे।
आयु एवं सामग्री में विविधता
रॉक कला विशेषज्ञ का सुझाव है कि कुमिट्टीपथी की सभी पेंटिंग एक ही काल की नहीं हैं।
सामग्री: इन चित्रों को बनाने के लिए कलाकारों ने संभवतः अकार्बनिक सफेद रंगद्रव्य एवं प्राकृतिक गोंद का उपयोग किया है।
क्षेत्र में समान पेंटिंग: कुमिट्टीपथी से मिलती-जुलती शैल पेंटिंग वेल्लारुक्कम पलायम (Vellarukkam Palayam), विरालियूर (Viraliyur) एवं कोवनूर (Kovanur) में पाई जा सकती हैं।
यहाँ शिकार के दृश्यों एवं अन्य गतिविधियों को चित्रित किया गया है।
हाथी के चित्र की व्याख्या
काल-खंड: गुफा में मौजूद हाथी के चित्र वाली पेंटिंग को सबसे पुरानी पेंटिंग में से एक माना जाता है।
विश्लेषण
हाथियों का व्यापार: कुछ लोगों का तर्क है कि दो स्थानों से कुमिट्टीपथी की निकटता के कारण हाथी के चित्र जंगली हाथियों को पकड़ने की प्रथा एवं उनके व्यापार को इंगित करती है:
मावुथमपथी (महावतों के आवास स्थान को प्रतिबिंबित करता है)
वेलन्थावालम [वेझम (Vezham) के लिए एक स्थान, जिसका अर्थ है ‘हाथी’]
उपरोक्त दावे का समर्थन करने के लिए कोई सुबूत नहीं है: कुछ विश्लेषकों का कहना है कि संबंधित चित्रों में दो स्थानों से जोड़ने वाला कोई ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद नहीं है।
हाथी व्यापार पर इतिहासकारों का दृष्टिकोण
हाथियों के व्यापार से इनकार: पेंटिंग के चित्रण के दौरान इस क्षेत्र में एक शासी साम्राज्य की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए इतिहासकार इस बात से असहमत हैं कि यह पेंटिंग हाथी व्यापार का प्रतिनिधित्व करती है।
रोमनों के साथ व्यापार: रोमनों के साथ क्षेत्र में व्यापार का समर्थन किया गया है, लेकिन कोई भी ऐतिहासिक साक्ष्य हाथियों के व्यापार से नहीं जोड़ता है।
वैकल्पिक विश्लेषण
दैनिक गतिविधियाँ या धार्मिक प्रथाएँ: कुछ इतिहासकारों के अनुसार, शैलचित्र हाथियों के व्यापार के बजाय दैनिक गतिविधियों या धार्मिक प्रथाओं को चित्रित कर सकते हैं।
त्योहार या संगठित समाज: यह सुझाव दिया गया है कि रथ खींचने वाले लोगों के चित्र किसी अलग चीज का प्रतीक हो सकते हैं, जैसे- त्योहार या संगठित समाज।
शिकारियों का चित्रण होने के साथ-साथ, यह पेंटिंग व्यापक सामाजिक पहलुओं के प्रतिनिधित्व के रूप में कार्य कर सकती है।
चित्रकला पर इतिहासकारों का दृष्टिकोण
उद्देश्य: पुरातत्त्वविदों के अनुसार, चित्र आदिवासी लोगों द्वारा मनोरंजन के लिए बनाए गए थे क्योंकि उनका मानना था कि शिकार के दृश्यों को चित्रित करने से शिकार की सफलता में वृद्धि होती है।
हालाँकि, कुमिट्टीपथी में शिकार के कुछ दृश्य हैं।
विशिष्ट आकृति (गाड़ी) का अर्थ: पुरातत्त्व के अनुसार, गाड़ी जैसी दिखने वाली आकृति मोर हो सकती है।
मुरुगन मंदिर: पहाड़ी के ऊपर एक मुरुगन मंदिर से पता चलता है कि शुरुआती निवासियों ने देवता की पूजा की होगी।
इस क्षेत्र में महापाषाणकालीन कब्रगाह भी मौजूद हैं।
चित्रों का काल निर्धारण: चित्रों को पास के महापाषाण दफन स्थलों से जोड़कर, पुरातत्त्वविदों का अनुमान है कि यह कला 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व की हो सकती है।
भौगोलिक महत्त्व
कुमिट्टीपथी, पश्चिमी घाट के पलक्कड़ दर्रे में अवस्थित है, जो पर्वत शृंखला में एक उल्लेखनीय दरार को प्रतिबिंबित करता है।
यह भौगोलिक विशेषता ऐतिहासिक रूप से तमिलनाडु एवं केरल को जोड़ने वाले गलियारे के रूप में कार्य करती रही है।
व्यापार मार्ग: पलक्कड़ दर्रे में पेरुवाजी (Peruvazhi) के नाम से जाने जाने वाले प्राचीन व्यापार मार्ग थे।
ये व्यापार मार्ग अन्नामलाई एवं अय्यासामी मलाई (Ayyasamy Malai) के बीच मौजूद थे।
संगम काल में व्यापार मार्ग: संगम काल के दौरान, तीन व्यापार मार्ग अन्नामलाई,वेल्लालोर एवं अविनाशी (Avinashi) से होकर गुजरते थे।
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