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मक्का के क्षेत्र में हरित क्रांति

Lokesh Pal July 19, 2024 04:40 151 0

संदर्भ

भारत में मक्का की फसल भी हरित क्रांति से गुजरी है और इसका वार्षिक उत्पादन वर्ष  1999-2000 और वर्ष 2023-24 के बीच तीन गुना से अधिक बढ़कर 11.5 मिलियन टन से 35 मिलियन टन से अधिक हो गया है, साथ ही प्रति हेक्टेयर औसत उपज भी 1.8 से 3.3 टन तक बढ़ गई है।

  • निजी क्षेत्र का नेतृत्व: मक्का में हरित क्रांति निजी क्षेत्र के नेतृत्व में हुई है और यह अभी भी जारी है तथा भारत में मक्का की खेती के लिए प्रयुक्त 10 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में निजी क्षेत्र द्वारा विकसित संकर किस्मों का हिस्सा 80% से अधिक है।
    • प्रथम पीढ़ी के बीज: यह दो आनुवंशिक रूप से भिन्न अंतःप्रजनित पौधों के संकरण से प्राप्त उच्च पैदावार होती है, हालाँकि यह केवल प्रथम पीढ़ी तक ही सीमित होती है, अर्थात् यदि किसान इनसे प्राप्त अनाज को बचाकर बीज के रूप में पुनः उपयोग करते हैं, तो वे समान पैदावार नहीं प्राप्त कर सकते हैं।

मक्का: 

  • वैज्ञानिक नाम: जिया मेस एल।
  • मूल स्थान: मध्य अमेरिका और मेक्सिको
  • मक्का ‘ग्रास फैमिली पोएसी’ से संबंधित है और इसे व्यापक रूप से अनाज के रूप में उगाया जाता है।
  • अनाज की रानी: मक्का को ‘अनाज की रानी’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें अनाज के मध्य सबसे अधिक आनुवंशिक उपज क्षमता होती है।
  • प्रकार: इसके कई प्रकार हैं, जैसे सामान्य पीला/सफेद अनाज, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, पॉपकॉर्न, मोमी कॉर्न, उच्च एमाइलेज कॉर्न, उच्च तेल वाला कॉर्न, गुणवत्तापूर्ण प्रोटीन मक्का, आदि।
  • भारत में मक्का उत्पादन
    • FAO के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में भारत मक्का का पाँचवाँ सबसे बड़ा उत्पादक था और विश्व उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 2.59 प्रतिशत है। 
    • अनाजों में मक्का ने क्षेत्रफल और उत्पादकता के मामले में सबसे अधिक वृद्धि दर देखी है।
      • उत्पादकता: वर्ष 2010 से भारत में मक्का की उत्पादकता 50 किलोग्राम/हेक्टेयर/वर्ष से अधिक बढ़ी है, जो खाद्य फसलों में सबसे अधिक है।
      • क्षेत्रफल: इसे मुख्य रूप से दो मौसमों में उगाया जाता है, मक्का उत्पादन का लगभग 83% बरसात (खरीफ) के मौसम में होता है, और  17% सर्दी (रबी) के मौसम में होता है।
    • कुल उत्पादन: वित्तीय वर्ष 2023 में, भारत का मक्का उत्पादन 38 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक होगा, जो देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है।
      • राज्यवार हिस्सेदारी: मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में उत्पादन के तहत सबसे अधिक क्षेत्र (प्रत्येक 15%) है, उसके बाद महाराष्ट्र (10%), राजस्थान (9%), उत्तर प्रदेश (8%) हैं। 
      • आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक राज्य उत्पादकता है। कृष्णा, पश्चिम गोदावरी आदि जैसे कुछ जिलों में 12 टन/हेक्टेयर तक की उत्पादकता दर्ज की गई है।
    • निर्यात: देश ने वर्ष 2022-23 में दुनिया को 3,453,680.58 मीट्रिक टन मक्का का निर्यात किया है, जिसमें प्रमुख निर्यात गंतव्य बांग्लादेश, वियतनाम, नेपाल, मलेशिया और श्रीलंका हैं।
    • उपयोग
      • मुख्य खाद्य उपभोग: मक्का, मकई का आटा आदि के रूप में मक्का मनुष्यों के लिए भोजन का एक स्रोत है, लेकिन भारत के मक्का उत्पादन का मुश्किल से पाँचवाँ हिस्सा सीधे मानव उपभोग के लिए उपयोग किया जाता है।
      • फीड स्टॉक: अनुमान है कि 60% पॉल्ट्री पक्षियों और पशुओं के खाद्य के रूप में प्रयोग किया जाता है।
        • मक्का कार्बोहाइड्रेट की आपूर्ति करता है, जो मुर्गीपालन और पशुधन के लिए मुख्य ऊर्जा स्रोत है। मुर्गियों के लिए ब्रॉयलर फीड में वजन के हिसाब से 55-65% मक्का होता है, जबकि अंडा देने वाली मुर्गियों के लिए 50-60% मक्का होता है और मवेशियों के लिए 15-20% मक्का होता है।
      • औद्योगिक उपयोग: भारत में मक्का का 14-15% उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए होता है। मक्के के दानों में 68-72% स्टार्च और 1-3% अन्य सरल कार्बोहाइड्रेट (सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रक्टोज) होते हैं। स्टार्च का उपयोग कपड़ा, कागज, दवा, खाद्य और पेय उद्योगों में किया जाता है। 
      • एथेनॉल के लिए फीडस्टॉक: मक्का एथेनॉल के लिए फीडस्टॉक के रूप में उभर रहा है, जिसका उपयोग पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए किया जाता है। डिस्टिलरीज, ऑफ-सीजन (मई-अक्टूबर) में एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए मक्का के उपयोग पर विचार कर रही हैं, जब गन्ना उपलब्ध नहीं होता है।

