हाल ही में भारत में पहली बार मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम् जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) में एक यूरेशियन ऊदबिलाव को ‘रेडियो-टैग’ किया गया।
संबंधित तथ्य
रेडियो टैगिंग सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम और एनजीओ वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (WCT) द्वारा संयुक्त रूप से की गई।
‘स्मूथ-कोटिड’ ऊदबिलाव को छोड़कर वर्ष 2016 तक मध्य भारत में अन्य दो ऊदबिलाव प्रजातियों का कोई साक्ष्य उपस्थित नहीं था, जब यूरेशियन ऊदबिलाव का पहला फोटोग्राफिक साक्ष्य STR में दर्ज किया गया था, जिससे प्रजातियों की भौगोलिक सीमा मध्य भारत तक विस्तृत हो गई।
यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otter)
यूरेशियन ऊदबिलाव का वैज्ञानिक नाम: लुट्रा लुट्रा (Lutra lutra)
परिचय
यह यूरेशिया का एक अर्द्ध-जलीय स्तनपायी मूल निवासी है।
ये शर्मीले और रात्रिचर होते हैं तथा आंतरिक जंगलों में छोटी नदियों के पास पाए जाते हैं एवं रात के दौरान अपने शिकार करते हैं।
पर्यावास: यूरेशियन ऊदबिलाव विभिन्न प्रकार के जलीय आवासों में रहते हैं, जिनमें उच्चभूमि और तराई की झीलें, नदियाँ, दलदलीय जंगल और तटीय क्षेत्र शामिल हैं।
वितरण: यह तीन महाद्वीपों अर्थात् यूरोप, एशिया और अफ्रीका में वितरित है। भारत में यह उत्तरी भारत, मध्य भारत और दक्षिणी भारत में पाए जाते हैं।
संरक्षण की स्थिति
संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त प्रजातियों के निकट
वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट I
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
यूरेशियन ऊदबिलाव के रेडियो-कॉलर अध्ययन का महत्त्व
रेडियो-कॉलर अध्ययन से परिदृश्य में यूरेशियन ऊदबिलावों की घरेलू सीमा, गतिविधि पैटर्न और निवास स्थान की उपयुक्तता पर अच्छे पैमाने पर डेटा एकत्र करने में मदद मिलेगी।
जलवायु परिवर्तन, वनों, मीठे पानी की उपलब्धता, जैव विविधता के बीच जटिल अंतःक्रियाओं को समझना और संबोधित करना।
जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और लचीलेपन का आकलन करने के लिए यूरेशियन ऊदबिलाव जैसी जलीय प्रजातियों की निगरानी महत्त्वपूर्ण है।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, मध्य प्रदेश
ऊर्ध्वाधर पहाड़ियों और गहरी घाटियों के साथ सतपुड़ा मध्य भारत के सबसे ऊबड़-खाबड़ भू-भागों में से एक है।
रिजर्व में पाई जाने वाली वनस्पतियों को मुख्य रूप से आर्द्र पर्णपाती वन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
अवस्थिति: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम् जिले में।
इसमें पचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और बोरी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
यह रिजर्व विभिन्न औषधीय वनस्पतियों और जैव-विविधता का समर्थन करता है।
वनस्पतियाँ: इस रिजर्व में सागौन (Tectona grandis), साल (Shorea robusta) और उत्तरी हिमालयी प्रजातियाँ जैसे- हाइपरिकम (Hypericum), रूबस(Rubus), बर्बेरिस (Berberis) और टेरिडियम (Pteridium) की वनस्पतियाँ भी पाई जाती हैं ।
जीव-जंतु: ऊदबिलाव के अलावा, कई अन्य प्रजातियाँ जैसे इंडियन स्कीमर, ब्लैक-बेलिड टर्न, कर्लेव सैंडपाइपर, मार्श मगरमच्छ और विभिन्न प्रकार की मछलियाँ, बड़े मांसाहारी जैसे- बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता और सियार तथा छोटे मांसाहारी जैसे ‘स्मूथ-कोटिड’ ऊदबिलाव और पैंगोलिन, वृक्षीय स्तनधारियों में, भारतीय विशाल गिलहरी (रतुफा इंडिका) और भारतीय उड़न गिलहरी (पेटौरिस्टा पेटौरिस्टा) तथा प्रमुख अनगुलेट्स और प्राइमेट्स में साँभर, चीतल, गौर और लंगूर शामिल हैं, जो इन वन धाराओं और नदियों पर निर्भर हैं।
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