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कॉपीराइट और पाठ्यपुस्तकें

Lokesh Pal April 23, 2024 06:03 209 0

संदर्भ 

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि गणितीय समीकरणों और विज्ञान विषयों से संबंधित पाठ्यपुस्तकें कॉपीराइट कानून के अंतर्गत नहीं आती हैं, क्योंकि उनकी सामग्री गैर-साहित्यिक है।

संबंधित तथ्य 

  • प्रकाशन प्रतिबंधों से संबंधित सरकारी आदेश को चुनौती: उच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 के सरकारी आदेश को चुनौती देने की अनुमति दे दी है, जिसमें निजी स्कूलों और कॉलेजों पर अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के संबंध में प्रतिबंध लगाए गए थे।
    • उच्च न्यायालय ने गुंटूर में स्थित एक प्रकाशक की याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया है।
  • प्रकाशन समूह के विरुद्ध आपराधिक मामला रद्द करना: उच्च न्यायालय ने प्रकाशन समूह के मालिक के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द कर दिया, जबकि राज्य सरकार को पुस्तकों के प्रकाशन की ‘वैध व्यावसायिक गतिविधियों’ (Legitimate Business Activity) में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्देश दिया है।

मामले की पृष्ठभूमि

  • सरकारी आदेश: दीप्ति प्रकाशन के मालिक ने वर्ष 2010 के आंध्र प्रदेश सरकार के आदेश को रद्द करने की माँग की है, जिसका उद्देश्य ‘चोरी’ (Piracy) से निपटने के लिए निजी स्कूलों और कॉलेजों को अपनी पुस्तकें प्रकाशित करने से प्रतिबंधित करना था।
  • आदेश में सभी निजी कॉलेजों को CBSE और ICSE द्वारा निर्धारित पाठ्यपुस्तकें खरीदने का भी निर्देश दिया गया है।
  • याचिका: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुंटूर में स्थित दीप्ति प्रकाशन के मालिक अडाला सीतामहालक्ष्मी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई की।
    • दीप्ति प्रकाशन स्कूली विद्यार्थियों के लिए गणित और विज्ञान की पुस्तकें और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के लिए पुस्तकें प्रकाशित करता है।
  • प्रकाशन समूह के विरुद्ध आपराधिक मामला: सीतामहालक्ष्मी के विरुद्ध अप्रैल 2011 में कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 63 और 64 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
    • धारा 63 (Section 63): इस धारा के तहत, किसी भी व्यक्ति द्वारा ‘जानबूझकर’ (Knowingly) किसी कार्य में कॉपीराइट का उल्लंघन करने पर छह महीने से तीन वर्ष तक की कैद के साथ 50,000 से 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
    • धारा 64 (Section 64): इस धारा के अनुसार, पुलिस बिना वारंट के अवैध प्रतियों को जब्त कर सकती है, यदि धारा 63 का उल्लंघन किया गया हो। किंतु पुलिस अधिकारी का पद उप-निरीक्षक से नीचे नहीं होना चाहिए।
  • दीप्ति प्रकाशन की माँग: इस प्रकाशन ने दावा किया है कि उनकी पुस्तकें CBSE और ICSE पाठ्यक्रम के अनुरूप थीं तथा इसमें विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायता करने के उद्देश्य से अभ्यास और वस्तुनिष्ठ प्रश्न शामिल किए गए थे।
    • याचिका में माँग की गई है कि आदेश को अवैध, मनमाना और असंवैधानिक करार किया जाए तथा न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि आंध्र प्रदेश सरकार को दीप्ति प्रकाशन के विरुद्ध अन्य कार्रवाई न करने का निर्देश दिया जाए।
    • इसके अतिरिक्त, इस याचिका में वर्ष 2011 में उनके विरुद्ध दायर एक आपराधिक मामले को रद्द करने की माँग भी की गई है।

कॉपीराइट (Copyright)

  • परिचय: कॉपीराइट का तात्पर्य साहित्यिक, नाटक, संगीत, फिल्म और कलात्मक कार्यों के रचनाकारों और निर्माताओं को प्रदान किया गया कानूनी अधिकार है।
    • इसमें किसी कार्य के पुनर्निर्माण, जनता से संचार, अनुकूलन और अनुवाद के अधिकार शामिल हैं।
    • वर्ष 1957 के अधिनियम का उद्देश्य रचनाकार के रचनात्मक कार्यों जैसी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा करना है।

