जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म हो रही है, डेंगू दक्षिणी यूरोप एवं संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे क्षेत्रों में फैल रहा है।
संबंधित तथ्य
एडीज (Aedes) के कारण 2 अरब लोगों में डेंगू होने का खतरा बढ़ रहा है।
डेंगू के बारे में
यह बुखार मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय रोग (Mosquito-Borne Tropical Disease) है।
रोग का संचरण: यदि मच्छर में फ्लेविवायरस पैथोजेन (Flavivirus Pathogen) है तो संक्रमित एडीज (Aedes) के काटने से डेंगू बुखार फैल सकता है।
एडीज प्रजाति के मच्छर हैं जैसे कि- एई. एजिप्टी (Ae. Aegypti), एई. एल्बोपिक्टस (Ae. Albopictus)।
इसके लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 3 से 14 दिन बाद शुरू होते हैं।
डेंगू के आँकड़े
डेंगू से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी
वर्ष 2000 का डेटा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 में लगभग 20,000 लोगों की डेंगू से मौत हुई थी।
वर्तमान वर्ष के आँकड़े: इस वर्ष, मरने वालों की संख्या कम-से-कम 40,000 तक पहुँचने की उम्मीद है, जो मृत्यु दर में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।
मलेरिया से तुलना
इसके विपरीत, WHO के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2000 एवं वर्ष 2022 के बीच मलेरिया से होने वाली मौतों में 30% की कमी आई है।
भारत पर डेंगू का प्रभाव
वर्ष 1950 और वर्ष 1960: डेंगू बुखार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में केंद्रित था।
यह 1970 में दुनिया भर में प्रचलित होना शुरू हुआ था।
भारत में यह बीमारी वर्ष 2012-13 तक फैल गई।
दशक की प्रवृत्ति
वर्ष 1951-60 से वर्ष 2012-21 के दशकों में, भारत में डेंगू संचरण के लिए अनुकूल महीनों की संख्या में सालाना 1.69% की वृद्धि हुई।
यह 5.6 महीने तक पहुँच गया।
डेंगू के मामले: भारत में प्रत्येक वर्ष डेंगू के मामले लाखों से अधिक हो जाते हैं।
इससे भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर जबरदस्त दबाव पड़ता है।
कोविड महामारी 2020 के दौरान, डेंगू की घटनाओं में 56-60% की कमी आई थी।
सबसे ज्यादा डेंगू के मामले: वर्ष 2021 में डेंगू के मामले सबसे ज्यादा रहे।
वर्ष 2022 में पुनः आँकड़ों में गिरावट आई।
डेंगू फैलने में योगदान देने वाले कारक
जलवायु परिवर्तन एवं मच्छरों का दायरा
उच्च तापमान संवेदनशीलता: एडीज (Aedes) मच्छर तापमान परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होते हैं जिसके कारण पृथ्वी के गर्म होने पर यह अपनी सीमा का विस्तार करते हैं।
उच्च तापमान एवं आर्द्रता मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाते हैं।
वर्तमान जलवायु रुझानों के कारण, एडीज (Aedes) दक्षिणी यूरोप एवं संयुक्त राज्य अमेरिका तक फैल सकता है।
शहरीकरण (Urbanization)
अनुकूल स्थिति: शहरीकरण से डेंगू फैलने में मदद मिलती है क्योंकि मच्छरों को घनी आबादी वाले इलाकों में अधिक आश्रय स्थल मिल जाते हैं।
बांग्लादेश, भारत, कैलिफोर्निया, दक्षिणी यूरोप एवं उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका जैसे पहले से अप्रभावित क्षेत्रों में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं।
जल संग्रहण प्रथाएँ (Water Storage Practices)
रुके हुए जल में प्रजनन: एडीज (Aedes) मच्छर रुके हुए जल में पनपते हैं, जो आमतौर पर कंटेनरों एवं जल भंडारण जहाजों में पाए जाते हैं।
अनुचित जल भंडारण प्रथाएं, जैसे खुले कंटेनर एवं उपेक्षित जल स्रोत, मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बनाते हैं, जिससे डेंगू संचरण दर अधिक होती है।
प्रभावी वेक्टर नियंत्रण का अभाव
अपर्याप्त वेक्टर नियंत्रण: मच्छरों की निगरानी एवं उन्मूलन कार्यक्रमों जैसे उपायों की कमी, डेंगू के निरंतर प्रसार में योगदान करती है।
सीमित संसाधन एवं बुनियादी ढाँचा: कुछ क्षेत्रों में उचित बुनियादी ढाँचे की कमी एवं सीमित संसाधन मच्छरों की आबादी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने तथा डेंगू के प्रकोप को रोकने के प्रयासों में बाधा डालते हैं।
निहितार्थ एवं चुनौतियाँ
अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव
डेंगू आर्थिक बोझ बढ़ाता है, विशेषकर संघर्षरत अर्थव्यवस्थाओं में जहाँ बीमारी के कारण उत्पादकता बाधित होती है।
मच्छरदानी जैसे निवारक उपाय, जो मलेरिया के लिए काम करते हैं, एडीज (Aedes) के खिलाफ अप्रभावी हैं।
रोग नियंत्रण में चुनौतियाँ
हालाँकि सिंगापुर जैसे देशों में प्रभावी डेंगू नियंत्रण उपाय हैं, कई लैटिन अमेरिकी देश सीमित संसाधनों एवं व्यापक क्षेत्रों के कारण संघर्ष करते हैं।
स्लम क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्थलों पर नजर रखना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है।
डेंगू नियंत्रण के लिए नवीन दृष्टिकोण
सिंगापुर का दृष्टिकोण
सिंगापुर पारंपरिक तरीकों एवं नवोन्वेषी रणनीतियों दोनों का उपयोग करता है जैसे वोल्बाचिया बैक्टीरिया (Wolbachia Bacteria) से संक्रमित मच्छरों को छोड़ना।
वर्ष 2016 से, सिंगापुर ने तकनीकी रूप से उन्नत डेंगू कार्यक्रम लागू किया है।
यह विधि, टीके के विकास के साथ मिलकर, पारंपरिक मच्छर नियंत्रण का एक आशाजनक विकल्प प्रदान करती है।
वोल्बाचिया (Wolbachia) का प्रभाव
कोलंबिया में परीक्षण: इन परीक्षणों से पता चला है कि डेंगू के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है, जहाँ वोल्बाचिया-संक्रमित मच्छर छोड़े गए थे।
सबसे बड़ी वोल्बाचिया-मच्छर फैक्ट्री: ब्राजील दुनिया की सबसे बड़ी वोल्बाचिया-मच्छर तैयार करने वाला देश है।
इस पहल से अन्य क्षेत्रों को डेंगू से निपटने में मदद मिलेगी।
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