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ब्लू इकोनॉमी

Lokesh Pal April 26, 2024 04:41 284 0

संदर्भ 

फ्राँस-IUCN साझेदारी (2021-2024) और फ्रांसीसी विकास एजेंसी (AFD) के सहयोग से नई IUCN रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसका शीर्षक ‘टुवार्ड ए रीजेनरेटिव ब्लू इकोनॉमी’ (Toward a Regenerative Blue Economy) है।

संबंधित तथ्य

  • फ्राँस-IUCN साझेदारी (2021-2024) के अंतर्गत, प्राथमिक रिपोर्ट का प्रकाशन IUCN के आयोगों, सचिवालय और भागीदारों के बीच संयुक्त प्रयास का परिणाम है।
  • यह रिपोर्ट पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन (Ecosystem Management- ECM) पर IUCN आयोग द्वारा प्रकाशित की गई है, इस पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित जलीय जीवन को विशेषज्ञों के नेतृत्व में ब्लू इकोनॉमी के संदर्भ में विकसित की गई है।
  • नई IUCN रिपोर्ट ‘रीजेनरेटिव ब्लू इकोनॉमी’ (Regenerative Blue Economy) की स्पष्ट परिभाषा और संस्थापक सिद्धांतों का प्रस्ताव रखती है। यह विभिन्न स्तरों को परिभाषित करती है तथा प्रकृति और समाज के लिए समान रूप से महत्त्वाकांक्षाओं का निर्धारण करती है।

ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy)

  • परिभाषा: ब्लू इकोनॉमी का तात्पर्य समुद्री आर्थिक गतिविधियों, आजीविका और महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाने के लिए समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग है।
    • विश्व बैंक के अनुसार, ब्लू इकोनॉमी ऐसा क्षेत्र है, जिसका सालाना मूल्य लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।
  • ब्लू इकोनॉमी से संबंधित गतिविधियाँ: इन गतिविधियों के अंतर्गत समुद्री शिपिंग, मछली पकड़ने, जलीय कृषि, तटीय पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, जल अलवणीकरण, समुद्र के नीचे केबल बिछाने, समुद्र तल से निष्कर्षण संबंधी उद्योग, गहरे समुद्र में खनन, समुद्री आनुवंशिक संसाधन और जैव प्रौद्योगिकी शामिल हैं।

ब्लू इकोनॉमी के प्रकार

IUCN ने इस रिपोर्ट में संरक्षण और सतत विकास के दृष्टिकोण से तीन प्रकार की ब्लू इकोनॉमी को परिभाषित किया है।

