100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

क्लाइमेट इंजीनियरिंग एवं राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम

Lokesh Pal April 08, 2024 06:12 161 0

संदर्भ

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को समाप्त करने की लागत के सापेक्ष क्लाइमेट इंजीनियरिंग (Climate Engineering) की लागत कम होने की उम्मीद है। हालाँकि इससे संबंधित जोखिम का खतरा अभी भी बना हुआ है। 

संबंधित तथ्य

  • अफ्रीकी देशों ने मार्च 2024 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (United Nations Environment Assembly) में सभी प्रकार की सावधानियों को संबोधित करते हुए क्लाइमेट इंजीनियरिंग पर रोक लगाने का आह्वान किया।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोई भी निर्णय लेने से पहले जोखिमों एवं लाभों का अध्ययन करने के लिए एक औपचारिक वैज्ञानिक समूह का गठन किया है।

क्लाइमेट इंजीनियरिंग (Climate Engineering) क्या है?

  • क्लाइमेट इंजीनियरिंग, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में जानबूझकर बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप को दर्शाता है।
  • प्रयुक्त तकनीकें
    • कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की तकनीक (Carbon Dioxide Removal- CDR): इस तकनीकी के तहत वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कर्षण एवं हटाना शामिल है।
      • इसमें पाँच दृष्टिकोण शामिल हैं: 
        • प्रत्यक्ष तरीके से हवा को कैप्चर करना, 
        • वनीकरण/पुनर्वनीकरण के माध्यम से भूमि-उपयोग प्रबंधन 
        • बायोमास द्वारा उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को पृथक करना 
        • समुद्र द्वारा CO2 के अवशोषण को बढ़ाना
        • प्राकृतिक मौसम प्रक्रियाओं को बढ़ाना जो वायुमंडल से CO2 को हटाती हैं।
      • वर्तमान में प्रतिवर्ष 37 बिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में जा रही है एवं केवल 2 बिलियन टन (0.1%) कार्बन डाइऑक्साइड को वार्षिक रूप से वायुमंडल से बाहर निष्कासित किया जा रहा है।
  • सौर विकिरण प्रबंधन (Solar Radiation Management- SRM) ज्वालामुखी विस्फोटों के शीतलन प्रभावों का अनुकरण करके एवं समुद्री क्षेत्र में बादलों की परावर्तनशीलता को बढ़ाकर पृथ्वी के तापमान को तेजी से ठंडा करने के लिए प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है।

    • स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (Stratospheric Aerosol Injection): इसमें उच्च ऊँचाई पर उड़ने वाले हवाई जहाज, गुब्बारे आदि के साथ समताप मंडल में परावर्तक सल्फेट एयरोसोल कणों (सल्फर डाइऑक्साइड) का छिड़काव शामिल है।
      • यह तकनीकी बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण होने वाले प्राकृतिक वायुमंडलीय सल्फेट इंजेक्शन की नकल पर आधारित  है, जिसके परिणामस्वरूप आम तौर पर पृथ्वी थोड़े समय के लिए ठंडी हो जाती है।
      • ज्वालामुखी विस्फोट से वायुमंडल में छोटे-छोटे कणों यानी  ‘एरोसोल’ का फैलाव होता है। हल्के रंग के एरोसोल कण बादल रहित हवा में सूर्य से आने वाली ऊर्जा को प्रतिबिंबित कर सकते हैं एवं गहरे रंग के कण इसे अवशोषित कर सकते हैं।
  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (Marine Cloud Brightening- MCB): मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग को ‘मरीन क्लाउड सीडिंग’ और ‘मरीन क्लाउड इंजीनियरिंग’ के रूप में भी जाना जाता है, यह एक प्रस्तावित सौर विकिरण प्रबंधन क्लाइमेट इंजीनियरिंग तकनीक है, जो मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग को ऑफसेट करने के लिए आने वाले सूर्य के प्रकाश के एक छोटे अंश को वापस अंतरिक्ष में प्रतिबिंबित करके बादलों को उज्जवल बनाती है।

जलवायु इंजीनियरिंग तकनीकों से जुड़ा जोखिम

  • जलवायु संबंधी एकाधिकार: महंगी तकनीक देशों, फर्मों एवं शिक्षाविदों के एक बहुत छोटे समूह द्वारा विकसित की जा रही है, जिसका अर्थ है कि एक देश दुनिया की जलवायु को एकतरफा प्रभावित कर सकता है।
    • उदाहरण: वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया ग्रेट बैरियर रीफ के विनाश को रोकने के लिए इसे तेजी से ठंडा करने की व्यवहार्यता तलाश रहा है।
  • सीमा पार प्रभाव: एक देश में संचालित क्लाइमेट इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट पड़ोसी देशों में तापमान एवं वर्षा को प्रभावित करेगा, जिससे फसलें, जल आपूर्ति और बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
    • क्लाइमेट इंजीनियरिंग पर यूनेस्को (UNESCO) की एक रिपोर्ट ने भौगोलिक क्षेत्र से संबंधित देशों से प्रभावों के असमान स्थानिक वितरण के जोखिमों से बचने के लिए क्षेत्रीय समझौते करने का आग्रह किया है।
  • मौसमी घटनाओं के लिए क्लाइमेट इंजीनियरिंग को दोष देने की संभावना: एक बार जब क्लाइमेट इंजीनियरिंग का प्रयोग किया जाने लगता है, तो सुबूतों की परवाह किए बिना, देशों में तूफान, बाढ़ एवं सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाओं के लिए क्लाइमेट इंजीनियरिंग को दोषी ठहराने की अधिक संभावना हो सकती है।
  • क्लाइमेट इंजीनियरिंग का उपयोग हथियार के लिए एक संभावित उपकरण के रूप में: क्लाइमेट इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग राजनीतिक या आर्थिक हितों के लिए एक हथियार के रूप में किया जा सकता है।
  • भू-राजनीतिक संघर्ष वैश्विक स्तर पर उत्तर-दक्षिण विभाजन को फिर से जन्म दे सकता है। कुछ देशों को क्लाइमेट इंजीनियरिंग से लाभ होगा एवं इस प्रकार वे भू-राजनीतिक संघर्ष के प्रति अधिक लचीले होंगे, जबकि अन्य को नुकसान होगा तथा इस प्रकार वे अधिक असुरक्षित हो जाएँगे।
  • संघर्ष का कारण: क्लाइमेट इंजीनियरिंग देशों के बीच विवादों को जन्म दे सकती है, जिससे प्रतिबंध एवं मुआवजे की माँग हो सकती है।
  • अनपेक्षित परिणाम: बड़े पैमाने पर जलवायु इंजीनियरिंग प्रयोग अभी तक आयोजित नहीं किए गए हैं, एवं इसके प्रभावों के बारे में अधिक जानकारी पूरी तरह से जलवायु मॉडल पर निर्भर करती है।
    • इस प्रकार, विभिन्न अज्ञात एवं अनपेक्षित परिणामों का आकलन किया जाना चाहिए, तथा इससे संबंधित जोखिमों को पूरी तरह से मापा जाना चाहिए।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.