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हृदय रोग और मातृ मृत्यु के मध्य संबंध

Lokesh Pal April 19, 2024 07:45 144 0

संदर्भ

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) हृदय रोगों से संबंधित मातृ मृत्यु की संख्या का विश्लेषण करने और भविष्य में मृत्यु दर को कम के लिए एक उपचार प्रोटोकॉल विकसित करने संबंधी एक अध्ययन हेतु वित्तपोषण करेगी।

संबंधित तथ्य

  • भारतीय आबादी का प्रतिनिधित्व करने के लिए यह अध्ययन पूरे भारत में 50 केंद्रों पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें 7 एम्स भी भाग लेंगे।
  • उद्देश्य: गर्भवती महिलाओं में 10 सबसे आम हृदय रोगों की पहचान करना एवं उनके उपचार प्रोटोकॉल को विकसित करना, जिसे दूरदराज के ग्रामीण इलाकों तक पहुँचाया जा सके।
  • बजट: अनुमानित 8 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

मातृ मृत्यु अनुपात (MMR)

  • परिभाषा: यह एक निश्चित समयावधि के दौरान प्रति 1,00,000 बच्चों के जन्म पर मातृ मृत्यु की संख्या को दर्शाता है।
  • यह गर्भावस्था और प्रसव के दौरान या गर्भावस्था की समाप्ति के 42 दिनों के भीतर प्रति 1,00,000 बच्चों के जन्म पर गर्भावस्था या उसके प्रबंधन (आकस्मिक कारणों को छोड़कर) से संबंधित किसी भी कारण से होने वाली महिला मौतों की वार्षिक संख्या है। 

MMR कम करने के लिए सरकारी पहल

  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान: निदान एवं परामर्श सेवाओं की गुणवत्ता तथा कवरेज में सुधार करने के साथ-साथ सुनिश्चित व्यापक एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल निःशुल्क प्रदान करना।
  • पोषण अभियान: गर्भवती महिलाएँ पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए सरकार के प्रमुख कार्यक्रम के मुख्य लक्ष्य समूहों में से एक हैं।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): यह एक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) योजना है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को बढ़ी हुई पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने एवं आंशिक रूप से आय हानि की भरपाई के लिए सीधे उनके बैंक खाते में नकद लाभ प्रदान किया जाता है।
  • सुरक्षित मातृत्व अनुशासन (SUMAN): इसका उद्देश्य किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में किसी भी महिला एवं नवजात शिशु को बिना किसी लागत के गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की सुनिश्चित, सम्मानजनक डिलीवरी प्रदान करना
  • प्रसव कक्ष एवं गुणवत्ता सुधार पहल (LaQshya): प्रसव कक्ष, प्रसूति ऑपरेशन थिएटर एवं प्रसूति गहन देखभाल इकाइयों (ICU) और उच्च निर्भरता इकाइयों (HDU) में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करके गर्भवती महिलाओं को एक सकारात्मक प्रसव अनुभव प्रदान करना।
  • संस्थागत प्रसव में वृद्धि: भारत में संस्थागत प्रसव वर्ष 2019-20 में बढ़कर 89 प्रतिशत हो गया है, जिसमें लगभग 87% जन्म ग्रामीण क्षेत्रों में एवं 94% जन्म शहरी क्षेत्रों में हुआ है।
    • संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कदम: 24×7 बुनियादी और व्यापक प्रसूति देखभाल प्रदान करने के लिए उप-केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला अस्पतालों का संचालन।
    • प्रसूति देखभाल में प्रशिक्षण: बुनियादी एवं व्यापक प्रसूति देखभाल में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का क्षमता निर्माण ताकि उन्हें प्रसव के दौरान उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके।

  • भारत MMR अनुपात: सरकारी आँकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2018 और 2020 के बीच प्रति लाख जीवित शिशु जन्मों पर 97 मौतों की MMR रिपोर्ट की है, जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) 2017 के अनुसार, भारत में MMR का निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2020 तक 100/लाख जीवित शिशु जन्मों से कम हो जाएगा। 
    • भारत का MMR 70 प्रतिशत कम हो गया है, वर्ष 1990 में MMR 556 था, जो वर्ष 2017 में 103 हो गया है।
  • SDG लक्ष्य 3.1: वर्ष 2030 तक वैश्विक MMR को प्रति 1,00,000 जीवित शिशु जन्मों पर 70 से कम करना।
  • WHO, UNICEF, UNFPA, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग एवं विश्व बैंक समूह से बने संयुक्त राष्ट्र मातृ मृत्यु अनुमान इंटरएजेंसी समूह (Maternal Mortality Estimation Interagency Group) का नेतृत्व करता है।
  • भारतीय राज्य जिन्होंने SDG लक्ष्य हासिल कर लिया है:- केरल (19), महाराष्ट्र (33), तेलंगाना (43), आंध्र प्रदेश (45), तमिलनाडु (54), झारखंड (56), गुजरात (57), कर्नाटक (69)।
  • MMR के प्रमुख कारण: वे रक्तस्राव या अनियंत्रित रक्तस्राव (47%), गर्भावस्था से संबंधित संक्रमण (12%), एवं गर्भावस्था के उच्च रक्तचाप संबंधी विकार (7%) हैं।

हृदय रोग से संबंधित मातृ मृत्यु

  • गर्भावस्था के कारण मेटाबोलिक परिवर्तन: लैंसेट अध्ययन के अनुसार, एक माँ में हार्ट अटैक का जोखिम 24 सप्ताह तक लगातार बढ़ता है, 30 सप्ताह में स्थिर होता है एवं गर्भावस्था के पहले आठ सप्ताह के भीतर माँ में होने वाले महत्त्वपूर्ण हृदय संबंधी परिवर्तनों के साथ प्रसव तिथि के आसपास फिर से चरम पर पहुँच जाता है। 
  • सामान्य कारण: तमिलनाडु में वर्ष 2016 से 2019 तक के परीक्षण डेटा के एक अध्ययन में पाया गया है कि वाल्वुलर हृदय रोग (ऐसी स्थितियाँ जिनमें हृदय वाल्व सामान्य रूप से कार्य नहीं करते हैं) के कारण मातृ संबंधी लगभग दो-तिहाई मौतें (66.66%) होती हैं। 
    • जन्मजात हृदय रोग (जन्म से मौजूद हृदय संरचना की समस्याएँ) में 33 प्रतिशत मातृ मृत्यु शामिल हैं।

चिंताएँ

  • अज्ञात हृदय संबंधी समस्याएँ: एक अध्ययन के अनुसार, 60 प्रतिशत महिलाओं को हृदय रोग (जन्मजात हृदय रोग) के बारे में पता चला, जिसका निदान पहली बार उनकी गर्भावस्था के दौरान किया गया।
  • सामाजिक कलंक (Societal Stigma): कुछ मामलों में माता-पिता शादी में समस्याओं के कारण बीमारी की स्थिति को छिपाते हैं और जब उनकी शादी होती है तो उन्हें जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
  • अस्पतालों में कार्डियो-प्रसूति विज्ञान टीमों की कमी: हृदय रोग विशेषज्ञों और प्रसूति विशेषज्ञों को एक साथ काम करने की आवश्यकता होती है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि हृदय रोग के कारण होने वाली मातृ मृत्यु को कम करने के लिए इसे दो अलग-अलग विशेषज्ञताओं द्वारा प्रबंधित किया जाता है।

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