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पारंपरिक नव वर्ष त्योहार

Lokesh Pal April 13, 2024 05:56 167 0

संदर्भ

भारतीय राष्ट्रपति ने पारंपरिक नव वर्ष त्योहार बैसाखी, विषु, बिषुबा, बोहाग बिहू, पोयला बोइशाख, वैशाखादी और पुथांडु की पूर्व संध्या पर अपनी शुभकामनाएँ अग्रेषित कीं।

संबंधित तथ्य

  • भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाने वाले ये पर्व हमारी विविध सांस्कृतिक विरासत की जीवंत अभिव्यक्ति हैं। 
  • ये सभी त्योहार एकता, सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। 
  • ये सभी पर्व सामाजिक समरसता के प्रतीक के रूप में हमारे जीवन में नई ऊर्जा एवं उत्साह का संचार करते हैं। 
  • इन उत्सवों के माध्यम से हम अपने ‘अन्नदाता’ किसानों की कड़ी मेहनत का सम्मान करते हैं और उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।

नववर्ष के पारंपरिक त्योहार

  •  पुथांडु
    • तमिल नववर्ष का पहला दिन पुंथाडु कहलाता है। 
    • इसे चिथिरई भी कहते हैं। इसका दूसरा नाम वरुशा पिरप्पू भी होता है। इस दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है। 
    • तमिलनाडु में संक्रांति सूर्योदय (सूर्योदय से पहले उठने का महत्त्व) के बाद और सूर्यास्त से पहले मनाई जाती है। 
    • अगर संक्रांति सूर्यास्त के बाद होती है तो वर्ष अगले दिन से शुरू होता है। 
  • बैसाखी
    • इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाया जाता है।
    • यह हिंदू सौर नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। 
    • यह वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह के खालसा पंथ के गठन की याद दिलाता है।
    • बैसाखी के दिन औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों ने एक सभा में जलियाँवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया था, यह औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय आंदोलन की एक घटना थी।
  • विशु
    • यह एक हिंदू त्योहार है जो भारत के केरल राज्य, कर्नाटक में तुलु नाडु क्षेत्र, केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी का माहे जिला, तमिलनाडु के पड़ोसी क्षेत्र में और उनके प्रवासी समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
    • यह त्योहार केरल में सौर कैलेंडर के नौवें महीने, मेदाम के पहले दिन को चिह्नित करता है।
    • ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह हर वर्ष अप्रैल के मध्य यानी 14 या 15 अप्रैल को मनाया जाता है।
  • बोहाग बिहू
    • बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू, जिसे हतबिहु (सात बिहू) भी कहा जाता है, असम के उत्तर-पूर्वी भारत और अन्य भागों में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक आदिवासी जातीय त्योहार है।
    • यह असमिया नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
    • यह आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में आता है, ऐतिहासिक रूप से यह फसल के समय को दर्शाता है।
  • नाबा बरसा
    • बंगाली कैलेंडर के अनुसार, पश्चिम बंगाल में नव वर्ष को नाबा बरसा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
    • इसे पोइला बोइशाख (Poila Baisakh) के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है, पहली बैसाखी (बंगालियों के चंद्र-सौर कैलेंडर में एक महीना)।
      • बंगाली लोग इस नववर्ष के त्योहार को साथ मिलकर अन्य बंगाली त्योहार की तरह जोर-शोर से मनाते हैं।
    • इस त्योहार को पूरे बंगाल में सभी जातियों और धर्मों के लोगो द्वारा मनाया जाता है।
    • दुर्गा पूजा के बाद यह बंगाल में दूसरा सबसे अधिक प्रचलित त्योहार है, यह त्योहार खासकर बंगाल के उन बंगाली लोगों को जोड़ता है, जो मूल रूप से हिंदू हैं।  

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