  • महासागरीय अर्थव्यवस्था या भूरी ब्लू इकोनॉमी (Brown Blue Economy): इस ब्लू इकोनॉमी में समुद्री क्षेत्र की पारंपरिक गतिविधियाँ शामिल हैं। यह मानवकेंद्रित होता है तथा पारंपरिक आर्थिक मॉडल पर आधारित होता है।
    • इसमें ब्लू इकोनॉमी पारंपरिक क्रियाकलापों से जुड़ी है जिसमें सूक्ष्म और व्यापक आर्थिक लाभ और सामाजिक (रोजगार सहित) संकेतक शामिल है।
  • सतत ब्लू इकोनॉमी (Sustainable Blue Economy): वर्ष 2012 में सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Sustainable Development- UNCSD) के तहत रियो+20 शिखर सम्मेलन में ‘ब्लू इकोनॉमी’ को समुद्री क्षेत्र में सभी आर्थिक गतिविधियों को शामिल करने की अनुमति दी गई है, यद्यपि ये गतिविधियाँ सतत विकास के अनुरूप होनी चाहिए।
    • मुख्य बिन्दु: समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा, सुधार और पुनर्स्थापना पर ध्यान केंद्रित किया गया है तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को समुद्री अर्थव्यवस्था की पारंपरिक गतिविधियों के साथ एकीकृत किया गया है।
    • लेखांकन (Accounting): इस संबंध में सफलता को पर्यावरणीय आकलन के रूप में मापा जाता है तथा ब्लू इकोनॉमी के संबंध में प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (Key Performance Indicators- KPI) को पारंपरिक लेखांकन से जोड़ा गया है।
  • पुनर्जन्मी ब्लू इकोनॉमी (Regenerative Blue Economy): यह एक समावेशी ढाँचा है जो पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण के व्यापक सिद्धांतों पर आधारित है तथा ‘नीले न्याय’ (Blue Justice) का समर्थन करता है।
    • परिभाषा: यह एक आर्थिक मॉडल है जो समुद्र और तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के प्रभावी पुनर्जनन और संरक्षण के उद्देश्य से कम कार्बन उत्सर्जन वाली समुद्री आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है तथा मानवीय जीवन एवं ग्रह के वर्तमान एवं भावी समृद्धि के साथ जोड़ता है।
    • आर्थिक गतिविधियाँ: तेल निष्कर्षण या गहरे समुद्र में खनन (Deep-seabed Mining- DSM) जैसी गतिविधियों को पुनर्जन्मी अर्थव्यवस्था के दायरे से बाहर रखा गया है।
      • मछली पकड़ना, जलीय कृषि और पर्यटन जैसे अन्य क्षेत्रों को भी अपनी गतिविधियों को अनुकूलित करने की आवश्यकता है।
    • सफलता संबंधी संकेतक: महासागर और तटीय सामाजिक-पारिस्थितिकी प्रणालियों पर पुनर्जन्मी ब्लू इकोनॉमी के संबंध में सकारात्मक प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए ‘महासागर प्रभाव नेविगेटर’ (Ocean Impact Navigator) जैसे नए संकेतक प्रस्तावित किए गए हैं।

ब्लू इकोनॉमी के प्रोत्साहन संबंधी सरकारी पहल

  • भारत की ब्लू इकोनॉमी के लिए राष्ट्रीय नीति 2021: इसका उद्देश्य भारत की सकल घरेलू उत्पाद में ब्लू इकोनॉमी के योगदान को बढ़ाना, तटीय समुदायों के जीवन में सुधार करना, समुद्री जैव विविधता का संरक्षण करना और समुद्री क्षेत्रों में संसाधनों की सुरक्षा करना है।
  • मत्स्य पालन और जलीय कृषि: मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि तथा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी के लिए एक समर्पित मंत्रालय (2019) के निर्माण जैसी पहलों के माध्यम से सरकार इस क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा दे रही है।
  • प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMSSY): इसका उद्देश्य उत्पादन एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग से लेकर संसाधनों के प्रबंधन में शामिल सभी बुनियादी ढाँचे के उचित विकास के साथ नीली क्रांति का आह्वान करना है।
  • सागरमाला योजना: यह योजना राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करके बंदरगाह आधुनिकीकरण और विस्तारित सम्पर्कता पर ध्यान केंद्रित करती है, साथ ही देश में बंदरगाह के नेतृत्व से संबंधित आर्थिक विकास के लिए आधार तैयार करती है।
  • पर्यटन: लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की स्थापना की जा रही है।
    • वर्तमान समय में एमवी गंगा विलास दुनिया की सबसे लंबी नदी क्रूज सेवा है।
    • मुंबई में एक अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का निर्माण किया जा रहा है।
  • समुद्रयान परियोजना: यह गहरे महासागरीय मिशन के अंतर्गत आता है। MATSYA 6000 एक मानवयुक्त गहरा पनडुब्बी वाहन है जिसका उपयोग गहरे समुद्र में दुर्लभ समुद्री खनिजों, पॉलीमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूल संसाधनों (Polymetallic Manganese Nodule Resources) की खोज एवं गहरे समुद्र की जैव विविधता का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा।
  • मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (Maritime India Vision): इस दशक में सरकार ने बंदरगाहों, शिपिंग और जलमार्गों जैसे विभिन्न समुद्री उप-क्षेत्रों में 150 से अधिक पहल की योजना बनाई है।

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