  • कॉपीराइट का उल्लंघन: कॉपीराइट का ‘उल्लंघन’ तभी माना जाएगा, जब रचनात्मक कार्य के किसी बड़े हिस्से का उपयोग बिना अनुमति के किया गया हो।
    • यदि कॉपीराइट अधिनियम का उल्लंघन किया गया हो, तो रचनात्मक कार्य का निर्माता कानूनी कार्रवाई कर सकता है तथा क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त कर सकता है।

कॉपीराइट अधिनियम, 1957 (Copyright Act)

  • उत्पत्ति: इस अधिनियम को जनवरी 1958 से लागू किया गया था।
  • परिचय: यह अधिनियम ‘मूल रचनात्मक कार्यों’ को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय संधियों के साथ सामंजस्य: यह अधिनियम WIPO कॉपीराइट संधि (WCT) और WIPO प्रदर्शन और फोनोग्राम संधि (WPPT) के प्रावधानों के अनुरूप है।
  • कॉपीराइट विभाग: कॉपीराइट अधिनियम की धारा 9 के तहत, ऐसी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक विभाग की स्थापना की आवश्यकता है, जिसे कॉपीराइट विभाग कहा जाएगा।
    • केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त कॉपीराइट रजिस्ट्रार के नियंत्रण के अंतर्गत कॉपीराइट विभाग होना चाहिए।
  • मुख्य विशेषताएँ 
    • यह कानून रचनात्मक कार्य के वास्तविक निर्माता या लेखक को ‘अपने कार्य का उपयोग, पुनरुत्पादन, वितरण और प्रदर्शन’ का विशेष अधिकार देता है।
    • मौलिक विचारों, अवधारणाओं या अन्वेषणों का पेटेंट होता है, जबकि कॉपीराइट अधिकारों की रक्षा करता है।
    • यह कानून नवीन रचनात्मक या कलात्मक कार्य की सुरक्षा करता है, जब उपलब्ध सामग्री (पाठ, संगीत, कला) में महत्त्वपूर्ण रूप से संशोधन, पुनर्व्याख्या के फलस्वरूप कुछ विशिष्ट निर्माण किया गया हो।

भारत में धार्मिक ग्रंथ के संबंध में कॉपीराइट कानून की स्थिति 

  • सामान्य तौर पर, धार्मिक ग्रंथों को सार्वजनिक मान्यता का हिस्सा माना जाता है, इसलिए वे भारत में कॉपीराइट संरक्षण के अधीन नहीं शामिल किए गए हैं।
  • हालाँकि, बाइबिल का आधुनिक अनुवाद नवीन रचनात्मक कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए वे भारत में कॉपीराइट कानून के अंतर्गत आते हैं।
  • रामायण और महाभारत कॉपीराइट द्वारा संरक्षित नहीं है किंतु रामानंद सागर द्वारा निर्मित टेलीविजन शृंखला रामायण तथा बी. आर. चोपड़ा द्वारा निर्मित महाभारत ‘परिवर्तनकारी कार्य’ हैं, फलस्वरूप कॉपीराइट कानून के तहत संरक्षित हैं।

