हाल ही में नोबेल पुरस्कार विजेता ‘पीटर हिग्स’ (Peter Higgs) का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
संबंधित तथ्य
पीटर हिग्स ने वर्ष 1964 में एक नए कण ‘हिग्स बोसॉन’ के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी।
पीटर हिग्स
परिचय
जन्म: इनका जन्म 29 मई, 1929 को न्यूकैसल अपॉन टाइन, यूनाइटेड किंगडम में हुआ था।
शिक्षा
वह अस्थमा से पीड़ित थे, अतः 17 वर्ष की आयु में गणित और भौतिकी का अध्ययन करने के लिए लंदन जाने से पहले हिग्स ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ब्रिस्टल में अपने घर पर प्राप्त की।
वर्ष 1954 में किंग्स कॉलेज से हिग्स ने पीएच.डी. की।
उपलब्धियाँ एवं अनुसंधान
ब्रह्मांड में द्रव्यमान के निर्माण के बारे में डॉ. हिग्स के विचार, जिसे उन्होंने 1960 के दशक की शुरुआत में एक युवा सिद्धांतकार के रूप में विकसित किया था, ने गणितीय गणनाओं का उपयोग करते हुए इस संबंध में स्पष्टीकरण का प्रस्ताव दिया कि हम सभी क्यों अस्तित्व में हैं: कैसे परमाणु और तारों का निर्माण होता है, ग्रह और लोग ब्रह्मांड में कैसे अस्तित्व में आए।
उनके द्वारा वर्ष 1964 में प्रकाशित एक अभूतपूर्व पेपर में बताया गया कि कैसे ‘मौलिक कणों ने एक नए उप-परमाणु कण के अस्तित्व के माध्यम से द्रव्यमान प्राप्त किया’ जिसे ‘हिग्स बोसॉन’ के रूप में जाना जाता है।
हिग्स बोसॉन कण (गॉड पार्टिकल)
परिचय
यह हिग्स क्षेत्र से जुड़ा मूलभूत कण है , यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो इलेक्ट्रॉनों और क्वार्क जैसे अन्य मूलभूत कणों को द्रव्यमान प्रदान करता है।
किसी कण का द्रव्यमान यह निर्धारित करता है कि जब वह किसी बल का सामना करता है तो वह अपनी गति या स्थिति को बदलने का कितना विरोध करता है।
सभी मूलभूत कणों में द्रव्यमान नहीं होता है।
इसका जीवनकाल छोटा होता है।
एक बार जब यह कणों की टक्कर से निर्मित हो जाता है, तो यह एक सेकंड के अरबवें हिस्से के खरबवें हिस्से से भी कम समय के लिए या 1.6 x 10-22 सेकंड तक अस्तित्व में रहता है।
समय
हिग्स बोसॉन को वर्ष 1964 में पीटर हिग्स, फ्रांकोइस एंगलर्ट और चार अन्य सिद्धांतकारों द्वारा प्रस्तावित किया गया था ताकि यह समझाया जा सके कि कुछ कणों में द्रव्यमान क्यों होता है।
वैज्ञानिकों ने वर्ष 2012 में स्विट्जरलैंड में सीईआरएन में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में एटलस और CMS प्रयोगों के माध्यम से इसके अस्तित्व की पुष्टि की ।
इस खोज के कारण वर्ष 2013 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार हिग्स और एंगलर्ट को दिया गया।
महत्त्व
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि हिग्स बोसॉन का उपयोग डार्क मैटर सहित ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में अधिक जानने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाएगा।
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर
परिचय
LHC एक विशाल प्रयोग है, जो अत्यधिक उच्च ऊर्जा पर भौतिकी का अध्ययन करने के लिए कणों के दो बीमों को टकराता है। यह विश्व का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग है तथा CERN (परमाणु अनुसंधान के लिए यूरोपीय संगठन) द्वारा संचालित है।
LHC एक गोलाकार पाइप है, जो 27 किमी. लंबी है तथा फ्रेंको-स्विस सीमा के पास जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
इसमें लगभग 9,600 चुंबकों/मैग्नेट्स द्वारा निर्मित दो D-आकार के चुंबकीय क्षेत्र शामिल हैं।
कार्यप्रणाली
प्रोटॉन, जो क्वार्क एवं ग्लूऑन्स से बने उप-परमाणु कण हैं, इन चुंबकों का उपयोग करके LHC के अंदर त्वरित होते हैं।
क्वार्क एवं ग्लूऑन उप-परमाणु कण हैं, जो प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का निर्माण करते हैं। क्वार्क छह अलग-अलग “प्रकार” से त्वरित होते हैं: ऊपर, नीचे, आकर्षी, असामान्य, शीर्ष और तल।
ग्लूऑन ऐसे कण होते हैं, जो शक्तिशाली परमाणु बल के माध्यम से प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन के अंदर क्वार्क को एक साथ “श्लेषित (Glue)” करते हैं।
प्रोटॉन LHC में त्वरित होने वाले एकमात्र कण नहीं हैं।
इन्हें चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में तीव्र परिवर्तन करके बीम पाइप के माध्यम से प्रोटॉन को त्वरित किया जा सकता है।
ये अन्य घटक कणों पर ध्यान केंद्रित करने और उन्हें पाइप की दीवारों से टकराने से रोकने में मदद करते हैं।
प्रोटॉन अंततः प्रकाश की गति के 99.999999% पर गमन करते हैं।
बोसॉन
प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सत्येन्द्र नाथ बोस ने फोटॉनों के विशिष्ट मामले में पता लगाया कि समान फोटॉनों का एक समूह कैसे व्यवहार करेगा।
उन्होंने क्वांटम यांत्रिक विचारों का उपयोग करके प्लैंक के विकिरण के नियम को गणितीय रूप से पुन: प्रस्तुत किया।
उन्होंने इस गणना में एक ऐसी तकनीक का प्रयोग किया, जिसने क्वांटम सांख्यिकी की नींव रखी।
उन्होंने अपना पेपर अल्बर्ट आइंस्टीन को भेजा, जिन्होंने उनकी गणना के मूल्य को पहचाना और पेपर का जर्मन में अनुवाद किया और ‘जिट्सक्रिफ्ट फर फिजिक’ पत्रिका में प्रकाशित किया।
यह पेपर मौलिक सिद्ध हुआ और बोस द्वारा प्रयोग की गई तकनीक ‘बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी’ के नाम से जानी जाती है और फोटॉन जैसे कण जो इन सांख्यिकी का अनुसरण करते हैं, उन्हें ‘बोसॉन’ कहा जाता है।
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