100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह और हिंद-प्रशांत सुरक्षा

Lokesh Pal April 13, 2024 05:33 233 0

संदर्भ

केंद्र सरकार ने सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह  (Andaman and Nicobar Islands- ANI) में सुरक्षा ढाँचा मजबूत करने का प्रयास कर रही है।

संबंधित तथ्य 

  • सैन्य बुनियादी ढाँचे का उन्नयन: केंद्र सरकार द्वारा अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में सैन्य बुनियादी ढाँचे को अपडेट किया जा रहा है, जिसमें संशोधित हवाई क्षेत्र और जेट्टी, अतिरिक्त रसद और भंडारण सुविधाएँ, सैनिकों के लिए एक आवास और एक मजबूत निगरानी बुनियादी ढाँचा शामिल है।
  • कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल: केंद्र सरकार यातायात और संचालन का समर्थन करने के लिए संबंधित बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ एक कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल के निर्माण पर भी कार्य कर रही है।
  • बुनियादी ढाँचे के उन्नयन के पीछे का उद्देश्य: सुरक्षा बुनियादी ढाँचे में वृद्धि एक व्यापक सामरिक रणनीति का हिस्सा है जिसका उद्देश्य है-
    • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को एक अभेद्य समुद्री क्षेत्र में बदलना और हिंद महासागरीय क्षेत्र में मौजूद देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना।
    • यह विमान और पनडुब्बी खोज एवं बचाव मिशन जैसे सहकारी समुद्री प्रयासों के लिए एक मंच के रूप में कार्य कर सकता है।
    • यह अतिरिक्त सैन्यबलों की तैनाती और बड़े एवं अधिक युद्धपोतों, विमानों, मिसाइल बैटरी तथा सैनिकों के लिए सुविधाएँ प्रदान करेगा।
  • चीन का बढ़ता प्रभाव: इस क्षेत्र में बढ़ते चीन के प्रभाव के मद्देनजर भारत अपने सैन्य बुनियादी ढाँचे को उन्नत कर रहा है, जिसमें अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह से 55 किमी. उत्तर में स्थित म्याँमार के कोको द्वीपसमूह में एक सैन्य सुविधा का निर्माण शामिल है।

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह (Andaman and  Nicobar Islands- ANI)

  • द्वीपों का समूह: ANI में द्वीपों के दो समूह (अंडमान द्वीप समूह और निकोबार द्वीप समूह) शामिल हैं, जो 8,249 वर्ग किमी. के क्षेत्र को कवर करते हैं।
    • संपूर्ण द्वीप शृंखला में 836 द्वीप शामिल हैं, जिनमें टापू और चट्टानी क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें से लगभग 38 द्वीपों पर जनसंख्या की स्थायी रूप से बसावट है।
  • शासन: द्वीपों को अंडमान निकोबार प्रशासन के माध्यम से भारत की केंद्र सरकार द्वारा एकल केंद्रशासित प्रदेश के रूप में शासित किया जाता है।
  • एकीकृत त्रि-सेवा कमान: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को भारत के सशस्त्र बलों की एकमात्र एकीकृत त्रि-सेवा कमान, अंडमान और निकोबार कमांड (Andaman and Nicobar Command- ANC) के रूप में उपयोग किया जाता है, जो समुद्री निगरानी और पूर्वी हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।

हिंद प्रशांत सुरक्षा की कुंजी के रूप में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की भूमिका

  • रणनीतिक अवस्थिति और समुद्री चोकपॉइंट: मलक्का जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर स्थित, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की लंबी शृंखला दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग के  चोकपॉइंट में से एक को जोड़ती है।
    • यह भारत को दक्षिण चीन सागर (प्रशांत महासागर) से अंडमान सागर (हिंद महासागर) तक व्यापारिक यातायात की निगरानी करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • प्रमुख समुद्री मार्गों और शिपिंग लेन से निकटता: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह दुनिया के सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले समुद्री मार्गों में से एक पर अवस्थिति है।

हिंद प्रशांत या ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र क्या है?

