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NexCAR19: कैंसर उपचार प्रणाली

Lokesh Pal April 13, 2024 06:22 194 0

संदर्भ 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (IIT-B) ने भारत में रोगी-केंद्रित कैंसर चिकित्सा के निर्माण की पहल की है। उनका लक्ष्य CAR-T कोशिकीय चिकित्सा विकसित करना है।

संबंधित तथ्य 

  • CDSCO ने अक्टूबर 2023 में पहली CAR-T कोशिकीय चिकित्सा को मंजूरी दी है।
  • इस चिकित्सा का उद्देश्य जानलेवा बी-लिंफोमा  (B-lymphoma) और बी-एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (B-Acute Lymphoblastic Leukemia/ B-ALL) का निदान करना है।

काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (Chimeric Antigen Receptor- CAR) T-कोशिकीय चिकित्सा 

  • CAR-T कोशिकीय चिकित्सा एक प्रकार का कैंसर उपचार है, जो कैंसर कोशिकाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लक्षित करने के लिए रोगी की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संशोधित करता है।
  • CAR-T कोशिकीय चिकित्सा की प्रक्रिया
    • T-कोशिकाएँ अस्थि मज्जा की मूल कोशिकाओं से प्राप्त होती हैं तथा संक्रमण के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में आवश्यक घटक के रूप में कार्य करती हैं।
      • ये कोशिकाएँ श्वेत रक्त कोशिकाओं के समान होती हैं।
      • इसे ल्यूकेफेरेसिस (Leukapheresis) नामक प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित किया जाता है।
      • T-कोशिकाओं को काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (Chimeric Antigen Receptors- CARs) नामक प्रोटीन के रूप में परिवर्तित करने के लिए प्रयोगशाला में संशोधित किया जाता है।
        • CAR के विभिन्न कार्य होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने में मदद करते हैं।

      • प्रत्येक CAR का फैलाव कोशिका के बाहर और अंदर दोनों तरफ होता है।
      • इसके अंदर दो घटक होते हैं, जो रिसेप्टर को एंटीजन से मिलने पर संकेत भेजते हैं।
      • CAR को निर्मित करने वाले जीन का संशोधन कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में किया जाता है।
        • इसके बाद इन जीनों को रोगी की T-कोशिकाओं में पहुँचाने के लिए वेक्टर (Vector) नामक वाहक का उपयोग किया जाता है।
        • सामान्य तौर पर, इस प्रक्रिया में लेंटीवायरल वेक्टर (Lentiviral Vectors) का उपयोग किया जाता है।
    • संशोधित T-कोशिकाओं को रोगी के शरीर में प्रवेश कराने से पहले प्रयोगशाला में इसकी जाँच की जाती है।
    • CAR-T कोशिकाओं को शरीर में भेजने से पहले रोगी को आमतौर पर कीमोथेरेपी प्रक्रिया (Chemotherapy Process) से गुजरना पड़ता है।

FDA का अनुमोदन

  • FDA ने अब तक छह CAR-T कोशिकीय चिकित्सा को मंजूरी दी है।
  • इनमें से चार उपचारों का लक्ष्य ल्यूकेमिया और लिंफोमा कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले CD19 नामक प्रोटीन को संशोधित करना है।
  • NexCAR19 से समानता और अंतर
    • NexCAR19 और इन उपचारों के बीच समानता है क्योंकि दोनों CD19 नामक प्रोटीन को लक्षित करता है।
    • NexCAR19 भारत में विकसित एक प्रकार का CAR-T चिकित्सीय पद्धति है।
    • अमेरिका द्वारा विकसित उपचारों और भारत में विकसित NexCAR19 के बीच अंतर 
      • अमेरिका में CAR-T कोशिकीय चिकित्सा में चूहों से प्राप्त एंटीबॉडी का प्रयोग किया जाता है।
      • दूसरी ओर, चिकित्सीय प्रक्रिया NexCAR19 में मानव प्रोटीन को चूहे के एंटीबॉडी के साथ मिलाया जाता है ताकि इसका स्वरूप मानव कोशिका के समान हो।
      • इस संशोधन का उद्देश्य इस चिकित्सीय प्रक्रिया की सुरक्षा और प्रभावशीलता को बढ़ाना है।

