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किरू जल विद्युत परियोजना

Lokesh Pal April 25, 2024 04:34 132 0

संदर्भ

हाल ही में एक महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम और विद्युत मंत्रालय के तहत अग्रणी NBFC, रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन काॅरपोरेशन (REC) लिमिटेड ने चिनाब वैली पॉवर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (CVPPL) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

संबंधित तथ्य

  • समझौता
    • इसके तहत REC, CVPPL को सावधि ऋण (टर्म लोन) के रूप में 1,869.265 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। 
    • इस ऋण का उपयोग जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर ग्रीनफील्ड 4×156 मेगावाट की किरू जल विद्युत परियोजना के विकास, निर्माण और परिचालन के लिए किया जाएगा।

चिनाब वैली पॉवर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (CVPPL)

  • सीवीपीपीपीएल, एनएचपीसी (51 फीसदी) और जेकेएसपीडीसी (49 फीसदी) के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी है। 
  • यह भारत सरकार व जम्मू और कश्मीर सरकार की एक संयुक्त पहल है। 
  • इसकी स्थापना वर्ष 2011 में चिनाब नदी की विशाल जलविद्युत क्षमता का उपयोग करने के लिए की गई थी।
  • सीवीपीपीएल को किरू जल विद्युत परियोजना (624 मेगावाट), पकल दुल जल विद्युत परियोजना (1000 मेगावाट), क्वार जल विद्युत परियोजना (540 मेगावाट) और किरथाई-II जल विद्युत परियोजना (930 मेगावाट) के निर्माण, स्वामित्व, संचालन और रखरखाव का कार्य सौंपा गया है। 
  • इन परियोजनाओं की कुल स्थापित क्षमता 3,094 मेगावाट की है।

किरू जल विद्युत परियोजना

  • पृष्ठभूमि
    • इस परियोजना की आधारशिला 3 फरवरी, 2019 को रखी गई थी।
    • जम्मू-कश्मीर की सरकार ने टोल टैक्स एवं राज्य वस्तु एवं सेवा कर (State Goods and Service Tax-SGST) के भुगतान से पहले ही छूट देने और इसमें निरंतर कमी करते हुए मुफ्त बिजली देने के साथ-साथ इसके वाणिज्यिक परिचालन की तिथि से लेकर अगले 10 वर्षों की अवधि तक जल उपयोग प्रभार की अदायगी से भी छूट दी है।
  • परिचय
    • 624 मेगावाट क्षमता की किरू जलविद्युत परियोजना एक रन-ऑफ-रिवर योजना है। 
    • इसमें 135 मीटर ऊँचाई के बाँध और 156 मेगावाट की 4 इकाइयों के साथ एक भूमिगत पॉवर हाउस के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
    • यह परियोजना जम्मू-कश्मीर के किश्तबाड़ जिले में चिनाब नदी पर अवस्थित है। 
  • निर्माण
    • इसमें 135 मीटर ऊँचे कंक्रीट ग्रैविटी डैम (Concrete Gravity Dam), 4 सर्कुलर, 5.5 मीटर के आंतरिक व्यास एवं 316 से लेकर 322 मीटर तक की लंबाई वाले प्रेशर शाफ्ट, एक भूमिगत बिजलीघर (Underground Power House) और 7 मीटर व्यास व 165 से लेकर 190 मीटर तक की लंबाई तथा घोड़े की नाल के आकार वाली 4 टेल रेस सुरंगों (Tail Race Tunnel) का निर्माण करना शामिल है।

रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन काॅरपोरेशन (REC) लिमिटेड

  • परिचय
    • REC विद्युत मंत्रालय के तहत ‘महारत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का एक उद्यम है। 
    • यह RBI के अधीन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) और अवसंरचना वित्तपोषण कंपनी (IFC) के रूप में पंजीकृत है। 
    • REC उत्पादन, पारेषण (ट्रांसमिशन), वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और नई प्रौद्योगिकियों सहित संपूर्ण विद्युत-बुनियादी ढाँचा क्षेत्र का वित्तपोषण कर रहा है। 
  • नवीन प्रौद्योगिकियाँ
    • नई प्रौद्योगिकियों में इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, पंप भंडारण परियोजनाएँ, हरित हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया परियोजनाएँ शामिल हैं। 
    • हाल ही में REC ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी अपने कदम रखे हैं।
      • इनमें सड़क और एक्सप्रेस-वे, मेट्रो रेल, हवाईअड्डा, आईटी संचार, सामाजिक और व्यावसायिक अवसंरचना (शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल), पत्तन और इस्पात व तेल शोधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इलेक्ट्रो-मैकेनिक (E&M) कार्य शामिल हैं।
  • अन्य कार्य
    • REC लिमिटेड देश में बुनियादी ढाँचा परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्य, केंद्र और निजी कंपनियों को विभिन्न परिपक्वता अवधि के ऋण प्रदान करती है।
    • यह विद्युत क्षेत्र के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं में महत्त्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका निभा रही है। 
    • इसके अलावा यह प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY), राष्ट्रीय विद्युत निधि (NEF) योजना के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है। 
    • इसके परिणामस्वरूप देश के सुदूर क्षेत्र तक विद्युत वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया और 100 फीसदी गाँवों का विद्युतीकरण व घरेलू विद्युतीकरण किया गया। 
    • इसके अलावा REC को पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना हेतु कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए नोडल एजेंसी भी बनाया गया है। 

  • लाभ
    • इस परियोजना से उत्तरी ग्रिड को आवश्यक बिजली सुलभ होगी और इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज के क्षेत्रों के विकास की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
    • इसकी डिजाइनिंग कुछ इस तरह से की गई है, जिससे 624 मेगावाट (4×156 मेगावाट) की स्थापित क्षमता वाली यह परियोजना सिंधु जल संधि 1960 (Indus Water Treaty 1960) की आवश्यकताओं को पूरा करती है।

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