उच्च न्यायालय का निर्णय

  • उचित उपयोग सिद्धांत के तहत प्रकाशक के कार्यों को बरकरार रखना: उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया है कि अधिनियम की धारा 52 के तहत, प्रकाशक के कार्य ‘उचित उपयोग सिद्धांत’ (Fair Use Doctrine) के अंतर्गत आते हैं।
    • यद्यपि इस सिद्धांत द्वारा मुद्रित पुस्तकों को अकादमी की पुस्तकों की अवैध प्रतियाँ माना जाता है, किंतु उनके कार्य को अधिनियम की धारा 52 (1) (a) और 52 (1) (h) के तहत अपवाद के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।
      • धारा 52: इसके तहत उन कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है, जो कॉपीराइट अधिनियम के अंतर्गत आने के बावजूद कॉपीराइट प्रावधानों का उल्लंघन नहीं माना जाता है।
      • धारा 52(1)(a): इस धारा के अनुसार, किसी भी कार्य के साथ निष्पक्ष व्यवहार को ‘उल्लंघन’ नहीं माना जाएगा यद्यपि इसका उपयोग निजी कार्यों जैसे अनुसंधान, आलोचना या समीक्षा अथवा वर्तमान घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए किया गया हो।
      • धारा 52(1)(h): यह धारा प्रामाणिक या वास्तविक निर्देशात्मक के माध्यम से प्रकाशित साहित्यिक या नाटकीय कार्यों से छोटे अंशों के प्रकाशन तथा उपयोग की छूट देता है।
  • मौलिकता की कमी के कारण पाठ्यपुस्तकों को कॉपीराइट अधिनियम से छूट: पाठ्यपुस्तकें कॉपीराइट अधिनियम के अंतर्गत नहीं आती हैं, क्योंकि इस अधिनियम में शामिल होने के लिए कार्य का मौलिक होना अनिवार्य है।
    • उदाहरण के लिए, कोई मौलिक साहित्यिक, कलात्मक, नाटकीय या संगीतमय रचना।
    • याचिकाकर्ता द्वारा मुद्रित प्रश्नगत पुस्तकें गैर-साहित्यिक प्रकृति की हैं, फलस्वरूप उन पुस्तकों को कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 13 के अंतर्गत शामिल नहीं किया जा सकता है।
  • पायरेसी के खिलाफ सुरक्षा के आदेश को बरकरार रखना: उच्च न्यायालय ने आदेश को रद्द करने से मना कर दिया है तथा कहा है कि अकादमी को पायरेसी (Piracy) से बचाने एवं अनगिनत विद्यार्थियों की शैक्षिक संभावनाओं को सुरक्षित करने के लिए इसे लागू किया गया था।
    • न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि आदेश याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होता क्योंकि इस कानून का उल्लंघन ‘निजी स्कूल और कॉलेज’ ने किया है, न कि प्रकाशन समूह ने।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training- NCERT)

  • यह स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नीतियों और कार्यक्रमों पर केंद्र और राज्य सरकारों की सहायता तथा सलाह देने वाला एक स्वायत्त संगठन है।
  • इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा वर्ष 1961 में की गई थी।

कॉपीराइट उल्लंघन से संबंधित पुराने मामले 

  • NCERT द्वारा कॉपीराइट उल्लंघन: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपनी शैक्षिक सामग्रियों के विरुद्ध कॉपीराइट उल्लंघन के संबंध में चेतावनी जारी की है।
    • NCERT से कॉपीराइट की अनुमति प्राप्त किए बिना व्यावसायिक बिक्री के लिए NCERT पाठ्यपुस्तकों को प्रकाशित करना या किसी प्रकाशन में NCERT पाठ्यपुस्तक सामग्री का उपयोग करना गैर-कानूनी है, जिसके विरुद्ध कॉपीराइट अधिनियम 1957 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
  • ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय चांसलर बनाम नरेंद्र प्रकाशन समूह (2008): इस मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक प्रकाशक समूह की याचिका पर विचार किया है।
    • इसमें दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों का अनुकरण नरेंद्र प्रकाशन समूह ने अपनी पुस्तक शृंखला के निर्माण में किया है।
    • उच्च न्यायालय ने उक्त दावे को खारिज करते हुए कहा है कि गणितीय प्रश्न प्रकृति के नियमों की अभिव्यक्ति हैं। ऐसे सिद्धांतों की खोज पर खोजकर्ता का एकाधिकार नहीं हो सकता है।
    • कारण स्पष्ट किया गया है कि भाषा एक सीमित माध्यम है, परिणामस्वरूप प्रकृति के ऐसे नियमों का वर्णन कुछ ही तरीकों से किया जा सकता है।
  • ईस्टर्न बुक कंपनी बनाम डी.बी. मोदक, 2008: इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि लेखक द्वारा पहले से उपलब्ध सामग्री का उपयोग शब्दशः नहीं किया जा सकता है, यद्यपि इस सामग्री का उपयोग एक अलग रचनात्मक कार्य के लिए किया जा सकता है, जिसका चरित्र और परिणाम बिल्कुल अलग हो।

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