  • ‘हिंद प्रशांत क्षेत्र’ शब्द को हाल ही में प्रमुखता मिली है और यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में एक विशाल समुद्री क्षेत्र के आसपास की भू-राजनीतिक अवधारणा को संदर्भित करता है।
  • यह अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर अमेरिका के पश्चिमी तट तक विस्तृत है और प्रमुख व्यापारिक मार्गों, महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों और महत्त्वपूर्ण समुद्री चोकपॉइंट्स के कारण सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।

    • यह स्थिति भारत को मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से दक्षिण चीन सागर (प्रशांत महासागर) से अंडमान सागर (हिंद महासागर) तक की आवाजाही की निगरानी करने की अनुमति देती है।
    • हिंद महासागर से होकर जाने वाले लगभग 70,000 से 1,20,000 जहाज मलक्का जलडमरूमध्य और 6 डिग्री चैनल से होकर गुजरते हैं।
  • पॉवर प्रोजेक्शन और समुद्री डोमेन जागरूकता की क्षमता: इन द्वीपों की राजधानी पोर्ट ब्लेयर, म्याँमार से सिर्फ 20 समुद्री मील दूर है, और दक्षिणी बिंदु, जिसे इंदिरा पॉइंट के रूप में जाना जाता है, इंडोनेशिया से 90 समुद्री मील दूर है।
    • इसलिए इससे भारत को ‘मलक्का जलडमरूमध्य’ की निकटता के कारण चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
  • दक्षिण पूर्व एशिया से निकटता: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह दक्षिण पूर्व एशिया (और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) के करीब अवस्थित है जो देश के हिंद प्रशांत दृष्टिकोण के केंद्र में हैं।
    • समन्वित गश्ती (Coordinated Patrol) अर्थात कॉर्पैट (CORPAT) अभ्यास के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय ‘मिलन अभ्यास’ (MILAN Exercise) न केवल भारत की एक्ट ईस्ट नीति बल्कि इसकी एक्ट इंडो-पैसिफिक नीतियों को साकार करने में भी मदद करता है।
  • चीन के प्रभाव को संतुलित करना: ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति का उपयोग करके तटीय देशों में बढ़ते चीन के प्रभाव को ‘सागरमाला’ पहल और एक्ट ईस्ट पॉलिसी का उपयोग करके ANI को विकसित करने की दिशा में भारत के प्रयास से संतुलित किया जा सकता है।
  • निगरानी और शक्ति प्रक्षेपण: व्यस्ततम समुद्री मार्गों को निगरानी में रखने और शक्ति प्रक्षेपण के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत को कई सैन्य अभियान प्रदान कर सकता है।
    • यह दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर रिम में US-जापान ‘फिश हुक’ (Fish Hook) SOSUS नेटवर्क की तरह, इस क्षेत्र में भारत की जल के नीचे समुद्री डोमेन जागरूकता को बढ़ाएगा।
    • यह चीनी प्रभाव को नियंत्रित करने, निगरानी करने और गहरे भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीनी पनडुब्बियों की गतिविधियों पर नजर रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • नेट सुरक्षा प्रदाता: भारत अपने हितों की रक्षा करने और क्षेत्र में ‘नेट सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में अपनी छवि बढ़ाने के लिए इन द्वीपों की क्षमता का लाभ उठा सकता है।
  • इंडो-पैसिफिक का महत्वपूर्ण आधार: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हिंद महासागर, दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर मुख्य केंद्र पर अवस्थित है, जो इंडो-पैसिफिक की रणनीतिक अवधारणा का एक महत्वपूर्ण आधार है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के रणनीतिक विकास में चुनौतियाँ