मक्का अनुसंधान में हालिया प्रगति: 

  • पूसा वैक्सी मक्का हाइब्रिड-1: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने उच्च एमाइलोपेक्टिन स्टार्च सामग्री (93.9%) के साथ भारत की पहली “वैक्सी” मक्का हाइब्रिड विकसित किया है, जो इसे एथेनॉल उत्पादन के लिए बेहतर बनाती है।
    • मक्के में स्टार्च दो पॉलिमरों का मिश्रण होता है, जिसमें ग्लूकोज अणु एक सीधी शृंखला (एमाइलोज) और शाखित रूप (एमाइलोपेक्टिन) में एक साथ बँधे होते हैं।
      • सामान्य मक्का स्टार्च में 30% एमाइलोज और 70% एमाइलोपेक्टिन होता है, जबकि IARI के वैक्सी मक्का हाइब्रिड (AQWH-4) से प्राप्त स्टार्च में 93.9% एमाइलोपेक्टिन होता है, जो स्टार्च रिकवरी की 68-70% रिकवरी और किण्वन दर को प्रभावित करेगा। 
      • उत्पादकता: इसमें प्रति हेक्टेयर औसत अनाज उपज 7.3 टन और क्षमता 8.8 टन है। 
      • वैक्सी मक्का से प्राप्त उच्च पुनर्प्राप्ति योग्य स्टार्च वाली एक टन मक्का से 415-420 लीटर एथेनॉल उत्पादन होता है, जो सामान्य एक टन मक्का से 390 लीटर एथेनॉल अधिक है।
    • वाणिज्यिक खेती की संभावना: IARI द्वारा विकसित संकर मक्का को अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत बाजार में लाने के लिए चिह्नित किया गया है तथा भविष्य में इसे केंद्रीय किस्म विमोचन समिति के समक्ष भेजने की योजना है, जिसके अनुमोदन से संकर को आधिकारिक रूप से जारी करने तथा वाणिज्यिक खेती के लिए अधिसूचित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
      • फील्ड ट्रायल: IARI ने अपने वैक्सी मक्का हाइब्रिड के फील्ड ट्रायल के लिए उत्तर प्रदेश डिस्टिलर्स एसोसिएशन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • मक्का के ‘डबल हेप्लॉयड’ की सुविधा: CIMMYT ने कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बंगलूरू के साथ साझेदारी में कर्नाटक के कुनिगल में मक्का के ‘डबल हेप्लॉयड’ की सुविधा खोली है, जो 100% समयुग्मीय (अर्थात् एक ही जीन की दो समान प्रतियाँ) और आनुवंशिक रूप से शुद्ध अंतःप्रजनन वाली मक्का प्रजातियों का उत्पादन करती है, जिनका उपयोग संकर प्रजातियों के प्रजनन और आगे के संकरण के लिए आधार के रूप में किया जा सकता है।
    • लाभ: डबल हेप्लॉयड तकनीक केवल दो फसल चक्रों के बाद पूरी तरह से समान उत्पादन को सक्षम बनाती है और ‘इनब्रेड लाइन’ विकास को गति देती है, जिससे मक्का प्रजनन की दक्षता में सुधार होता है। 
    • ज्ञान साझा करना: CIMMYT अपनी बेहतर इनब्रेड लाइनों को सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों और 25 से अधिक निजी बीज कंपनियों के साथ साझा कर रहा है, जिनमें महिको, श्रीराम बायोसीड, एडवांटा सीड्स, नुजिवीडू सीड्स, कावेरी सीड्स, महिंद्रा एग्री सॉल्यूशंस, रासी सीड्स और इंडो-अमेरिकन हाइब्रिड सीड्स शामिल हैं।

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