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भारत में सौर ऊर्जा क्षमता में गिरावट की प्रवृत्ति: IMD अध्ययन

Lokesh Pal April 29, 2024 06:24 195 0

संदर्भ

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) द्वारा ‘मौसम’ नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से देश में सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में अत्यधिक कमी की प्रवृत्ति का पता चला है एवं स्थिति से निपटने के लिए अधिक कुशल उपकरणों के उपयोग का सुझाव दिया गया है।

सौर विकिरण (Solar Radiation)

  • पृथ्वी की सतही-वायुमंडलीय ऊर्जा विनिमय एवं पृथ्वी की जलवायु को नियंत्रित करने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  • यह वैश्विक ऊर्जा संतुलन को नियंत्रित करता है एवं जलवायु तथा जल विज्ञान चक्र को परिवर्तित करता है।
    • कृषि, ऊर्जा, उद्योग आदि जैसे विभिन्न क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आने वाले सौर विकिरण पर निर्भर करते हैं।
  • प्रत्यक्ष विकिरण सौर विकिरण का वह भाग है जो सीधे किसी सतह तक पहुँचता है।
  • विकीर्ण विकिरण वह हिस्सा है जिसका वायुमंडल द्वारा प्रसार कर दिया जाता है।
  • विकिरण प्रति इकाई क्षेत्र में सौर विकिरण की शक्ति है, जिसे W/m2 में मापा जाता है

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

IMD द्वारा प्रकाशित अध्ययन का शीर्षक ‘भारत में सतह आधारित ‘इन-सीटू’ अवलोकनों का उपयोग करके सौर विकिरण में जलवायु विज्ञान एवं दीर्घकालिक रुझान को समझना’ है।

  • उपलब्ध सौर विकिरण की मात्रा जिसे आर्थिक रूप से सौर पैनलों द्वारा विद्युत में परिवर्तित किया जा सकता है, भारत में कई स्थानों पर ‘चिंताजनक रूप से घटती प्रवृत्ति’ दिखा रही है।
    • पिछले तीन दशकों में भारत में सौर ऊर्जा की क्षमता कम हुई है।
  • सौर विकिरण में कमी के कारण
    • एयरोसोल भार में वृद्धि
      • बढ़े हुए एयरोसोल भार के मुख्य कारक: कार्बन उत्सर्जन से निकलने वाले महीन कण, जीवाश्म ईंधन का जलना एवं धूल तथा बादल।
      • एरोसोल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं एवं इसे जमीन से दूर विक्षेपित कर देते हैं और घने बादलों का निर्माण भी कर सकते हैं जो पुनः सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देते हैं।
  • सौर पैनलों की कार्यक्षमता उन पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी की मात्रा से काफी प्रभावित होती है।

सौर ऊर्जा

  • इसे पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों के विकल्प के रूप में मान्यता दी गई है।
  • सभी स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के बीच, सौर ऊर्जा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने एवं ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए एक प्रभावी नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन के रूप में कार्य करती है।
  • यह विदेशी ऊर्जा निर्भरता को कम करके आत्मनिर्भर ऊर्जा उत्पादन में सक्षम संसाधनों में से एक है।

भारत में सौर ऊर्जा

  • अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी-नवीकरणीय क्षमता सांख्यिकी 2023 के अनुसार, भारत सौर ऊर्जा क्षमता में 5वें स्थान पर है।
  • वर्तमान स्थिति के अनुसार, भारत की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 81 गीगावॉट (1 गीगावॉट 1,000 मेगावाट है) या कुल स्थापित विद्युत का लगभग 17% है।
    • भारत की वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से लगभग 500 गीगावॉट, यानी विद्युत की लगभग आधी आवश्यकता, प्राप्त करने की महत्त्वाकांक्षी योजना है।
    • उस वर्ष तक सौर ऊर्जा से कम-से-कम 280 गीगावॉट या वर्ष 2030 तक वार्षिक रूप से कम-से-कम 40 गीगावॉट सौर क्षमता जोड़ी जाएगी।
  • भारत में आपतित सौर ऊर्जा (Incident Solar Energy): प्रतिवर्ष लगभग 5,000 ट्रिलियन kWh की ऊर्जा भारत के भूमि क्षेत्र पर आपतित होती है, जिसमें अधिकांश भाग प्रतिदिन 4 से 7 kWh m2 प्राप्त करते हैं।

