हाल ही में विश्व बैंक द्वारा वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट, 2024 जारी की गई है।
भारत संबंधी आँकड़े
भारत वायरल हेपेटाइटिस के सबसे अधिक बोझ वाले देशों में से एक है।
भारत में 2.9 करोड़ लोग हेपेटाइटिस B संक्रमण से ग्रसित हैं और 0.55 करोड़ लोग हेपेटाइटिस C से ग्रसित हैं।
हेपेटाइटिस
परिचय
हेपेटाइटिस शब्द यकृत की किसी भी सूजन को संदर्भित करता है- किसी भी कारण से यकृत कोशिकाओं की जलन या सूजन।
यह तीक्ष्ण हो सकती है (यकृत की सूजन जो बीमारी के साथ सामने आती है- पीलिया, बुखार, उल्टी) या दीर्घकालिक (यकृत की सूजन जो छह महीने से अधिक समय तक रहती है, लेकिन अनिवार्य रूप से कोई लक्षण नहीं देखे जाते हैं)।
कारण
आमतौर पर यह वायरस के एक समूह के कारण होता है जिसे ‘हेपेटोट्रोपिक’ (यकृत निर्देशित) वायरस के रूप में जाना जाता है, जिसमें A, B, C, D और E शामिल हैं।
अन्य वायरस भी इसका कारण बन सकते हैं, जैसे वेरीसेल्ला वायरस जो चिकन पॉक्स का कारण बनता है।
SARS-CoV-2, कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस लीवर को भी हानि पहुँचा सकता है।
नशीली दवाओं या अल्कोहल का उपयोग करना, लीवर में बहुत अधिक वसा होना (फैटी लीवर हेपेटाइटिस) या एक ऑटोइम्यून स्थिति होना, जहाँ शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है, जो लीवर पर हमला करता है (ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस) जैसे कुछ अन्य संभावित कारण हैं।
हेपेटाइटिस के प्रकार
हेपेटाइटिस A वायरस (HAV): यह लीवर की सूजन है, जो सामान्य से गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है।
यह दूषित भोजन तथा जल के सेवन अथवा किसी संक्रामक व्यक्ति (यौन व्यवहार) के सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है।
लगभग सभी लोग आजीवन प्रतिरक्षा के साथ हेपेटाइटिस-A से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं (HAV वाले कुछ लोगों की फुलमिनेंट हेपेटाइटिस से मृत्यु हो सकती है)।
हेपेटाइटिस A की रोकथाम के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी टीका भी उपलब्ध है।
हेपेटाइटिस B वायरस (HBV): यह एक वायरल संक्रमण है, जो यकृत को प्रभावित करता है और तीव्र एवं दीर्घकालिक दोनों प्रकार के संक्रमण का कारण बन सकता है।
यह आमतौर पर जन्म के दौरान माँ से बच्चे में, बचपन में, संक्रमित यौन संबंध बनाने, संक्रामक इंजेक्शन से फैलता है।
हेपेटाइटिस B को टीकों से रोका जा सकता है।
हेपेटाइटिस C वायरस (HCV): यह वायरस तीव्र और दीर्घकालिक दोनों तरह के हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है, जिसकी गंभीरता हल्की बीमारी से लेकर गंभीर, आजीवन बीमारी, जिसमें लिवर सिरोसिस और कैंसर शामिल है, तक हो सकती है।
यह एक रक्तजनित वायरस है और अधिकांश संक्रमण असुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल, रक्त आधान, इंजेक्शन नशीली दवाओं के उपयोग के माध्यम से होता है।
डायरेक्ट-एक्टिंग एंटीवायरल दवाएँ (DAA) हेपेटाइटिस सी संक्रमण वाले 95% से अधिक लोगों को ठीक कर सकती हैं, लेकिन निदान और उपचार तक पहुँच कम है।
वर्तमान में हेपेटाइटिस C के खिलाफ कोई प्रभावी टीका नहीं है।
