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ऑपरेशन मेघदूत

Lokesh Pal April 15, 2024 05:58 184 0

संदर्भ

चालीस वर्ष पूर्व 13 अप्रैल, 1984 को भारतीय सेना ने गुप्त एवं योजनाबद्ध रूप से ऑपरेशन मेघदूत संचलित किया था और सियाचिन ग्लेशियर पर अधिकार कर लिया था।

ऑपरेशन मेघदूत से संबंधित तथ्य

  • पृष्ठभूमि
    • स्वतंत्रता के बाद जम्मू और कश्मीर को लेकर भारत तथा पाकिस्तान का संघर्ष प्रारंभ हो गया। 
    • वर्ष 1949 के कराची समझौते के तहत दोनों देशों के बीच सीमा रेखा को लेकर सीजफायर हुआ। 
    • इस समझौते में भारत पाकिस्तान के सुदूर पूर्वी भाग में सीमा रेखा नहीं खींची गई थी एवं इस क्षेत्र में NJ9842 अंतिम पॉइंट था। 
      • इस पॉइंट के आगे की जगह निर्जन थी, जहाँ पर न कोई आबादी थी एवं न ही यहाँ तक पहुँचना आसान था। 
    • तात्कालिक राजनीतिक एवं सैन्य नेतृत्व को यह विश्वास था कि इस ‘पॉइंट’ के आगे कभी भी सैन्य विवाद नहीं हो सकता। 
      • शिमला समझौते में भी सियाचिन को एक निर्जन भूमि का टुकड़ा मानते हुए NJ9842 के आगे की सीमा के मूल्यांकन को नजरअंदाज कर दिया गया। 
    • हालाँकि शिमला समझौते में यह सहमति बनी कि NJ9842 से ऊपर जाती हुई नियंत्रण रेखा सियाचिन त्रिकोण के दूसरे सिरे को छुएगी, जिसे इंदिरा कोल कहा जाता है।
    • वर्ष 1975 में भारतीय सेना के कर्नल नरेंद्र कुमार को सिंधु नदी में जर्मनी पर्वतारोहियों से कुछ ऐसे पाकिस्तानी नक्शे मिले, जिसमें नियंत्रण रेखा को NJ9842 के उत्तर में इंदिरा कोल तक न दिखा कर पूर्वोत्तर में काराकोरम दर्रे तक दिखाया गया था। 
    • काराकोरम इस त्रिकोण का अंतिम छोर था और इसका अर्थ था कि पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर अपना दावा करना प्रारंभ कर दिया था। 
      • कर्नल नरेंद्र कुमार ने एक टोही दल को निगरानी के लिए सियाचिन भेजा जिसने यह पुष्टि की पाकिस्तानी सेना इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। 
    • इसके उपरांत सियाचिन में पोस्ट बनाने का निर्णय लिया गया, लेकिन वहाँ की दुर्गम परिस्थितियों के कारण यह संभव नहीं था। ऐसे में यह निर्णय लिया गया कि भारतीय सेना गर्मियों में सियाचिन क्षेत्र की पेट्रोलिंग करेगी। 
      • इसके साथ ही भारतीय सेना ने सियाचिन में अपनी गतिविधियों को बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। 
    • वर्ष 1982 में भारतीय सेना को पाकिस्तानी सेना की तरफ से एक नोट मिला जिसमें पाकिस्तानी सेना ने सियाचिन में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर आपत्ति जताई थी।
  • तत्कालीन मुद्दा
    • वर्ष 1983 में भारतीय खुफिया एजेंसियों को यह सूचना मिली कि पाकिस्तान ने जर्मनी स्थित एक कंपनी को बर्फीले क्षेत्र में तैनात होने वाले सैनिकों के लिए आवश्यक सैन्य साजो-सज्जा एवं उपकरणों का आर्डर दिया है। 
    • इससे यह आशंका बढ़ गई कि पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जा करने जा रहा है। बाद में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसकी पुष्टि की। पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जा करने के लिए “ऑपरेशन अबाबील” को संचालित करने जा रहा था। 
