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अनुच्छेद 244 (A)

Lokesh Pal April 29, 2024 06:41 193 0

संदर्भ 

असम के आदिवासी बहुल दिफू लोकसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के सभी उम्मीदवारों ने एक स्वायत्त (‘राज्य के भीतर राज्य’) क्षेत्र बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 244 (A) को लागू करने का वादा किया है।

दिफू (Diphu): लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 

  • असम के 14 लोकसभा क्षेत्रों में सबसे कम आबादी वाला निर्वाचन क्षेत्र दिफू है, जहाँ मतदाताओं की संख्या मात्र 8.9 लाख है।
    • सामुदायिक उपस्थिति: कार्बी (असम में तीसरी सबसे बड़ी जनजाति), दिमासा, हमार, कुकी, रेंगमा नागा, जेमे नागा, बोडो, गारो, असमिया, बंगाली, बिहारी, गोरखा आदि।
  • यह लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है तथा असम के तीन आदिवासी बहुल पहाड़ी जिलों (कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और दिमा हसाओ) में छह विधानसभा क्षेत्रों को शामिल करता है। 
    • इन तीन जिलों को संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत प्रशासित किया जाता है।
  • ये क्षेत्र दो स्वायत्त परिषदों के अंतर्गत आते हैं- कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (Karbi Anglong Autonomous Council- KAAC) और उत्तरी कछार पहाड़ी स्वायत्त परिषद (North Cachar Hills Autonomous Council)।

स्वायत्तता की माँग की पृष्ठभूमि

  • अलग पहाड़ी राज्य के लिए आंदोलन: इस आंदोलन की शुरुआत 1950 के दशक में अविभाजित असम के पहाड़ी इलाकों में अलग पहाड़ी राज्य की माँग के साथ हुई, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1972 में पूर्ण राज्य मेघालय का निर्माण हुआ।
    • कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के नेताओं ने अनुच्छेद 244 (A) के आधार पर असम के साथ रहने का विकल्प चुना था।
  • संगठन का गठन: क्षेत्र की स्वायत्तता के लिए दबाव डालने हेतु स्वायत्त राज्य माँग समिति (Autonomous State Demand Committee- ASDC) का गठन किया गया था।
    • इस संगठन ने वर्ष 1995 में क्षेत्र में दो स्वायत्त परिषदों की शक्तियों को बढ़ाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों के साथ उनके विभागों की संख्या 10 से बढ़ाकर 30 करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।
  • सशस्त्र विद्रोह: अनुच्छेद 244(A) को लागू करने की माँग ने भी सशस्त्र विद्रोह का रूप ले लिया, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र को स्वायत्तता नहीं मिल पाई।
    • केंद्र और राज्य सरकार दोनों द्वारा पिछले कुछ वर्षों में कार्बी और दिमासा सहित आतंकवादी समूहों के साथ कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • शांति समझौता (Peace Accord): वर्ष 2021 में कार्बी आंगलोंग में पाँच उग्रवादी समूहों (कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स, पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी, कार्बी लोंगरी एनसी हिल्स लिबरेशन फ्रंट, कुकी लिबरेशन फ्रंट और यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के साथ शांति समझौता हुआ। सरकार द्वारा अधिक स्वायत्तता और पिछले पाँच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये के विशेष विकास पैकेज का वादा किया गया था।
    • वर्ष 2023 में इस प्रकार ही दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (Dimasa National Liberation Army) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।

संविधान का अनुच्छेद 244(A)

