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RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में घोषणाएँ

Lokesh Pal April 08, 2024 06:20 183 0

संदर्भ

RBI ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में UPI नेटवर्क के विस्तार से लेकर सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड (SGrBs) में भागीदारी बढ़ाने आदि जैसे विशिष्ट उपायों को प्रस्तुत करने का प्रस्ताव करते हुए कई घोषणाएँ कीं।

संबंधित तथ्य

  • UPI के माध्यम से नकद जमा: RBI द्वारा UPI के माध्यम से नकद जमा सुविधा की सहायता प्रदान करने की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए परिचालन निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएँगे।
    • वर्तमान में नकद जमा की सुविधा अभी केवल डेबिट कार्ड के माध्यम से ही उपलब्ध है।
  • प्रीपेड भुगतान उपकरण (Prepaid Payment Instrument- PPI) धारक: PPI धारकों को अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए, RBI ने तीसरे पक्ष के UPI अनुप्रयोगों के माध्यम से PPI को जोड़ने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है।
    • इससे PPI धारक बैंक खाताधारकों की तरह UPI भुगतान करने में सक्षम होंगे।

प्रीपेड भुगतान उपकरण (PPI)

  • इसे भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (Payment and Settlement Systems Act, 2007) के तहत जारी किया गया था।
  • PPI ऐसे उपकरण हैं, जो वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद, वित्तीय सेवाओं के संचालन, उसमें संगृहीत मूल्य के विरुद्ध प्रेषण सुविधाओं को सक्षम करने आदि की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण: मोबाइल वॉलेट एवं ई-गिफ्ट कार्ड
  • जारीकर्ता: PPI बैंकों एवं गैर-बैंकों द्वारा जारी किए जा सकते हैं। बैंक RBI से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद PPI जारी कर सकते हैं। गैर-बैंक PPI जारीकर्ता भारत में निगमित तथा कंपनी अधिनियम 1956 के तहत पंजीकृत कंपनियाँ हैं।

  • वर्तमान में PPI का उपयोग वर्तमान में केवल PPI जारीकर्ता द्वारा प्रदान किए गए एप्लिकेशन का उपयोग करके UPI लेनदेन करने के लिए किया जा सकता है।
  • सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड्स (SGrBs) में अनिवासी भागीदारी: RBI अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में पात्र विदेशी निवेशकों को भी SGrBs में निवेश करने की अनुमति देगा।
    • वर्तमान में SEBI के साथ पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को सरकारी प्रतिभूतियों में FPIs द्वारा निवेश के लिए उपलब्ध विभिन्न मार्गों के तहत SGrBs में निवेश करने की अनुमति है।
    • सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड (SGrBs): ये हरित पहलों को वित्तपोषित करने एवं पारिस्थितिक संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जारी किए गए ऋण साधन हैं।
      • भारत सरकार ने जनवरी 2023 में SGrBs जारी किए थे।
  • RBI रिटेल डायरेक्ट योजना के लिए एक मोबाइल ऐप: निवेशकों को अपनी सुविधानुसार वित्तीय उपकरण खरीदने एवं बेचने में सक्षम बनाने तथा ‘पहुँच में आसानी’ में सुधार करने के लिए रिटेल डायरेक्ट पोर्टल का एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जा रहा है।
    • व्यक्तिगत निवेशकों को RBI के साथ गिल्ट खाते बनाए रखने एवं सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की सुविधा प्रदान करना।
    •  यह योजना निवेशकों को प्राथमिक नीलामी में प्रतिभूतियाँ खरीदने एवं NDS-OM प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रतिभूतियाँ खरीदने/बेचने में सक्षम बनाती है।
  • गैर-बैंक भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के माध्यम से सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्राओं (CBDC) का वितरण: RBI ने गैर-बैंक भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों को CBDC वॉलेट की पेशकश करने में सक्षम बनाकर CBDC-रिटेल को उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ बनाने का प्रस्ताव दिया है।
  • इससे मल्टी-चैनल लेनदेन को सँभालने के लिए CBDC प्लेटफॉर्म के लचीलेपन का परीक्षण करने के अलावा उपयोगकर्ताओं के लिए पहुँच बढ़ाने एवं विकल्पों का विस्तार करने की उम्मीद है।
  • केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राएँ (CBDCs): ये किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी के समान डिजिटल मुद्राएँ हैं, जो देश की फिएट मुद्रा के बराबर है।
  • लघु वित्त बैंक (SFBs): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लघु वित्त बैंकों (SFBs) को अनुमेय रुपया ब्याज व्युत्पन्न उत्पादों (Permissible Rupee Interest Derivative Products) का उपयोग करने की अनुमति देने के अपने फैसले की घोषणा की।
    • इसका उद्देश्य उनकी बैलेंस शीट एवं वाणिज्यिक संचालन में ब्याज दर जोखिम को अधिक प्रभावी ढंग से बचाव करना तथा उन्हें अधिक लचीलापन प्रदान करना है।
    • वर्तमान दिशा-निर्देश छोटे वित्त बैंकों को मालिकाना हेजिंग के लिए केवल ब्याज दर वायदा (Interest Rate Futures- IRFs) का उपयोग करने की अनुमति देते हैं।
  • तरलता कवरेज अनुपात (LCR) ढाँचे की समीक्षा करना: बैंकों द्वारा तरलता जोखिम के बेहतर प्रबंधन की सुविधा के लिए LCR ढाँचे में कुछ संशोधन प्रस्तावित किए जा रहे हैं।
    • LCR ढाँचा: यह वित्तीय संस्थानों द्वारा रखी गई अत्यधिक तरल संपत्तियों के अनुपात को संदर्भित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने अल्पकालिक दायित्वों (यानी, 30 दिनों के लिए नकदी बहिर्प्रवाह) को पूरा करने की निरंतर क्षमता बनाए रखें।

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