हेपेटाइटिस D वायरस (HDV): यह एक ऐसा वायरस है, जिसकी प्रतिकृति बनाने के लिए हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) की आवश्यकता होती है। यह विश्व स्तर पर लगभग 5% व्यक्तियों को प्रभावित करता है, जिन्हें HBV का पुराना संक्रमण है।
हेपेटाइटिस B और D व्यक्तियों को एक साथ (सह-संक्रमण) या एक के बाद एक (सुपर-संक्रमण) संक्रमित कर सकते हैं। यह स्थानीय लोगों, डायलिसिस रोगियों तथा दवा उपयोगकर्ताओं में अधिक आम है। दोनों वायरस का होना यकृत के लिए बहुत जोखिमपूर्ण है और इससे कैंसर या मृत्यु हो सकती है।
हेपेटाइटिस D संक्रमण को हेपेटाइटिस B टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है, हालाँकि इसके उपचार की सफलता दर कम है।
हेपेटाइटिस E वायरस (HEV): यह HEV के संक्रमण के कारण होने वाली यकृत की सूजन (Inflammation) है। इसका संक्रमण विश्व भर में देखा जा सकता है, हालाँकि पूर्वी और दक्षिण एशिया में इसका प्रभाव अधिक है।
इस वायरस का संचरण मल मार्ग विशेषकर दूषित जल के माध्यम से होता है।
हेपेटाइटिस E वायरस संक्रमण को रोकने के लिए एक टीका विकसित किया गया है तथा चीन में इसे लाइसेंस प्राप्त है, लेकिन अभी तक यह कहीं और उपलब्ध नहीं है।
नए मामले: वर्ष 2022 में 50,000 से अधिक नए हेपेटाइटिस B मामले और 1.4 लाख नए हेपेटाइटिस C मामले सामने आए।
मौतें
भारत
इस रिपोर्ट के अनुसार इन संक्रमणों से वर्ष 2022 में भारत में 1.23 लाख लोगों की मौत हो गई।
विश्व
विश्व स्तर पर, प्रति वर्ष लगभग 1.3 मिलियन मौतों के साथ, वायरल हेपेटाइटिस, तपेदिक के बराबर ही लोगों की जान लेता है।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 304 मिलियन लोग हेपेटाइटिस B और C से पीड़ित हैं।
दोनों संक्रमण निम्नलिखित प्रकार से प्रसारित होते हैं-
प्रसव के दौरान माँ से बच्चे में,
ठीक से जाँच न किए गए रक्त के संक्रमण के दौरान,
संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क के दौरान या
नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं द्वारा सुइयों को साझा करने के दौरान।
चूँकि हेपेटाइटिस B को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है, इसलिए रिपोर्ट कवरेज सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। हेपेटाइटिस C का उपचार दवाओं से संभव है।
निदान एवं उपचार
हेपेटाइटिस B के केवल 2.4 प्रतिशत मामलों का निदान किया गया और 0 प्रतिशत को उपचार मिला।
हेपेटाइटिस C के लिए, भारत में निदान और उपचार का कवरेज बेहतर पाया गया, जिसमें 28 प्रतिशत का निदान किया गया और 21 प्रतिशत ने उपचार प्राप्त किया।
इस तथ्य के बावजूद कि कई भारतीय कंपनियाँ दवाओं के साथ-साथ डायग्नोस्टिक्स के जेनेरिक संस्करण भी बनाती हैं, कवरेज खराब बनी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दवाओं के विभिन्न संयोजनों के साथ उपचार की लागत सबसे कम है।
निदान
भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को हेपेटाइटिस B का टीका लगाया जाता है।
सरकार का वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम स्वास्थ्य कर्मियों जैसे उच्च जोखिम वाले वयस्कों को भी टीका प्रदान करता है। इस कार्यक्रम के तहत हेपेटाइटिस B और C दोनों का उपचार उपलब्ध है।
हेपेटाइटिस B के विपरीत, जिसमें जीवन भर दवाएँ लेनी पड़ती हैं, हेपेटाइटिस C का उपचार 12 से 24 सप्ताह तक चलता है।
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