  • इस अनुच्छेद को संविधान में बाईसवें संशोधन अधिनियम, 1969 द्वारा जोड़ा गया था।
  • यह संसद को असम राज्य के अंदर एक स्वायत्त राज्य बनाने के लिए अधिनियम पारित करने में सक्षम बनाता है, जिसके आधार पर छठी अनुसूची के खंड 20 के भाग I में निर्दिष्ट सभी या किसी भी आदिवासी क्षेत्रों को पूर्ण या आंशिक रूप से शामिल किया जा सकेगा।
    • इस स्वायत्त राज्य की अपनी विधानमंडल या मंत्रिपरिषद या दोनों होंगी
  • यह कानून कोई विशेष सुझाव भी दे सकता है-
    • विषय-वस्तु: यह अनुच्छेद उन मामलों को निर्दिष्ट करेगा, जिन पर स्वायत्त राज्य के विधानमंडल को कानून बनाने की शक्ति होगी।
    • उन मामलों को परिभाषित करना, जिनके संबंध में स्वायत्त राज्य की कार्यकारी शक्ति का विस्तार किया जाएगा।
    • कर हस्तांतरण (Tax devolution): असम राज्य द्वारा लगाया जाने वाला कोई भी कर स्वायत्त राज्य को सौंपा जा सकता है जहाँ तक राज्य सरकार इन प्रावधानों का प्रयोग कर सकती है।  

छठी अनुसूची (Sixth Schedule)

  • इस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
  • प्रावधान
    • स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषदों का निर्माण: इन निर्वाचित निकायों को जनजातीय क्षेत्रों में प्रशासन संबंधी शक्तियाँ प्राप्त है।
    • सदस्यता: प्रत्येक स्वायत्त जिले में एक जिला परिषद होता है, जिसमें 30 सदस्य होते हैं (चार राज्यपाल द्वारा नामित होते हैं और अन्य 26 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं)। प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र की एक अलग क्षेत्रीय परिषद भी होती है।
    • कार्यालय की अवधि: निर्वाचित सदस्य का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है तथा  नामांकित सदस्य राज्यपाल की इच्छानुसार पद पर बने रहते हैं।
    • राज्यपाल की शक्ति
      • पुनर्गठन: उन्हें स्वायत्त जिलों के क्षेत्रों को बढ़ाने, घटाने, उसका नाम बदलने, उनकी सीमाओं को परिभाषित करने, संगठित, पुनर्गठित करने आदि का अधिकार है।
      • प्रशासन: राज्यपाल स्वायत्त जिलों या क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित किसी भी मामले की जाँच और रिपोर्ट के लिए आयोग का गठन कर सकता है।
      • वे आयोग की सिफारिश के आधार पर किसी जिला या क्षेत्रीय परिषद को भंग कर सकते हैं।
    • शक्ति और कार्य
      • विधायी शक्ति: वे वन प्रबंधन, कृषि, गाँवों और कस्बों का प्रशासन, विरासत, विवाह, तलाक और सामाजिक रीति-रिवाजों जैसे विषयों पर कानून का निर्माण कर सकते हैं।
      • न्यायिक शक्तियाँ: ऐसे मामलों में, जहाँ अपराध के लिए मृत्युदंड या पाँच वर्ष  से अधिक कारावास का प्रावधान है, इस स्थिति में राज्यपाल ADCs और ARCs को देश के आपराधिक और नागरिक कानूनों के तहत मुकदमा चलाने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं।
      • ग्राम परिषदों का गठन: ADCs और ARCs अनुसूचित जनजातियों के पक्षों के बीच विवादों का फैसला करने के लिए ग्राम परिषदों या न्यायालयों का भी गठन कर सकते हैं तथा अधिनियमित कानूनों की निगरानी के लिए अधिकारियों की नियुक्ति कर सकते हैं।
      • प्रशासनिक शक्तियाँ: उन्हें भूमि राजस्व एकत्र करने, कर लगाने, धन उधार देने और व्यापार को विनियमित करने, अपने अधिकार क्षेत्रों में खनिजों के निष्कर्षण के लिए लाइसेंस या पट्टों से रॉयल्टी एकत्र करने, स्कूलों, बाजारों और सड़कों आदि जैसी सार्वजनिक सुविधाओं की स्थापना करने का अधिकार प्रदान किया गया है।

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