हाल ही में भारत के विदेश मंत्री पहले आसियान फ्यूचर फोरम (ASEAN Future Forum) में शामिल हुए।
‘आसियान फ्यूचर फोरम’ के बारे में
इस फोरम से संबंधित प्रस्ताव वर्ष 2023 में 43वें आसियान शिखर सम्मेलन में लाया गया था, जो जकार्ता, इंडोनेशिया में आयोजित किया गया था।
उद्देश्य: विचारों एवं नीतिगत सुझावों के आदान-प्रदान के लिए सदस्य राष्ट्रों तथा भागीदारों के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना।
लक्ष्य: आसियान के विकास पथ को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना एवं ASEAN सामुदायिक विजन, 2045 पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी रणनीतिक योजनाएँ तैयार करना।
मेजबानी: हनोई, वियतनाम।
थीम: ‘जन-केंद्रित आसियान समुदाय के तीव्र एवं सतत् विकास की ओर’ (Toward fast and sustainable growth of a people-centered ASEAN Community)।
भारत द्वारा आसियान के साथ भारत के महत्त्व पर जोर देना
भारत के इंडो-पैसिफिक विजन का प्रमुख स्तंभ: आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में एक केंद्रीय स्थान रखता है।
भारत ASEAN एकता एवं केंद्रीयता का समर्थन करता है, क्षेत्रीय इंडो-पैसिफिक ढाँचे को आकार देने में एक मजबूत तथा एकीकृत ASEAN को महत्त्वपूर्ण मानता है।
‘इंडियाज इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव’ (IIPOI) एवं इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक (AOIP) के बीच तालमेल सहयोग का एक मजबूत ढाँचा प्रदान करता है, जिसमें व्यापक सुरक्षा की चुनौतियों को शामिल करना तथा उनका समाधान करना शामिल है।
ASEAN केंद्रीयता के लिए समर्थन: क्वाड पहल, आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र की पूरक है, जो क्षेत्रीय समृद्धि में आसियान की केंद्रीय भूमिका को पहचानते हुए बुनियादी ढाँचे एवं छात्रवृत्ति जैसे जन-केंद्रित लाभों की पेशकश करता है।
क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता
दक्षिण-पूर्व एशिया में मैत्री एवं सहयोग की संधि में भारत का शामिल होना क्षेत्र में शांति, समृद्धि तथा स्थिरता बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
आसियान-भारत समुद्री अभ्यास एवं क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (SAGAR) जैसी पहल एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका को उजागर करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों को कायम रखना: भारत एवं आसियान दोनों समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) को कायम रखने के महत्त्व पर जोर देते हैं तथा जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय अपराधों एवं स्वास्थ्य तथा खाद्य सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग करते हैं।
विविध एवं लचीली आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ावा देना: कोविड-19 महामारी के दौरान उजागर हुई कमजोरियों को पहचानते हुए, भारत तथा आसियानविविध, सुरक्षित, पारदर्शी एवं लचीली आपूर्ति शृंखलाओं की सिफारिश करते हैं।
बहुआयामी सहयोग: भारत एवं आसियान मेकांग-गंगा सहयोग तथा BIMSTEC सहित विभिन्न उप-क्षेत्रीय तंत्रों के माध्यम से सहयोग करते हैं, जिससे आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिलता है।
‘ग्लोबल साउथ’ परिप्रेक्ष्य की सिफारिश: G20 अध्यक्ष के रूप में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में वैश्विक दक्षिण परिप्रेक्ष्य के महत्त्व पर जोर दिया, जो बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को आगे बढ़ाने में भारत एवं आसियान के बीच सहयोग तथा समन्वय को बढ़ावा देने में मदद करता है।
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