    • इसलिए इसने अधिक कुशल सौर पैनल स्थापित करने की आवश्यकता एवं सौर संसाधनों से ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहतर दक्षता वाले सौर पैनलों के व्यापक उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
  • यह अध्ययन वर्ष 1985 एवं वर्ष 2019 के बीच IMD से प्राप्त ‘इन-सीटू’ डेटा का उपयोग करके जलवायु विज्ञान एवं वैश्विक विकिरण प्रवृत्तियों, विकीर्ण विकिरण (Diffuse Radiation), ब्राइट सनसाइन आवर्स (Bright Sunshine Hours) तथा सौर ऊर्जा की तकनीकी क्षमता (सौर फोटोवोल्टिक क्षमता- SPV) पर आधारित है। 
  • वैश्विक विकिरण (Global radiation) रुझान
    • उत्तर-पश्चिम भारत एवं प्रायद्वीपीय भारत के अंतर्देशीय क्षेत्रों में अधिकतम।
    • सुदूर उत्तर एवं उत्तर-पूर्व भारत में न्यूनतम।
    • वैश्विक विकिरण में कमी का कारण है: वायुमंडलीय अशांति एवं बादल में वृद्धि।
    • हालाँकि, हाल के दशक में देश भर में औसत वैश्विक विकिरण की गिरावट की प्रवृत्ति कम हो गई है।
  • विकीर्ण विकिरण (Diffuse Radiation)
  • देश के सुदूर उत्तरी भागों सहित तटीय स्टेशनों पर विकीर्ण विकिरण उच्च है।
  • 50 प्रतिशत से अधिक स्टेशनों पर, विशेष रूप से उत्तर पश्चिम एवं प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में DR में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
  • DR में कमी का कारण: वायुमंडलीय अशांति एवं बादल में वृद्धि।
  • देश भर में औसत DR की वृद्धि दर हाल के दशक में बढ़ी है।
  • ब्राइट सनसाइन आवर्स (Bright Sunshine Hours- BHS)
    • वार्षिक BHS उत्तर-पश्चिम भारत में अधिक है एवं उत्तर, उत्तर-पूर्व तथा दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में कम है।
    • चयनित स्टेशनों में से 75 प्रतिशत में BHS में उल्लेखनीय कमी आई है।
      • अधिकांश स्टेशन प्री-मॉनसून के दौरान अधिकतम एवं मॉनसून सीजन के दौरान न्यूनतम BHS प्रदर्शित करते हैं।
  • सौर फोटोवोल्टिक क्षमता (Solar Photovoltaic Potential- SPV): SPV विकिरण की वह मात्रा है जो पैनलों द्वारा विद्युत में परिवर्तित करने के लिए व्यावहारिक रूप से उपलब्ध हो सकती है।
    • देश में 1800-3400 Wm2 की सीमा में पर्याप्त क्षेत्रीय विविधताओं के साथ विशाल SPV क्षमता है
    • सौर फोटोवोल्टिक (SPV) क्षमता में परिवर्तन की गणना करने के लिए घरेलू स्टेशनों के डेटा से सभी स्टेशनों में सामान्य गिरावट देखी गई।
      • भारत के सबसे बड़े सौर पार्क उत्तर-पश्चिम, विशेष रूप से गुजरात एवं राजस्थान में स्थित हैं, तथा इन दोनों राज्यों के शहरों में भी SPV क्षमता में कमी देखी जा रही है।
  • इसलिए, अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि विद्युत उत्पादन में सौर ऊर्जा के इष्टतम उपयोग के लिए देश भर में सौर ऊर्जा क्षमता की विविधता को समझना आवश्यक है, जिसके लिए सौर विकिरण एवं इसकी विविधताओं की सटीक जानकारी की आवश्यकता होती है।

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