  • चोक पॉइंट्स की भेद्यता: विश्व व्यापार और वाणिज्य के लिए समुद्री चोक पॉइंट्स महत्वपूर्ण रूप से संवेदनशील हैं, जैसा कि लाल सागर में हूती हमलों के कारण हुए समुद्री व्यापार में  गंभीर व्यवधान उत्पन्न हो गया था।
  • चीन का विस्तार: समुद्री सिल्क रोड पहल के हिस्से के रूप में, चीन हिंद महासागरीय क्षेत्र के साथ कई देशों में नए बंदरगाहों को वित्तपोषित एवं क्रियान्वित कर रहा है और मौजूदा बंदरगाहों का आधुनिकीकरण कर रहा है। उदाहरण के रूप में चीन ने ग्वादर (पकिस्तान) और जिबूती (पूर्वी अफ्रीकी देश) में नए अड्डे विकसित किए हैं।
    • म्यांमार में त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना (Trilateral Highway Project), श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह (जिसे चीन ने 99 वर्षों के लिए पट्टे पर लिया है) चीन की ऋण जाल कूटनीति (China’s Debt Trap Diplomacy) का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • अंडमान और निकोबार कमांड (ANC) की अप्रयुक्त क्षमता: तीनों सेवाओं की मौजूदगी के बावजूद, ANC की क्षमता का पूर्ण तरीके से विकास नहीं हुआ है। संयुक्त कमांड की थिएटर-स्तरीय उपस्थिति की तुलना में कमांड के पास सीमित संपत्ति एवं मौजूदगी है।
    • हालाँकि इसमें दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत की सभी गतिविधियों के लिए फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस बनने की क्षमता है, यह मुख्य रूप से पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की पूर्वी नौसेना कमांड की तैनाती के लिए एक लॉजिस्टिक सुविधा के रूप में कार्य करता है।
  • विकास की धीमी गति: इंटरनेट कनेक्टिविटी अनियमित बताई गई है। सड़क निर्माण, हवाई पट्टी निर्माण और यहाँ तक कि जेट्टी का निर्माण धीमा या अस्तित्वहीन रहा है।
  • ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ के प्रति संवेदनशीलता: इनमें से सैकड़ों द्वीपों पर जनसँख्या की अनुपस्थिति ने उन्हें नशीले पदार्थों की तस्करी, विदेशी जहाजों द्वारा घुसपैठ और अन्य घुसपैठों के प्रति संवेदनशील बना दिया है।
  • दूरस्थ स्थान: कुछ कंपनियाँ दूरी और लागत के कारण द्वीपों पर काम करने को इच्छुक हैं।
    • कुछ सामग्रियों के लिए, इंडोनेशिया से आयात करना भारतीय मुख्य भूमि से शिपमेंट भेजने की तुलना में कहीं अधिक सस्ता एवं अधिक लागत प्रभावी होगा।
  • विकासात्मक चुनौतियाँ: इन द्वीपों को विकसित करने में व्यापक पर्यावरणीय, स्थिरता और जनजातीय कल्याण संबंधी चुनौतियाँ शामिल हैं।
    • विकास के लिए जंगलों को साफ करने को लेकर द्वीपसमूह पर प्रतिबंध है, और 94.68 प्रतिशत द्वीप वन क्षेत्र के अंतर्गत हैं।
    • द्वीपों पर स्वदेशी जनजातियों की उपस्थिति ने आदिवासी क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों एवं विकास को भी प्रतिबंधित कर दिया है।

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के विकास के लिए सरकारी हस्तक्षेप

  • राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Centre- NRSC): हैदराबाद स्थित NRSC, उपग्रह डेटा प्रसंस्करण और आपदा प्रबंधन का प्रबंधन करता है।
  • मल्टी-एजेंसी समुद्री सुरक्षा समूह (Multi-Agency Maritime Security Group – MAMSG) की बैठक: हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्जन द्वीपों की निगरानी पर चर्चा के लिए एक MAMSG बैठक का आयोजन किया था।
  • आधुनिक हैंगर और डिस्पर्सल प्रणाली: इनका उद्घाटन पोर्ट ब्लेयर में INS उत्क्रोश (INS Utkrosh) में किया गया।
  • प्रिसिजन एप्रोच रडार (Precision Approach Radar- PAR): कम दृश्यता की स्थिति में विमान को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए सटीक क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर मार्गदर्शन क्षमता प्रदान करने हेतु INS उत्क्रोश में इसका उद्घाटन किया गया था।
  • द्वीपों के लिए नीति आयोग का समग्र विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य समुद्री सेवाओं और पर्यटन पर आधारित विविध और मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ एक नया ‘ग्रीनफील्ड शहर’ विकसित करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करना है।
  • समुद्री हब (Maritime Hub): वर्ष 2015 में भारत सरकार ने द्वीपों को देश के पहले समुद्री केंद्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की।
    • इसका लक्ष्य दूरसंचार, विद्युत और जल जैसी सुविधाएँ विकसित करना है, जो रणनीतिक क्षमताओं के निर्माण एवं विस्तार में मदद करेगी।