CAR T-कोशिकीय चिकित्सा के अनुप्रयोग

इसका उपयोग मुख्य रूप से कुछ प्रकार के रक्त कैंसर के उपचार में किया जाता है-

  • बी-कोशिकीय एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphoblastic Leukemia- ALL)
  • बी-कोशिकीय लिंफोमा (B-cell Lymphoma) का प्रसार 
  • फोल्लीकुलर लिंफोमा (Follicular Lymphoma)
  • हाई-ग्रेड बी-सेल लिंफोमा (High-grade B-cell Lymphoma)
  • मेंटल सेल लिंफोमा (Mantle Cell Lymphoma)
  • मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma)
  • प्राइमरी मीडियास्टिनल बी-सेल लिंफोमा (Primary Mediastinal B-cell Lymphoma)

CAR-T चिकित्सीय प्रणाली का खतरा 

  • साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (Cytokine Release Syndrome- CRS): यह सामान्य रूप से पाया जाने वाला खतरा है जिसमें तीव्र सूजन होता है।
    • इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, थकान, मांसपेशियों में दर्द, मतली, उल्टी, साँस लेने में कठिनाई, निम्न रक्तचाप आदि शामिल है
    • गंभीर मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है।
  • न्यूरोटॉक्सिसिटी (Neurotoxicity): यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है जिसके लक्षण भ्रम, कंपकंपी, दौरे, बोलने में कठिनाई आदि हैं।
  • संक्रमण का बढ़ता खतरा: CAR-T चिकित्सा प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देती है, फलस्वरूप शरीर के लिए संक्रमण से लड़ना कठिन हो जाता है। यह विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि CAR-T चिकित्सीय प्रणाली का उपयोग करने वाले मरीज आमतौर पर कैंसर से पीड़ित होते हैं जिस कारण उनका प्रतिरक्षा तंत्र पहले से ही कमजोर होता है।
  • रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी: उपचार के दौरान रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम हो जाता है, जिसके कारण थकान महसूस होता है, परिणामस्वरूप रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है तथा संक्रमण की संभावना भी बढ़ती है।

भारत में CAR-T चिकित्सा के कार्यान्वयन से पहले की चुनौतियाँ

  • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुँच: भारत के कई हिस्सों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक समुचित पहुँच एक चुनौती है।
    • यह CAR-T चिकित्सा की सुविधा प्राप्त करने वाले रोगियों के लिए बाधा हो सकती है क्योंकि इस चिकित्सा की पूरी प्रक्रिया के दौरान विशेषज्ञों द्वारा सूक्ष्म निगरानी और प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
  • कैंसर उपचार सुविधाओं का संकेंद्रण: CAR-T चिकित्सा प्रणाली जैसी कैंसर उपचार सुविधाएँ आमतौर पर महानगरीय क्षेत्रों में केंद्रित है।
    • सुदूर इलाकों के रोगियों के लिए इस सुविधा का लाभ लेना कठिन हो सकता है जो आसानी से चिकित्सीय देखभाल तक पहुँचने में सक्षम नहीं हैं।
  • साइड इफेक्ट्स के उपचार हेतु बुनियादी सुविधा: CAR-T चिकित्सीय प्रणाली के कई साइड इफेक्ट्स भी हैं, जैसे- साइटोकिन रिलीज सिंड्रोम (Cytokine Release Syndrome- CRS)। इन परिस्थितियों में गहन देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए भारत के कई क्षेत्रों में इन सुविधाओं की सीमित उपलब्धता एक चुनौती है।
  • इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड रोगी (Immunocompromised Patient): CAR-T चिकित्सा के बाद रोगियों को स्व-उपचार हेतु छोड़ दिया जाता है, फलस्वरूप वे संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। खासकर सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ऐसे मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम नहीं है।
  • उच्च लागत: विदेशी उपचार प्रणालियों की तुलना में भारत में विकसित NexCAR19 प्रणाली तुलनात्मक रूप से किफायती विकल्प है, जिसकी लागत 40 से 45 लाख रुपये तक है, फिर भी यह उपचार भारत की एक बड़ी आबादी की पहुँच से बाहर है।
    • श्रम व्यय, रसद, सामग्री, सुविधा लागत, विपणन, वितरण और बौद्धिक संपदा आदि कारणों से NexCAR19 के उत्पादन की लागत बहुत अधिक है।

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