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आर्कटिक में प्लास्टिक संकट

Lokesh Pal April 18, 2024 06:45 135 0

संदर्भ

हाल ही में शीर्षक ‘आर्कटिक का प्लास्टिक संकट: पेट्रोकेमिकल उद्योग से स्वास्थ्य, मानवाधिकार एवं देशज भूमि को विषाक्त संबंधी खतरे (The Arctic’s Plastic Crisis: Toxic Threats to Health, Human Rights, and Indigenous Lands from the Petrochemical Industry) नामक एक रिपोर्ट जारी की गई थी।

संबंधित तथ्य

  • अंतरसरकारी वार्ता समिति (INC) के चौथे सत्र की शुरुआत से पहले अलास्का कम्युनिटी एक्शन ऑन टॉक्सिक्स (Alaska Community Action on Toxics- ACAT) एवं इंटरनेशनल पॉल्यूटेंट्स एलिमिनेशन नेटवर्क (International Pollutants Elimination Network- IPEN) द्वारा इसे जारी किया गया।
  • INC का चौथा सत्र: समुद्री पर्यावरण सहित कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक प्लास्टिक संधि विकसित करने के लिए अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC) का चौथा सत्र 23-29 अप्रैल को ओटावा, कनाडा में होने वाला है।
    • INC-4 से पहले नैरोबी, केन्या में INC-3 (नवंबर 2023), पेरिस, फ्राँस में INC-2 (मई 2023) एवं पुंटा डेल एस्टे, उरुग्वे में INC-1 (नवंबर 2022) आयोजित किया गया था।

अंतरसरकारी वार्ता समिति (Intergovernmental Negotiating Committee- INC) के बारे में

  • अंतरसरकारी वार्ता समिति (INC) वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (United Nations Environment Assembly- UNEA-5.2) के 5वें सत्र में अस्तित्व में आई।
  • उत्पत्ति: संकल्प (5/14) ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme-UNEP) से ‘उपकरण’ विकसित करने के लिए एक अंतरसरकारी वार्ता समिति (INC) बुलाने का अनुरोध किया, जो एक व्यापक दृष्टिकोण पर आधारित है, जो प्लास्टिक के पूर्ण जीवन चक्र को संबोधित करता है। जिसमें इसका उत्पादन, डिजाइन एवं निपटान शामिल है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • एक हेमिस्फेरिक सिंक (Hemispheric Sink): आर्कटिक क्षेत्र में स्थानीय एवं वैश्विक स्रोतों से जहरीले रसायनों एवं प्लास्टिक का निक्षेप होता जा रहा है, जो 40 नृजातीय समूहों से आने वाले क्षेत्र के 13 मिलियन निवासियों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है।
  • जलवायु-प्रेरित सामुदायिक विस्थापन (Climate-Induced Community Displacement): आर्कटिक का तेजी से गर्म होना देशज लोगों को अपनी पारंपरिक भूमि से बाहर निकलने के लिए मजबूर कर रहा है एवं पारंपरिक खाद्य पदार्थों, पवित्र स्थानों तथा अन्य सांस्कृतिक प्रथाओं को नुकसान पहुँचा रहा है।
  • आर्कटिक प्रदूषण समस्या: प्लास्टिक प्रदूषण, जहरीले रसायन एवं जलवायु परिवर्तन की समस्याएँ आपस में जुड़ी हुई हैं तथा जीवाश्म ईंधन के उत्पादन एवं उपयोग के लिए जिम्मेदार हैं।

  • वैश्विक कारक
    • वैश्विक आसवन या ग्रासहॉपर प्रभाव (Grasshopper Effect): यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत दुनिया भर में उत्पादित प्लास्टिक और रसायन निचले अक्षांशों से वायुमंडलीय एवं समुद्री धाराओं के माध्यम से आर्कटिक में स्थानांतरित और जमा हो जाते हैं।
    • जलवायु परिवर्तन: आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग चार गुना तेज गति से गर्म हो रहा है, जिसके विनाशकारी परिणाम विशेष रूप से आर्कटिक में महसूस किए जा रहे हैं।
  • स्थानीय कारक
    • औपनिवेशीकरण (Colonization): जीवाश्म ईंधन/पेट्रोकेमिकल उद्योग ने कोयले एवं पेट्रोलियम की तलाश में इस क्षेत्र का पता लगाने के लिए अपना आधार स्थापित किया है।
      • आर्कटिक में जलवायु के गर्म होने एवं समुद्री बर्फ के पिघलने से अन्वेषण तथा विकास के लिए नए क्षेत्र खुल रहे हैं, जिनमें परिवहन एवं पेट्रोलियम उद्योग सबसे प्रमुख दावेदार हैं।

आर्कटिक क्षेत्र के बारे में

  • यह पृथ्वी का सबसे उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र है, जो लगभग पूरी तरह से बर्फ से ढका हुआ है।
  • इसमें कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, आइसलैंड एवं ग्रीनलैंड के उत्तरी भाग शामिल हैं।
  • जलवायु परिस्थितियाँ: ठंडी सर्दियाँ एवं ठंडी गर्मियाँ, जिसमें अधिकांश वर्षा बर्फ के रूप में होती है (अधिकांश क्षेत्र में 50 सेमी से कम वर्षा होती है)।
  • वनस्पति और जीव: आर्कटिक वनस्पतियों में छोटी झाड़ियाँ, घास, जड़ी-बूटियाँ, लाइकेन एवं जमीन पर उगने वाली काई शामिल हैं, जो टुंड्रा पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं।
    • आर्कटिक में, पेड़ नहीं उग सकते हैं, लेकिन गर्म क्षेत्रों में, झाड़ियाँ उगती हैं एवं 2 मीटर (6 फीट 7 इंच) तक की ऊँचाई तक पहुँच सकती हैं।

  • स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों का दोहन: वायु प्रदूषण, तेल रिसाव एवं अलास्का में सक्रिय तेल और गैस निगमों के संचालन से खतरनाक पदार्थों का उत्सर्जन होता है जो आर्कटिक लोगों के जीवन को खतरे में डालता है किंतु किसी भी प्रकार की संभावित क्षति का आकलन नहीं किया जा रहा है।
  • रिपोर्ट की सिफारिश
    • जलवायु विनाशकारी सब्सिडी बंद करना: जीवाश्म ईंधन एवं पेट्रोकेमिकल और कृषि उद्योगों को सरकारी सब्सिडी समाप्त करना और नवीकरणीय ऊर्जा तथा विषाक्तता मुक्त सामग्री वाली अर्थव्यवस्था का समर्थन करना।
    • प्रदूषणकारी उद्योगों का सीमा विस्तार: क्षेत्र में पेट्रोकेमिकल उद्योग के विस्तार को रोका जाना चाहिए।
      • अनुमान के अनुसार, पेट्रोकेमिकल के लिए इस्तेमाल होने वाला तेल एवं गैस आज के 20 प्रतिशत से कम से बढ़कर वर्ष 2050 तक 50 प्रतिशत तक पहुँच जाएगा।
    • पुनर्योजी अर्थव्यवस्था: रिपोर्ट आर्कटिक एवं दुनिया को एक निष्कर्षण से पुनर्योजी अर्थव्यवस्था में स्थानांतरित करने की सिफारिश करती है, जो एक निष्पक्ष संक्रमण ढाँचे की स्थापना करके स्वस्थ, न्यायसंगत समुदायों को बढ़ावा देती है।

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