लक्षद्वीप द्वीपसमूह (Lakshadweep Islands) के बारे में

  • लक्षद्वीप  समूह: लक्षद्वीप केरल के तट से लगभग 440 किमी. दूर अरब सागर में 36 द्वीपों से मिलकर बना एक द्वीपसमूह है।
  • स्थान: लक्षद्वीप द्वीप, लक्षद्वीप-मालदीव-चागोस द्वीपसमूह का सबसे उत्तरी भाग हैं, जो एक विशाल समुद्र के नीचे पर्वत शृंखला, चागोस-लक्षद्वीप रिज (Chagos-Lakshadweep Ridge) के शीर्ष हैं।

महत्त्व

  • नौसेना चौकी: लक्षद्वीप द्वीपसमूह, अरब सागर में तैनात भारतीय नौसेना संपत्तियों के लिए नौसेना चौकी के रूप में कार्य करता है।
  • शिपिंग लाइनें: लक्षद्वीप के पास 9 डिग्री चैनल पश्चिम और पूर्वी एशिया को जोड़ने वाले जहाजों के लिए सबसे छोटा रास्ता है।

  • संरक्षणवाद में गिरावट: वर्ष 2019 में, एक नई द्वीपीय तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना (Island Coastal Regulation Zone Notification) जारी की गई, जिससे बंदरगाहों और जेट्टी के लिए भूमि अधिग्रहण की अनुमति मिल गई।
  • समुद्री अभ्यास: ANC सिंगापुर-भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास और म्याँमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया के साथ समन्वित गश्ती जैसे संयुक्त समुद्री अभ्यास आयोजित करता है।
  • नौसेना की उपस्थिति का विस्तार: मई 2020 में चीन के साथ लद्दाख गतिरोध के बाद, भारत अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में अतिरिक्त बल, युद्धपोत, विमान और मिसाइल बैटरी तैनात करने की योजना में तेजी ला रहा है।

आगे की राह

  • व्यापक समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) बनाए रखना: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह  के माध्यम से समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर जहाजों की निगरानी में।
  • संचार बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना: भारत को द्वीपों के संचार बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना चाहिए और इसे मुख्य भूमि पर MDA सुविधाओं के साथ एकीकृत करना चाहिए।
    • वर्तमान बुनियादी ढाँचा खराब है और एक सुसंगत निगरानी रणनीति को कायम नहीं रख सकता है।
  • सैन्य बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना: द्वीपों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए उनकी खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही कवर को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
  • प्रवासन को प्रोत्साहित करना: भूमि से प्रवासन को प्रोत्साहित करने और रणनीतिक रूप से स्थित कुछ निर्जन द्वीपों को पर्यटन के लिए खोलने पर विचार करने की आवश्यकता है।
    • इससे भारत को अधिक मजबूत भौतिक फुटप्रिंट प्राप्त होगा और देश को जहाजों और लोगों की आवाजाही पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
  • रणनीतिक साझेदारों के साथ सहयोग: भारत को अपने विकास आधारित दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए अपने साझेदारों के साथ सहयोग करना चाहिए, जिनके पास इस क्षेत्र में विशिष्ट विशेषज्ञता है।
    • उदाहरण के लिए, भारत और जापान एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर सहित हिंद महासागर में बुनियादी ढाँचे और कनेक्टिविटी कॉरिडोर का निर्माण कर रहे हैं। ये पहल द्वीपों पर बंदरगाहों और राजमार्गों जैसी कई नागरिक परियोजनाओं को विकसित करने का अवसर प्रदान करती हैं।
  • आसियान के साथ जुड़ाव: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को भारत के पूर्व के देशों के साथ जुड़ने की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाने का अवसर मौजूद है।
  • एक्ट ईस्ट नीति का उपयोग: भारत को चीन का मुकाबला करने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में रणनीतिक निवेश और बढ़ती सैन्य ताकत के माध्यम से इन द्वीपों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का महत्त्व बढ़ रहा है और चीन के मुखर व्यवहार के बारे में चिंताएँ बढ़ रही हैं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में सहयोग करने और व्यापार के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हो रहा है। इसलिए अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह आने वाले वर्षों में वैश्विक समुद्री रणनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.