    • ऑपरेशन अबाबील के तहत पाकिस्तान 17 अप्रैल को सियाचिन पर कब्जा करने वाला था। 
    • भारतीय सेना ने सियाचिन क्षेत्र पर अपना कब्जा स्थापित करने के लिए ऑपरेशन मेघदूत संचालित किया। 
    • 13 अप्रैल की तारीख चुनने के कारण: ऑपरेशन मेघदूत के लिए 13 अप्रैल की तारीख चुनी गई क्योंकि पाकिस्तानी सेना यह मानती थी कि भारत इस दिन वैशाखी त्योहार में व्यस्त होगा।
    • ऑपरेशन अभियान: ऑपरेशन मेघदूत भारतीय सेना के सबसे कठिन अभियानों में से एक था। 
    • अगर हम सियाचिन की भौगोलिक अवस्थिति को देखें तो भारत की ओर से सियाचिन की खड़ी चढ़ाई थी एवं पाकिस्तान की ओर से सियाचिन की चढ़ाई आसान थी। 
    • वहीं दूसरी ओर भारतीय सैनिकों को -40 से -60 डिग्री के तापमान में फतेह हासिल करनी थी। 
    • भारतीय सेना ने मात्र एक दिन पहले आए सैन्य साजो सज्जा के द्वारा ऑपरेशन मेघदूत की कार्यवाही को अंजाम देना प्रारंभ किया।
    • भारतीय सैनिकों को वायुसेना के विमानों द्वारा ग्लेशियर की ऊँची चोटियों तक पहुँचाया। 
    • जब पाकिस्तान फौज इस क्षेत्र में पहुँची तो उन्हें पता चला कि यहाँ पर भारतीय सैनिक पहले ही सियाचिन, सलतोरो ग्लेशियर, साई-लॉ, बिलाफोंड लॉ दर्रे पर कब्जा जमाए बैठे हैं।
    • सियाचिन में भारत एवं पाकिस्तान की तरफ से कई पोस्ट बनाए गए। 
    • 21,153 फीट की ऊँचाई वाले इस क्षेत्र में 1,500 फीट की बर्फीली दीवार पर स्थित पाकिस्तान की ’कायदे आजम’ की अवस्थिति एक किले के सामान थी। 
    • यह पोस्ट नजदीक के सभी भारतीय पोस्टों पर हावी थी। 
    • सामरिक महत्त्व वाली इस पोस्ट पर कब्जा करने के लिए भारतीय सेना ने 23 जून, 1987 को हमले की कार्रवाई शुरु की। 
  • परिणाम
    • कठिन व प्रतिकूल परिस्थितियों, शून्य से 50 डिग्री कम तापमान एवं बर्फीले तूफानों के बीच भारतीय 8 जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेन्ट्री के जाँबाज सैनिकों ने तीन दिन तथा तीन रातों तक भीषण सैन्य कार्रवाई करते हुए, 26 जून, 1987 को पाकिस्तानी पोस्ट पर अपना अधिकार जमा लिया। 
    • युद्ध के इतिहास में यह एक अद्वितीय तथा असाधारण अभियान था। 
    • बाद में इस पोस्ट का नाम इस अभियान में विशिष्ट योगदान के लिए एक बहादुर सैनिक के नाम पर ’बाना टॉप’ रख दिया गया।

भारतीय वायु सेना के अन्य मिशन

  • प्रथम कश्मीर युद्ध (1947) के दौरान, ऑपरेशन पोलो (1948), ऑपरेशन विजय (1961), भारत-चीन युद्ध के दौरान (1962), द्वितीय कश्मीर युद्ध के दौरान (1965), बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान, सियाचिन संघर्ष के दौरान (1980), ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984), ऑपरेशन वुडरोज (1984), ऑपरेशन पवन (1987), ऑपरेशन विराट (1988), ऑपरेशन त्रिशूल (1988), ऑपरेशन चेकमेट (1988), ऑपरेशन कैक्टस (1988), ऑपरेशन विजय (1999), ऑपरेशन पराक्रम (2001), ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो और ऑपरेशन साइक्लोन, (2008), ऑपरेशन गुडविल, ऑपरेशन ‘काम डाउन’ (2016), ऑपरेशन सहयोग (2018), ऑपरेशन रंदोरी बहक (2020)

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