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मिलियन मियावाकी परियोजना

Lokesh Pal April 27, 2024 05:54 311 0

संदर्भ

हाल ही में भारत में स्थित इजराइली दूतावास, एक गैर-लाभकारी संस्था के सहयोग से, पृथ्वी दिवस समारोह के हिस्से के रूप में आधिकारिक तौर पर ‘मिलियन मियावाकी परियोजना’ (Million Miyawaki Project) में शामिल हो गया है।

मिलियन मियावाकी परियोजना के बारे में

  • यह एक समुदाय नेतृत्व आधारित पहल है, जिसका उद्देश्य तंग शहरी स्थानों में बड़े पैमाने पर वनीकरण के माध्यम से भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • उद्देश्य: इस परियोजना के तहत, दिल्ली-NCR में 600 पेड़ों के ‘वन के समान मियावाकी वृक्षारोपण का निर्माण करके दस लाख पेड़ लगाने का प्रयास किया गया है, जिसमें 30 विभिन्न स्थानीय-स्रोत वाली प्रजातियाँ शामिल हैं।

मियावाकी तकनीक के बारे में

  • विकसित कर्त्ता: मियावाकी 1980 के दशक में जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित एक तकनीक है।
  • उद्देश्य: केवल दस वर्षों में एक छोटी सी जगह में घने जंगल उगाकर अधिक हरे-भरे क्षेत्र तैयार करना, जिसमें आमतौर पर सौ वर्ष तक  लग जाते हैं।

मियावाकी तकनीक की विशेषताएँ

  • इसमें बहुस्तरीय वनों का रोपण शामिल है जो तेजी से बढ़ते हैं। इस प्रकार के रोपण देशज जंगलों की प्राकृतिक जैव विविधता के समान होते हैं।
  • इस विधि में प्रति वर्ग मीटर वृक्षों की दो से चार प्रजाति लगाई जाती है।
  • रोपण की प्रक्रिया में, केवल बड़े पैमाने पर आत्मनिर्भर (स्वपोषी) पौधों का चयन किया जाता है।
  • इससे खाद एवं जल देने जैसे नियमित रखरखाव की आवश्यकता कम हो जाती है।

मियावाकी वृक्षारोपण के लाभ

  • खनन गतिविधियों के पारिस्थितिक प्रभाव का शमन।
  • जैव विविधता का पुनर्स्थापन
  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाना।
  • कार्बन सिंक पूल को विकसित करना।
  • स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसर प्रदान करना।
  • सतत विकास को बढ़ावा देना।
  • इस तकनीक में पौधों के बीच परस्पर निर्भरता एक दूसरे के विकास में सहायता करती है।
    • पारंपरिक तरीकों की तुलना में इस विधि का उपयोग करने से पेड़ बहुत तेजी से बढ़ते हैं।
  • यह तकनीक कम समय (दो वर्ष) में पूर्ण विकसित घने जंगल (20 फीट ऊँचे) उगाने में मदद करती है।
  • यह छोटे भूखंडों को लघु वनों में परिवर्तित करके शहरी वनीकरण के प्रतिमान में क्रांति लाने में मदद करेगा।

मियावाकी तकनीक की कमियाँ

  • वृक्षों की विविधता में कमी: इस वृक्षारोपण पद्धति में, कुछ पेड़ों जैसे इमारती लकड़ी के पेड़ों को मुख्य रूप से प्राथमिकता दी जाती है, जिससे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले वृक्षों की विविधता में कमी आती है।
  • उपयुक्तता सीमा: यह वनीकरण तकनीक सीमित स्थान वाले उपनगरीय या शहरी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है लेकिन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अनुपयुक्त है।
  • प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का विघटन: पेड़ों के बीच संकीर्ण स्थानों के कारण प्राकृतिक वन्यजीव संचलन सीमित है जो पारिस्थितिकी तंत्र के प्राकृतिक संचलन को बाधित करता है।
  • वर्षा प्रभाव में अनिश्चितता: मियावाकी वन वृक्षों द्वारा उत्पन्न वर्षा की प्रभावशीलता अनिश्चित है।

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